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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में टीबी का बोझ अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है। यहां हर साल 2 मिलियन नए मामले सामने आते हैं (1)। टीबी एक हवाई संक्रमण है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, जिससे किडनी, दिमाग और स्पाइन जैसे अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है, लेकिन शिशुओं में इसके पनपने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि बाल्यावस्था में उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
मॉमजंक्शन का यह लेख बच्चों में टीबी पर आधारित है, जिसमें हम बच्चों में इसके कारण, प्रकार, लक्षण और इससे निजात पाने के उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।
बच्चों में टीबी के प्रकार
बच्चों में तपेदिक के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जो अलग-अलग तरीकों से शिशुओं को प्रभावित कर सकते हैं। जैसे :
- एक्टिव टीबी डिजीज – इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली टीबी के बैक्टीरिया से लड़ने में असमर्थ हो जाती है। इस कारण ये जीवाणु शरीर के विभिन्न अंगों में तेजी से बढ़ने लगते हैं। एक्टिव टीबी के लक्षणों में खांसी, कफ, सीने में दर्द, कमजोरी, वजन में कमी, बुखार, ठंड लगना और रात में पसीना निकलना आदि शामिल हैं (2)।
- लेटेंट टीबी इंफेक्शन – यह तब होता है, जब किसी बच्चे के शरीर में टीबी के जीवाणु तो होते हैं, लेकिन इसके लक्षण नजर नहीं आते। संक्रमित बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली टीबी बैक्टीरिया को निष्क्रिय कर देती है (3)।
- मिलिएरी टीबी – बच्चों में मिलिएरी टीबी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। अगर इसका उपचार जल्द शुरू न किया जाए, तो घातक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है (4)।
शिशुओं और बच्चों में टीबी कितना आम है?
15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में क्षय रोग बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। व्यस्कों की तुलना में नवजात और शिशुओं में यह बीमारी ज्यादा घातक साबित हो सकती है। शिशु इस संक्रमण से जल्द प्रभावित होते हैं, जिसके पीछे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर और परिवार व रिश्तेदारों से नजदीकता का अधिक होना भी हो सकता है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरे को आसानी से हो सकती है। टीबी के मामले सबसे ज्यादा 5 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं में और 10 वर्ष से अधिक उम्र के किशोरों में देखे जाते हैं (5)।
बच्चों में टीबी के लक्षण | Bacho Me TB Ke Lakshan
हर बच्चे में लक्षण कुछ अलग-अलग हो सकते हैं और ये बच्चे की उम्र पर निर्भर करते हैं। यहां हम छोटे बच्चों में सक्रिय टीबी के सबसे आम लक्षणों के बारे में बता रहे हैं (3):
- बुखार
- वजन घटना
- खराब विकास
- दो हफ्तों से ज्यादा खांसी
- रात में पसीना आना
- कमजोरी
- ठंड लगना, आदि
फेफड़ों के अलावा तपेदिक शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें रीढ़, पाचन तंत्र, मस्तिष्क व मूत्राशय आदि शामिल है, जिनके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं।
- जोड़ों में – कमर दर्द व सूजन के साथ फोड़े (6)।
- पाचन तंत्र में – पेट में दर्द, वजन में कमी, बुखार, मतली व उल्टी आदि (7)।
- मस्तिष्क में – सिर दर्द और कमजोरी, सिजर्स, बेहोश होना आदि (8)।
- मूत्राशय में – लगातार उल्टी, पेशाब के दौरान जलन और दर्द, पेशाब में पस आना, कमर और पेट में दर्द आदि (9)।
- प्रजनन प्रणाली में – पेल्विक में दर्द आदि (10)।
बच्चों में टीबी होने का कारण
जैसा कि जान ही चुके हैं कि टीबी एक हवाई संक्रमण है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के शरीर में प्रवेश के कारण फैलता है। नीचे हम टीबी संक्रमण फैलने के कारणों के बारे में बता रहे हैं (5) :
- क्षय बैक्टीरिया हवा में तब फैलता है, जब संक्रमित व्यक्ति को गले में खराश हुई हो या जब वो छींकता, बोलता या गाना गाता है।
- टीबी संक्रमित व्यक्ति के आसपास सांस लेने वाले टीबी से प्रभावित हो सकते हैं।
- फेफड़े और गले से जुड़ा टीबी रोग उन लोगों में भी फैल सकता है, जिनके साथ संक्रमित व्यक्ति ज्यादा समय बिताते हैं।
- बच्चों से टीबी जीवाणु दूसरों में फैलने की आशंका कम होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बच्चों में टीबी के जीवाणु वयस्कों की तुलना में कम संक्रामक होते हैं।
- कोनजेनिटल ट्यूबरक्लोसिस (congenital tuberculosis)- मां से भ्रूण में पास होती है।
बच्चों में टीबी का परीक्षण
सिर्फ बुखार या खांसी जैसे लक्षणों से यह पहचान करना मुश्किल है कि शिशु को टीबी है या नहीं। टीबी की पहचान के लिए इसकी सही जांच करना बेहद जरूरी है। टीबी की पुष्टि के लिए बच्चे को जांच की निम्नलिखित प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ सकता है (3)।
- टीबी स्किन परीक्षण – डॉक्टर बच्चे का टीबी स्किन परीक्षण कर सकते हैं। इस जांच को पीपीडी टेस्ट (Purified Protein Derivative) भी कहते हैं। इस परीक्षण में परीक्षण सामग्री (Testing Material) की एक छोटी मात्रा त्वचा की ऊपरी परत में इंजेक्ट की जाती है। अगर 2 या 3 दिन के भीतर त्वचा पर निश्चित आकार की गांठ विकसित होती है, तो यह मान लिया जाएगा कि बच्चे को टीबी है।
- छाती का एक्स-रे – अगर पीपीडी टेस्ट पॉजिटिव है, तो बच्चे की छाती का एक्स-रे किया जाएगा। इसमें छाती की जांच कर फेफड़ों में टीबी संक्रमण का पता लगाया जाएगा, जो छोटे धब्बों के रूप में हो सकते हैं। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आई, तो उपचार शुरू किया जाएगा। वहीं, नेगेटिव आने पर लेटेंट टीबी संक्रमण की जांच की जा सकती है।
- थूक की जांच – टीबी की पुष्टि के लिए डॉक्टर बच्चे के थूक या बलगम का परीक्षण (Sputum Test) कर सकते हैं। इसमें टीबी के बैक्टीरिया होने या न होने की जांच की जाएगी। अगर यह जांच भी पॉजिटिव आई, तो उपचार जल्द से जल्द से शुरू किया जाएगा। बच्चे के मुंह पर मास्क भी लगाया जाएगा, ताकि टीबी संक्रमण किसी दूसरे को न हो।
- खून की जांच – टीबी की जांच के दौरान डॉक्टर बच्चे का इंटरफेरॉन-गामा रिलीज एसेस (IGRA) नामक रक्त परीक्षण कर सकते हैं, जिसमें लेटेंट टीबी या एक्टिव टीबी का पता लगाया जाएगा।
बच्चों के टीबी का इलाज
बच्चों में तपेदिक का इलाज लंबे समय तक भी चल सकता है, जिस बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (5), (3) :
- टीबी के उपचार के लिए बच्चे को कुछ दिनों तक अस्पताल में रखा जा सकता है। लेटेंट टीबी होने पर बच्चे को आइसोनियाजिड नामक एंटीबायोटिक दवाई का 6 से 12 महीने का कोर्स दिया जाता है या फिर बच्चे को अन्य दवाइयों का छोटा कोर्स भी दिया जा सकता है।
- एक्टिव टीबी में बच्चे को 6 महीने या उससे ज्यादा समय के लिए तीन से चार दवाइयां दी जाती हैं। इस संबंध में डॉक्टर आपको सही और पूरी जानकारी देंगे। इस बात का पूरा ध्यान रखें कि टीबी का उपचार निर्धारित समय पर ही समाप्त किया जाना चाहिए।
- बच्चे को दवाई का निर्धारित कोर्स पूरा कराएं। अगर बच्चा कोर्स पूरा नहीं कर पाता है, तो टीबी के बैक्टीरिया फिर से सक्रिय हो जाएंगे, जिससे बच्चा फिर से बीमार पड़ सकता है।
- एंटी टीबी दवाइयां महंगी भी हो सकती है, जिनका कोर्स लंबे समय तक चल सकता है।
क्या टीबी उपचार के कुछ दुष्प्रभाव हैं?
टीबी से बच्चे को निजात दिलाने के सटीक उपचार बेहद जरूरी हैं, लेकिन इसके दुष्प्रभाव शिशु को परेशान कर सकते हैं। लेटेंट टीबी इंफेक्शन या टीबी रोग के उपचार के दौरान अगर नीचे बताए गए लक्षण सामने आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना होगा (11) :
- भूख न लगाना
- जी मिचलाना
- उल्टी
- भूरे रंग का पेशान आना
- त्वचा या आंखों का पीला पड़ना
- हाथों व पैरों में लगातार झुनझुनी होना
- हाथों में जलन होना
- लगातार कमजोरी
- थकान
- बुखार
- धुंधला दिखना आदि
टीबी के प्रभाव को खत्म करने के घरेलू उपाय| TB Ka Gharelu Ilaj
बच्चों में टीबी का उपचार डॉक्टरी दवाइयों के अलावा घरेलू तरीके से भी किया जा सकता है। नीचे कुछ घरेलू नुस्खे बताए जा रहे हैं, जो शिशुओं में टीबी की समस्या दूर करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
1. लहसुन
टीबी के घरेलू उपचार के रूप में लहसुन का सेवन किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है, जिसमें एंटी टीबी के गुण पाए जाते हैं (12)। हालांकि, शिशुओं में टीबी की समस्या के लिए यह उपाय कितना कारगर रहेगा इसके लिए बाल चिकित्सक से संपर्क करें। लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह शिशुओं में एलर्जी का कारण बन सकता है (13)।
2. शरीफा
शरीफा विटामिन-सी से समृद्ध होता है, जो टीबी के इलाज के लिए फायदेमंद हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार विटामिन-सी टीबी के आईएनएच-आरआईएफ (टीबी के डॉट्स उपचार के दौरान दी जाने वाली दवा) ट्रीटमेंट की क्षमता बढ़ा सकता है (14) (15)। शरीफा एक पौष्टिक फल है, जो बच्चों को खाने के लिए दिया जा सकता है (16)। टीबी के लिए बच्चों को शरीफा किस प्रकार दिया जाए, इसके लिए संबंधित डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
3. संतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रोटीन और ऊर्जा की कमी टीबी का कारण बन सकती है (17)। टीबी के उपचार को बेहतर बनाने के लिए संतरे जैसे पौष्टिक फलों का सेवन बच्चों को कराया जा सकता है। संतरा एक खास फल है, जो कैलोरी, मिनरल्स और विटामिन्स से परिपूर्ण होता है। संतरा एक आम फल है, जो बच्चों को दिया जा सकता है (18)। टीबी में इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर कर लें।
4. केला
केला प्रोटीन व कैलोरी समेत कई पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है (19), जो टीबी के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है (17)। यह एक खास फल है, जो शिशुओं को खाने के लिए दिया जा सकता है (20), (21)।
5. आंवला
टीबी के मरीजों में आंवला एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकता है। एक अध्ययन के अनुसार एटीटी (ATT) दवाओं के दुष्परिणामों का मुकाबला करने के लिए आंवला एक सुरक्षित और प्रभावी सहायक भूमिका निभा सकता है (22)। इसमें सिट्रस एसिड की मात्रा अधिक हो सकती है, इसलिए बच्चों के लिए इसके सेवन संबंधित परामर्श डॉक्टर से जरूर लें।
6. काली मिर्च
टीबी के मरीजों में काली मिर्च भी अहम भूमिका निभा सकती है। काली मिर्च में पिपेरिन नामक यौगिक होता है, जो माइकोबैक्टीरियम टीबी के खिलाफ एंटी टीबी दवाइयों की क्षमता बढ़ा सकता है (23)। टीबी की स्थिति में इसका सेवन शिशुओं को कराना चाहिए या नहीं, इस बारे में संबंधित डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
7. दही
दही प्रोबायोटिक नामक पोषक तत्व का बड़ा स्रोत है, जो टीबी के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रोबायोटिक टीबी बैक्टीरिया के प्रभाव को कम सकता है (24) यह डेयरी खाद्य पदार्थ है, जिसका सेवन बच्चे कर सकते हैं (25)।
बच्चों का टीबी से बचाव
जैसा कि हमने पहले बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो बहुत जल्द एक व्यक्ति से दूसरे को प्रभावित कर सकती है। अपने बच्चे को इस संक्रमण से बचाने के लिए आप नीचे बताई जा रही सावधानियों का पालन कर सकते हैं :
- अपने बच्चे को गंभीर खांसी से पीड़ित लोगों से दूर रखें।
- अपने शिशु को जरूरी टीके समय पर लगवाएं, जिसमें टीबी वैक्सीनेशन के लिए बीसीजी (BCG) टीका शामिल होता है (26)।
- टीबी के लक्षण दिखने पर तुंरत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।
- एंटी टीबी दवाइयों का कोर्स बच्चे को जरूर पूरा करवाएं।
डॉक्टर को कब बुलाएं
यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि शिशुओं में टीबी की स्थिति में डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए। निम्नलिखित अवस्थाओं में आप डॉक्टर को बुला सकते हैं :
- अगर बच्चे में टी.बी के लक्षण ठीक नहीं हो रहे या ज्यादा गंभीर हो गए हों।
- अगर बताए गए लक्षणों से अलग कुछ नए लक्षण नजर आएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या टीबी से बचाव के लिए कोई टीका उपलब्ध है?
जी हां, टीबी से रोकथाम के लिए बीसीजी (BCG) नामक टीका बच्चों को दिया जाता है (26)। यह टीका जन्म के समय या एक साल के अंदर दिया जाता है (27)।
अगर मुझे टीबी है, तो क्या शिशु को स्तनपान करवा सकती हूं?
अगर मां टीबी से पीड़ित है, तो यह बीमारी नवजात को भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में स्तनपान करवाना है या नहीं इस बारे में आपको डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं (28)।
शिशुओं में टीबी संक्रमण एक गंभीर रोग है, जिसका उपचार सही समय पर करना बहुत जरूरी है। बच्चे में टी.बी के बताए गए लक्षण दिखने पर आप जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे की सही देखभाल के लिए लेख में बताई गईं जरूरी सावधानियों का पालन अवश्य करें। आप डॉक्टर की सलाह पर बच्चे का घरेलू इलाज भी कर सकते हैं। आशा है कि यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। इस लेख में मौजूद जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ साझा कर इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।
References
2. Active Tuberculosis by ncbi
3.Tuberculosis (TB) in Children by rochester.edu
4.Miliary Tuberculosis by ncbi
5.TB in Children by cdc.gov
6.Bone and joint tuberculosis by ncbi
7.Gastrointestinal tuberculosis by ncbi
8.Brain Tuberculomas: A Case Report by ncbi
9.Tuberculosis of the genitourinary system-Urinary tract tuberculosis: Renal tuberculosis-Part I
10.Genital tuberculosis in females by ncbi
11.Tuberculosis (TB) by ncbi
12.Allium sativum Constituents Exhibit Anti-tubercular Activity by ncbi
13.Garlic and onion sensitization among Saudi patients screened for food allergy by ncbi
14.Vitamin C Potentiates the Killing of Mycobacterium tuberculosis by ncbi
15.National Nutrient Database by usda.gov
16.Sitaphal: Reemergence by researchgate
17. Tuberculosis and nutrition by ncbi
18. Squeezing orange juice by education.sa.gov
19.National Nutrient Database by usda.gov
20. Feeding patterns and diet – children 6 months to 2 years by medlineplus
21. Coping with tuberculosis and directly observed treatment by ncbi
22. A Pilot Trial of Jawarish Amla as Adjuvant to Anti-Tubercular Treatment by ncbi
23.Piperine as an inhibitor of Rv1258c by ncbi
24. Effect Of Liquid Probiotics By Ncbi
25. What Parents Need to Know About Tuberculosis by healthvermont
26. Timing and dose of BCG vaccination by ncbi
27.Immunisation by nrhmhp
28.Management of newborn infant born to mother suffering from tuberculosis by ncbi
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