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देखा जाता है कि जन्म के कुछ महीनों तक बच्चे खूब सोते हैं। यह जरूरी भी है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि नवजात के लिए 14–17 घंटे की नींद आवश्यक है। वहीं, कुछ शिशु 18–19 घंटे भी सो सकते हैं (1)। यहां इससे संबंधित एक समस्या के बारे में हर माता-पिता को पता होना चाहिए, वो है स्लीप एपनिया। संभव है कि इस समस्या के बारे में शायद ज्यादा लोग परिचित न हों, यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हमने स्लीप एपनिया के बारे में जरूरी जानकारी साझा की है, ताकि आप जागरूक रहें और अपने शिशु का हर तरीके से ध्यान रख पाएं। आइए, विस्तार से सभी जानकारी प्राप्त करते हैं।
सबसे पहले जान लेते हैं बच्चे में स्लीप एपनिया आखिर होता क्या है।
बच्चों में स्लीप एपनिया (नींद अश्वसन) क्या है?
वायुमार्ग का संकुचित होना या आंशिक रूप से ब्लॉक होने के कारण सोते वक्त बच्चों को सांस लेने में तकलीफ या सांस रुक सकती है, जिसे स्लीप एपनिया के नाम से जाना जाता है (2)। खासतौर से प्रीमैच्योर बच्चों को होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में भी हो सकती है (3)। मस्तिष्क या हृदय में किसी समस्या के परिणामस्वरूप यह परेशानी होती है। आगे जानिए स्लीप एपनिया कितने प्रकार का होता है।
अब जान लेते हैं, स्लीप एपनिया के प्रकारों के बारे में।
स्लीप एपनिया के प्रकार
देखा जाए तो स्लीप एपनिया मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है, जिनके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं –
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया – यह तब होता है जब वायुमार्ग में रुकावट होती है, और वेंटिलेशन बनाए रखने के लिए श्वसन संबंधी प्रयास अपर्याप्त होते हैं (3)। कुछ मामलों में यह आनुवांशिक हो सकता है और कभी-कभी अधिक वजन होने के कारण भी हो सकता है (4) (5)।
- सेंट्रल स्लीप एपनिया – सेंट्रल स्लीप एपनिया तब होता है जब मस्तिष्क में सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला हिस्सा अस्थायी रूप से मांसपेशियों को संकेत भेजना बंद कर देता है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह व्यक्ति की तब तक सांस बंद कर सकता है, जब तक कि वो जाग नहीं जाए या उसका मस्तिष्क फिर से संकेत भेजना शुरू नहीं करता (6)।
- मिक्स्ड एपनिया – यह तब होता है जब ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और सेंट्रल स्लीप एपनिया एक साथ हों (3)। आसान शब्दों में समझा जाए, तो यह ऊपर के दोनों टाइप का मिक्स है।
अब सवाल यह उठता है कि स्लीप एपनिया का खतरा किन बच्चों को होता है। लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।
स्लीप एपनिया होने का खतरा किन बच्चों को होता है?
प्रीमच्योर बच्चों (तय समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे) में स्लीप एपनिया का खतरा अधिक हो सकता है (7) (8)। दरअसल, प्रीमच्योर बच्चों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) का वह हिस्सा, जो सांस लेने-छोड़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है, ठीक से विकसित नहीं हो पाता है। इस वजह से वो लगातार सांस नहीं ले पाते हैं और उनमें स्लीप एप्निया की समस्या हो सकती है (9)।
अब जान लेते हैं, शिशुओं में स्लीप एप्निया के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं।
शिशुओं में स्लीप एपनिया के लक्षण
कैसे समझें कि शिशु को स्लीप एपनिया है, यहां हम इसी संबंध में बेबी स्लीप एप्निया के लक्षण बता रहे हैं (2) –
- जोर-जोर से खर्राटे लेना स्लीप एपनिया का एक लक्षण है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बच्चा जो खर्राटे लेता हो, उसे स्लीप एप्निया हो।
- सांस लेने के दौरान लंबे वक्त तक रूकावट के साथ घरघराना, चोक होना और हांफना।
- मुख्य रूप से मुंह से सांस लेना।
- नींद में बेचैन होना या ठीक से नींद न आना।
- अक्सर नींद से जाग जाना।
- पसीना आना।
- बिस्तर गीला करना।
दिन के दौरान बच्चों में स्लीप एपनिया के लक्षण –
- दिन भर नींद या सुस्ती महसूस होना।
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना।
- हाइपरएक्टिव व्यवहार।
लेख के इस भाग में जानेंगे बच्चों को नींद में सांस लेने की तकलीफ के कारण।
स्लीप एपनिया के कारण
यहां जानिए बेबी स्लीप एप्निया के कारण क्या-क्या हो सकते हैं –
1. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया –
जब कोई सोता है, तो उसकी मांसपेशियां रिलैक्स करती हैं। इसमें गले के पीछे की मांसपेशियां भी शामिल हैं, जो वायुमार्ग को खुला रखने में मदद करती हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में, ये मांसपेशियां बहुत अधिक रिलैक्स हो जाती है और वायुमार्ग सिकुड़ने लगते हैं। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ऐसा विशेष रूप से किसी प्रकार के संक्रमण जैसे – निमोनिया, टॉन्सिल या एडेनोइड्स (नाक गुहा के पीछे कीटाणु से लड़ने वाले ऊतक) बढ़े हों, जो नींद के दौरान वायुमार्ग को अवरुद्ध पैदा कर सकते हैं, तब हो सकता है (3) (10) (5)।
इसके होने के अन्य जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हैं –
- अगर परिवार में किसी को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया रहा हो।
- वजन ज्यादा होना।
- डाउन सिंड्रोम (एक आनुवांशिक स्थिति, जो शारीरिक समस्या और बौद्धिक अक्षमता का कारण बनती है) या सेरेब्रल पाल्सी (विकारों का एक समूह है, जो तंत्रिका तंत्र के कार्यों को प्रभावित करता है)।
- मुंह, जबड़े या गले की समस्याएं, जो वायुमार्ग को संकीर्ण करती हैं।
- एक बड़ी जीभ, जो नींद के दौरान वायुमार्ग को अवरुद्ध कर सकती है।
2. सेंट्रल स्लीप एपनिया के कारण कुछ इस प्रकार हैं (3) –
- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा संक्रमण (मेनिन्जाइटिस – मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली से जुड़ा इन्फ्लेमेशन)
- सिर पर किसी प्रकार की चोट या आघात
- किसी विषाक्त पदार्थ के संपर्क में आने से
- पर्टुसिस (Pertussis – कफ की समस्या)
- इन्फेंट बोटुलिज्म Infant Botulism – बैक्टीरिया के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या)
- चयापचय की जन्मजात त्रुटियां (माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी – चयापचय संबंधी विकारों का समूह), (पोम्पे रोग – शरीर की कोशिकाओं में ग्लाइकोजेन नामक शुगर का जमाव, जो शरीर के अंगों को प्रभावित करता है) , लेह सिंड्रोम (एक प्रकार का मस्तिष्क संबंधी विकार) और म्यूकोपॉलीसेकेराइड्स (चयापचय संबंधी विकारों का एक समूह है)
- चयापचय में गड़बड़ होने के कारण यह समस्याएं होना – हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia – ब्लड शुगर में कमी), हाइपोकैल्सीमिया (Hypocalcemia – खून में कैल्शियम की कमी), एसिडोसिस (Acidosis – खून में एसिडिटी का बढ़ना)
- कोंजेनिटल सेंट्रल हाइपोवेंटिलेशन (Congenital Central Hypoventilation – सांस संबंधी विकार)
- बच्चों में डाउन सिंड्रोम (Down syndrome- एक प्रकार का आनुवांशिक विकार)
मिक्स्ड एपनिया के कारण –
- शिशु के वक्त से पहले जन्म यानी प्रीमैच्योर बेबी होने के कारण हो सकता है।
- यह गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स, पर्टुसिस और ब्रोंकोइलाइटिस के कारण भी हो सकता है (3)।
बच्चों में स्लीप एपनिया के जोखिम को बढ़ाने वाले अन्य कारक कुछ इस प्रकार हैं (2) –
- बच्चे का जबड़ा छोटा होना।
- फांक (कटा) होंठ व तालु की समस्या
अब जानते हैं बेबी स्लीप एप्निया का निदान कैसे किया जा सकता है।
स्लीप एपनिया का निदान कैसे किया जाता है?
नीचे पढ़ें बेबी स्लीप एप्निया के निदान संबंधित जानकारी (2) –
- शिशु विशेषज्ञ शिशु की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में माता-पिता से जानकारी ले सकते हैं।
- डॉक्टर बच्चे के मुंह, गर्दन और गले की जांच कर सकते हैं।
- माता-पिता से बच्चे के नींद आने, सोने के तरीके और सोने की आदतों के बारे में पूछा जा सकता है।
- बच्चे में स्लीप एपनिया की पुष्टि करने के लिए पोलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography) नामक स्लीप टेस्ट की सलाह दी जा सकती है। इसमें सोते वक्त या सोने की कोशिश करते वक्त शरीर के फंक्शन को टेस्ट किया जाता है (11)।
अब जानते हैं, बेबी स्लीप एप्निया के उपचार के बारे में।
शिशुओं में स्लीप एपनिया का उपचार
नीचे पढ़ें शिशुओं में स्लीप एपनिया का उपचार कैसे किया जा सकता है (2) (3) –
टॉन्सिल और एडेनोइड को हटाने के लिए सर्जरी बच्चों में स्थिति को ठीक कर सकती है। जरूरत पड़ने पर सर्जरी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें –
- गले के पीछे अतिरिक्त ऊतक को निकाला जा सकता है।
- चेहरे से जुड़ी कोई समस्या हो, तो उसे ठीक किया जा सकता है।
- यदि शारीरिक समस्याएं हैं, तो अवरुद्ध वायुमार्ग को बायपास करने के लिए विंडपाइप में सुराख किया जा सकता है।
इसके अलावा, कई बार नवजात के केस में या अन्य बच्चों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में उन्हें कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (continuous positive airway pressure – CPAP) डिवाइस देने की आवश्यकता हो सकती है।
- इससे वो सोते वक्त सही तरीके से सांस ले सकते हैं।
- इसमें बच्चा नींद के दौरान अपनी नाक के ऊपर मास्क पहनता है।
- यह मास्क एक मशीन से कनेक्टेड रहता है, जिसके माध्यम से बच्चे को सोते वक्त सांस लेने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, कुछ अन्य उपचार इस प्रकार हैं –
- नाक के माध्यम से कुछ स्टेरॉइड्स या अन्य खास प्रकार की दवाइयों को सूंघने के लिए दिया जा सकता है।
- अगर शिशु या बच्चे का वजन ज्यादा है, तो वजन कम करने की सलाह दी जा सकती है।
- कुछ खास प्रकार के डेंटल डिवाइस, जो जबड़े को आगे और वायुमार्ग को खुला रखने के लिए नींद के दौरान मुंह में डाला जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए। लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं –
डॉक्टर के पास कब जाएं
अगर शिशु प्रीमैच्योर है या उसका वजन कम है, तो उसपर खास ध्यान देने की आवश्यकता है। जब शिशु सोए, तो उसपर ध्यान दें, अगर शिशु सोते वक्त हमेशा घरघराहट जैसी आवाज निकालता है, उसे सांस लेने में समस्या हो रही हो और वो बार-बार जाग जाता हो और नींद में हिलाने से भी कोई प्रतिक्रिया न दें, तो बिना देर किए उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इसके अलावा, अगर किसी शिशु का पहले से ही स्लीप एप्निया का इलाज हो रहा है और इलाज से कोई फर्क न पड़ रहा हो, साथ ही कई अन्य नए लक्षण भी दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें (2)।
हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद पाठकों को बच्चे में स्लीप एपनिया के बारे में काफी जानकारी मिली होगी। ऐसे में अगर बच्चे में कभी भी ऊपर बताए गए लक्षण दिखें, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर की सलाह लें। इसके अलावा, बच्चा जब भी सोए, तो उसके सोते वक्त बीच-बीच में जाकर उसे चेक जरूर करें। कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर माता-पिता अपने बच्चे को सुरक्षित रख सकते हैं। उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी। यह लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करना न भूलें।
References
2. Pediatric sleep apnea By Medlineplus
3. Infant Apnea By NCBI
4. Obstructive sleep apnea By NIH
5. Obstructive Sleep Apnea By KidsHealth
6. A to Z: Central Sleep Apnea By KidsHealth
7. Sleep Apnea in Early Childhood Associated with Preterm Birth but Not Small for Gestational Age: A Population-Based Record Linkage Study By NCBI
8. Apnea In Children By NCBI
9. Apnea of Prematurity By KidsHealth
10. Obstructive Sleep Apnea in Infants By NCBI
11. Polysomnography By Medlineplus
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