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तारीफ, आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद कर सकता है, खासकर बच्चों के लिए यह बहुत मायने रखता है। हालांकि, कई माता-पिता जानकारी के अभाव में बच्चे की प्रशंसा सही तरीके से नहीं कर पाते हैं, जिस वजह से उनका मनोबल ठीक से नहीं बढ़ पाता। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चे की प्रशंसा करने के तरीके लेकर आए हैं। साथ ही यहां हम बताएंगे कि हद से ज्यादा तारीफ बच्चों के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है।
लेख में सबसे पहले समझें कि बच्चों की प्रशंसा क्यों करनी चाहिए।
बच्चों की प्रशंसा करनी क्यों जरूरी है?
बच्चों की प्रशंसा करनी इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती है। इस पर हुए शोध से जानकारी मिलती है कि प्रशंसा का बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे उन्हें प्रेरणा मिल सकती है और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिल सकता है (1) ।
दरअसल, जब माता-पिता अपने बच्चे की प्रशंसा करते हैं तो इससे उन्हें यह पता चल पाता है कि उनका कौन सा व्यवहार उन्हें पसंद है। इससे बच्चा उन्हीं व्यवहारों को बार-बार करने का प्रयास करने लगता है (2)। इससे बच्चों में अच्छी आदतों का विकास हो सकता है।
चलिए अब जानते हैं कि बच्चों की प्रशंसा कितने प्रकार से की जा सकती है।
बच्चों की प्रशंसा करने के प्रकार
अगर बात की जाए बच्चों की प्रशंसा के प्रकार की तो बता दें कि बच्चों की प्रशंसा दो प्रकार से की जा सकती है। पहला है लेबल्ड प्रेज और दूसरा है अनलेबल्ड प्रेज। नीचे हमने इसके बारे में विस्तार से बताया है (2):
- लेबल्ड प्रेज (Labeled praise) : इसे स्पेसिफिक प्रेज भी कहा जाता है। बच्चों के लिए यह बहुत अच्छा माना जाता है, क्योंकि इससे बच्चों को पता चलता है कि असल में माता-पिता को उनमें या उनकी कौन सी आदत पसंद है।
- अनलेबल्ड प्रेज (Unlabeled praise) : अनलेबल्ड प्रेज एक सामान्य कथन है, जो स्नेह दर्शाता है। इससे बच्चे अच्छा महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह बच्चे के व्यवहार में सुधार करने में मदद नहीं करती है। इसके जरिए बच्चे को ठीक से पता नहीं चल पाता है कि असल में उसने क्या अच्छा काम किया है।
अनलेबल्ड प्रेज | लेबल्ड प्रेज |
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ग्रेट जॉब! | अपने खिलौनों को दूर रखकर आपने अच्छा काम किया है। |
सुपर! | आपने अपना बिस्तर बनाकर बहुत अच्छा काम किया। |
वे टू गो! | अपने भाई के साथ शेयर करके आपने अच्छा किया। |
स्क्रॉल कर पढ़ें बच्चे की हद से ज्यादा तारीफ क्यों नहीं करनी चाहिए।
बच्चे की हद से ज्यादा तारीफ क्यों न करें?
अपनी तारीफ सुनना हर बच्चे को पसंद होता है, लेकिन अगर उनकी तारीफ हद से ज्यादा की जाए तो यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। यहां हम क्रमवार तरीके से बता रहे हैं कि बच्चे की हद से ज्यादा तारीफ क्यों नहीं करनी चाहिए :
- बच्चे खुद से निर्णय न ले सके : अगर बच्चों की अत्यधिक प्रशंसा की जाए तो, इससे वे अपना निर्णय लेना भूल सकते हैं। हर काम वो यही सोचकर करने लगते हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं या वे दूसरों से क्या प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं।
- असफलताओं का डर : अगर कुछ अच्छा करने पर बच्चे की अत्यधिक प्रशंसा की जाती है तो इससे बच्चे के मन में यह बैठ सकता है कि वह जो भी काम करे उसमें उसे ही सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए। ऐसे में, अगर बच्चा कभी किसी विशेष कार्य में असफल हो जाता है, तो उससे उबरने में उसे कठिनाई हो सकती है।
- दबाव महसूस करना – बार-बार किसी खेल को जीतने या अव्वल नंबर लाने से किए जाने वाली प्रशंसा से बच्चे पर दबाव बढ़ सकता है। उन्हें बार-बार अव्वल आने का दबाव महसूस हो सकता है, जिस कारण वे खेल या अन्य गतिविधियों का मजा लेने के बजाय उन्हें जीतने के प्रयास में लग सकते हैं। इस कारण से उनका बचपन भी प्रभावित हो सकता है।
- बच्चे खुद को चुनौती देना बंद कर सकते हैं: अत्यधिक प्रशंसा बच्चों को हर समय खुद को बेहतर साबित करने के लिए मजबूर कर सकती है। बच्चे के मन में यह डर बैठ सकता है कि अगर वे माता-पिता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं तो इससे वे नाराज हो सकते हैं। इस वजह से वो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने से घबरा सकते हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में भी कतराने लग सकते हैं।
- प्रशंसा के आदि हो सकते हैं: अगर बच्चे की जरूरत से ज्यादा तारीफ की जाती है तो इससे बच्चे अपनी प्रशंसा के आदि हो सकते हैं। उनके मन में यह बैठ सकता है कि उनके हर काम के लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए, भले ही वो प्रशंसा के लायक हो या नहीं।
क्या आप जानते हैं कि बच्चों की प्रशंसा किन तरीकों से की जानी चाहिए, इसकी जानकारी लेख के इस भाग में दी गई है।
बच्चे की प्रशंसा करने के 15 + तरीके | Tips to praise Kids in hindi
यहां हम बच्चों की प्रशंसा करने के 15 से भी अधिक तरीके बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
- बच्चों को प्रोत्साहित करें: प्रोत्साहन, प्रशंसा का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसलिए माता-पिता को बच्चे द्वारा किए गए सफल कार्य के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। माता-पिता द्वारा बच्चे को कहे गए प्रोत्साहन के शब्द उन पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
- बच्चों की सच्ची प्रशंसा करें : बच्चों की प्रशंसा करते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जो प्रशंसा के शब्द उनके लिए कहे जा रहे हैं, वह सच्चे होने चाहिए। उदाहरण के लिए, बच्चे को “यू आर द बेस्ट एट स्कूल,” कहने के बजाय, कहें, “यू आर क्विक लर्नर!” इससे बच्चा अति आत्मविश्वासी नहीं होगा और सही दिशा में प्रगति करेगा।
- छोटी–छोटी सफलताओं पर तारीफ करें : बच्चों की छोटी-छोटी सफलताओं पर सीमित मात्रा में ही उसकी तारीफ करें, इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, बच्चा जब अपना होमवर्क सही तरीके से कर ले या फिर अपनी चीजों को व्यवस्थित तरीके से सजाकर रखे, तो इन सब बातों के लिए बच्चों की प्रशंसा करें। इससे उनका मनोबल बढ़ेगा और आगे से वे अपने अन्य कार्यों को भी खुद से करने का प्रयास करेंगे।
- नकारात्मक चीजों को सकारात्मक में बदलें : अगर बच्चे को ऐसा लगता है कि वह किसी कार्य को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, तो ऐसे में माता-पिता उस कार्य को कई भागों में बांट कर उसे आसान बना सकते हैं। इससे बच्चा उस कार्य को आसानी से कर सकेगा और उनमें आत्मविश्वास भी नहीं कम होगा।
- प्रगति के बारे में बताएं : बच्चों को बीच-बीच में उनकी प्रगति भी बताना जरूरी है। खासकर तब जब बच्चा किसी कार्य को लंबे समय से कर रहा हो। इससे बच्चे को यह समझने में मदद मिलती है कि उनमें कितना सुधार हुआ है और अभी कितना सुधार करना बाकी है।
- बच्चों को उनके कार्यों के परिणाम समझाएं : बच्चों को यह भी समझाना जरूरी है कि उनके द्वारा किए गए कार्यों का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चा घर के कामों में मां की मदद कर रहा है तो उसे समझाना जरूरी है कि उसकी मदद से मां का वह काम कैसे आसान हो गया। इससे बच्चे की समझ बढ़ेगी और आगे से वह अन्य कामों में भी मदद के लिए आगे आएंगे।
- किसी से तुलना न करें: बच्चे के किसी कार्य की प्रशंसा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी तुलना किसी और से न करें। इससे बच्चे के मन में नकारात्मकता बैठ सकती है। वह सोच सकता है कि उस काम के लिए केवल वो ही सर्वश्रेष्ठ है और सामने वाला कुछ भी नहीं है। बच्चे के लिए ऐसी सोच आगे के जीवन के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
- बच्चों की प्रशंसा पर लेबल न लगाएं : माता-पिता को कभी भी बच्चे की प्रशंसा पर लेबल नहीं लगाना चाहिए। उदाहरण के लिए कई माता-पिता अपने बच्चे को कहते हैं, “यू आर माय सुपरस्टार”। ऐसे शब्द भले ही सकारात्मक होते हैं और बच्चे इसे सुनकर खुश भी होते हैं, लेकिन इससे बच्चों को आगे बढ़ने में मदद नहीं मिलती है। इससे अच्छा होगा कि माता-पिता बच्चों के व्यवहार के लिए उनकी प्रशंसा करें, जैसे, “तुमने उसकी मदद करके बहुत अच्छा काम किया है।”
- बच्चों को सरप्राइज दें : बच्चों को सरप्राइज और गिफ्ट्स बहुत पसंद होते हैं। इसलिए जब भी बच्चा कुछ अच्छा काम करे तो उसे पुरस्कार, जैसे – उनका मनपसंद खिलौना, चॉकलेट आदि देकर खुश कर सकते हैं। इससे बच्चे आगे भी अच्छे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। हालांकि, इसे उनकी आदत न बनाएं।
- बच्चों की रुचि पर ध्यान दें : बच्चों की प्रशंसा करते समय ध्यान रखें कि वह उनकी खूबियों और रुचियों से जुड़ी हों। इससे बच्चे उत्साहित महसूस करेंगे और अपनी खूबियों को और निखारने का प्रयास करेंगे, जिससे बच्चे का मनोबल बढ़ेगा और वे खुद पर विश्वास करना सिखेंगे। इसलिए बच्चों की रुचि का पूरा ध्यान रखें।
- प्रयास की प्रशंसा करें, उपलब्धि की नहीं: माता-पिता को हमेशा बच्चों के प्रयास की प्रशंसा करनी चाहिए न कि उनके कार्यों के परिणामों की। उदाहरण के लिए अगर बच्चा किसी प्रतियोगिता में जीतता है, तो यह कहने के बजाय कि आपको उनके द्वारा जीते गए पुरस्कार पर गर्व है, कहें कि प्रतियोगिता में जो प्रयास उन्होंने किया उससे आपको बहुत खुशी हुई है। इससे बच्चों को यह समझने में मदद मिलेगी कि प्रयास का महत्व परिणाम से कहीं ज्यादा होता है।
- बच्चों की मेहनत को पहचानें : जब भी बच्चा कुछ हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करे, तो माता-पिता को हमेशा उनके प्रयासों की सराहना करनी चाहिए। इससे बच्चे को पता चलता है कि माता-पिता उसकी मेहनत पर ध्यान दे रहे हैं। इससे वह और लगन के साथ उस कार्य को करते हैं।
- खुद के विश्लेषण का मौका दें : कई बार बच्चा अपने प्रदर्शन के बारे में खुद ही माता-पिता से राय पूछ सकता है। ऐसे में चीजों को सीधे तौर पर कहने के बजाय, माता-पिता उनसे पूछ सकते हैं कि वो अपने प्रदर्शन के बारे में क्या सोचते हैं और उन्हें क्या लगता है कि वो उसमें कैसे सुधार कर पाएंगे। इससे बच्चों को खुद में सुधार लाने और विश्लेषण करने का मौका मिल सकता है।
- उम्र के अनुसार ही बच्चों की प्रशंसा करें : बच्चों की प्रशंसा करते समय उनके उम्र का ध्यान रखना भी जरूरी है। अगर बच्चा थोड़ा छोटा है तो उसके लिए वैसे ही प्रशंसा के शब्दों का उपयोग करें जो वो समझ पाते हो। वहीं, अगर बच्चा बड़ा है तो उसके लिए छोटे बच्चों के शब्द उपयोग करने के बजाय प्रभावी शब्दों का चयन करें।
- प्रशंसा करते समय ईमानदार रहें : बच्चों की प्रशंसा हमेशा ईमानदारी के साथ ही करें, क्योंकि यह बच्चों के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। अगर बच्चों को खुश करने के लिए उनकी झूठी प्रशंसा की जाती है तो वह चीजों को सही तरीके से नहीं सीख पाएगा और झूठ के बुनियाद पर ही वह उन कार्यों को करता चला जाएगा।
- सकारात्मक तरीके से प्रशंसा करें : माता-पिता को हमेशा बच्चों की सकारात्मक तरीके से प्रशंसा करनी चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर बच्चा खिलौने को तोड़े बिना उससे खेलता है तो माता-पिता को ये कहने के बजाय “अच्छी बात है कि आपने इसे नहीं तोड़ा,” यह कहना चाहिए कि “खिलौनों के साथ अच्छे से खेलने के लिए मुझे आप पर गर्व है।”
हर बच्चे अपनी तारीफ सुनना पसंद करते हैं, विशेष रूप से तब जब माता-पिता उनके कार्यों की सराहना करते हैं। हालांकि, हद से ज्यादा तारीफ बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिसकी चर्चा हमने लेख में की है। ऐसे में जरूरी है कि माता-पिता बच्चों की प्रशंसा ईमानदारी और जरूरत के अनुसार ही करें। इस लेख में हमने बच्चे की प्रशंसा करने के कई तरीके भी बताए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे ये टिप्स बच्चे के बेहतर परवरिश में मददगार साबित होंगे।
References
- The Effects of Praise on Children’s Intrinsic Motivation: A Review and Synthesis
https://www.researchgate.net/publication/11182972_The_Effects_of_Praise_on_Children’s_Intrinsic_Motivation_A_Review_and_Synthesis - Praise Imitation and Description
https://www.cdc.gov/parents/essentials/communication/goodbehavior-praise.html
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