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जन्म से लेकर उम्र के हर पड़ाव पर हमारी त्वचा में कई तरह के बदलाव होते हैं। इनमें त्वचा पर कभी दाग-धब्बे, कभी पिंपल्स और स्कार्स, तो कभी पिगमेंट या अन्य तरह के निशान आते-जाते रहते हैं। वहीं, कुछ निशान ऐसे होते हैं, जो जन्म से लेकर ताउम्र तक शरीर पर रह सकते हैं। इन्हें आम भाषा में बर्थमार्क या जन्म चिह्न कहते हैं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में पैदाइशी निशान से जुड़ी खास जानकारी लेकर आए हैं। चलिए जानते हैं बच्चों में बर्थमार्क क्या है। साथ ही इसके कारण, जोखिम और उपचार क्या हैं।
शुरू करते हैं लेख और जानते हैं बच्चों में बर्थमार्क क्या है।
बर्थमार्क (जन्म चिह्न) क्या होते हैं? | Birthmark In Babies In Hindi
जन्म के समय शिशु के शरीर पर कुछ निशान नजर आते हैं, जिन्हें बर्थमार्क या जन्म चिह्न कहा जाता है। ये निशान स्थाई या अस्थाई हो सकते हैं। जैसे-जैसे शिशु बड़े होते हैं, स्थाई निशान का आकार भी बढ़ सकता है। वहीं, अस्थाई निशान समय के साथ धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध शोध के अनुसार, बर्थ मार्क सामान्य होते हैं (1)। ये कई प्रकार के हो सकते हैं। इनके बारे में हम आगे लेख में जिक्र करेंगे।
आगे पढ़ते हैं बर्थमार्क की पहचान कैसे की जा सकती है।
बच्चों में जन्म चिह्न (बर्थमार्क) कैसे दिखते हैं?
बर्थ मार्क अलग-अलग रंग और आकार में हो सकते हैं। ये शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं। अधिकांश बच्चों में पैदाइशी निशान अस्थाई होते हैं और कुछ समय बाद अपने आप चले भी जाते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वैसे-वैसे कुछ निशान हल्के होने शुरू हो जाते हैं और बाद में पूरी तरह से गायब हो जाते हैं। वहीं, कुछ निशान अधिक गहरे और आकार में बड़े भी हो सकते हैं। वैसे माना जाता है कि स्थाई बर्थ मार्क चिंता का विषय नहीं होते, लेकिन कुछ गंभीर मामलों में स्किन इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं (2)।
अब उन कारणों की बात करेंगे, जो बच्चों में पैदाइशी निशान के लिए जिम्मेदार होते हैं।
बच्चों में बर्थमार्क होने के कारण
शिशु के जन्मजात निशान होने के पीछे कोई ठोस कारण उपलब्ध नहीं है, लेकिन आनुवंशिक को एक मुख्य कारण जरूर माना जा सकता है (2)। इस तरह के बच्चों में बर्थमार्क जीन म्यूटेशन यानी जीन के रूप में बदलाव होने के कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए कुछ शिशु के जन्मजात निशान पोर्ट-वाइन जैसे होते हैं, जो दुर्लभ स्थिति होती है। इसे क्लिपेल ट्रेनायुन सिंड्रोम कहा जाता है (3)।
चलिए, अब बर्थमार्क इन बेबीज के प्रकार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बच्चों में बर्थमार्क के प्रकार
बर्थमार्क इन बेबीज मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं। इनके बारे में विस्तार से नीचे जानकारी दी गई है (2)।
1. पिगमेंटेड बर्थमार्क
ये बर्थमार्क त्वचा पर किसी हिस्से पर कोशिकाओं के अधिक विकसित होने और पिगमेंट की समस्या होने पर होते हैं। बच्चों में पैदाइशी निशान के तौर पर पिगमेंटेड बर्थमार्क के लक्षण इनके गहरे लाल रंग या अन्य गहरे रंगों से पहचाने जा सकते हैं। ये तिल या ब्यूटी स्पॉट की तरह दिखाई देते हैं। बच्चों में पिगमेंटेड बर्थमार्क के विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं (4) :
- कैफे-ऑ-ले स्पॉट (Cafe-au-lait Spots)
ये त्वचा पर हल्के भूरे रंग के पैच के तौर पर दिखाई दे सकते हैं। बच्चों में इस तरह के जन्म चिह्न सबसे अधिक देखे जा सकते हैं। अगर किसी बच्चे में स्किन पर कई जगह पर इसके निशान होते हैं, तो यह न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस विकार के कारण हो सकता है। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला आनुवंशिक विकार होता है।
- जन्म से तिल-मस्से होना (Moles)
बच्चों में जन्म के साथ का निशान के तौर पर तिल-मस्से भी हो सकते हैं। आमतौर पर तिल हर बच्चे में देखे जा सकते हैं। इन्हें मेलनोसाइटिक नेवी भी कहा जाता है। ये साफ रंग वाले बच्चों में अधिक हो सकते हैं।
- मंगोलियन स्पॉट (Mongolian Spots)
मंगोलियन स्पॉट भी बच्चों में जन्म के साथ होने वाले निशान के तौर पर जाने जाते हैं। ये नीले या हरे खरोंच जैसे निशान नजर आते हैं। इसे मंगोलियाई ब्लू स्पॉट भी कहा जाता है। ये शिशु की पीठ, नितंबों या कंधों पर हो सकते हैं। ये गहरे रंग की त्वचा वाले शिशुओं में अधिक देखे जा सकते हैं।
2. वैस्कुलर बर्थमार्क
जब खून की नसें एक ही स्थान पर असामान्य रूप से एकत्र होने लगती हैं, तो वो एक गुच्छे की तरह बन जाती हैं। इसे वैस्कुलर बर्थमार्क कहते हैं। ये लाल रंग के हो सकते हैं। वैस्कुलर बर्थमार्क भी विभिन्न तरह के हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (5) :
- साल्मन पैच (Salmon Patches)
साल्मन पैच को स्ट्रॉक बाइट्स भी कहा जाता है। यह काफी सामान्य होता है। यह छोटा व गुलाबी रंग का स्पॉट पैच होता है, जो खून की छोटी नसों के इकट्ठा होने के कारण होता है। यह निशान माथे, पलकों के ऊपर, होंठों के ऊपर, भौहों के बीच और गर्दन के पीछे हो सकता है। साथ ही शिशु के अधिक रोने की वजह से ज्यादा दिखाई दे सकते हैं।
- स्ट्रॉबेरी हिमेनजियोमा (Strawberry Hemangiomas)
स्ट्रॉबेरी हिमेनजियोमा उभरे हुए लाल स्ट्रॉबेरी जैसे निशान होते हैं। जन्म के कुछ दिन या हफ्ते बाद एक या एक से ज्यादा निशान के साथ शिशु की त्वचा पर दिखाई दे सकते हैं। ये निशान शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन ज्यादातर गर्दन और चेहरे पर पाए जाते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि इन क्षेत्रों में छोटी-छोटी कई रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो एक साथ बहुत करीब होती हैं।
- कैवर्नस हिमेनजियोमा (Cavernous Hemangiomas)
ये स्ट्रॉबेरी हिमेनजियोमा की तरह हो सकते हैं। बस ये स्ट्रॉबेरी हिमेनजियोमा की तरह उभरे हुए नहीं होते हैं, बल्कि त्वचा में अधिक गहराई तक होते हैं। ये अमूमन लाल या नीले रंग के होते हैं।
- पॉर्ट वाइन स्टेन्स (Port-wine Stains)
पॉर्ट वाइन स्टेन्स फ्लैट हिमेनजियोमा होते हैं, जो फैली हुई छोटी रक्त वाहिकाओं से बने होते हैं। चेहरे पर पॉर्ट-वाइन के दाग स्टर्ज-वेबर सिंड्रोम के कारण भी हो सकते हैं।
यहां बताएंगे कि बच्चे का बर्थमार्क कब चिंता का विषय बन सकता है।
क्या बर्थमार्क का होना किसी बीमारी का अंदेशा है?
अधिकांश जन्म चिह्न गंभीर नहीं होते हैं। इनमें से अधिकतर निशान शिशु की बढ़ती उम्र के साथ अपने आप साफ हो जाते हैं। वहीं, कुछ निशान पूरी उम्र साथ रहते हैं और धीरे-धीरे बड़े होते रहते हैं। हांलाकि, ये निशान भी हानिकारक नहीं होते, लेकिन अगर बढ़ती उम्र के साथ इनमें खुजली होना, बच्चों में स्किन इंफेक्शन होना, खून बहन, दर्द होना या अन्य तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह चिंता का विषय है। इस अवस्था में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (2)।
चलिए, आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बर्थमार्क का इलाज कैसे होता है।
क्या शिशु के जन्म चिह्नों का उपचार कराना चाहिए?
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि अधिकांश जन्म चिह्न नुकसानदेह नहीं होते हैं और समय के साथ-साथ खत्म हो जाते हैं। वहीं, अगर कुछ बर्थमार्क नहीं जाते हैं, तो उन्हें हटाने के लिए निम्न तरीके अपनाएं जा सकते हैं (5) :
- बीटा-ब्लॉकर दवाएं : कुछ मामलों में डॉक्टर बर्थमार्क के उपचार के लिए बीटा-ब्लॉकर दवाओं की सिफारिश कर सकते हैं। बीटा-ब्लॉकर दवाएं नसों को संकुचित करने और उनके विकास की गति को धीमा कर सकती हैं। इससे नसों के गुच्छे बनने की समस्या दूर हो सकती है और वैस्कुलर बर्थमार्क के निशान को हल्का कर सकते हैं। इन बीटा-ब्लॉकर दवाओं में प्रोप्रानोलोल जैसे दवाओं को शामिल किया जा सकता है (6)।
- लेजर ट्रीटमेंट : पॉर्ट वाइन स्टेन्स जैसे बर्थमार्क को हटाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा सकता है। एक तरह की कॉस्मेटिक सर्जरी होती है। इसके जरिए त्वचा के दाग-धब्बों को हल्का या पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है (7)।
- सर्जरी : वैस्कुलर बर्थमार्क (एक ही स्थान पर नसों का असामान्य रूप से एकत्रित होना) के उपचार में सर्जरी की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है (5)। सर्जरी की मदद से खराब हुई उत्तकों के साथ-साथ उन उतकों को भी हटाया जा सकता है, जो आस-पास के स्वस्थ उतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं (8)।
- कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स : कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का इस्तेमाल ओरल दवा (मुंह से खाने वाली) या इंजेक्शन के रूप में भी किया जा सकता है। ये सूजन कम करने वाली दवाएं होती हैं। इंजेक्शन के रूप में इनका इस्तेमाल करने के लिए इसे सीधे तौर पर निशान में इंजेक्ट किया जाता है। यहां से ये सीधे रक्त वाहिकाओं में पहुंचते हैं और निशान का कारण बनने वाली कोशिकाओं का विकास कम करने में मदद कर सकते हैं (9)।
नोट : बच्चे के जन्मजात निशान का उपचार करने के लिए कौन-सा तरीका सबसे सुरक्षित हो सकता है, इस बारे में डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं।
अंत में कुछ सुझाव, जो बच्चे को पैदाइशी निशान से होने वाली सामाजिक परेशानियों से बचाएंगें।
जन्म चिह्न का सामना व स्वीकार करने में बच्चों की मदद कैसे करें?
जाहिर सी बात है कि चेहरे या शरीर पर कहीं कोई दाग या चोट के निशान हैं, तो वहां लोगों की नजर जरूर जाती है। ऐसी स्थितियां बच्चों में आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकती हैं। बच्चों को इस अवस्था से बाहर निकालने के लिए माता-पिता को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :
- अपने बच्चे को बताएं कि उसके चेहरे या शरीर पर बर्थमॉर्क का होना साधारण है। बच्चे को यह समझाने में मदद करें कि ऐसे निशान किसी भी व्यक्ति को और शरीर के किसी भी अंग पर हो सकते हैं।
- अगर बच्चे का बर्थमॉर्क काफी उभरा हुआ है, तो इसके लिए बच्चे को पहले से तैयार करें। उसे बताएं कि यह निशान उसके लिए हीनभावना का कारण नहीं बन सकता। इंसान की पहचान उसकी सुंदरता से नहीं, बल्कि व्यक्तित्व से होती है।
- अगर कोई बर्थमार्क को लेकर बच्चे पर किसी तरह कि टिप्पणी करता है, जिसका उसे बुरा लगता है, तो इस बारे में खुलकर अपने बच्चे से बात करें। टिप्पणी करने वाले दोस्त या परिवार के सदस्य से भी इस बारे में बात करें।
- सबसे जरूरी बात ध्यान रखें कि अगर बर्थमार्क के कारण बच्चे को कोई शारीरिक समस्या या बीमारी होती है, तो ही उसका उपचार कराएं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमूमन बर्थमार्क बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं। ये कुछ समय बाद अपने आप ही दूर भी हो सकते हैं। इसलिए, इस बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। वैसे भी कहा गया है कि इंसान सूरत से नहीं सीरत से पहचाना जाता है। इसलिए, अगर किसी बच्चे के बर्थमार्क नहीं जाते हैं, तो माता-पिता को चाहिए कि उसे इस काबिल बनाएं कि हर कोई उसे प्रेम करे व उसका सम्मान करे। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी और जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल पढ़ सकते हैं।
References
2. Birthmarks By Medlineplus
3. Klippel-Trenaunay syndrome By Medlineplus
4. Birthmarks – pigmented By Medlineplus
5. Red birthmarks By Medlineplus
6. Propranolol (Infantile Hemangioma) By Medlineplus
7. Laser surgery for the skin By Medlineplus
8. Surgery: The Treatment of Choice for Hemangiomas By NCBI
9. Management of Infantile Hemangiomas: Current Trends By NCBI
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