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क्या आपका बच्चा सही से लिख नहीं पाता है? क्या आपके बच्चे की राइटिंग सुंदर और साफ नहीं है? क्या आपका बच्चा हिंदी, अंग्रेजी और गणित के कुछ अक्षरों को उल्टा लिखता है? अगर यह सारी खामी आपके बच्चे में है, तो मॉमजंक्शन का यह आर्टिकल लिखने की परेशानी से जूझ रहे बच्चों के पेरेंट्स के काम का हो सकता है। पेरेंट्स अगर चाहते हैं कि उनके बच्चे की राइटिंग एक लय में और साफ-सुथरी हो, तो लेख में दिए गए टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चे की लिखावट में काफी हद तक सुधार ला सकते हैं।
चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों के लिए साफ और सुथरी हैंडराइटिंग क्यों जरूरी है?
अच्छी हैंडराइटिंग क्यों जरूरी है?
लिखावट बच्चों और बड़ों, सभी की अच्छी ही होनी चाहिए। शॉपिंग लिस्ट बनाने से लेकर बैंक में फॉर्म भरने तक, रोजमर्रा के अमूमन हर काम में लिखने की जरूरत होती है। लिखावट अच्छी नहीं होगी, तो सामने वाले को उसे समझने में परेशानी हो सकती है। इसी तरह स्कूल के बच्चे अच्छे एग्जाम देने के बावजूद खराब लिखावट की वजह से कम अंक हासिल कर सकते हैं। यही वजह है कि कक्षा में नोट्स लिखने से लेकर होमवर्क करने व परीक्षा देने जैसी सभी चीजों के लिए अच्छी राइटिंग का होना बेहद जरूरी होता है। अच्छी हैंडराइटिंग से बच्चों को नीचे बताए गए फायदे हो सकते हैं।
- अच्छी लिखावट दिमाग को तेज करने में मदद कर सकती है (1)। दरअसल, जब लिखावट सुंदर होती है, तो उसे पढ़ने का भी मन करता है। जिन बच्चों की लिखावट अच्छी नहीं होती पढ़ाई करते वक्त उन्हें उनकी लिखी कुछ चीजें समझ नहीं आती। पेरेंट्स भी वो लिखी हुई चीज को पढ़ने में असमर्थ हो जाते हैं। इससे बच्चे को पढ़ाई में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
- परीक्षा के दौरान लिखावट काफी मायने रखती है (2)। कई बार सही उत्तर लिखने के बाद भी खराब लिखावट के कारण परीक्षक पढ़ नहीं पाते और नंबर काट लेते हैं। वहीं, अच्छी लिखावट टीचर्स का पहले ही दिल जीत लेती है और हैंडराइटिंग के नंबर काटने की आशंका खत्म हो जाती है। ऐसे में साफ लिखावट से अच्छे नंबर लाने में मदद मिल सकती है।
- अच्छी लिखावट बच्चे के कॉन्फिडेंस को बढ़ा सकती है।
- हाथों से लिखने वाले बच्चों को जल्दी चीजें याद भी हो जाती हैं (3)। जब लिखावट अच्छी होगी, तो उसी चैप्टर का दोबारा अध्ययन करने में बच्चे संकोच नहीं करते हैं। परिणाम स्वरूप बच्चों को चीजें याद होने लगती हैं।
लेख के इस भाग में बच्चों की हैंडराइटिंग से जुड़ी कुछ आम समस्याओं के बारे में जानिए।
बच्चों की कुछ कॉमन हैंडराइटिंग की समस्याएं क्या हैं?
हैंडराइटिंग अच्छी न होने के पीछे लिखावट संबंधी कुछ सामान्य समस्याएं हो सकती हैं। ये हैंडराइटिंग की समस्याएं कुछ इस प्रकार हैं।
- अक्षरों को छोटा-बड़ा लिखना
- ऊपर-नीचे लिखा जाना
- शब्दों के बीच में ज्यादा जगह छोड़ना
- लिखी गई चीजों की दिशा गलत होना
- वाक्यों का एक लय में न होना
- अक्षरों लिखकर बुरी तरह से काटना
- ओवर राइटिंग करना
बच्चों को लिखावट में परेशानी डिसग्राफिया (Dysgraphia) जैसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से भी होती है। इसकी पहचान कुछ इस तरह की हैंडराइटिंग संबंधी परेशानियों से की जाती है। डिसग्राफिया में इनमें से कुछ या सारी समस्याएं हो सकती हैं (4)।
- टेढ़े-मेढ़े अक्षर लिखना
- अक्षरों को सही से न जोड़ पाना
- अक्षरों का अधिक चिपका हुआ होना
- शब्दों को स्पष्ट न लिख पाना
- अक्षरों का ऊपर नीचे होना
- लिखे हुए प्रत्येक अक्षर की ऊंचाई एक बराबर न होना
- एक लाइन में अक्षरों को न लिख पाना
- बायां मार्जिन चौड़ा होना
- अक्षर का असंगत आकार
- कॉपी करते समय शब्दों को लिखने में दिक्कत होना
आगे बच्चों की लिखावट सुधारने के कारगर तरीकों के बारे में जानते हैं।
बच्चों की लिखावट (हैंडराइटिंग) सुधारने के 10 तरीके | Baccho Ki Handwriting Kaise Sudhare
डिजिटल इंडिया के इस दौर में पैदा हो रहे बच्चों का कॉपी-पेन से कम और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से ज्यादा लगाव होता जा रहा है। ऐसे में बच्चे अपनी लिखावट पर ज्यादा गौर नहीं करते हैं। कुछ जगहों में बच्चे नोट्स भी कंप्यूटर पर ही बनाते हैं। इस वजह से भी बच्चों में लिखने की समस्या पैदा हो सकती है। इससे बचाव में कुछ टिप्स मदद कर सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।
1. राइटिंग टूल्स का चुनाव
लिखावट को सुधारने के लिए सबसे पहले बच्चे को सही राइटिंग टूल्स दिलाना जरूरी है। बच्चे के लिए पेन, पेंसिल, नोटबुक आदि को खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें। ऐसा जरूरी नहीं कि जिसमें सामने वाला बच्चा आरामदायक महसूस कर रहा है, उसमें आपका बच्चा भी सहज हो। जैसे बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि राइटिंग में सुधार के लिए फाउंटेन पेन अच्छा होता है। वहीं, बॉल पेन लिखावट को खराब करता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। हर किसी के लिखने का अपना एक तरीका होता है। बच्चे की लिखावट में सुधार के लिए अच्छी ग्रिप वाली पेंसिल या पेन खरीदें।
2. धीरे-धीरे अक्षरों को समझाएं
शुरुआत में बच्चों को अक्षरों को समझाने के लिए बहुत सावधानी से पढ़ाना होता है। इसी वजह से पेरेंट्स को अक्षरों के बारे में बच्चों को सही से समझाना चाहिए। बच्चों को पहले किसी भी शब्द का एक-एक अक्षर लिखना सिखाएं और फिर पूरे शब्द को एक साथ लिखना। इसमें थोड़ा समय लग सकता है। इस दौरान बच्चे को बताएं कि दो अक्षरों और दो शब्दों के बीच कितनी जगह छोड़नी चाहिए। बस जल्दबाजी बिल्कुल भी न करें। स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए पेरेंट्स व्हाइट बोर्ड और मार्कर का इस्तेमाल कर सकते हैं। पेरेंट्स, बोर्ड पर लिखकर बच्चे की रोजाना सही तरीके से लिखने की प्रैक्टिस करवा सकते हैं।
3. अक्षर और शब्दों की पहचान करना सिखाएं
अक्सर बचपन में लोग हिंदी, अंग्रेजी और गणित के कई शब्द उल्टे लिखते हैं। इसकी वजह अक्षर को बारीकी से न समझना होता है। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चों के शब्दों पर गौर करना चाहिए, जिन्हें वो लिख रहे हैं या ठीक से नहीं बना पा रहे हैं। बच्चों को जिन शब्दों में लिखने में ज्यादा दिक्कत हो रही है, उसमें शामिल अक्षरों का अलग से बार-बार अभ्यास कराएं।
4. बच्चों में डाले लिखने की आदत
हैंडराइटिंग को सुंदर और साफ बनाने के लिए बच्चों को शुरुआत से ही लिखने का अभ्यास करवाएं। जब बच्चा प्ले स्कूल में जाना शुरू करें, तभी से उसमें लिखने की आदत डालना जरूरी है। बच्चों से रोजाना एक पेज जरूर लिखवाएं। ऐसा करने से धीरे-धीरे उसकी लिखावट में सुधार होता जाएगा।
5. स्टडी टेबल की ऊंचाई जांच लें
बच्चों की राइटिंग में सुधार करना है, तो एक बार उनके स्टडी टेबल पर भी ध्यान दें। देखें कि कहीं वो बच्चों के हिसाब से अधिक ऊंची या नीची तो नहीं है। याद रहे बच्चों को उतनी ऊंचाई का स्टडी टेबल ही देना चाहिए, जिसकी कुर्सी पर बैठने के बाद टेबल पर कोहनी रखकर आसानी से लिखा जा सके। इससे उनकी राइटिंग पर बहुत फर्क नजर आएगा और बच्चों को कुर्सी पर बैठने के बाद शरीर में होने वाला दर्द भी नहीं होगा।
6. पेंसिल पकड़ना सिखाएं
बच्चों की लिखावट पेन या पेंसिल को सही ढंग से न पकड़ने के कारण भी गंदी होने लगती है। हमेशा बच्चे के हाथ में पेंसिल देखने के बाद यह चेक करें कि उसने सही तरीके से पेंसिल पकड़ी भी है या नहीं। साफ लिखावट के लिए बच्चे का पेंसिल को सही तरीके से पकड़ना बेहद जरूरी है। बच्चे को पेन या पेंसिल को अंगूठा, मध्यमा अंगुली (Middle Finger) और तर्जनी अंगुली (Index Finger) की मदद से पकड़कर लिखना सिखाएं। पेंसिल सही से पकड़ने की आदत डालने के लिए राइटिंग होल्डर और जम्बो पेंसिल भी ले सकते हैं।
7. पेंसिल को टाइट पकड़ने से रोकें
कुछ बच्चे लिखते समय पेंसिल को अधिक कस कर पकड़ते हैं। इससे हाथ जल्दी थक जाता है, जिसका सीधा असर लिखावट पर नजर आने लगता है। बच्चे को समझाएं कि पेंसिल को इतना कसकर पकड़ने की भी जरूरत नहीं है। इसके साथ ही कुछ बच्चे हाथों पर बहुत जोर लगाकर लिखते हैं। ऐसा करने से बच्चे को रोकें। इससे भी लिखावट खराब हो सकती है।
8. बच्चों को प्रेरित करें
अगर बच्चा गलत लिखता है, तो उसे डांटने के बजाय समझाने की कोशिश करें। बच्चों को बताएं कि लिखते वक्त ज्यादा काटा-पीटी न करे और ओवर राइटिंग से भी बचे। उसे समझाएं कि शब्दों के बीच ज्यादा जगह न छोड़ें। बच्चे को यह भी कहना चाहिए कि गलत होने पर एक लाइन खींचकर ही उसे क्रॉस करना काफी होता है। उन्हें बताएं कि अच्छी राइटिंग के लिए प्राइज (इनाम) मिलता है और टिचर्स भी तारीफ करते हैं। इससे बच्चे में साफ लिखने की उत्सुकता बढ़ेगी। साथ ही हैंडराइटिंग मार्क्स के बारे में भी उसे जागरूक करें।
9. बच्चों का मूड बनाएं
राइटिंग सुधारने के अभ्यास के दौरान जब बच्चा ऊबने लगे, तो थोड़ा उसके साथ मस्ती करें और उन्हें टारगेट से जोड़े रखने के लिए समय-समय पर उनका मूड बनाएं। इसके लिए आप बच्चे को कलर पेंसिल, रंग-बिरंगी किताबें व अन्य कई चीजें दे सकती हैं। इससे बच्चे का ध्यान पढ़ाई से नहीं हटेगा। बच्चों के साथ ड्राइंग करके और रंग-बिरंगे कलर से अक्षर बनाकर भी उन्हें लिखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
10. परेशानी को समझें
बच्चे की लिखावट में सुधार के लिए तमाम प्रयास के बाद भी कोई फर्क नजर नहीं आ रहा, तो पेरेंट्स को इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चे की खराब राइटिंग के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे बच्चे का पोस्चर, पेंसिल को सही से न पकड़ना, कोई स्वास्थ्य स्थिति जैसे अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है (5)। यह व्यवहार संबंधी विकार है, जिसमें ध्यान की कमी और अत्यधिक सक्रियता होती है, जिसके कारण बच्चे में गुस्सा व जिद जैसी समस्या भी दिखती है।
साथ ही डिसग्रेफिया के कारण भी बच्चे की लिखावट खराब हो सकती है, तो ऐसे में ड्रिल एक्टिविटी हाथों की मसल्स को मजबूत करने व हैंडराइटिंग को सुधारने में मदद कर सकती हैं। ड्रिल एक्टिविटी में हाथों को रब करना, टेनिस बॉल को हथेली से दबाना, उंगलियों के बीच क्ले को रोल करना आदि शामिल हैं (6)। यदि बच्चे को कोई मेडिकल प्रॉब्लम है, तो इसके लिए राइटिंग से पहले उसका ठीक तरह से इलाज कराएं।
लेख के इस भाग में जानिए कैसे एक्टिविटीज के जरिए बच्चों की राइटिंग में सुधार किया जा सकता है।
इन 5 मजेदार गतिविधियों के साथ बच्चों की लिखावट में सुधार करें
बच्चों की लिखावट में सुधार करने के लिए आप नीचे बताई गई गतिविधियों को अपना सकते हैं। यहां हमने पांच मजेदार गतिविधियां बताई हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. सैंड ट्रे में शब्दों को लिखें और लिखवाएं
बच्चे को सैंड या सॉल्ट ट्रे की मदद से जल्दी और प्रभावी रूप से अल्फाबेट लिखना सिखाया जा सकता है। इसके लिए एक पैन में सैंड, नमक या चीनी को भर लें। इसमें बच्चे को इंडेक्स फिंगर यानी तर्जनी अंगुली से अल्फाबेट बनाने के लिए कहें। इसी तरह बच्चे को नंबर्स की अभ्यास भी करा सकते हैं।
2. मैजिक बोर्ड पर कराएं प्रैक्टिस
बच्चे के लिए गेम्स खरीदने जाएं, तो उसकी राइटिंग को सुधारने के लिए एक मैजिक बोर्ड भी ले सकते हैं। बच्चे के खेलने के समय पर उनको मैजिक बोर्ड पर अल्फाबेट का अभ्यास करा सकते हैं। इससे खेल के साथ-साथ बच्चे को अक्षरों की पहचान व उसे सही से लिखने का ज्ञान भी मिलेगा।
3. ट्रेसिंग बुक
बच्चों को ड्राइंग करना खूब पसंद होता है। ऐसे में बच्चों को अल्फाबेट व नंबर्स वाले लेटर ट्रेसिंग बुक लाकर दे सकते हैं। इसमें बच्चे के लिए एक पेज पर अल्फाबेट को कलर करने की एक्टिविटी होती है और साथ वाले पेज पर उसे लिखने का अभ्यास कराने से जुड़े चैप्टर। बच्चों को इस ट्रेसिंग बुक से अल्फाबेट को सही तरीके से बनाने व राइटिंग में सुधार करने में मदद मिल सकती है। पेरेंट्स चाहें तो ट्रेसिंग बुक की जगह यहां पर दिए हाइपर लिंक पर क्लिक करके ट्रेसिंग वर्कशीट को डाउनलोड कर सकते हैं और उस पर बच्चों को राइटिंग प्रैक्टिस करा सकते हैं।
4. क्ले
इंडोर गेम्स में बच्चे सबसे ज्यादा क्ले की तरफ आकर्षित होते हैं। क्ले से खेलते हुए बच्चे उसे गोल-गोल घुमाते हैं। फिर उससे कुछ बनाने के लिए उसे फ्लैट (चपटा) करते हैं। इस गतिविधि से बच्चे की हाथों की मांसपेशियां अच्छे से विकसित होने के साथ उसे पेंसिल को अच्छी ग्रिप के साथ पकड़ने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, बच्चे को क्ले से अल्फाबेट बनाने के लिए दे सकते हैं या फिर क्ले पर मैचस्टिक की मदद से अल्फाबेट की प्रैक्टिस भी करा सकते हैं।
5. मेज गेम्स (Maze game)
कई बच्चों की लिखावट खराब होने का कारण उनका पेंसिल को ठीक से न पकड़ना होता है। बच्चों को पेंसिल पकड़ने की प्रैक्टिस कराने के लिए मेज गेम्स का सहारा लिया जा सकता है। मेज को सॉल्व करने के लिए इसमें बच्चे को रास्ता ढूंढने दें। इससे बच्चा न सिर्फ पेंसिल को पकड़ना सिखेगा, बल्कि उसकी आंखों और अंगुलियों के बीच बेहतर नियंत्रण बन सकेगा।
बहुत कम बच्चों की लिखावट अच्छी होती है, लेकिन शुरुआत से उन पर ध्यान देकर हैंडराइटिंग को अच्छा किया जा सकता है। लेख में इसके लिए कुछ आसान टिप्स भी दिए गए हैं, जिन्हें आजमा कर खराब लिखावट में सुधार किया जा सकता है। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपके आसपास कोई अपने बच्चे की गंदी लिखावट से परेशान है, तो उनके साथ इस लेख को जरूर साझा करें। इस तरह की जानकारी के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।
References
- The effects of handwriting experience on functional brain development in pre-literate children
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4274624/ - Handwriting in early childhood education: Current research and future implications
https://www.researchgate.net/publication/264763007_Handwriting_in_early_childhood_education_Current_research_and_future_implications - The Pen Is Mightier Than the Keyboard: Advantages of Longhand Over Laptop Note Taking
https://journals.sagepub.com/doi/abs/10.1177/0956797614524581 - Handwriting Difficulties in Primary School Children: A Search for Underlying Mechanisms
https://www.researchgate.net/publication/6871793_Handwriting_Difficulties_in_Primary_School_Children_A_Search_for_Underlying_Mechanisms - Writing Characteristics of Students with Attention Deficit Hyperactive Disorder: A Meta‐Analysis
https://onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/ldrp.12099 - How It Affects A Student’s Performance and What Can Be Done About It
https://files.eric.ed.gov/fulltext/EJ967123.pdf
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