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शिशु जैसे-जैसे बड़ा होते हैं यानी ग्रोथ इयर्स में उनके मन में कई चीजों को लेकर डर बैठ जाता है। ऐसे में हर माता पिता की यह जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चों के मन में बसे डर को कम करें। ऐसा करने के लिए पैरेंट्स को खुद इस संबंध में जानकारी होना जरूरी है। अगर आप भी समझना चाहते हैं कि बच्चों में डर होना सामान्य है या नहीं और बच्चों में डर कैसे पनपता है, तो मॉमजंक्शन का यह लेख आपकी मदद कर सकता है। इस आर्टिकल में बच्चों के डर के संबंध में पूरी जानकारी विस्तार से दी गई है।
आर्टिकल के शुरुआत में जानिए बच्चों को डर लगना कितना सामान्य है।
क्या बच्चों में डर होना सामान्य है?
हां, बच्चों में डर होना सामान्य है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में कहा गया है कि डर लगना बच्चों के सामान्य विकास का एक हिस्सा है। यह अध्ययन 8 से 13 साल के 290 बच्चों पर किया गया था। अध्ययन में आगे इस बात का भी जिक्र है कि कुछ बच्चों को गंभीर चिंता के कारण भी डर लगता है, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो सकती है (1)।
हम आगे बता रहे हैं कि बच्चों के मन में किस तरह से डर पैदा होता है।
बच्चों में कैसे-कैसे डर उत्पन्न होते हैं?
बच्चों को उनके उम्र के हिसाब से अलग-अलग तरह के डर लग सकते हैं। ये कब और किस तरह के डर का शिकार होते हैं, इस बारे में हम उम्र के आधार पर नीचे विस्तार से बता रहे हैं:
- 6 महीने से 3 साल की उम्र – इस उम्र के बच्चों को अनजान व्यक्ति से डर लगता है। यह डर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है खुद-ब-खुद दूर होने लगता है (2)।
- 2 से 3 साल की उम्र– इस उम्र के बच्चों को ज्यादा शोर वाली चीजों से डर लग सकता है। खासतौर पर ऐसा शोर व तेज आवाज, जिससे वो अंजान हों या जिसे समझ न पाते हों। साथ ही जब परिस्थिति सही न हो, तो फर्नीचर के सरकने और प्लेट के गिरकर टूटने की आवाज से भी बच्चे डर जाते हैं। इनके अलावा, घर के बड़ों का गुस्सा करने व नाराज होने पर भी बच्चे डर सकते हैं (3)।
- 3 से 5 की उम्र– बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उनमें काल्पनिक चीजों के कारण डर उत्पन्न होने लगता है। इसका कारण यह है कि उन्हें मनगढ़ंत और वास्तविक चीजों में अंतर समझ नहीं आता है। इसके अलावा, उन्हें अंधेरे और परिचित लोगों के चेहरे पर लगे फेस मास्क से भी डर लग सकता है (3)।
- स्कूल जाने की उम्र में – इस दौरान बच्चों को वास्तव में होने वाली चीजों से डर लग सकता है, जैसे कि तूफान आने पर, आग लगने से और चोट लगने पर। इन डर से बच्चे जल्दी उबर जाते हैं। साथ ही बच्चे माता-पिता के विवाह और स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित परेशानी को सुनकर भी डर सकते हैं। इनके अलावा, कुत्तों, मकड़ियों और सांपों से भी उन्हें डर सकता है (3)।
चलिए, अब जानते है कि बच्चों को आखिर डर क्यों लगता है।
बच्चों को डर क्यों लगता है? | बच्चों को डर लगने के कारण
हर माता-पिता अपने बच्चे के डरने का कारण जानना चाहते हैं, लेकिन कई बार उन्हें डर का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पता है। इसके कुछ आम कारण जानने के लिए लेख के इस भाग को पढ़ें।
- अंधेरा – बच्चों के डरने का एक सबसे बड़ा कारण अंधेरा भी हो सकता है (3)। अक्सर अंधेरे में चीजों का आकार अलग नजर आता है। इन सबसे बच्चे डर जाते हैं।
- कल्पना – अक्सर बच्चों के मन में काल्पनिक चीजें घर कर जाती हैं, जिसके बारे में सोच-सोचकर वो डरते हैं। कई बच्चों को लगता है कि उनके बिस्तर के नीचे राक्षस है या अलमारी हिल रही है (4)।
- जानवरों से डर– कई बच्चे जानवरों से भी डरते हैं। वे किसी कुत्ते को देखकर सोचने लगते हैं कि यह उसे काटने वाला है। इसी सोच की वजह से बच्चों में जानवरों से डर बना रहता है (3)।
- चिंता (Anxiety)- बच्चों के डरने का एक कारण चिंता होती है। कई शोध से यह पता चला है कि जिन बच्चों को अधिक चिंता होती है, वो डरे हुए रहते हैं (1)।
अब हम बच्चों के डर को दूर करने के कुछ तरीकों की जानकारी दे रहे हैं।
बच्चों के डर को दूर करने के उपाय
बच्चों के डर को दूर करने में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। इसके लिए माता-पिता कुछ इस तरह की चीजें कर सकते हैं। ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं (3):
- बच्चों के डर को कम करने के लिए उन्हें धीरे-धीरे गहरी सांस लेने के लिए कह सकते हैं। इससे डर के कारण शरीर में होने वाली प्रतिक्रियाएं कुछ कम हो सकती हैं।
- बच्चे का हाथ पकड़ें या उन्हें गले से लगा लें। ऐसा करने से बच्चे खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे।
- बच्चों के डर के बारे में उनसे बात करें। आप उन्हें समझा सकते हैं कि रात को किस तरह से चीजों की परछाईं अलग और भयानक दिखती हैं, लेकिन उनसे डरने की जरूरत नहीं है।
- बच्चों को सूई से लगने वाले डर को दूर करने के लिए माता-पिता उनके सामने तकिए या टेडी को सुई लगाने की एक्टिंग कर सकते हैं। इससे बच्चों के डर को नियंत्रित किया जा सकता है। अगर घर में कई टीकाकरण के लिए आए, तो वो भी बच्चे को टीका लगाने से पहले उनके टेडी बियर को टीका लगाने का नाटक कर सकते हैं।
- बच्चों के यात्रा से जुड़े डर को कम करने के लिए उनके सामने टॉय फायर इंजन नामक खिलौने का उपयोग कर सकते हैं। इससे उनके अंदर के डर को कम करने में मदद मिल सकती है।
- बच्चों को भय का सामना करना सिखाना चाहिए। उदाहरण के लिए उनके सामने डरावना मास्क लगाकर जाएं और फिर उसे निकालने के लिए कहें या खुद निकालकर दिखाएं। ऐसा करने से फेस मास्क से होने वाला डर कम हो जाएगा।
- बच्चों को बड़ों की तरह ट्रीट न करें, इससे उनका डर बढ़ सकता है। उनके साथ बच्चों की तरह ही पेश आएं। अपने व्यवहार को सौम्य और आवाज को धीमी रखें।
- आप बच्चों को अधिक से अधिक समय और प्रेम देकर भी उनके डर को कम कर सकते हैं।
लेख में आगे बढ़ते हुए जान लेते हैं कि बच्चों के डर और फोबिया में क्या अंतर है।
बच्चों के डर और फोबिया में अंतर
बच्चों में डर आसपास घटने वाली घटनाओं के कारण हो सकता है। वहीं, फोबिया एक ऐसी स्थिति है, जो एक ही चीज से बार-बार डर लगने के कारण उत्पन्न होती है। इसमें बच्चे को सामान्य से भी ज्यादा डर लगता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो बचपन में फियर और फोबिया होना सामान्य होता है (5)।
इस आर्टिकल के अगले भाग में हम बच्चों को डर से बचाने के उपाय बता रहे हैं।
बच्चों के डर से बचाव
बच्चों को डर लगने से बचाया जा सकता है। बस इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। हम इन बातों को नीचे कुछ बिंदुओं की मदद से बता रहे हैं:
- बच्चों को घर या कमरे में अकेले न छोड़ें। बच्चे अकेले होने पर जल्दी डर जाते हैं।
- छोटे बच्चों को अंधेरे कमरे में न सुलाए। इससे नींद खुलने पर उन्हें डर लग सकता है।
- बच्चों को जिन चीजों से डर लगता है उनके बारे में बताएं।
- डर को दूर भगाने से संबंधित कुछ किताबें बच्चों को दे सकते हैं। इससे डर को दूर रखने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।
- बच्चों को समय-समय पर चिड़िया घर लेकर जाते रहें। इससे बच्चों का जानवरों से जुड़ा हुआ डर दूर हो सकता है।
चलिए, अब जानते हैं कि बच्चे के डर को लेकर माता-पिता को विशेषज्ञ की मदद कब लेनी चाहिए।
क्या मेरे बच्चे का डर सामान्य है? क्या हमें और मदद की जरूरत है?
जैसा कि हमने ऊपर भी बताया है कि बच्चे का डरना सामान्य हो सकता है। हां, कुछ स्थितियों में माता-पिता को विशेषज्ञ से मदद लेने की आवश्यकता पड़ सकती है, जिनमें ये शामिल हैं :
- अगर किसी बच्चे का डर बढ़ गया है, तो उसे विशेषज्ञ के पास लेकर जाना चाहिए।
- डर की वजह से बच्चा काफी परेशान रहता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- डर के कारण बच्चे के खान-पान पर असर पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं।
- अगर बच्चा अक्सर रात में डरकर उठ जाता है, तो इस बारे में विशेषज्ञ से बात करें।
- बच्चे में डर के कारण चिंता और तनाव दिखाई दे, तो बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।
यूं तो बच्चों को डर लगना सामान्य है, लेकिन ज्यादा डर लगना समस्या का कारण हो सकता है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे की अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। लेख में बताई गई बातों को ध्यान में रखकर आप बच्चे को उसके डर से निकालने में मदद कर सकते हैं। अगर बच्चे का डर दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, तो आप बिना वक्त गवाए विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
References
1. How serious are common childhood fears By NCBI
2. The Development of Stranger Fear in Infancy and Toddlerhood: Normative Development, Individual Differences, Antecedents, and Outcomes By NCBI
3. Taming the monsters: Helping kids deal with their fears By NCBI
4. Anxiety and fear in children By Better Health
5. Heritability and prevalence of specific fears and phobias in childhood By NCBI
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