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बच्चे पौधे की तरह होते हैं, जिन्हें विचारों और संस्कारों से सींचकर हम एक अच्छा इंसान बनाते हैं। इस उम्र में बच्चे अगर किसी बुरी लत के शिकार हो जाएं, तो वो ताउम्र उनके व्यवहार की पहचान बन सकती है। इसलिए बच्चों की हर अच्छी-बुरी आदत का ख्याल रखना जरूरी है। इसी वजह से मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम बच्चों में लगने वाली बुरी आदतों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही इस लेख के जरिए हम यह भी बताएंगे कि बच्चों की बुरी आदतों को माता-पिता किस तरह सुधार सकते हैं।

आइए, जानते हैं बच्चों में होने वाली बुरी आदतों और उन्हें सुधारने से जुड़ी टिप्स के बारे में।

बच्चों में कौन-कौन सी बुरी आदतें होती हैं व उन्हें कैसे सुधारें?

1. बच्चों का अंगूठा पीना

बहुत सारे बच्चों में अंगूठा चूसने की बुरी आदत होती है। शुरुआत में अंगूठा पीने से बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है, लेकिन आगे चलकर यह उसकी आदत बन जाती है। कई बच्चों को सोने से पहले अंगूठा चूसने की आदत होती है । हालांकि, वक्त के साथ यह आदत छूट जाती है, लेकिन कुछ बच्चों में यह आदत लंबे समय तक रह सकती है। अंगूठा चूसना वैसे तो चिंता का विषय नहीं है, लेकिन बच्चे के पक्के दांत आने के बाद यह गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। दरअसल, अंगूठा चूसने से दांतों पर दबाव पड़ता है, जिससे दांत टेढ़े-मेढ़े और खराब हो सकते हैं (1)

इसके अलावा, कई बच्चों के दांत अंदर को धंसने लग सकते हैं, तो कुछ के दांत बाहर निकल सकते हैं। इतना ही नहीं, कई बच्चों के दांत अपनी जगह से खिसक भी सकते हैं, जो दिखने में अच्छे नहीं लगते हैं।

बच्चों के अंगूठा चूसने की बुरी आदत को छुड़ाने के टिप्स:

  • एक बार बच्चे को अंगूठा लेने की लत लग जाए तो इसे छुड़ाना कोई आसान काम नहीं है। यदि बच्चा समझने योग्य है, तो उससे बात करें और समझाएं। उसे बताएं कि यह आदत क्यों बुरी है और इससे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। बच्चे को इस आदत को छोड़ने के लिए उसे कुछ गिफ्ट देने का वादा करें।
  • यदि बच्चे के अंगूठा लेने के पीछे का कारण स्ट्रेस है, तो यह जानने की कोशिश करें कि कौन सी बात उन्हें परेशान कर रही है। इसके अलावा, बच्चे को अलग-अलग तरीकों से अच्छा महसूस कराएं।
  • बच्चे की इस आदत को छुड़वाने के लिए उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। कई बार समझाने के बाद भी जब बच्चा नहीं सुनता तो माता-पिता डांट का सहारा लेते हैं, जो सही तरीका नहीं है।
  • यदि बच्चा अंजाने में बार-बार अंगूठा चूस रहा है, तो उसे बताएं कि यह बुरी आदत है और इसके नुकसान के बारे में याद दिलाकर उसे ऐसा करने से रोकें।

2. बच्चों का नाखून चबाना

सिर्फ बच्चों में ही नहीं, बड़ों में भी नाखून चबाने की बुरी आदत होती है। अगर समय रहते बच्चों के इस आदत को नहीं रोका गया, तो बड़े होने के बाद भी उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो सकता है। एक शोध के अनुसार, स्कूल जाने वाले करीब 10 साल की उम्र के 30 से 60 प्रतिशत बच्चों में नाखून चबाने की आदत होना सामान्य पाया गया है। वहीं, बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ यह आदत भी कम हो सकती है (2)। हालांकि, बच्चों की इस बुरी आदत का कारण अज्ञात है, लेकिन कुछ शोध के अनुसार, यह पाया गया है कि तनाव और चिंता के कारण बच्चे नाखून चबाने लग सकते हैं (3)। ऐसे में नीचे बताए गए तरीके से इस आदत को छुड़ाया जा सकता है:

बच्चों को नाखून चबाने से रोकने के टिप्स:

  • कई बार बच्चों को पेरेंट्स, दोस्तों या स्कूल से जुड़ी किसी परिस्थितियों के कारण स्ट्रेस हो सकता है। इनमें शामिल है – बच्चे की दोस्त से लड़ाई, स्कूल का होमवर्क पूरा न होना या पेरेंट्स का लड़ाई करना। वहीं, हमने पहले ही जानकारी दी है कि नाखून चबाने का एक कारण तनाव भी है। ऐसे में यदि आपका बच्चा भी किसी तनाव के चलते नाखून चबाता है, तो सबसे पहले उसके तनाव का कारण जानने की कोशिश करें।
  • बच्चे के नाखून चबाने का कारण अगर तनाव नहीं है, तो बच्चे को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें। इसके लिए बच्चे को ड्रॉइंग, पेपरक्राफ्ट, पेंटिंग करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। खेलने के लिए हाथों में क्ले दे सकते हैं। बच्चे को क्ले से अलग-अलग चीजों को बनाने का टास्क दें। इससे बच्चे के हाथ व्यस्त रहेंगे।
  • बच्चों के नाखून हमेशा छोटे रखें। अगर बच्चे की उम्र एक साल से ज्यादा है तो उनकी नाखून चबाने की आदत को रोकने के लिए उनके नाखून पर किसी कड़वी चीज को लगा सकते हैं। हालांकि, घर में मौजूद किसी भी कड़वी चीज का इस्तेमाल न करें। इसके लिए बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहतर हो सकता है।
  • बड़े बच्चों को नाखून चबाने से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में समझाएं। बच्चों को बताएं कि दांतों से नाखून काटने से उन्हें कई बीमारियों के होने का जोखिम हो सकता है।
  • बच्चे के नाखून चबाने की आदत को छोड़ने के लिए उनके प्रयास की सराहना करें। इसके लिए आप उन्हें कोई उपहार भी दे सकते हैं।

3. बच्चों के होंठ चूसने या चबाने की आदत

कई बार बच्चों का निचला होंठ रूखा या फटा हुआ रहता है। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा ही है, तो हो सकता है बच्चे को होंठ चूसने के बुरी आदत लग गई हो। होंठों को लगातार चूसने के कारण बच्चों के होंठ फट जाते हैं। बच्चों में इस बुरी आदत का संबंध चिंता या तनाव से जुड़ा भी हो सकता है। कई बार बच्चे नए लोगों के बीच तनाव महसूस करते हैं और अनजाने में होंठ चूसने लगते हैं। इसके अलावा ड्राई होंठ के कारण भी बच्चों को यह आदत लग सकती है। इस खराब आदत के कारण बच्चे के होंठ फट सकते हैं या होंठ के आस-पास सूजन या लालिमा हो सकती है (4)। वहीं, कुछ बच्चों में होंठ में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। ऐसे में बच्चे की आदत को रोकने के लिए माता-पिता नीचे बताए गए उपायों को अपना सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

बच्चों के होंठ चूसने की आदत को रोकने के टिप्स:

  • बड़े बच्चों के रूखे और फटे होंठों पर लिप बाम लगाएं। इससे उनके लिप्स रिपेयर होने में और ड्राई लिप्स की समस्या कम होने में मदद मिल सकती है।
  • यदि बच्चा किसी तनाव के चलते होंठों को काटता है, तो उनके तनाव का कारण जानने की कोशिश करें। बच्चे से बात करें और होंठों से उनका ध्यान हटाने की कोशिश करें।
  • बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आदत डालें। इससे बच्चे का शरीर हाइड्रेट रहेगा और होंठ ड्राई होने से बचेंगे।
  • होंठ चूसने की आदत से ध्यान हटाने के लिए बच्चे को शुगर फ्री टॉफी व चॉकलेट दे सकते हैं।

4. नाक में उंगली करना

नाक में उंगली डालने की आदत होना सामान्य है (5)। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। नाक में बनने वाले म्यूकस के कारण कई बार नाक में इर्रिटेशन हो सकती है (6)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सर्दी-जुकाम या धूल के कारण नाक में इर्रिटेशन हो सकती है, जिस वजह से बच्चों को नाक में  उंगली करने की लत लग सकती है। इसके अलावा, कुछ बच्चे बोरियत को दूर करने के लिए नाक में उंगली डाल सकते हैं।

वहीं, समय रहते बच्चों की इस आदत को नहीं रोका जाए तो आगे चलकर इससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो सकता है। बच्चे की इस आदत के कारण नाक में बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण हो सकता है। कई मामलों में नाक से खून निकल सकता है।

बच्चों का नाक में उंगली करने की बुरी आदत को को छुड़ाने के टिप्स:

  • अगर बच्चा इतना बड़ा है कि वह आपकी बात को समझ सकता है, तो उसे समझाएं कि नाक में उंगली डालना अच्छी आदत नहीं होती है। बच्चे को जब भी नाक में इरिटेशन महसूस हो उसे नैपकिन दें।
  • कई माता पिता बच्चे को नाक में उंगली डालने की आदत को लेकर डांटने लगते हैं। ऐसा करना गलत है, बच्चे को डांटने की जगह बुरी आदतों को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें प्यार और धैर्य से समझाएं।
  • बच्चे को नाक में उंगली डालते हुए देखने पर उन्हें तुरंत हाथ धोकर आने के लिए कहें। बच्चे को समझाएं कि जिसे वह सफाई समझ रहे हैं, इससे उनकी नाक में इंफेक्शन हो सकता है। धीरे-धीरे खुद आपका बच्चा इस बुरी आदत को छोड़ देगा।
  • बच्चे की नाक में इंफेक्शन व ब्लीडिंग से बचाव के लिए उनके नाखून हमेशा छोटे रखें।
  • अगर बच्चा छोटा है, तो नाक में फिंगर डालने से रोकने के लिए डॉक्टरी परामर्श से उसके हाथों में दस्ताने पहना सकते हैं।
  • समय-समय पर बच्चे को याद दिलाते रहें कि नाक में फिंगर करने से उसे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।

5. बालों में बार-बार हाथ फेरना या बालों को गोल-गोल घुमाना

तनाव व बोरियत को दूर करने के लिए कई बार बच्चे बालों में हाथ फेरने लगते हैं। यह छोटे बच्चों में देखी जाने वाली गतिविधियों में से एक है (7)। प्री स्कूल के बच्चों में भी यह बुरी आदत देखने को मिल सकती है। आमतौर पर बच्चों में यह बुरी आदत वक्त के साथ अपने आप कम हो जाती है। बच्चों के इस आदत के पीछे भी चिंता, तनाव या गुस्से जैसी भावनात्मक परेशानी हो सकती है (8)

ऐसे में बच्चे को यह बुरी आदत है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए माता-पिता बच्चे के सोने के वक्त उनपर ध्यान दें। इस बात पर गौर करें कि कहीं उसका हाथ बालों में तो नहीं जा रहा। इसके अलावा, यदि बच्चा बालों के साथ खेलते हुए कही खो जाता है व कम बात करता है, तो यह चिंता का कारण हो सकता है। ऐसे में वक्त रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह स्कैल्प पर इंफेक्शन से लेकर हेयर लॉस का कारण भी बन सकता है।

बच्चे को बालों में हाथ फेरने से रोकने के लिए टिप्स:

  • यदि आपके बच्चे के बाल लंबे हैं, तो यह आदत और भी बदतर हो सकती है। ऐसे में बच्चे के बालों को छोटा कराना उचित हो सकता है।
  • लंबे बाल अगर न कटवाना चाहते हों तो बच्चे के बालों की बांधकर रखना भी अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • बच्चे की जिन चीजों में रुचि हो, उनमें उन्हें व्यस्त रखने की कोशिश करें।
  • बच्चे से बात करें, उन्हें समझाएं कि बालों में हाथ फेरना बुरी आदत है।
  • यदि बच्चा किसी स्ट्रेस के चलते बालों में हाथ फेरता है, तो सबसे पहले बच्चे के स्ट्रेस का कारण जानने का प्रयास करें।

6. दांत पीसना या दांत किटकिटाना

कई बच्चों को दांत पीसने की बुरी आदत होती है। मेडिकल भाषा में इसे ब्रक्सिज्म (bruxism) कहा जाता है। आमतौर पर बच्चे जब गहरी नींद में होते हैं तब ऐसा कर सकते हैं। बच्चों के दांत पीसने का कारण तनाव या दांतों का ऊबड़-खाबड़ होना भी हो सकता है (9) ज्यादातर बच्चों का किशोरावस्था में आने के बाद यह परेशानी खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है। वहीं, कुछ में बड़े होकर भी यह समस्या जारी रहती है। दांत पीसने के कारण दांत टूटना, सिरदर्द, दांतों में दर्द, आदि की परेशानी हो सकती है। गंभीर मामलों में दांत ढीले या फ्रैक्चर भी हो सकते हैं (10)। ऐसे में इससे बचने के लिए बच्चे में इस आदत को वक्त रहते छुड़ाना जरूरी है।

बच्चों को दांत पीसने से रोकने के टिप्स: 

  • बच्चों को दांत पीसने से रोकने से पहले इसका कारण जानने की कोशिश करें।
  • अगर बच्चे के दांत पीसने का कारण तनाव है तो बच्चे से बात करें। उनके तनाव का कारण जानकर उनकी परेशानी दूर करने का प्रयास करें।
  • इस आदत को छुड़ाने के लिए डॉक्टर या दंत रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना भी बेहतर विकल्प हो सकता है।
  • बच्चे को सोने से पहले किताब पढ़ने के लिए दें या उन्हें कहानी सुनाकर उनका मन बहलाएं।

7. ज्यादा स्क्रीन टाइम

बच्चे वही करते हैं जो उनके पेरेंट्स करते हैं। जब पेरेंट्स टीवी, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि से चिपके रहते हों, तो उन्हें देखकर बच्चे भी यही आदत अपनाते हैं। कई बार माता-पिता अपना काम करते समय, बच्चे को फोन में वीडियो लगाकर दे देते हैं। इससे बच्चे का स्क्रीन टाइम ज्यादा होने लगता है और इससे उन पर इसका बुरा असर भी हो सकता है।

6 साल की उम्र होने तक बच्चे के दिमाग का 90 प्रतिशत विकास हो जाता है (11)। बच्चे के शुरुआत के सालों में अधिक स्क्रीन टाइम उनके मानसिक विकास में बाधा डाल सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, 18 से 24 महीने के बच्चों को अभिभावक की मौजूदगी में ही मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल करने के लिए देना चाहिए। वहीं दो से पांच वर्ष के बच्चों के लिए एक घंटा स्क्रीन टाइम काफी है (12)। ऐसे में बच्चे के स्क्रीन टाइम को लेकर माता-पिता का सतर्क होना आवश्यक है।

बच्चों में अधिक स्क्रीन टाइम की आदत को सुधारने के टिप्स:

  • बच्चे को गैजेट्स का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई करने के लिए दें।
  • बच्चों को मोबाइल या लैपटॉप की जगह खेलने के लिए बोर्ड गेम्स लाकर दें। चाहें तो खेलने के लिए कैरम बोर्ड या पजल्स दे सकते हैं। इसके अलावा, आउटडोर एक्टिविटी को बढ़ावा दें।
  • बच्चों से बात करके उनके स्क्रीन टाइम को निर्धारित करें।
  • माता-पिता बच्चों के साथ स्क्रीन टाइम स्पेंड करें। इससे पेरेंट्स बच्चों को गैजेट्स का गलत इस्तेमाल करने से भी रोक सकते हैं।
  • बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स रोल मॉडल होते हैं। ऐसे में बच्चे का स्क्रीन टाइम कम करने के लिए सबसे पहले माता-पिता को गैजेट्स का इस्तेमाल कम करने की जरूरत है।

8. खाने-पीने की गलत आदत

जंक फूड जैसे चॉकलेट, आइसक्रीम, बर्गर आदि बच्चों को खूब पसंद आते हैं, लेकिन इनमें मौजूद शुगर और फैट्स कई बीमारियों को न्योता दे सकते है (13)। कुछ बच्चे ब्रेकफास्ट करने में आनाकानी करते हैं, जिस वजह से उनकी मील स्किप भी हो सकती है, जो कि सही नहीं है। ब्रेकफास्ट डाइट का अहम हिस्सा होता है। यह शरीर में ऊर्जा और पोषक तत्वों की भरपाई कर सकता है। साथ ही वजन को संतुलित रखने व बच्चों में मधुमेह और हृदय रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है (14)। ऐसे में स्वस्थ आहार और सही वक्त पर नाश्ता और खाना बच्चों के लिए आवश्यक है।

बच्चों की खाने-पीने की खराब आदतों को सुधारने के लिए जरूरी टिप्स:

  • यदि बच्चा पूरे दिन की कोई मील स्किप करता है, तो उसे हेल्दी स्नैक जैसे दही, फल, ड्राई फ्रूट्स दे सकते हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ दें, जिससे उन्हें एलर्जी न हो।
  • बच्चे की डाइट में तरह-तरह के फूड आइटम्स को शामिल करें। रोजाना फल का सेवन कराएं। इसके अलावा कार्ब व प्रोटीन युक्त चीजों को आहार का हिस्सा बनाएं। जरूरत पड़े तो बाल रोग विशेषज्ञ से बच्चे की डाइट की जानकारी लें।
  • यदि बच्चा खाना खाने से मना करता है तो जबरदस्ती खाना न खिलाएं। जब कुछ देर बाद उसे भूख लगेगी तो वह वह खुद खाने की मांग करेगा।
  • बच्चे को फिजिकली एक्टिव रखें। इसके लिए उन्हें पार्क में दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए लेकर जाएं। चाहें तो बच्चे के साथ वॉक पर जा सकते हैं। इससे बच्चा कैलोरी बर्न करेगा और उसे अच्छे से भूख भी लगनी शुरू हो सकती है।
  • ब्रेकफास्ट, लंच व डिनर का समय निर्धारित कर दें। इससे बच्चे को समय पर खाने की आदत हो जाएगी।

9. प्राइवेट पार्ट को छूने की आदत

बच्चे अपने बारे में और अपने निजी अंगों के बारे में जानने के लिए भी उत्सुक रहते हैं (15)जानकारों के मुताबिक, दो से छह साल के बच्चों में प्राइवेट पार्ट्स को लेकर ऐसा व्यवहार देखा जा सकता है। जैसे-जैसे बच्चा थोड़ा बड़ा होता है, वो दूसरों के प्राइवेट पार्ट्स को टच करने की कोशिश कर सकता है। इतना ही नहीं, बच्चे दूसरों के सामने भी अपने निजी अंगों को दिखा सकते हैं। ऐसे में वक्त रहते उनकी इस आदत पर ध्यान देना आवश्यक है।

बच्चों को निजी अंगों को छूने से रोकने के टिप्स: 

  • बच्चों को शरीर के अंगों के बारे में बताएं। उन्हें सारे अंगों के नाम याद कराएं। उन्हें शरीर के निजी अंगों के बारे में भी समझाएं। कभी भी प्राइवेट पार्ट्स को कोई दूसरा नाम न दें। बहुत सारे पेरेंट्स ऐसी गलती करते हैं।
  • बच्चों को निजी अंगों के बारे में समझाएं। उन्हें साधारण भाषा में समझाएं कि जो अंग अंदर के कपड़ों से ढके होते हैं वो निजी अंग होते हैं।
  • बच्चों को समझाएं कि किसी के निजी अंग को छूना अच्छी बात नहीं होती है। यह भी समझाएं उन्हें भी किसी को अपने प्राइवेट पार्ट्स छूने नहीं देना चाहिए।
  • बच्चे को गुड टच और बैड टच के बारे में समझाएं।

10. झूठ बोलने की आदत

कई बार बच्चे कुछ छोटे-मोटे झूठ बोल देते हैं। वहीं, कुछ बच्चे लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए मनगढ़ंत कहानियां बनाने लगते हैं, जिसमें उन्हें मजा भी आने लगता है। वहीं कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो पेरेंट्स, टीचर्स और दोस्तों के सवालों से बचने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं। जैसे होमवर्क पूरा न करने, एग्जाम में कम नंबर या किसी गलती को छुपाने के लिए झूठ बोलना (16)

कई बार पेरेंट्स बच्चे की इस आदत को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यदि शुरू से ही बच्चों को झूठ बोलने से रोका न जाए तो धीरे-धीरे उन्हें झूठ बोलने की लत लग सकती है। यदि आपको बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव नजर आ रहा है। आप बच्चे के झूठ पकड़ रहे हैं, तो उसे समय रहते सुधारना जरूरी है। एक बार बच्चे को झूठ बोलने की लत लग गई तो उसे ठीक करना मुश्किल हो सकता है।

बच्चे के झूठ बोलने की आदत सुधारने के टिप्स: 

  • बच्चे के झूठ बोलने के कारण का पता लगाएं और उन्हें प्यार से समझाएं। उन्हें बताएं कि झूठ बोलना बुरी आदत है। उन्हें सच बोलने की प्रेरणा दें।
  • यदि बच्चा ध्यान आकर्षित करने के लिए चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है, तो उससे सवाल जवाब करने की बजाय उसकी बातों को इग्नोर कर दें। एक बार जब आप इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देते हैं तो उन्हें समझ आ सकता है कि आप उनकी किसी बात पर विश्वास नहीं कर रहे हैं।
  • किसी काम से बचने के लिए बच्चा झूठ बोलता है, तो उस काम को पूरा न करने की सजा दें। हालांकि, ध्यान रखें कभी भी बच्चे को कड़ी सजा न दें। आप बच्चे को काम पूरा न करने पर कमरा साफ करने, टीवी न देखने या बाहर न खेलने जानें जैसी सामान्य सजा दे सकते हैं।
  • यदि बच्चा किसी डर से झूठ बोलता है, तो सबसे पहले उनका डर दूर करें। इससे उनकी झूठ बोलने की आदत खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगी।

11. गलत भाषा का इस्तेमाल

कई बार बच्चे के मुंह से अपशब्द सुनकर पेरेंट्स यह सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि आखिर वह यह सब कहां से सिख रहा है। बच्चा जब घर से बाहर निकलता है तो अलग-अलग बच्चों व लोगों से मिलता है। ऐसे में जब वह किसी के मुंह से अपशब्द सुनता है तो वह भी इसका इस्तेमाल करने लगता है। ऐसे में उनकी इस आदत को अगर वक्त रहते न सुधारा गया तो उन्हें बुरी बातें बोलने की लत लग सकती है।

बच्चे को गंदी भाषा का इस्तेमाल करने से रोकने के टिप्स:

  • पहली बार जब बच्चे के मुंह से कुछ खराब शब्द सुनें तो पैरेंट्स का परेशान होना लाजमी है, लेकिन घबराएं नहीं।
  • बच्चे की इस गलती को नजरअंदाज न करें। साथ ही उस पर गुस्सा करने से भी बचें।
  • बच्चे को प्यार से समझाएं कि अच्छे बच्चे इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
  • उनसे यह भी पूछें कि उन्होंने ऐसे शब्द कहां से सुनें या सीखें हैं।
  • बच्चे के सामने कभी भी मजाक में भी अपशब्द का उपयोग न करें।

12. बात-बात पर जवाब देना या पलटकर जवाब देना

बच्चों में पलटकर जवाब देना बेहद आम है। जब बच्चे का विकास हो रहा होता है तो उनके व्यवहार में कई बदलाव आते हैं। छह से ग्यारह साल की उम्र में बच्चे नई चीजों को सीखने के लिए उत्साहित रहते हैं (15)। उन्हें लगता है वह सब जानते हैं। परिणामस्वरूप कई बार वह छोटी-छोटी बातों का जवाब भी तेज आवाज या गुस्से में देते हैं। बच्चों का बात-बात पर पलटकर जवाब देना माता-पिता को परेशान कर सकता है। ऐसे में माता-पिता को अपनी प्रतिक्रिया सावधानी से देनी चाहिए।

बच्चे के पलटकर जवाब देने की आदत को सुधारने के टिप्स: 

  • जब बच्चा गुस्से में हो तो माता-पिता भी सामने से तेज आवाज में न बात करें।
  • बच्चे के साथ सख्ती से पेश आने की जगह खुद को शांत रखें और बच्चे के साथ प्यार से बातचीत करने की कोशिश करें।
  • बच्चे से उनके चिड़चिड़े और गुस्सा होने का कारण जानने की कोशिश करें।
  • आप चाहें तो कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप भी रह सकते हैं। जब बच्चे को अपनी गलती का एहसास होगा वह खुद आपसे बात करने आ जाएगा।

13. खराब टेबल मैनर्स

खराब टेबल मैनर्स भी बच्चों की बुरी आदतों में से एक है। खाना खाते समय बोलना, मुंह खोलकर खाना, आवाज निकालकर पानी पीना, खाने में चम्मच से खेलना, खानें को चबाते वक्त जानबूझकर आवाज निकालना आदि, खराब टेबल मैनर्स होते हैं। इसलिए बच्चों को शुरुआत से ही टेबल-मैनर्स सिखाना बहुत जरूरी होता है। यदि बच्चा खाना खाते समय मस्ती करता है या किसी तरह का दुर्व्यवहार करता है, तो उसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें। आगे चलकर यह परेशानी का कारण बन सकता है, इसलिए बच्चे को ऐसा करने से रोकें।

बच्चे को टेबल मैनर्स सिखाने के लिए जरूरी टिप्स:

  • बच्चों को उनके द्वारा खाना खाते समय की जाने वाली गलतियों के बारे में बताएं। उन्हें समझाएं कि खाना खाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
  • बच्चे को बेसिक टेबल मैनर्स समझाएं। उन्हें बताएं कि खाने को हमेशा मुंह बंद करके अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए।
  • डाइनिंग टेबल पर खाना खाते समय बड़ों को देखकर टेबल मैनर्स सीखने की सलाह दें।
  • बच्चे को समझाएं कि खाने का अनादर नहीं करना चाहिए। प्लेट में हमेशा उतना खाना ही लेना चाहिए जितनी उन्हें भूख हो।
  • बच्चा जब अच्छे से टेबल मैनर्स फॉलो करता है, तो उनकी तारीफ जरूर करें।

14. बच्चे को अधिक गुस्सा आना

तीन से पांच साल के बच्चों में नखरे करना आम बात है (17)बच्चों में जिद या गुस्सा करने जैसा व्यवहार तब देखने को मिल सकता है, जब उन्हें अपनी मनपसंद चीज नहीं मिलती। इसके अलावा, जब उन्हें जो काम नहीं पसंद वो करने के लिए दिया जाए, तो वे इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं। बहुत सारे बच्चों में यह व्यवहार आगे चलकर गुस्से में बदल सकता है। कई बच्चों का व्यवहार अनियंत्रित भी हो सकता है, जो माता-पिता को परेशान कर सकता है। ऐसे में वक्त रहते उनके इस व्यवहार को ठीक करने की आवश्यकता होती है। बच्चे में गुस्से को कुछ इस प्रकार ठीक कर सकते हैं:

बच्चे के गुस्से को कम करने के टिप्स: 

  • जब बच्चा गुस्से में हो, तो उस समय माता-पिता की प्रतिक्रिया उनके व्यवहार को सुधारने में बहुत मायने रखती है। बच्चे को गुस्से से नहीं प्यार से हैंडल करें।
  • जब भी बच्चा किसी चीज के न मिलने पर गुस्सा होता है, तो उन्हें शांत होने के लिए न कहें।
  • जब तक बच्चे को अपनी गलती का एहसास नहीं होता, तब तक उनके नखरों को नजरअंदाज करने की कोशिश करें।
  • बच्चे जब जिद करते हैं तो उस वक्त वे किसी की नहीं सुनते। इसलिए ऐसे समय में गुस्से में आकर उन्हें शारीरिक दंड न दें। जितना हो सके शांत रहने की कोशिश करें। बच्चे को प्यार से समझाएं कि इस तरह का व्यवहार सही नहीं है।
  • एक बार जब वह शांत होंगे तो खुद समझेंगे कि उनका यह व्यवहार सही नहीं था। साथ ही अपने इस व्यवहार को सुधारने का प्रयास भी करेंगे।

15. हर बात को टालने की आदत

कई बच्चे काम को टालते रहते हैं, जो धीरे धीरे उनकी आदत में आ जाता है। इन बच्चों को कुछ भी काम देने पर यह उसे आखिरी क्षण तक टालते रहते हैं। पेरेंट्स के बार-बार कहने के बाद भी वें आखिरी समय में होमवर्क करते हैं। उनके इस व्यवहार से दूसरे काम भी स्थगित हो जाते हैं। बच्चे ऐसा तब करते हैं जब दिए गए काम में उनकी रुचि नहीं होती है। अगर बच्चे की पढ़ाई में रुचि न हो तो वो होमवर्क को टालने लगते हैं। इसलिए उनकी बात टालने की आदत को नीचे बताए गए तरीकों से सुधारने की कोशिश करें।

बच्चे की बात टालने की आदत को सुधारने के टिप्स:

  • बच्चों के साथ बैठें और उन्हें समझाएं कि हर काम को समय पर करना कितना जरूरी होता है। चीजों को टालना अच्छी आदत नहीं होती है।परिवार के लोग जो हर काम को समय पर करते हैं, उनके उदाहरण देकर  उन्हें समझाएं।
  • बच्चों की काम में रुचि जगाने के लिए पेरेंट्स को अलग-अलग तरीके अपनाने की जरूरत होती है। यदि बच्चा होमवर्क करने में आनाकानी करता है, तो खेल-खेल में रोचक तरीके से उसका काम पूरा कराएं।
  • बच्चों की पढ़ाई का समय तय होना चाहिए। स्कूल में होमवर्क मिला हो या नहीं बच्चे के इस रूटीन को बिगड़ने न दें।
  • दिए हुए काम को कराने के लिए उनके पीछे बार-बार न पड़ें।
  • जब बच्चा टाइम पर काम पूरा कर लेता है तो उसकी तारीफ करना न भूलें। इससे बच्चे को प्रोत्साहन मिलेगा।

16. बात-बात पर शिकायत या बहाना करना

कई पेरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा हर छोटी बात को लेकर शिकायत करता है। ऐसा वे किसी परिस्थिति या किसी का सामना करने से बचने के लिए कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे जब स्कूल नहीं जाना चाहते हैं, तो वह पेट दर्द या सिरदर्द की शिकायत कर सकते हैं। लंच में बनी सब्जी नहीं पसंद तो वह सब्जी अच्छी नहीं बनी इस तरह की शिकायत कर सकते हैं। धीरे-धीरे यह बच्चे के स्वभाव में आ जाता है। हर बात पर शिकायत या बहाना करना उनकी आदत बन जाती है।

बच्चों के हर बात पर शिकायत करने की आदत को सुधारने के टिप्स: 

  • बच्चों को नई जगह व नए लोगों के बीच एडजस्ट होने में समय लगता है। इसलिए बच्चा जब तक नई जगहों को समझ नहीं लेता है तब तक धैर्य बनाकर रखें।
  • बच्चे को समझाएं कि हर बात के लिए शिकायत करने की बजाय कुछ चीजों में वे समझौता कर सकते हैं। उन्हें बताएं कि हर बात पर शिकायत करना अच्छी आदत नहीं होती है।
  • उनके बहाना बनाने के कारण को जानें और समझें और फिर उनके उस कारण को ठीक करने की कोशिश करें।
  • अगर बच्चा बार-बार स्कूल न जानें के लिए बहाने बना रहा हो तो उसे डांटने या उसके साथ जोर-जबरदस्ती करने के बजाय इसके पीछे की वजह को जानें।

बच्चों को अपनी इन बुरी आदतों का एहसास नहीं होता है। ऐसे में सही और गलत का फर्क समझाना अभिभावकों का फर्ज बनता है। बच्चों की इन बुरी आदतों को बचपन में ही सुधारा जा सकता है। इसके लिए आप लेख में बताए गए टिप्स की मदद ले सकते हैं। यदि आपके बहुत प्रयास करने के बाद भी बच्चे की कोई बुरी आदत नहीं छूट रही है, तो इसके लिए बेहतर होगा किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें। उम्मीद करते हैं बच्चों की बुरी आदतों पर लिखे इस लेख में दी गई जानकारियां आपके काम आएंगी। बच्चों से जुड़े ऐसे ही अन्य पोस्ट पढ़ने के लिए जुड़े रहिए मॉमजंक्शन के साथ।

References

1. Thumb sucking By Medlineplus
2. Nail Biting By Science Direct
3. Onychophagia (Nail biting), anxiety, and malocclusion By Researchgate
4. Prevalence of lip sucking amongst 6-9-years old children By Researchgate
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13. Fast Food Consumption in Children: A Review By Researchgate
14. Breakfast By Better Health
15. Developmental Stages of the Learner By Jb Learning (Journal Sample)
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