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छोटे बच्चों का हकलाना और तुतलाना घर में सभी को अच्छा लगता है। हालांकि, बच्चों के बोलना शुरू करने के बाद हकलाना आम है, लेकिन कुछ सालों बाद भी इसका जारी रहना चिंता का कारण है। अगर समय रहते इसे दूर न किया जाए, तो इससे बच्चों के मन में हीन भावना घर कर सकती है। इसके कारण वो किसी के भी सामने बात करने और अपने मन की बात रखने से कतराने लगते हैं। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम बच्चों में हकलाने की समस्या के बारे में ही बता करेंगे। हम इसके कारण जानने के साथ-साथ इसे दूर करने के कुछ उपाय और एक्सरसाइज भी बताएंगे।

आर्टिकल में सबसे पहले बात करते हैं कि बच्चों में हकलाना क्या है।

बच्चों में हकलाना क्या है?

यह एक प्रकार का स्पीच डिसऑर्डर है, जो धारा प्रवाह बोलने के समय पैटर्न की गड़बड़ी के कारण होता है। बच्चों में ऐसा होना आम है। इस कारण बच्चे किसी शब्द को बोलने में अटकते हैं। वो उस शब्द को अच्छी तरह बोल नहीं पाते हैं (1)एक अन्य शोध के अनुसार, बच्चों में हकलाना एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है। इसके कारण स्पीच मोटर डेवलपमेंट और एक्सीक्यूशन नेटवर्क प्रभावित होता है (2)

आइए, अब जानते हैं कि बच्चे कब से हकलाना शुरू करते हैं।

बच्चों में हकलाने की समस्या कब शुरू होती है?

हकलाने की समस्या बचपन से ही शुरू हो सकती है। एक शोध के अनुसार, हकलाने की समस्या की शुरुआत आमतौर पर 2 साल से 4 साल की उम्र के बीच होती है। इसके अलावा, शोध से यह भी पता चला है कि प्री-स्कूल की उम्र के करीब 11 प्रतिशत बच्चों में हकलाने की समस्या हो सकती है (3)

आर्टिकल में आगे बताया गया है कि हकलाने की समस्या बच्चों को कैसे प्रभावित करती है।

हकलाने का प्रभाव

हकलाना बच्चों के जीवन को बहुत प्रभावित कर सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि हकलाने से बच्चों के ऊपर क्या क्या प्रभाव पड़ सकता है:

  • हकलाने के कारण बच्चे स्पष्ट रूप से और धारा प्रभाव बोलने में अटकते हैं।
  • हकलाने से उन्हें अपनी बात को लोगों के सामने पेश करने में परेशानी हो सकती है।
  • इसके अलावा, यह विकार उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • हकलाने के कारण बच्चे किसी भी प्रकार की गतिविधियों में हिस्सा लेने से कतराने लगते हैं।
  • किसी भी कार्य को करने में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है।
  • स्कूल में होने वाले किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में उनका प्रदर्शन खराब हो सकता है।
  • समाज और संगठन में भागीदारी करने पर उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और वो लोगों से दूरी बनाने लगते हैं।

आइए, अब उन लक्षणों के बारे में जान लेते हैं, जिनके कारण इस समस्या की पहचान होती है।

बच्चों में हकलाने के लक्षण

हकलाने के लक्षण हर बच्चे के अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे (4):

  • के, जी, टी से शुरू होने वाले किसी शब्द को बार-बार दोहराना।
  • स, श, ष से शुरू होने वाले शब्दों को लंबा बोलना।
  • शब्दों को बोलने के दौरान अक्सर झिझकना या फिर खुद को बात करने से रोकना।
  • धीरे-धीरे बोलना या फिर बहुत अधिक रुकावट के साथ बात करना।
  • बोलते समय तनाव और निराशा महसूस करना।
  • कभी-कभी मुंह बोलने के लिए खुला रह जाना, लेकिन कुछ भी नहीं कह पाना।
  • बात करते समय अटक-अटक के सांस लेना और होंठों का कांपना ।
  • बात करने में डर लगना।

हकलाने के ये लक्षण भी नजर आ सकते हैं:

  • बोलते समय तेजी से पलकों का झपकना या कांपना।
  • बाेलते समय सिर या फिर शरीर के किसी भी अन्य अंग काे झटकना।
  • बोलने के साथ-साथ जबड़े काे मरोड़ना।
  • मुट्ठी को बार-बार भींचना।

आगे हम बताएंगे बच्चों में हकलाने के कारणों के बारे में।

बच्चों में हकलाने के कारण

बच्चों में हकलाना की समस्या 2 से 5 साल में नजर आने लगती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (4)

  • डेवलपमेंटल: यह हकलाने का सबसे आम रूप है, जाे छोटे बच्चों में पाया जाता है। यह समस्या समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार यह तब होता है, जब बच्चे सही तरह से बाेलने में असमर्थ होते हैं।
  • आनुवंशिक: कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों में हकलाना परिवार के जीन के कारण भी हो सकता है।
  • चोट या स्ट्रोक के कारण: कभी-कभी हकलाने की समस्या दिमाग पर लगी चोट या फिर स्ट्रोक के कारण भी हो सकती है।
  • साइकोजेनिक: हकलाने का एक कारण साइकोजेनिक यानी भावनात्मक स्ट्रोक भी हो सकता है। ऐसा कुछ विशेष मामलों में ही होती है।

कारण के बाद यहां जानते हैं बच्चों में हकलाने का इलाज कैसे किया जा सकता है। 

हकलाने का इलाज | बच्चों का हकलाना कैसे ठीक करें?

वैसे तो हकलाने का कोई इलाज नहीं है। फिर भी कुछ चिकित्सकों का मानना है कि कुछ थैरेपी और व्ययायाम के द्वारा इसको दूर किया जा सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं बच्चों में हकलाने के इलाज के बारे में (5):

  • स्पीच थैरेपी: इसमें मरीज को धीरे-धीरे बोलने के अलावा यह नोटिस करने के लिए कहा जाता है कि वह किस शब्द पर अटकता है। इससे बच्चे को आराम-आराम से और शुद्ध वाक्यों का उच्चारण करने में मदद मिल सकती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा: बाजार में कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उपलब्ध हैं, जो हकलाने की समस्या को कम कर धारा प्रवाह बोलने में मददगार हो सकते हैं। ये उपकरण बच्चों की आवाज की नकल करते हैं और ऐसा लगता है जैसे वो बच्चों से बात कर रहे हैं। बच्चे के लिए कौन-सा उपकरण सही है, इस बारे में स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट ठीक तरह से बता सकते हैं।
  • मनोचिकित्सा के द्वारा: कई प्रकार के मनोचिकित्सक बच्चों के बात करने के तरीके को पहचान कर उसे बदलने में मदद करते हैं। इसके जरिए बच्चों में हकलाने से होने वाले तनाव और अवसाद को दूर करके उनमें आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है।
  • घर में अभ्यास: स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट जो भी टिप्स या तकनीक बताए, माता-पिता घ्र में बच्चे से उसकी प्रैक्टिस जरूर करवाएं। इससे बच्चे को फायदा हो सकता है और उसकी समस्या धीरे-धीरे कम हो सकती है।
  • मेडिसिन: कुछ दवाइयों से हकलाने की समस्या का उपचार करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी भी दवा का प्रभावी असर नहीं नजर आया। इस आधार पर कहा जा सकता है कि इस समस्या को ठीक करने के लिए अभी कोई दवा मौजूद नहीं है।

जानते हैं कि किन व्यायाम के जरिए बच्चों के हकलाने को कम किया जा सकता है।

बच्चों में हकलाने के लिए व्यायाम

बच्चों में हकलाने की समस्या को व्यायाम के जरिए भी कम किया जा सकता है। व्यायाम बोलने में सहायता करने वाल फेफड़ों, जीभ, श्वासनली, होंठ और जबड़े को शक्ति प्रदान करने का काम करते हैं। ये व्यायाम या तो हकलाने की समस्या को कम कर सकते हैं या फिर उसकी तीव्रता को कम कर सकते हैं। यहां हम कुछ ऐसे ही व्यायाम बता रहे हैं, जो बच्चे में हकलाने को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  • जोर से किसी स्वर का उच्चारण : बच्चे को ए, ई, आई, ओ और यू से शुरू होने वाले शब्द का उच्चारण साफ-साफ करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • रुकने की तकनीक सिखाना : जो बच्चे हकलाते हैं, उन्हें यह भी सिखाया जाना चाहिए कि बोलते समय कब और कैसे रुकना है।
  • जॉ टेक्नीक : जितना संभव हो सके बच्चे को जॉ यानी जबड़ा खोलने के लिए कहें। बेहतर तरीके से करने के लिए बच्चे से कहें कि वह जीभ को तालु की ओर ले जाकर उसे छूने की कोशिश करे। बिना किसी दर्द के जीभ को जितना हो सके तालू की ओर खींचे और कुछ सेकंड तक उस स्थिति में रहने के लिए कहें। इसके बाद जीभ को मुंह से बाहर निकाल कर नीचे ठोड़ी तक ले जाने की कोशिश करनी चाहिए। यह व्यायाम हर रात करने से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
  • स्ट्रॉ टेक्नीक : स्ट्रॉ के माध्यम से पानी पीना मौखिक अभ्यासों में से एक है। यह हकलाने से निपटने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्ट्रॉ के जरिए पानी पीने से जीभ का अभ्यास होता रहता है और धीरे-धीरे हकलाना कम हो सकता है।
  • सांस लेने और रोकने की क्रिया : बच्चे के द्वारा सांस लेने और कुछ सेकंड तक रोकने पर भी हकलाने को दूर कर सकते हैं। इस प्रकार की क्रिया से जीभ की मांसपेशियों के तनाव को दूर किया जा सकता है, जो हकलाने की समस्या में आराम दे सकता है।

इसके अलावा और भी कई व्यायामों का जिक्र शोधों में उपलब्ध है जो कि हकलाने की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकते हैं।

बच्चों में हकलाने की परेशानी को नीचे दिए कुछ घरेलू उपचार के द्वारा भी दूर किया जा सकता है।

बच्चों का हकलाना दूर करने के लिए के लिए घरेलू उपचार

डॉक्टर को दिखाने और एक्सरसाइज के अलावा कुछ घरेलू सामग्री के द्वारा भी इस समस्या को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। फिलहाल, हम पहले ही स्पष्ट कर दें कि यहां बताए गए घरेलू उपायों को लेकर कोई शोध उपलब्ध नहीं है और इसलिए हो सकता है कि डॉक्टर भी घरेलू उपाय की सलाह न दें। हालांकि, हो सकता है इन उपायों से समस्या कुछ हद तक कम हो, लेकिन इन्हें इलाज समझने की भूल न करें। तो यहां हम बता रहे हैं कि किस प्रकार घर में ही बच्चों के हकलाने की परेशानी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

  • हरा धनिया : हरे धनिये का उपयोग सब्जियों में स्वाद बढ़ाने के साथ ही हकलाने को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए अमलतास का गूदा और हरे धनिये को पीस कर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण से लगातार 21 दिन तक कुल्ला करने से हकलाने की समस्या दूर की जा सकती है।
  • आंवला : कसैला स्वाद वाला आंवला हकलाने की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसे औषधि के रूप में रोज खाने से हकलाने की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है।
  • काली मिर्च और बादाम : हकलाने की गंभीर स्थिति को दूर करने के लिए काली मिर्च का उपयोग भी मददगार हो सकता है। दवा बनाने के लिए थोड़ी-सी मिश्री, सात काली मिर्च और 1 बादाम को कुछ बूंद पानी में घिसकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण का 15 दिन तक लगातार सुबह खाली पेट सेवन करने से हकलाने की समस्या दूर हो सकती है।
  • गाय का घी : कई गुणों से सम्पन्न गाय के घी से भी हकलाने की समस्या को कम किया जा सकता है। रोजाना थोड़े से घी में काली मिर्च के चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से फायदा मिल सकता है।
  • शहद : शहद को फूले हुए सुहागा के साथ जीभ पर आराम-आराम से रगड़ने पर हकलाने की समस्या को दूर किया जा सकता है।

यहां जानकारी दी जा रही है कि हकलाने वाले बच्चों के लिए माता-पिता कैसे सहायक हो सकते हैं।

माता-पिता हकलाने वाले बच्चों की मदद कैसे कर सकते हैं?

हकालाना रोकने के उपचार में अक्सर माता-पिता द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इस दौरान वे बच्चों की सहायता के लिए नीचे दिए टिप्स को भी फॉलो कर सकते हैं (6):

  • बच्चों को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करने का प्रयास करें।
  • बच्चे के साथ बात करने के लिए अलग से समय निर्धारित कर सकते हैं।
  • बच्चों के साथ मजेदार और रोचक विषयों पर बात करने की कोशिश करें।
  • गलती होने पर बच्चे के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया देने की जगह उसके सही उच्चारण करने पर बच्चे की तारीफ करें।
  • बच्चे को बोलते समय टोके नहीं।
  • बच्चे से आराम से बात करने पर उसे धीरे-धीरे और स्पष्ट बोलने में मदद मिल सकती है।
  • जब बच्च बात करता है, तो उसकी बातचीत पर ध्यान देना चाहिए।
  • बच्चे के रुचि लेने पर उसके साथ हकलाने के बारे में खुलकर बात करें।
  • बच्चे के शिक्षकों से उसकी समस्या के बारे में बात करें और उन्हें एक अच्छा वातावरण प्रदान करने के लिए कहें।

आइए, अब जानते हैं कि किस अवस्था में बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं

अगर बच्चा 5 साल का होने के बाद भी हकलाता है, तो डॉक्टर या स्पीच लेंग्वेज पेथॉलॉजिस्ट से बात करना चाहिए। इसके इलावा यदि बच्चों में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं (6):

  • यदि बच्चा बोलते समय हकलाने के डर से किसी भी शब्द को बोलने से डरता हो।
  • हकलाने के साथ साथ चेहरे या शरीर की अजीब सी हरकतें दिखाइ दें।
  • किसी भी शब्द और वाक्य को लगातार दोहराता हो।
  • बात करने पर उसके चेहरे पर तनाव की स्थिति दिखाई देती हो।
  • अगर आपको बच्चे के बोलचाल का तरीका असामान्य लगे, तो उसे डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं।
  • अगर बच्चे को वोकल टेंशन यानी बोलते समय होने वाले तनाव की समस्या है, जिस कारण उसकी आवाज तेज हो जाती है, तो आप उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले सकते हैं।

हकलाना गंभीर समस्या नहीं है और इसे समय रहते दूर किया जा सकता है। बस जरूरत है तो सिर्फ सही मार्गदर्शन की। आर्टिकल के माध्यम से हमने बच्चों को बोलने में होने वाली समस्या के बारे में विस्तार से बताया। इस लेख में दी गई जानकारी और डॉक्टर के द्वारा बताए गए इलाज से बच्चों के हकलाने की परेशानी को दूर किया जा सकता है। आशा करते हैं कि बच्चों की हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए यह आर्टिकल फायदेमंद रहा होगा। बच्चों से जुड़ी हुई समस्याओं और उनके उपचार की जानकारी के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।

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