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बच्चों के खान-पान की आदतों पर ध्यान न रखा जाए, तो पोषक तत्वों की कमी के चलते उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी ही एक समस्या थायराइड है। यह समस्या आमतौर पर वयस्कों में देखने को मिलती है, लेकिन यह बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है (1)। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में थायराइड की समस्या के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। यहां आप बच्चों में थायराइड के कारण, इसके लक्षण और इसके उपचार संबंधी जानकारी हासिल करेंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि थायराइड क्या है और यह कितने प्रकार का होता है।
बच्चों में थायराइड क्या है व इसके प्रकार
थायराइड, गले में मौजूद तिलती के आकार की एक ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि हार्मोन (टी3 और टी4) का निर्माण करती है। शरीर की सभी कोशिकाओं को ठीक से काम करने के लिए थायराइड हार्मोन की आवश्यकता होती है। थायराइड हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने का काम करते हैं, जैसे शरीर कितनी तेजी से ऊर्जा का उपयोग करता है और हृदय कितनी तेजी से धड़कता है।
इसके अलावा, ये हार्मोन शरीर के वजन, तापमान, मांसपेशियों और मूड को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं, थायराइड हार्मोन के असंतुलित होने पर इसके द्वारा की जानी वाली गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है (2), (3), (4)। आइए, अब जान लेते हैं कि बच्चों में थायरायड कितने प्रकार के होते हैं।
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बच्चों और बड़ों, दोनों में थायराइड दो प्रकार के होते हैं (2)।
- हाइपोथायरायडिज्म : इस अवस्था में थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम हार्मोंस जारी करती है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आने लगती हैं।
- हाइपरथायरायडिज्म : इस अवस्था में थायराइड ग्रंथि जरूरत से अधिक टी3 और टी4 हार्मोंस बनाती है, जिसका परिणाम शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है।
आइए, जानते हैं कि बच्चों में थायराइड कितना होना चाहिए
बच्चों में थायराइड कितना होना चाहिए?
थायराइड का पता लगाने के लिए टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) स्तर की जांच की जाती है। यह मस्तिष्क के पिट्यूटरी ग्रंथि से जारी होता है और टी3 व टी4 हार्मोन को नियंत्रित करता है (4) । शोध के अनुसार बच्चों में टीएसएच की मात्रा इस प्रकार हो सकती है (5) (6)।
आयु | टीएसएच का सामान्य स्तर | कम टीएसएच | अधिक टीएसएच |
---|---|---|---|
0 – 4 दिन | 1.6–24.3 mU/L | > 30 mU/L | |
2 – 4 हफ्ते | 0.58–5.57 mU/L | > 6.0 mU/L | |
20 हफ्ते से 18 साल | 0.55–5.31 mU/L | > 6.0 mU/L |
आइए, जानते हैं कि बच्चों में थायराइड के क्या कारण हो सकते हैं।
बच्चों में थायराइड के कारण
बच्चों में थायराइड की समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है।
- जन्मजात थायराइड की समस्या – जो बच्चे प्री मैच्योर होते हैं, यानी जो समय से पहले जन्म लेते हैं, डाउन सिंड्रोम समस्या (एक प्रकार का आनुवंशिक विकार जिसमें बच्चों का विकास बाधित होता है) के साथ पैदा होते हैं, उन्हें जन्मजात थायराइड विकार होने का खतरा हो सकता है (7)। कभी-कभी ऑटोइम्यून थायराइड से पीड़ित मां से भी बच्चे को थायराइड की समस्या हो सकती है। आईवीएफ तकनीक, जुड़वा शिशु और कुछ जीन विकार भी जन्मजात थायराइड के कारण बन सकते हैं। वहीं, बचपन में उत्पन्न हुई हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म की समस्या युवावस्था तक भी जारी रह सकती है (8)।
- ऑटो इम्यून थायराइड – यह ऐसी अवस्था होती है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता थायराइड ग्रंथि को क्षति पहुंचाने का काम करती है (9)। ऑटो इम्यून थायराइड कई कारणों से हो सकता है, जैसे –
- हाशिमोटो थायरोडिटिस : हाशिमोटो थायरोडिटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी हैं, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम थायरॉयड ग्रंथि को क्षति पहुंचाने का काम करता है, जिससे थायरायड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाती है (10)।
- ग्रेव्स नामक बीमारी : ग्रेव्स रोग भी एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसे ऑटो इम्यून थायराइड का एक बड़ा कारण माना जा सकता है। इस बीमारी में शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र, थायराइड ग्रंथि में ऐसा विकार पैदा कर सकता है, जिससे जरूरत से ज्यादा थायराइड हार्मोन जारी होने लगते हैं (11)।
आगे है और जानकारी
इन सबके अलावा, बच्चों में थायराइड के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे:
- आहार में आयोडीन की कमी : बच्चों के आहार में आयोडीन की कमी के कारण भी थायराइड की समस्या हो सकती है (12)।
- सेंट्रल थायराइड: इस तरह की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि में विकार के कारण हो सकती है (13)। ये विकार जन्मजात हो सकता है या फिर सिर में चोट व ट्रामा सर्जरी के परिणाम के रूप में सामने आ सकता है (7)।
लेख के अगले भाग में जानते हैं बच्चों में थायराइड के लक्षण।
बच्चों में थायराइड के लक्षण | Baccho Me Thyroid Ke Lakshan
बच्चों में थायराइड के दो प्रकार होते हैं, ये आप जान चुके हैं। इन्हीं दो प्रकार के आधार पर इस बीमारी के लक्षण जानेंगे। थायराइड के लक्षण कम उम्र के बच्चों में अलग होते हैं, जबकि किशोर अवस्था के लक्षण वयस्क थायराइड मरीज से मिलते-जुलते हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कि बच्चों में थायराइड के लक्षण क्या हो सकते हैं।
छोटे बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (1):
- विकास की धीमी गति
- देर से दांत निकलना
- स्कूल में बिगड़ा हुआ प्रदर्शन
- ऊर्जा की कमी
- निष्क्रियता (काम में मन न लगना या सुस्ती)
- कब्ज
- रूखी त्वचा
बड़े बच्चों और किशोरों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण में ये शामिल हो सकते हैं (1) (14)।
- विकास धीमी गति से होना
- बाल झड़ना
- आवाज का कर्कश होना
- वजन बढ़ना
- याददाश्त कमजोर होना
- कब्ज की समस्या
- अनियमित मासिक धर्म
- अवसाद
छोटे बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण
- टैकिकार्डिआ (tachycardia – धड़कन बढ़ना)
- चिड़चिड़ापन
- ठीक से वजन न बढ़ना
बड़े बच्चों और किशोरों में हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण में ये शामिल हो सकते हैं (15)।
- थायराइड ग्रंथि का बड़ा होना
- सांस लेने में समस्या
- थकान महसूस होना
- वजन का घटना या बढ़ना
- बेचैनी और घबराहट महसूस होना
- मासिक धर्म की अनियमितता
- गर्मी ज्यादा महसूस होना
- दस्त लगना
- आंखों में सूजन
अब जानते हैं कि थायराइड से बच्चों को किन जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
बच्चों को थायराइड से होने वाली जटिलताएं
बच्चों में थायराइड विकार को पहचानना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसके लक्षण देर से समझ आ सकते हैं। वहीं, अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो कुछ गंभीर स्थिति पैदा हो सकती हैं, जैसे –
- थायराइड बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है (8)।
- यह बीमारी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है (16)।
- थायराइड के कुछ मामलों में देखा गया है कि ये आगे चलकर थायराइड ग्रंथि में कैंसर का रूप ले सकता है (17)।
आगे है और जानकारी
आगे जानते हैं बच्चों में थायराइड का निदान कैसे हो सकता है।
बच्चों में थायराइड का निदान
बच्चे की उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार डॉक्टर थायराइड के निदान का तरीका तय कर सकते हैं (18)। आइए, जानते हैं कि थायराइड के दोनों प्रकार का निदान कैसे किया जा सकता है।
- हाइपोथायरायडिज्म
- आमतौर पर रक्त की जांच के जरिए इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
- रक्त का नमूना लेकर उसमें टीएसएच, थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) की मात्रा का पता लगाया जाता है।
- डॉक्टर स्पष्ट जांच के लिए गले के अल्ट्रासाउंड की सलाह भी दे सकते हैं।
- थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए ऑटोइम्यून थायराइड विकार का पता लगाया जा सकता है।
- हाइपरथायरायडिज्म
- इसे पता लगाने के लिए भी डॉक्टर रक्त का नमूना लेकर उसमें टीएसएच, थायरॉक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) की मात्रा का पता लगाया जाता है।
- थायराइड स्कैन के जरिए थायराइड ग्रंथि का आकार और उसकी पॉजिशन के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
- थायराइड फंक्शन की जांच करने और हाइपरथायरायडिज्म का पता लगाने के लिए रेडियोएक्टिव आयोडिन अपटेक टेस्ट किया जा सकता है।
आइए, लेख के अगले भाग में जानते हैं कि बच्चों में थायराइड का इलाज किस तरह किया जा सकता है।
बच्चों में थायराइड का इलाज | Bacho Me Thyroid Ka Ilaj
थायराइड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे में इस बीमारी का मुख्य कारण क्या है। नीचे बच्चों में दोनों थायराइड के इलाज के बारे में बताया जा रहा है –
- हाइपोथायरायडिज्म
- हार्मोन की कमी की स्थिति में डॉक्टर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कर सकते हैं (19)।
- इसके उपचार के लिए लेवोथायरोक्सिन जैसी दवाओं को सुझाया जा सकता है (20)।
- थायराइड से पीड़ित बच्चों में कुछ मानसिक विकार भी देखने को मिल सकते हैं, इसलिए डॉक्टर उनके पालन पोषण के लिए विशेष दिशानिर्देश दे सकते हैं (21)।
- हाइपरथायरायडिज्म
- अगर हार्मोन की कमी नहीं है, तो डॉक्टर किसी ट्रीटमेंट या दवाई की जगह रोजाना ऑब्जर्वेशन की सलाह दे सकते हैं (19)।
- परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर कुछ विशेष दवाइयां दे सकते हैं, रेडियोआयोडिन थेरेपी कर सकते हैं या थायराइड सर्जरी कर सकते हैं (24)।
नोट – डॉक्टर बच्चों में थायराइड की समस्या का उपचार करने के लिए उपरोक्त तरीके अपना सकता है। वहीं, समस्या की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर कुछ अन्य उपचार भी शामिल कर सकते हैं।
चलिए जानते हैं कि बच्चे को डॉक्टर के पास कब ले जाएं।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
- अगर बच्चे में थायराइड के लक्षण लगातार बने रहें, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, क्योंकि इन लक्षणों में कुछ लक्षण आम हैं, जिन्हें अक्सर माता-पिता अनदेखा कर देते हैं।
- अगर बच्चे का विकास सही प्रकार से नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है। विशेष रूप से लम्बाई न बढ़ने और किशोरावस्था (Puberty) के लक्षण न दिखने पर चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है, क्योंकि ये थायराइड के लक्षण हो सकते हैं।
इस लेख में आपने जाना कि बच्चों में थायराइड क्या है और इसका इलाज किस तरह से किया जा सकता है। थायराइड की समस्या अपने साथ कई सारे रोग लेकर आ सकती है, इसलिए इसके बारे में हर माता-पिता को जानकारी होनी चाहिए। इस समस्या का इलाज जितनी जल्दी हो जाए, उतना बेहतर रहता है। नियमित दवाओं का सेवन करने से इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है, जिससे थायराइड से जूझ रहे बच्चे गुणवत्तापूर्ण जीवन जी सकते हैं। इस आर्टिकल को दूसरों के साथ शेयर कर बच्चों में थायराइड की समस्या के बारे में अन्य लोगों को भी जागरूक करें।
References
1. Acquired Hypothyroidism in Children by University of Rochester
2. What Is the Thyroid? by KidsHealth
3. Thyroid Diseases by MedlinePlus
4. TSH (Thyroid-stimulating hormone) Test by MedlinePlus
5. Serum Thyroid Hormone Levels in Healthy Children from Birth to Adulthood and in Short Children Born Small for Gestational Age by Oxford University Press
6. Pediatric reference intervals for thyroid hormone levels from birth to adulthood: a retrospective study by NCBI
7. Disorders of the Thyroid Gland in Infancy, Childhood and Adolescence by NCBI
8. Mild Hypothyroidism in Childhood: Who, When, and How Should Be Treated? by NCBI
9. Thyroid disease and autoimmune diseases by NCBI
10. Hashimoto’s Disease by Health Information Center
11. Graves Disease by NCBI
12. Health Consequences of Iodine Deficiency by NCBI
13. Central hypothyroidism by NCBI
14. Hypothyroidism – new aspects of an old disease by NCBI
15. Hyperthyroidism (overactive thyroid) by Australia’s public health system
16. Hypothyroidism and the Heart by NCBI
17. Pediatric papillary thyroid cancer: current management challenges by NCBI
18. Thyroid Tests by Health Information Center
19. Hashimoto’s Disease by Oxford University Press
20. Hypothyroidism (Underactive Thyroid) Health Information Center
21. Hypothyroidism Presenting as Psychosis: Myxedema Madness Revisited by NCBI
22. Hyperthyroidism by MedlinePlus
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