Written by , (शिक्षा- एमए इन मास कम्युनिकेशन)

प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग को एक बेहतरीन विकल्प माना जाता रहा है। यही वजह है कि योग की इस अद्भुत क्षमता का दम आज विज्ञान भी मानता है। योग से संबंधित न जाने कितने ही शोध किए गए हैं, जिनमें यह बात प्रमाणित हुई है कि योग के विभिन्न आसनों से कई रोगों से निजात मिल सकती है। योग में शामिल इन्हीं प्रक्रियाओं में से एक है, भस्त्रिका प्राणायाम। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे और इसे करने के तरीके बताएंगे। बस इस बात का ध्यान रखें कि भस्त्रिका प्राणायाम योग का फायदा तभी होगा, जब इसके साथ संतुलित खान-पान व दिनचर्या का पालन किया जाए।

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भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे से पहले समझिए कि भस्त्रिका प्राणायाम योग क्या है

भस्त्रिका प्राणायाम क्या है – What is Bhastrika Pranayama in Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम योग संस्कृत के दो शब्दों के मेल से बना है। पहला शब्द भस्त्रिका है, जिसका अर्थ धौंकनी होता है। मतलब ऐसा उपकरण, जिसका उपयोग लोहार कोयले की आंच को तेज करने के लिए करता है। प्राणायाम का अर्थ है, प्राण वायु को विस्तार देना। अपने नाम के ही मुताबिक योग की इस प्रक्रिया में प्राण वायु यानी श्वास को विस्तार देने के लिए किसी धौंकनी की भांति तेजी से सांस को बाहर छोड़ा जाता है। साथ ही उतनी ही तेजी के साथ सांस को अंदर की ओर भी लिया जाता है (1)।

योग की यह प्रक्रिया शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है (1)। इसके अलावा, स्वस्थ श्वसन तंत्र को जीवन का आधार माना गया है, इसलिए भस्त्रिका प्राणायाम योग प्रक्रिया कई स्वास्थ्य संबंधी विकारों से राहत दिलाने में भी सहायक साबित हो सकती है। नियमित रूप से इसे करने से होने वाले भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे हम नीचे बता रहे हैं।

आगे मुख्य जानकारी है

भस्त्रिका प्राणायाम योग को समझने के बाद अब हम क्रमवार भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे बताएंगे।

भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे – Benefits of Bhastrika Pranayama in Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम को इससे होने वाले फायदों के लिए जाना जाता है। यह व्यक्ति के शरीर और मन दोनों को लाभ पहुंचा सकता है। इसके फायदे में ये शामिल हैं :

1. तीन दोष (वात, पित्त और कफ)

तीन दोष यानी वात, पित्त और कफ से राहत दिलाने में भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे देखे जा सकते हैं। इस संबंध में पब्लिश एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, हमारे शरीर में कफ, पित्त और वात के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। इन तीनों के संतुलित रहने पर व्यक्ति रोगों से बचा रहता है। इसके लिए भस्त्रिका प्राणायाम की मदद ली जा सकती है, क्योंकि यह तीनों दोषों को संतुलित कर सकता है (2)।

2. ब्लड प्रेशर को करे नियंत्रित

भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ में रक्तचाप नियंत्रित रखना भी शामिल है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट द्वारा प्रकाशित एक शोध से भी इस बात की पुष्टि होती है। रिसर्च में कहा गया है कि अगर धीमी श्वास गति के साथ भस्त्रिका प्राणायाम योग का अभ्यास किया जाए, तो इसका सकारात्मक असर ब्लड प्रेशर पर दिखाई देता है। इससे सिस्टोलिक (ऊपर की संख्या) और डाइस्लोटिक (नीचे की संख्या) दोनों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है (3)।

3. हृदय के लिए लाभदायक

भस्त्रिका प्राणायाम योग हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने का काम कर सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, इस योग को करने से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है, जो हृदय रोग के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही इस योग के दौरान होने वाली श्वसन क्रिया हृदय को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च में भी मौजूद है (4)। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बढ़ी हुई हृदय गति को नियंत्रित करने में भी भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ हो सकते हैं।

4. वजन घटाने में सहायक

भस्त्रिका प्राणायाम योग वजन को कम करने में भी मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च की मानें, तो इसके नियमित अभ्यास से फैट बर्न करने में सहायता मिल सकती है। साथ ही यह योग मोटापा कम करने में मदद कर सकता है (2)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे में वजन और चर्बी घटाने में सहायक हो सकता है।

5. तनाव को करे कम

तनाव की स्थिति में भी भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, भस्त्रिका प्राणायाम योग में होने वाली ब्रीदिंग प्रक्रिया से तनाव कम हो सकता है। साथ ही इसे चिंता और मूड बेहतर करने के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में जिन्हें तनाव की शिकायत है, वो भी इससे राहत पाने के भस्त्रिका प्राणायाम कर सकते हैं (6)।

6. श्वसन संबंधी समस्याओं से दिलाए राहत

किसी भी प्राणायाम में श्वसन क्रिया की अहम भूमिका होती है। इसकी मदद से कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है, जिसमें श्वसन संबंधी समस्याएं भी शामिल है। एक शोध के अनुसार, भस्त्रिका प्राणायाम योग के दौरान की जाने वाली ब्रीदिंग से श्वसन क्रिया में सुधार हो सकता है (6)। साथ ही इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और अस्थमा की स्थिति से भी राहत मिल सकती है (2)। ऐसे में कहा जा सकता है कि श्वसन संबंधी कई समस्याओं में भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ हो सकते हैं

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भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे के बाद अब हम भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका बता रहे हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि – How to do Bhastrika Pranayama in Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम एक आसान योग है, जिसे सही प्रशिक्षक की मदद से किया जा सकता है। निम्न बिंदुओं के माध्यम से भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका विस्तार से समझा जा सकता है।

  • सबसे पहले योग मैट बिछाकर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
  • इस दौरान  गला, रीढ़ की हड्डी और सिर बिल्कुल सीधे होने चाहिए।
  • अब यह सुनिश्चित करने के लिए कि अभ्यास करते समय मुंह बिल्कुल भी न खुले, दोनों नाक के छिद्रों से गहरी सांस लें।
  • सांस अंदर लेते समय फेफड़े पूरी तरह से फूलने चाहिए।
  • इसके बाद अब एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों के माध्यम से भरी हुई सांस को छोड़ना होगा।
  • सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाएं।
  • सांस लेने से लेकर छोड़ने तक भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है।
  • शुरुआत में इस प्रक्रिया को धीमे-धीमे करते हुए करीब 10 से 12 चक्र पूरे करें।
  • अभ्यस्त हो जाने के बाद इसके चक्र और चक्रों को पूरा करने की गति अपनी क्षमता के आधार पर बढ़ा सकते हैं।
  • इस योगासन को समाप्त करते समय ध्यान रखें कि धीरे-धीरे चक्र पूरा करने की गति कम करते हुए ही इस अभ्यास को विराम देना चाहिए।

लेख में बने रहें

चलिए, अब जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले कौन-कौन से योगासन करने चाहिए।

भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले कौन सा आसन करें

भस्त्रिका प्राणायाम को आखिर में करने की सलाह दी जाती है, इसलिए इसे करने से पहले शुरुआती अभ्यासक नीचे बताए जा रहे योग कर सकते हैं।

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लेख के अगले हिस्से में हम भस्त्रिका प्राणायाम योग से जुड़ी सावधानियां बता रहे है।

भस्त्रिका प्राणायाम करते समय ध्यान रखें ये बातें –  Important Things to Take Care while doing Bhastrika Pranayama (Bellows Breath) In Hindi

भस्त्रिका प्राणायाम योग का अभ्यास करते समय निम्न बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।

  • इस प्राणायाम को शुरू करने से पूर्व नाक को अच्छी तरह साफ कर लें
  • शुरुआती समय में हमेशा भस्त्रिका प्राणायाम योग को धीमी गति के साथ ही अभ्यास में लाना चाहिए।
  • इसे खाली पेट ही करें, इसलिए इस योग को सुबह के समय करना बेहतर होगा।
  • इस योग को शांत जगह पर करना चाहिए, क्योंकि योग के दौरान मन को शांत रखना होता है।
  • भस्त्रिका प्राणायाम करते समय किसी तरह की परेशानी महसूस होती है, तो इसे करना बंद कर दें।
  • पहली बार भस्त्रिका प्राणायाम करने वालों को योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही इसका अभ्यास करना चाहिए।

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आइए, अब जानते हैं कि भस्त्रिका प्राणायाम को किस स्थिति में नहीं करना चाहिए।

भस्त्रिका प्राणायाम के लिए प्रतिबंध – Restrictions for Bhastrika pranayam

कुछ स्थितियों में भस्त्रिका प्राणायाम करने से बचना चाहिए। उन स्थितियों के बारे में हम नीचे बिंदुओं के माध्यम से बता रहे हैं।

  • फेफड़े, हृदय और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित रोगी को अभ्यास हमेशा धीमी गति के साथ इसे करना चाहिए। अगर समस्या गंभीर है, तो इस प्राणायाम को न करें।
  • गर्भवती को यह योग बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए
  • अगर किसी की हाल ही में सर्जरी हुई है, तो इस योग को न करें।

किसी भी योग को करने के फायदे तभी होते हैं, जब उसे सही तरीके किया जाए। अगर इस योग को सही तरीके से नियमित रूप किया जाए, तो ऊपर बताए गए फायदों के अलावा कई अन्य लाभ भी हो सकते हैं। बस तो अब बिना देर किए इस योग को करना शुरू कर दें। साथ ही भस्त्रिका से जुड़ी सावधानियों पर भी जरूर गौर करें, ताकि इससे किसी तरह का नुकसान न हो। अब भस्त्रिका प्राणायाम से संबंधित कुछ सवालों के जवाब पढ़ लेते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या भस्त्रिका प्राणायाम करना खतरनाक हो सकता है?

जी नहीं, एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए भस्त्रिका प्राणायाम करना खतरनाक नहीं होता है। हां, अगर कोई किसी तरह की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, तो इसे करना नुकसानदायक हो सकता है।

कितनी देर तक भस्त्रिका प्राणायाम कर सकते हैं?

भस्त्रिका प्राणायाम को रोजाना 10 से 15 मिनट तक कुछ सेकंड का विराम लेकर कर सकते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

भस्त्रिका प्राणायाम करने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है।

क्या भस्त्रिका प्राणायाम को रात में किया जा सकता है?

भस्त्रिका प्राणायाम को सुबह या शाम के समय ही करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी को रात में ही भस्त्रिका करने का समय मिलता है, तो खाना खाने के चार घंटे बाद ही इसे करें

क्या भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों के लिए अच्छा होता है?

जी हां, भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों के लिए अच्छा होता है। इसे करने पर फेफड़ों की क्षमता को बढ़ावा मिल सकता है (2)।

क्या लेबर के समय भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ हो सकते हैं?

जी हां, भस्त्रिका प्राणायाम को करने वालों को लेबर यानी प्रसव के दौरान लाभ हो सकते हैं। बस इसे डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

और पढ़े:

References

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  1. Effect of Bhastrika pranayama on pulmonary functions of elderly subjects
    http://www.njppp.com/fulltext/28-1493182637.pdf
  2. AYURVEDIC APPROACH TOWARDS OBESITY – A REVIEW ARTICLE
    http://www.jiarjammu.in/adminpanel/files/1532019127761533.pdf
  3. Immediate effect of slow pace bhastrika pranayama on blood pressure and heart rate
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/19249921/
  4. Effects of Various Prāṇāyāma on Cardiovascular and Autonomic Variables
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5382821/
  5. Effects of Yoga Respiratory Practice (Bhastrika pranayama) on Anxiety, Affect, and Brain Functional Connectivity and Activity: A Randomized Controlled Trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7253694/
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Anuj Joshi
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