बच्चों में मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस – एक विश्लेषण

Written by MomJunction
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जब मेरे बेबी का जन्म हुआ, तो हर मां की तरह मैं भी उसके स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी। मैं बच्चे को लगने वाले टीकों के बारे में भी हमेशा परेशान रहती थी। सच कहूं, तो उस समय मुझे बच्चाें को लगने वाले सभी टीकों का चार्ट समझ में न आने वाली ग्रीक और लैटिन भाषा जैसा लगता है, लेकिन मैं हर टीक के महत्व के बारे में जानना चाहती थी। इसलिए, मेरे बाल रोग विशेषज्ञ ने मुझे हर टीके के बारे में विस्तार से और अच्छी तरह समझाया।

टीकाकरण चार्ट के सबसे निचले भाग में एक बॉक्स बना हुआ था। उसमें ‘मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस’ टीके का नाम लिखा हुआ था। मुझे इस टीके बारे में पढ़कर थोड़ी अजीब लगा, क्योंकि मैंने अपने दोस्तों और जानकारों से सभी टीकों के बारे में सुना था, लेकिन यह नाम मेरे लिए बिल्कुल नया था। साथ ही मुझे इसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं थी कि मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस क्या है और आखिर यह टीका किस लिए लगता है।

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस क्या है?

डॉक्टर से पूछने पर मुझे पता चला कि मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस दुर्लभ और गंभीर परिणामों वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है। यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाले झिल्ली में सूजन का कारण बनता है। हर 10 में से किसी 1 व्यक्ति को मेनिंगोकोकल संक्रमण होता है, जो गले या नाक के अंदरूनी भाग में पनपता है। सबसे जरूरी बात तो यह है कि इसके कोई लक्षण भी नजर नहीं आते (1)।

यह एक दुर्लभ बीमारी है और इससे संक्रमित होते ही 24 घंटे के अंदर मौत तक हो सकती है (2)। इस संक्रमण के चपेट में आने वाले 10 में किसी 1 व्यक्ति का जीवित रहना मुश्किल होता है। वहीं, 10-20% मरीज जीवन भर के लिए विभिन्न गंभीर समस्याओं से पीड़ित रहते हैं, जिसे किसी के अंग को सर्जरी के जरिए काट कर अलग करना या फिर बहरापन और मस्तिष्क विकार आदि (3)।

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस के कारण क्या हैं?

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो बच्चों और किशोरों को अपना शिकार बनता है। पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं और 15-19 वर्ष की उम्र के किशोरों में यह संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। मेनिनजाइटिस नामक संक्रमण होने के दो प्रमुख कारण हैं –

  • वायरस
  • बैक्टीरिया

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस के लक्षण क्या हैं?

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस के लक्षण लगभग फ्लू के समान ही दिखाई देते हैं। यह संक्रमण होने के बाद, जो लक्षण सामने आते हैं, वो इस प्रकार हैं (1):

  • बुखार
  • त्वचा पर लाल चकत्ते
  • उल्टी
  • सिरदर्द
  • गर्दन में अकड़न
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस के कोई तय लक्षण नहीं होते हैं। ये हर किसी में अलग-अलग नजर आ सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि जब भी आपके बच्चे को बुखार हो, तो उस पर नजर रखें और तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं।

अगर बात करें शिशुओं की, तो ये लक्षण उनमें थोड़े अलग दिखाई देते हैं। शिशुओं में दिखाई देने वाले ये लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (4):

  • बुखार
  • असामान्य तरीके से ऊंचे स्वर में रोना
  • उठने पर बेचैनी
  • जागने में कठिनाई
  • भूख में कमी, खाने-पीने से मना करना
  • सिर्फ घूरते रहना
  • पीली या दमकती त्वचा
  • दाने या धब्बे (इसे पुरपुरा या पेटीसिया भी कहा जाता है)
  • चिड़चिड़ापन
  • उल्टी
  • गर्दन को पीछे की ओर खींचना

मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस को कैसे रोका जा सकता है?

जैसा कि आप जान ही गए हैं कि मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस गंभीर संक्रामक रोग है। समय रहते इसका उचित इलाज न मिलने पर कई गंभीर समस्याओं के साथ मृत्यु भी हो सकती है। यह लार और थूकने के जरिए फैलता है। इस संक्रमण को एक ही तरीके से रोका जा सकता है। जैसे ही इसके लक्षणों का पता चले, संक्रमण का तेजी से इलाज करना चाहिए।

इसकी रोकथाम के लिए नौ महीने के शिशुओं को मेनिंगोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (MCV) दिया जाता है। जो कि अभी तक का सबसे कारगर उपचार है। ये टीका संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता है। इसलिए, जितना जल्द हो सके अपने बच्चे को यह टीका जरूर लगवाएं (5)।

वैधानिक सूचना : इस ब्लॉग में बताए गए विचार पूरी तरह से ब्लॉगर के स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं। इन्हें मेनिनजाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने की पहल सनोफी पेस्ट्यूर इंडिया ने की है, लेकिन लेख में शामिल किए गए विचारों से उनका कोई संबंध नहीं है। वहीं, समय के साथ रिसर्च और शोध के आधार पर इस बीमारी से संबंधित जानकारी के विषय में बदलाव भी संभव है। इसलिए, लेख में भिन्नता मिलने पर ब्लॉग व लेखक इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। ऐसे में इस लेख को महज विषय और जानकारी के आधार पर लें। साथ ही कोई भी कदम उठाने से पूर्व एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। हमारा उद्देश्य केवल इस बीमारी के प्रति आपको जागरूक करना है।

Author: Shivani

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