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त्रिफला चूर्ण का नाम लगभग हर किसी ने सुना होगा। वहीं, त्रिफला को तीन फलों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें हरड़ और आंवला के अलावा बहेड़ा को भी मिलाया जाता है (1)। हरड़ और आंवला की ही तरह स्वास्थ्य के लिए बहेड़ा के फायदे भी कई सारे हैं। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बहेड़ा के फायदे और नुकसान की संपूर्ण जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। तो बहेड़ा चूर्ण या बहेड़ा पाउडर के उपयोग के तरीके और बहेड़ा के फायदे से जुड़ी जरूरी जानकारियों के लिए लेख से जुड़े रहें।
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बहेड़ा के फायदे और नुकसान को जानने के पहले हम जानते हैं कि बहेड़ा क्या है।
बहेड़ा क्या है? – What is Baheda in Hindi
बहेड़ा को त्रिफला का एक अभिन्न अंग कहें तो गलत नहीं होगा। यह एक अण्डे के आकार का गोल और लम्बाई में 3 सेमी तक का, पीला और मीठा फल होता है। इसका वैज्ञानिक नाम टर्मिनलिया बेलिरिका (Terminalia bellirica) है। इसे भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में पारंपरिक औषधीय जड़ी-बूटियों के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और पारंपरिक चीनी दवा के रूप पारंपरिक तौर से उपयोग किया जाता रहा है (2)। इसमें कई सारे जैसे – एंटी कैंसर, हेपटोप्रोटेक्टिव (लिवर को स्वस्थ रखने वाला), ऐंठन को ठीक करने वाला, उच्च रक्तचाप की समस्या को कम करने वाले गुण मौजूद हैं (3)। आगे हम इनके आधार पर बहेड़ा चूर्ण के फायदे के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं।
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लेख में यहां हम बता रहे हैं सेहत के लिए बहेड़ा के फायदे के बारे में।
बहेड़ा के फायदे – Benefits of Baheda in Hindi
बहेड़ा में मौजूद औषधीय गुण इसे सेहत की कई समस्याओं से बचाव के लिए फायदेमंद बनाते हैं। हालांकि, हम यह पहले ही स्पष्ट कर दें कि बहेड़ा चूर्ण या बहेड़ा पाउडर का उपयोग किसी विशेष बीमारी से बचाव या उनके लक्षणों को कम कर सकता है। इसे किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का उपचार साझने की भूल न करें। तो यहां हम विस्तारपूर्वक जानेंगे बहेड़ा के फल के फायदे के बारे में।
1. दस्त की समस्या में
पेट से जुड़ी आम समस्याओं में से एक है दस्त की समस्या। दस्त होने पर मल सामान्य से बिल्कुल पतला यानी पानी की तरह आता है और मरीज को बार-बार मल त्यागने की जरूरत महसूस होती है। अगर किसी व्यक्ति को एक दिन में तीन या तीन बार से ज्यादा दस्त होते हैं, तो इस स्थिति को डायरिया की समस्या कहा जाता है (4)। ऐसे में, दस्त की इस समस्या में बहेड़ा फायदेमंद हो सकता है। इस विषय पर पांच चिकित्सकों द्वारा 25 रोगियों पर हुए अध्ययन के अनुसार बहेड़ा का उपयोग ई. हिस्टोलिटिका जैसे दस्त से जुड़े बैक्टीरिया के खिलाफ सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
दरअसल रिसर्च में पाया गया कि बहेड़ा फल के अर्क में अमीबासाइडल और बैक्टेरिसाइडल यानी जीवाणुनाशक प्रभाव मौजूद होते हैं। ये प्रभाव दस्त का कारण बनने वाले ई. हिस्टोलिटिका, अमीबा और ई. कोली जैसे बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर दस्त की समस्या में राहत देने का कार्य कर सकते हैं (5)। साथ ही यह एंटी डायरियल गुण प्रदर्शित करता है, जिस कारण यह दस्त की समस्या के जोखिम से बचाव कर सकता है (3)।
2. टाइफाइड की अवस्था में
टाइफाइड एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें दस्त और बुखार आने की समस्या हो सकती है। यह बीमारी साल्मोनेला टाइफी (Salmonella Typhi) नामक बैक्टीरिया की वजह से हाती है (6)। वहीं, बहेड़ा का उपयोग इस बीमारी में फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक टाइफाइड बुखार से बचाव और उपचार के लिए हर्बल उपचार के रूप में बहेड़ा का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, इस विषय में एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में इस बात का जिक्र मिला है कि बहेड़ा में पाया जाने वाला एंटी-साल्मोनेला प्रभाव साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया की वजह से होने वाले टाइफाइड से बचाव या इसकी रोकथाम में लाभदायक हो सकता है (7)। ऐसे में टाइफाइड से बचाव के लिए बहेड़ा को डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
3. मलेरिया के प्रभाव को कम करे
मलेरिया के प्रभाव को कम करने और इसके कारण आने वाले बुखार की स्थिति में भी बहेड़ा फल काफी हद तक फायदेमंद हो सकता है। इस विषय पर त्रिफला यानी की हरड़, आंवला और बहेड़ा पर हुए रिसर्च में पाया गया कि इन तीनों में मौजूद फाइटोकेमिकल्स में एंटीमलेरिया प्रभाव पाया जाता है। यह प्रभाव मलेरिया की समस्या को कुछ हद तक कम करने में लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा तीनों फलों की तुलना में बहेड़ा के अर्क में एंटीप्लाजमोडियल प्रभाव (Antiplasmodial) अधिक पाया गया। यह प्रभाव बुखार और मलेरिया के इलाज के में फासदेमंद हो सकता है (8)।
4. मधुमेह को नियंत्रित करे
रक्त में मौजूद ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर मधुमेह की समस्या हो सकती है (9)। ऐसे में बहेड़ा का उपयोग इस समस्या को नियंत्रित करने में लाभदायक हो सकता है। चूहों पर हुए रिसर्च के अनुसार बहेड़ा के अर्क का उपयोग न सिर्फ मधूमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, बल्कि हाइपरग्लाइसेमिया यानी रक्त में बढ़ते हुए ग्लूकोज के स्तर को 54 प्रतिशत तक कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, बहेड़ा के मेथनॉलिक अर्क में एंटीडायबिटिक प्रभाव होता है, जो मधुमेह की समस्या को कम करने में मददगार हो सकता है (10)।
5. हृदय को स्वस्थ रखे
बहेड़ा के फायदे में हृदय की बीमारी के जोखिम को कम करना भी शामिल है (3)। दरअसल, इसमें कार्डिओप्रोटेक्टिव गुण (ह्रदय रोग के जोखिम को कम करना) है, जिस कारण यह ह्रदय को स्वस्थ रखने में सहायक माना जा सकता है। यह लिपिड (फैट), हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम (LDL) करने में सहायक हो सकता है। साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर में वृद्धि कर सकता है। इसके अलावा, यह एंटी ह्यपरटेंसिव यानी उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने का गुण भी प्रदर्शित कर सकता है (11)। वहीं, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर और उच्च रक्तचाप ह्रदय रोग के जोखिम कारकों में से एक हैं (12)।
6. पेट की समस्या में
पेट में अल्सर और गैस की समस्या पाचन तंत्र को बिगाड़ सकती है। वहीं, बहेड़ा का औषधीय उपयोग पेट से जुड़ी इन समस्याओं से निजाद पाने के लिए किया जा सकता है। दरअसल, बहेड़ा में एंटी-अल्सरोजेनिक और गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। बहेड़ा में पाए जाने वाले यह प्रभाव अल्सर और गैस्टिक की समस्या से राहत दिलाने में मददगार हो सकते हैं (13)। साथ ही हमने पहले ही जानकारी दी है कि इसमें एंटी डायरियल गुण होते हैं, जो पेट खराब की समस्या से राहत दिला सकता है (3)।
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लेख के इस हिस्से में हम आपको बहेड़ा खाने के तरीके के बारे मे जानकारी दे रहे हैं।
बहेड़ा खाने का सही तरीका – How to Use Baheda in Hindi
बहेड़ा का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। यहां हम बहेड़ा का उपयोग और मात्रा के बारे में जानकारी दे रहे हैं (14)।
- माना जाता है कि खांसी की समस्या में बहेड़ा चूर्ण की 10 ग्राम की मात्रा और शहद के साथ भोजन के बाद लेने से खांसी और दमा में आराम मिल सकता है।
- इसका उपयोग त्रिफला में मिलाने के लिए किया जाता है।
- मुंह के छाले के लिए 10 ग्राम बहेड़ा का चूर्ण में एक कप पानी में मिलाकर गरारे करने से फायदा हो सकता है।
- फलों के छिलके को बारीक पीसकर खून बहने वाले स्थानों पर लगाने से यह घाव के रक्तस्राव को तुरंत रोकने में मदद कर सकता है।
- इसके बीज से बना तेल सफेद बालों की समस्या में फायदेमंद हो सकता है।
- पेशाब की पथरी होने पर बहेड़ा पाउडर की 5 ग्राम मात्रा में मूली के रस में मिलाकर पीने से पेशाब के दोष और पथरी दूर हो सकती है।
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लेख में आगे हम जानते हैं बहेड़ा के नुकसान के बारे में।
बहेड़ा के नुकसान – Side Effects of Baheda in Hindi
जहां, एक ओर बहेड़ा के कई फायदे हाते हैं, वहीं इसकी अधिक मात्रा का सेवन कई प्रकार की समस्या का कारण भी बन सकता है। यहां हम बता रहे हैं बहेड़ा के कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं (15) (16)।
- बहेड़ा के अर्क का मौखिक उपयोग पुरुषों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है ।
- गर्भावती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन कराना हानिकारक माना गया है।
- त्रिफला के रूप में इसका गलत तरीके से उपयोग करने पर सिरदर्द, चकत्ते, मतली, गैस्ट्रिक समस्या, जैसे कि पेट फूलना और दस्त, और निर्जलीकरण की परेशानी हो सकती है।
- इसका सेवन रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेने वाले लोगों और दस्त की स्थिति वालों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- गलत तरीके से सेवन करने पर त्रिफला आंतों में बलगम के खंडन का कारण बन सकता है।
- लंबे समय तक इसके उपयोग से आंत के प्राकृतिक बैक्टीरिया (Intestinal flora) सूख भी सकते हैं।
- कुछ स्थितियों में यह दवाओं के असर को भी कम कर सकता है।
त्रिफला का एक अभिन्न अंग बहेड़ा, कई प्रकार से सेहत के लिए सुरक्षित माना गया है। बस इसे लेते समय इसकी मात्रा और लेने के तरीके का ध्यान रखना जरूरी है। बहेड़ा के फायदे पाने के लिए इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। हालांकि, इसका उपयोग आयुर्वेदिक विधि से किया जाता है तो यह समस्या को नियंत्रित करने में थोड़ा समय लगा सकता है। बहेड़ा औषधीय उपयोग करने से होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर को जरूर दिखाएं। स्वस्थ रहें, मस्त रहें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या बहेड़ा को रोज लेना ठीक है?
हां, बहेड़ा का बीज का सेवन औषधी के रूप में डाॅक्टर की सलाह पर रोजाना लिया जा सकता है।
क्या बहेड़ा को खाली पेट ले सकते हैं?
हां, बहेड़ा के पानी को खाली पेट लिया जा सकता है।
बहेड़ा को काम करने में कितना समय लगता है?
बहेड़ा का बीज को काम करने में कितना समय लगता है यह कहना मुश्किल है, क्यांकि यह अलग-अलग बीमारियों पर विभिन्न तरीके से असर कर सकता है। चूंकि, यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसलिए इसे असर दिखाने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।
बहेड़ा चूर्ण के फायदे किस प्रकार से हो सकते हैं?
बहेड़ा चूर्ण में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीडायबिटिक और एंटीकैंसर प्रभाव इसे सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद बनाते हैं (2)।
References
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- Therapeutic Uses of Triphala in Ayurvedic Medicine
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5567597/ - Terminalia bellirica (Gaertn.) roxb. (Bahera) in health and disease: A systematic and comprehensive review
https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0944711320301094 - Pharmacological activities of Baheda (Terminalia bellerica): A review
https://www.phytojournal.com/archives/2016/vol5issue1/PartC/4-4-28.pdf - Diarrhea Also called: Dysentery, The runs, The trots
https://medlineplus.gov/diarrhea.html - CLINICAL EVALUATION OF TERMINALIA BELERICA IN DIARRHOEA
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3331273/pdf/ASL-10-94.pdf - Typhoid fever
https://medlineplus.gov/ency/article/001332.htm - Anti-Salmonella activity of Terminalia belerica: in vitro and in vivo studies
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19245178/ - In vitro and in vivo antiplasmodial activity and cytotoxicity of water extracts of Phyllanthus emblica, Terminalia chebula, and Terminalia bellerica
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21294406/ - Diabetes
https://medlineplus.gov/ency/article/001214.htm - Antidiabetic and antioxidant activity of Terminalia belerica. Roxb
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19382723/ - Ethno and Modern Pharmacological Profile of Baheda (Terminalia bellerica): A Review
http://tpcj.org/download/vol-5-iss-1-2018/TPCJ2018-05-01-153-162.pdf - Heart Diseases Also called: Cardiac diseases
https://medlineplus.gov/heartdiseases.html - Gastric Antiulcerogenic and Hypokinetic Activities of Terminalia fagifolia Mart. & Zucc. (Combretaceae)
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3151381/ - The Significance of Ayurvedic Medicinal Plants
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5871155/
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