Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

स्वास्थ्य के लिए हल्दी का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो शरीर को रोग-मुक्त रखने का काम कर सकती है। वहीं, इसका इस्तेमाल कर बनने वाली हल्दी की चाय भी सेहत के लिए गुणकारी मानी जाती है। दरअसल, इसमें हल्दी के अधिकांश गुण समाहित होते हैं, जिस वजह से इसे हल्दी के सेवन का एक गुणकारी तरीका माना जाता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम हल्दी की चाय के फायदे बताने जा रहे हैं। साथ ही आप यहां हल्दी की चाय बनाने का तरीका और हल्दी की चाय के नुकसान भी जान पाएंगे। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।

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सबसे पहले हम आपको बता रहे हैं कि हल्दी की चाय क्या है।

हल्‍दी की चाय क्‍या है?

हल्दी की चाय सामान्य चाय की तरह ही होती है, लेकिन इसमें चाय पत्ती और चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इनकी जगह पानी, हल्दी, दालचीनी, अदरक, नींबू का रस और शहद का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेदिक सामग्रियों से युक्त यह चाय स्वास्थ्य के लिए कई तरीके से फायदेमंद हो सकती है, जिसके बारे में आगे लेख में बताया गया है।

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यहां हम आपको बता रहे हैं सेहत के लिए हल्दी की चाय के फायदे।

हल्‍दी की चाय के फायदे – Benefits of Turmeric Tea in Hindi

जिस प्रकार सेहत के लिए हल्दी फायदेमंद होती है, ठीक उसी तरह इससे बनने वाली चाय भी फायदेमंद हो सकती है। माना जाता है कि हल्दी की चाय में भी हल्दी के गुण समा जाते हैं। इसी आधार पर हम नीचे हल्दी की चाय के फायदे बताने जा रहे हैं। वहीं, पाठक इस बात का भी खास ध्यान रखें कि हल्दी की चाय नीचे बताई जा रहीं किसी भी शारीरिक समस्या का इलाज नहीं है। ये केवल इनसे बचने और इनके लक्षणों को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है। अब पढ़ें आगे –

1.सूजन को दूर करने के लिए

सूजन को दूर करने में हल्दी की चाय फायदेमंद हो सकती है। इस विषय पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि हल्दी में एक करक्यूमिन नामक कंपाउंड पाया जाता है। करक्यूमिन में एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। हल्दी में मौजूद यह गुण सूजन को दूर करने में मददगार हो सकता है। सूजन कई पुरानी बीमारियों का कारण बन सकती है। इन बीमारियों में अल्जाइमर की समस्या, मिर्गी, मस्तिष्क संबंधी चोट, हृदय रोग, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, अस्थमा की समस्या और गठिया जैसे रोग शामिल हैं (1)। ऐसे में कहा जा सकता है कि हल्दी की चाय का सेवन सूजन संबंधी समस्याओं में फायदेमंद हो सकता है।

2. कैंसर से बचाव के लिए

कैंसर के जोखिम से बचने के लिए हल्दी की चाय का सेवन किया जा सकता है। इस विषय पर हुए शोध से पता चला है कि हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन ट्यूमर सेल्स को कम करके उसके प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है। इसमें एंटीकैंसर गुण मौजूद होते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला यह गुण प्रोस्टेट, कोलन, स्तन, अग्नाशय और मस्तिष्क के कैंसर के जोखिम से बचाव कर सकता है (2)। वहीं, पाठक इस बात का ध्यान रखें कि हल्दी की चाय किसी भी तरीके से कैंसर का इलाज नहीं है। अगर किसी को कैंसर है, तो उस व्यक्ति के लिए डॉक्टरी इलाज ही पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

3. मधुमेह के लिए हल्दी

हल्दी की चाय का सेवन मधुमेह के जोखिम को भी कम करने में सहायक हो सकता है। दरअसल, शोध में पाया गया कि हल्दी के जरूरी घटक करक्यूमिन में मधुमेह की समस्या को कम करने की क्षमता पाई जाती है। करक्यूमिन में पाई जाने वाली इस क्षमता के पीछे इसमें मौजूद एंटीडायबिटिक गुण काम करते हैं। एंटीडायबिटिक गुण रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मददगार हो सकते हैं, जिससे मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे हम यह कह सकते हैं कि मधुमेह की समस्या के दौरान हल्दी की चाय के फायदे हाे सकते हैं (3)।

4. अल्जाइमर में हल्दी के फायदे

अल्जाइमर एक मस्तिष्क संबंधी समस्या है, जिसमें धीरे-धीरे याददाश्त खोने लगती है। इस बीमारी में हल्दी की चाय का सेवन लाभकारी हो सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध से पता चला है कि करक्यूमिन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। करक्यूमिन में पाए जाने वाले ये गुण मस्तिष्क की कार्य क्षमता को सुधारने में मददगार हाे सकते हैं। जिससे अल्जाइमर के दौरान कुछ हद तक फायदा मिल सकता है (4)। इससे हम यह कह सकते हैं कि हल्दी की चाय का सेवन अल्जाइमर की स्थिति सहायक हो सकता है।

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5.रोग-प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए हल्दी

शरीर स्वस्थ हो, उसके लिए रोग-प्रतिरोधक क्षमता का सही होना आवश्यक है। हल्दी की चाय रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो सकती है। दरअसल, एक अध्ययन से पता चला है कि हल्दी का महत्वपूर्ण घटक करक्यूमिन इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट (रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला) की तरह भी काम कर सकता है। यह टी व बी सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) जैसी इम्यून सेल्स की कार्यप्रणाली को बेहतर करने के साथ ही उन्हें सक्रिय करने में भी मदद कर सकता है। जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों से लड़ सकता है (5)।

6. हृदय के लिए हल्दी के फायदे

हल्दी का उपयोग हृदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक हो सकता है। शोध के अनुसार सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण हार्ट फेल होने का जोखिम बढ़ सकता है। यहां हल्दी की चाय के कुछ हद तक फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण घटक करक्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं। ये गुण सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मददगार हो सकते हैं, जिस कारण इसके उपयोग से हृदय रोग के जोखिम को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, करक्यूमिन एक कार्डियोवास्कुलर प्रोटेक्टिव एजेंट (हृदय की सुरक्षा करने वाला) की तरह भी काम कर सकता है (6)।

7. वजन कम करने के लिए हल्दी के लाभ

बढ़ता हुआ वजन मोटापे की समस्या का कारण बन सकता है जिसके कारण कई बीमारियां हो सकती हैं। यहां हल्दी की चाय का सेवन फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इसमें करक्यूमिन पाया जाता है, जो बॉडी मास इंडेक्स (BMI), कमर की चौड़ाई (Waist Circumference) और वजन को कम करने में मदद कर सकता है (7)। हालांकि, वजन कम करने के लिए हल्दी की चाय के सेवन के साथ मोटापा कम करने के लिए योग और सही डाइट भी जरूरी है।

8. यूवाइटिस के लिए

यूवाइटिस आंखों की मध्य परत की सूजन है। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया, तो यह मोतियाबिंद की समस्या, रेटिना एडिमा और दृष्टि की हानि का कारण बन सकती है। यहां हल्दी की चाय का सेवन कुछ हद तक फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, इस विषय में चूहों और खरगोशों के ऊपर किए गए शोध में पाया गया कि हल्दी का जलीय अर्क इस समस्या में फायदेमंदह हाे सकता है। शोध के अनुसार हल्दी के जलीय अर्क में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। ये गुण यूवाइटिस की समस्या के दौरान लाभकारी हो सकते हैं (8)।

9. लिवर डिटॉक्स करने के लिए

लिवर से विषाक्त तत्व निकालने और लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में हल्दी की चाय सहायक हो सकती है। इस विषय पर चूहों पर एक शोध किया गया, जिसे एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और डिटॉक्सिफिकेशन गुण पाए जाते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले ये गुण मरकरी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन, खासतौर पर सी फूड के सेवन के कारण होने वाली लिवर टॉक्सिटी से बचाव में मदद कर सकते हैं (9)। एक अन्य शोध के अनुसार हेपाटोप्रोटेक्टिव गुण, जो कि हल्दी में भी पाए जाते हैं, लिवर से जुड़े जोखिम को कम कर सकते हैं (10)।

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आर्टिकल के इस हिस्से में हम आपको बता रहे हैं हल्दी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।

हल्‍दी की चाय के पौष्टिक तत्व – Turmeric Tea Nutritional Value in Hindi

हल्दी की चाय में पाए जाने वाले गुण हल्दी के कारण ही मिल पाते हैं, इसलिए हम यहां हल्दी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं (11)।

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
पानी12.85 ग्राम
कैलोरी312 kcal
प्रोटीन9.68 ग्राम
फैट3.25 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट67.14 ग्राम
शुगर3.21 ग्राम
फाइबर22.7 ग्राम
कैल्शियम168 मिलीग्राम
आयरन55 मिलीग्राम
मैग्नीशियम208 मिलीग्राम
फास्फोरस299 मिलीग्राम
पोटेशियम2080 मिलीग्राम
सोडियम27 मिलीग्राम
जिंक4.5 मिलीग्राम
कॉपर1.3 मिलीग्राम
मैंगनीज19.8 मिलीग्राम
सेलेनियम6.2 माइक्रोग्राम
विटामिन-सी0.7 मिलीग्राम
थियामिन0.058 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन0.15 मिलीग्राम
नियासिन1.35 मिलीग्राम
विटामिन-बी 60.107 मिलीग्राम
फोलेट20 माइक्रोग्राम
कोलीन49.2 मिलीग्राम
विटामिन- ई4.43 मिलीग्राम
विटामिन- के13.4 माइक्रोग्राम
फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड1.838 ग्राम
फैटी एसिड टोटल मोनोअनसैचुरेटेड0.449 ग्राम
फैटी एसिड टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड0.756 ग्राम

और भी है कुछ खास

अब यहां जानिए हल्दी की चाय बनाने की विधि के बारे में।

हल्‍दी की चाय बनाने की विधि – How to Prepare Turmeric Tea in Hindi

हल्दी की चाय बनाना बहुत ही आसान है। नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो करके हल्दी की चाय आसानी से बनाई जा सकती है।

सामग्री:

  • आधा चम्मच हल्दी
  • 1 कप पानी
  • चुटकी भी काली मिर्च
  • शहद स्वादानुसार
  • कुछ बूंद नींबू के रस की (स्वाद के लिए)

विधि:

● सबसे पहले एक पैन में पानी डालकर गर्म होने के लिए रख दें।
● पानी गर्म होते ही उसमें हल्दी और काली मिर्च डालकर उबाल लें।
● अब इसे किसी कप में छान लें और स्वाद के लिए नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करें।

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जानते हैं हल्दी की चाय पीने का सही समय क्या है।

हल्‍दी की चाय पीने का सही समय – When to Drink Turmeric Tea in Hindi

हल्दी की चाय का सेवन सुबह किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में इसे नाश्ते के साथ भी ले सकते हैं। साथ ही शाम को भी एक प्याला हल्दी की चाय का सेवन कर सकते हैं। दिन भर में दो कप तक हल्दी की चाय का सेवन किया जा सकता है।

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यहां हम जानते हैं हल्दी की चाय पीने के नुकसान के बारे में।

हल्‍दी की चाय के नुकसान – Side Effects of Turmeric Tea in Hindi

जरूरी नहीं कि हल्दी की चाय का सेवन हमेशा ही फायदेमंद रहे। इसका अधिक किया गया सेवन हल्दी की चाय के नुकसान का कारण भी बन सकता है। हालांकि, सीधे तौर पर हल्दी की चाय के नुकसान से जुड़े शोध का अभाव है, लेकिन इसे हल्दी के नुकसान से जोड़कर देखा जा सकता है (4) :

  • अधिक मात्रा में इसके सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अपसेट (जैसे कब्ज और दस्त) सीने में जकड़न, त्वचा पर चकत्ते और त्वचा की सूजन की समस्या हो सकती है।
  • हल्दी की चाय में पाए जाने वाले करक्यूमिन से एलर्जी की समस्या भी हो सकती है।
  • इसकी अधिक मात्रा लीवर टॉक्सिटी का कारण भी बन सकती है।

अब तो आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि हल्दी की चाय का सेवन किस प्रकार स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है। लेख में बताए गए इसके लाभ पाने के लिए आप इसे दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। वहीं, इस बात का भी ध्यान रखें कि इसकी अधिक मात्रा बताए गए हल्दी की चाय के नुकसान का कारण भी बन सकती है, इसलिए इसका सेवन हमेशा संयमित मात्रा में ही करें। वहीं, लेख में हमने हल्दी की चाय बनाने का तरीका भी बताया है, जिसकी मदद से आप घर में ही इसे बना सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। आगे हम पाठकों द्वारा अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दे रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

कितनी बार हल्दी की चाय पी सकते हैं?

एक दिन में एक या दो बार हल्दी वाली चाय का सेवन किया जा सकता है।

क्या रोज हल्दी की चाय पी सकते हैं?

सीमित मात्रा में इसका सेवन रोज किया जा सकता है।

क्या रात को हल्दी वाली चाय पीना ठीक है?

हां रात को सोने के पहले डॉक्टरी परामर्श पर हल्दी की चाय का सेवन किया जा सकता है।

क्या हल्दी मल त्यागने की प्रक्रिया में फायदेमंद हाे सकती है?

हां, हल्दी में प्राकृतिक रूप से लैक्सेटिव गुण पाए जाते हैं (12), जो मल त्यागने को आसान बना सकता है।

रोज हल्दी की चाय पीने से क्या होता है?

सीमित मात्रा में और डॉक्टरी परामर्श पर हल्दी की चाय का रोजाना किया गया सेवन ऊपर बताए गए इसके लाभ प्रदान कर सकता है।

References

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  1. Curcumin: A Review of Its’ Effects on Human Health
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5664031/#:~:text=Research%20suggests%20that%20curcumin%20can,subsequent%20performance%20in%20active%20people.
  2. A Review of Curcumin and Its Derivatives as Anticancer Agents
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6429287/
  3. Antidiabetic Properties of Curcumin II: Evidence from In Vivo Studies
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7019668/#:~:text=Serum%20glucose%20and%20lipid%20levels,and%20liver%20tissues%20were%20reduced.
  4. The effect of curcumin (turmeric) on Alzheimer’s disease: An overview
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2781139/#:~:text=It%20has%20been%20used%20in,functions%20in%20patients%20with%20AD.
  5. Curcumin and tumor immune-editing: resurrecting the immune system
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4603973/#:~:text=Curcumin%3A%20general%20effects%20on%20the,the%20immune%20system%20%5B61%5D.
  6. The effects of curcumin on the prevention of atrial and ventricular arrhythmias and heart failure in patients with unstable angina: A randomized clinical trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6369319/#:~:text=Objective%3A,it%20may%20reduce%20cardiovascular%20complications.
  7. The Effects of Curcumin on Weight Loss Among Patients With Metabolic Syndrome and Related Disorders: A Systematic Review and Meta-Analysis of Randomized Controlled Trials
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6582779/#:~:text=The%20current%20meta%2Danalysis%20indicated,in%20the%20management%20of%20obesity.
  8. Therapeutic potential of curcumin in eye diseases
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6745545/
  9. Detoxification and antioxidant effects of curcumin in rats experimentally exposed to mercury
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/20229497/
  10. Turmeric, the Golden Spice
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK92752/
  11. Spices, turmeric, ground
    https://fdc.nal.usda.gov/fdc-app.html#/food-details/172231/nutrients
  12. Therapeutic Roles of Curcumin: Lessons Learned from Clinical Trials
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3535097/

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