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बच्चे अधिकतर बाजार में मिलने वाले फास्टफूड और चॉकलेट खाना पसंद करते हैं। ज्यादा मीठा खाने और दांतों की सफाई ठीक से न करने की वजह से दांतों में सड़न होने लगती है (1)। वक्त रहते इन बातों पर ध्यान न दिया जाए, तो दांतों से जुड़ी समस्या गंभीर रूप ले सकती है। इसी वजह से मॉमजंक्शन बच्चों के दांतों की सड़न के कारण, लक्षण और उन्हें दूर करने के उपाय लेकर आया है। इनकी मदद से बच्चों के दांतों का ख्याल रखने और उन्हें सड़ने से बचाने में मदद मिल सकती है।
लेख में सबसे पहले जानिए कि बच्चों के दांतों में सड़न होना आम है या नहीं।
क्या दांतों की सड़न एक आम समस्या है?
हां, बच्चों के दांतों में सड़न होना आम समस्या है। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, 6 से 11 साल की उम्र तक के बच्चों के दांतों में सड़न होना और कीड़े लगना आम है (2)। अगर वक्त रहते इसपर ध्यान दिया जाए, तो दांतों को सड़ने से बचाया जा सकता है।
आगे जानें बच्चों के दांतों में कीड़े लगने के कारण क्या हैं।
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने के कारण
बच्चों के दांतों की सड़न के कारण निम्न हो सकते हैं (1)।
- बैक्टीरिया: दांतों पर जमने वाली पीली परत यानी प्लाक में मौजूद बैक्टीरिया और एसिड दांतों के इनेमल यानी मजबूत परत को खत्म कर देते हैं। इसके कारण दांत सड़ने लगते हैं।
- अनियमित सफाई और गंदगी: नियमित रूप से दांतों की सफाई न करने पर दांतों में सड़न हो सकती है। बच्चे के दूध के दांत स्थायी दांतों के इनेमल से अधिक संवेदनशील होते हैं। समय पर इनकी सफाई न करने पर यह सड़ने लगते हैं।
- चिपचिपे पदार्थों का सेवन: चिपचिपे पदार्थों का सेवन करने पर यह दांतों की खाली जगह में भर जाते हैं, जिस वजह से दांत सड़ने लगते हैं।
- मीठे पदार्थों का सेवन: मीठे खाद्य और पेय पदार्थ बच्चे के दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। एक रिसर्च पेपर के अनुसार, चॉकलेट खाने और चाय व अधिक मीठा जूस पीने वाले बच्चों के दांतों में सड़न हो सकती है।
- कमजोर इनेमल: स्थायी दांतों का इनेमल शुरुआत में कमजोर होता है, जिसके कारण भी दांत सढ़ सकते हैं।
लेख के अलगे भाग में हम बच्चों के दांतों में कीड़े लगने के लक्षण बता रहे हैं।
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने के लक्षण
बच्चों के दांतों में कीड़े लगने की शुरुआत होने पर कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। समय के साथ जैसे-जैसे समस्या बढ़ने लगती है, तो बच्चों के दांताें में कीड़े लगने के निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं (3)।
- बच्चों के दांतों में दर्द होना
- दांत में दर्द के कारण बच्चों का रोना
- गरम, ठंडा या मीठा खाने या पीने पर दांतों में झनझनाहट होना
- दांतों में छेद दिखाई देना
- चबाते समय दर्द होना
- चेहरे में सूजन
- बुखार
आगे जानिए कि दांतों में कीड़े लगने पर उसकी पहचान किस तरह से की जा सकती है।
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने की पहचान
बच्चों की देखभाल के दौरान उनके दांतोंं की सड़न को पहचाना जा सकता है। बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने के बाद दांतों पर सफेद या भूरे रंग के धब्बे दिखाई दे सकते हैं। यदि स्थिति बिगड़ने लगती है, तो दांतों के ऊपरी सतह पर छेद दिखने लगता है। दांतों की अंदरूनी परतें प्रभावित होने पर दांतों और जड़ों की नसों को भी नुकसान पहुंच सकता है (1)।
आगे पढ़ें बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने पर किया जा सकने वाले उपचार।
बच्चों के दांतों में कीड़े लगने पर ट्रीटमेंट
बच्चों के दांतों में कीड़े लगने पर निम्न ट्रीटमेंट को अपनाया जा सकता है (4)।
- फ्लोराइड ट्रीटमेंट: इनेमल यानी दांतों की बाहरी परत को रिपेयर करने के लिए फ्लोराइड ट्रीटमेंट करवाने से दांतों की सड़न को कम करने और एनेमल रिपयेर करने में मदद मिल सकती है।
- फिलिंग्स: दांतों में सड़न की वजह से होने वाली कैविटी यानी छेद को भरने के लिए डॉक्टर सबसे पहले सड़े हुए दांत के ऊतकों को हटाते हैं। फिर मेडिकल संबंधी सामग्री से दांत को भरकर रिस्टोर करते हैं।
- रूट केनाल: संक्रमण या दांत के अंदर तक कीड़े के फैलने पर रूट कैनाल की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर सड़े हुए दांत के भाग को हटाते हुए दांत और जड़ की अंदर तक सफाई करते हैं। इसके बाद दांतों को अस्थायी रूप से भरकर छोड़ दिया जाता है। फिर कुछ समय बाद दांतों की स्थायी फिलिंग या क्राउन (दांत पर एक आवरण) लगाया जाता है।
- दांत निकालना: सड़े हुए एक दांत की वजह से अन्य दांतों को क्षति न पहुंचे, इसलिए डॉक्टर दांत निकाल सकता है। गंभीर मामलों में ही यह ट्रीटमेंट किया जाता है। दांत को निकालने के बाद उस जगह पर नकली दांत को सेट किया जाता है।
लेख के इस हिस्से में जानें दांतों में कीड़ा हटाने के कुछ घरेलू उपाय।
बच्चों के दांतों से कीड़ा हटने के घरेलू उपाय
बच्चों के दांतों से कीड़ा हटाने के लिए कुछ आसान और सुरक्षित घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है। यहां हम उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
1. दालचीनी का तेल: दालचीनी के तेल की कुछ बूंदों को रूई में डालकर प्रभावित क्षेत्र पर रखने से आराम मिल सकता है। दरअसल, दालचीनी के तेल में एंटीबैक्टीरियल प्रभाव होता है, जो दांतों की सड़न का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है (5)।
2. लौंग का तेल: दांतों की सड़न को रोकने के लिए लौंग का तेल भी प्रभावकारी हो सकता है। दालचीनी के तेल की तरह ही इसमें भी एंटीबैक्टीरियल प्रभाव होता है, जो दांतों की सड़न का कारण बनने वाले बैटीरिया को कम कर सकता है। इसके लिए दांतों और मसूड़ों पर लौंग के तेल की मसाज कर सकते हैं (5)।
3. नारियल का तेल: नारियल तेल का उपयोग भी कैविटी की समस्या में लाभदायक हाे सकता है। दरअसल, इसमें लॉरिक एसिड होता है, जो लार में मौजूद अल्काइन्स जैसे सोडियम हाइड्रोऑक्साइड और बाइकार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया कर सोडियम लॉरेट-साेप जैसा पदार्थ बनाता है (6)।
यह पदार्थ प्लाक के बनाने और जमा होने की प्रक्रिया को कम कर दांतों की सफाई कर सकता है। इसके अलावा, लॉरिक एसिड में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लामेटरी प्रभाव दांतों को टूटने से बचाने और मौखिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं (6)।
4. ऑयल पुलिंग: ऑयल पुलिंग करने से भी दांतों की सड़न में फायदा हो सकता है। शोध के अनुसार, ऑयल पुलिंग के द्वारा लार के एंजाइम सक्रिय होते हैं, जो विषाक्त पदार्थों को अवशोषित कर शरीर से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं (6)।
साथ ही ऑयल पुलिंग की मदद से शरीर और दांतों से केमिकल टॉक्सिन, बैक्टीरिया टॉक्सिन और पर्यावरण के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। इससे दांतों की सड़ने की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है (6)।
5. नीम: स्वाद में भले ही नीम कड़वा होता है, लेकिन इसका उपयोग करके दांतों को सड़ने से बचाया जा सकता है। रिसर्च के मुताबिक, नीम की छाल और पत्ती के अर्क में मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रभाव के कारण कैविटी और मसूड़ों की बीमारी से बचा जा सकता है (7)।
साथ ही नीम युक्त माउथवॉश दांतों की सड़न, मुंह के संक्रमण, रक्तस्राव और मसूड़ों के दर्द को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, नीम के पेड़ की टहनियों का उपयोग पूरे भारत में लोग चबाने के लिए करते हैं, जाे मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ा सकता है (7)।
नीचे जानें बच्चों के दांतों को सड़ने से बचाने के लिए क्या उपाय आजमाये जा सकते हैं।
बच्चों के दांतों में सड़न से बचाव
बच्चों के दांतों को सड़ने से बचाने के लिए नीचे दिए गए उपायों को आजमाया जा सकता है (2)।
- फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से दिन में दो बार ब्रश करना
- दांतों के बीच रोजाना फ्लॉस या इंटरडेंटल क्लीनर से सफाई करें
- पौष्टिक और संतुलित भोजन करना
- स्नैक्स का सेवन सीमित मात्रा में करना
- ज्यादा मीठे और चिपचिपे पदार्थों से बचना
- बच्चे के दांतों की सफाई के लिए नियमित डॉक्टर से चेकअप करवाना
आर्टिकल के इस भाग में बच्चों के मुंह की सफाई से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स पढ़ें।
बच्चों की ओरल केयर के लिए टिप्स
नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो करके बच्चों के मौखिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है।
- चिपचिपा और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे – चॉकलेट और बिस्कुट ज्यादा न खाना
- एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे -कोल्ड ड्रिंक से बचना
- टूथब्रश को हर दो महीने में बदलना
- भोजन करने के बाद माउथवॉश करना
- नियमित चेकअप
- नियमित ब्रश करना
- अच्छे और सुरक्षित टूथपेस्ट का उपयोग
- दांतों के इनेमल को हानि से बचाने के लिए मुलायम ब्रश का इस्तेमाल
- ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा दबाव न डालना
बच्चों की अच्छी सेहत के साथ ही दांतों का भी स्वस्थ रहना जरूरी है। दांतों की सड़न के कारण बच्चों की पूरी जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। वो न तो ठीक से कुछ खा पाते हैं और न ही पी पाते हैं। बच्चों को इस परेशानी से बचाने के लिए सतर्कता और सावधानी दोनों जरूरी है। इसी वजह से यहां हमने बच्चों के मौखिक स्वास्थ्य से लेकर दांतों की सफाई और दांतों को सड़ने से बचाने के लिए टिप्स बताए हैं। इन्हें फॉलो करके बच्चे के दांतों को सड़न से बचाया जा सकता है।
References
1. Tooth decay: Overview By NCBI
2. Hygiene-related Diseases By CDC
3. Tooth Decay By NIH
4. Tooth Decay Also called: Cavities Dental caries By MedlinePlus
5. Comparative study of cinnamon oil and clove oil on some oral microbiota By PubMed
6. Oil pulling for maintaining oral hygiene – A review By NCBI
7. Azadirachta indica: A herbal panacea in dentistry – An update By NCBI
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