क्या बच्चा खाने में नखरे करता है? ऐसे दें उसे सही आहार और न्यूट्रिशन
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बच्चे हर मामले में नखरेबाज होते हैं। खासकर, बात जब खाने की आती है तो उनके नखरे और बढ़ जाते हैं। खाने में नखरीले बच्चों को फसी या पिकी ईटर भी कहा जाता है। बच्चों में खाने को लेकर नखरे करने की समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो वो शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में यह समझना आवश्यक है कि कैसे पिकी ईटर यानी खाने में नखरे करने वाले बच्चे को सही पोषण दिया जाए। आगे इसी बारे में जानते हैं –
क्या खाने में नखरे की आदत बच्चों को बीमार करती है?
हां, बच्चे लंबे समय तक खाने में आनाकानी करते रहें, तो उन्हें सही पोषण नहीं मिल पाता, जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। दरअसल, जन्म के बाद से शिशु के मस्तिष्क का विकास 8 वर्ष की उम्र – तक तेजी से होता है। बच्चा इसी उम्र में पढ़ने-लिखने, बोलने और कुछ नया सीखने की कला को विकसित करता है।
अगर इस दौरान वो खाने में नखरे करेगा, तो उसे ग्रोथ के लिए जरूरी न्यूट्रिशन नहीं मिल पाएंगे। इससे उसका विकास धीमा या मंद पड़ जाता है। इसी वजह से पिकी ईटिंग की आदत बच्चे को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कमजोर बना सकती है।
बच्चों का खाने में नखरे करने के कारण
ऐसी कई वजह हैं, जो बच्चे को पिकी ईटर बनाती हैं। इनमें कुछ घर-परिवार का माहौल, तो कुछ पेरेंट्स की आदतें भी शामिल हो सकती हैं, जैसेः
- बच्चे को सही उम्र से सॉलिड फूड या फिंगर फूड्स न देना
- बच्चे को सिर्फ एक ही तरह का भोजन खिलाना
- बच्चे में खाते समय मोबाइल फोन या वीडियो गेम की लत होना
- बच्चे का अलग से खाना या अकेले में खाना
- बच्चे में किसी तरह का मानसिक विकार होना
- पेरेंट्स का खुद खाने को लेकर नखरे करना
- घर में जंक फूड का सेवन अधिक होना
- बच्चे को चूसने, निगलने या चबाने में कठिनाई होना
बच्चों में पिकी ईटिंग की समस्या कैसे दूर करें?
अगर बच्चा खाने में आनाकानी करता है, तो पेरेंट्स इन तरीकों से उसे पर्याप्त पोषण दे सकते हैं। इसमें आहार संबंधी बदलाव से लेकर खाना परोसने के अंदाज तक सबकुछ शामिल है।
1. छह माह की उम्र से फिंगर फूड्स देना
छह माह की उम्र के बाद बच्चों के आहार में सॉलिड फूड्स या फिंगर फूड्स को शामिल कर देना चाहिए। सॉलिड फूड के तौर पर उबली व मैश की हुई सब्जियां, फल, दलिया, आदि को शामिल किया जा सकता है। इससे बच्चा न सिर्फ खाना खाने की हेल्दी आदत सीखेंगे, बल्कि पेरेंट्स को बच्चों की पसंद का भी पता चलेगा।
2. आहार को रंग-बिंरगा बनाना
बच्चों को रंग-बिंरगी चीजें जल्दी आकर्षित करती हैं। ऐसे में पेरेंट्स बच्चे की खाने की थाली में रंग-बिरंगी सब्जियों और फलों को शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने से बच्चा खुद ही थाली में रखे खाद्य को खाने के लिए उत्साहित होगा और उन्हें खाना शुरू कर देगा। सभी रंगों के फलों और सब्जियों के साथ हर तरह का स्वाद भी थाली में रखें। जैसे – कुछ मीठी, कुछ नमकीन चीजें, आदि।
3. फेवरेट डिश की तरह परोसें
अगर बच्चे को खाने में पिज्जा पसंद है, तो आप घर की रोटी को पिज्जा के स्टाइल में बच्चे के सामने परोसें। उसमें थोड़ी सब्जियां, मसाले, सॉस लगाकर, पिज्जा के आकार में काट दें। फिर देखें बच्चे कैसे फटाफट रोटी और सब्जियां खाते हैं, जिससे उन्हें जरूरी पोषण मिलता है।
4. खाने के स्वाद, खुशबू व टेक्सचर को बदलें
हो सकता है कि बच्चे को किसी खाने का स्वाद, खुशबू, रंग या टेक्सचर से परेशानी हो। अगर ऐसा है, तो आप उस पौष्टिक खाद्य पदार्थ को किसी दूसरे खाद्य के साथ बनाकर देखें। उदाहरण के तौर पर प्रोटीन से भरपूर क्विनोआ की महक बच्चे को पसंद नहीं होती।
आप उस क्विनोआ में अरहर-मलका की दाल को बराबर मिलाकर पकाएं और कुछ मसाले डाल दें। इसका स्वाद बदल जाएगा। साथ ही आप इस पौष्टिक खाद्य के वैकल्पिक स्रोत भी बच्चे को खिला सकते हैं। अगर बच्चे को कोई खाद्य पदार्थ मैश किया हुआ पसंद न हो, तो उसका टेक्सचर बदलकर पकाएं।
5. हेल्दी ड्रिंक दें
बच्चे के सही शारीरिक व मानसिक विकास में विभिन्न न्यूट्रिशन का अहम योगदान होता है। आप बच्चे को विभिन्न खाद्य पदार्थ के साथ ही हेल्दी ड्रिंक भी दें। आप उसे किसी भी फल या सब्जी का जूस पिला सकती हैं।
इसके अलावा, उनकी डाइट में खासकर बच्चों के लिए बनाए गए आप्टाग्रो को शामिल करें। यह ऐसा हेल्थ ड्रिंक है, जिसे खासतौर पर 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए तैयार किया गया है। इसमें 37 आवश्यक पोषक तत्व हैं, जो बच्चों के शुरुआती शारीरिक पोषण और विकास की नींव को मजबूत बनाते हैं।
6. बच्चे को प्रीबायोटिक्स दें
आर्टिचोक, ओट्स, केले, आदि में प्रीबायोटिक्स होते हैं। ये शरीर में पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में मदद करते हैं। अधिकतर बच्चे इन्हें खाने में नखरे दिखाते हैं, ऐसे में आप दूध. दही में चॉकलेट मिलाकर उन्हें दे सकते हैं। फिर भी बच्चे न खाएं, तो प्रीबायोटिक्स के लिए आप बच्चों को आप्टाग्रो दें। इसके न्यूट्री-एब्जॉर्ब फॉर्मूला में प्रीबायोटिक्स हैं, जो जरूरी न्यूट्रिएंट्स को बच्चे के शरीर में अच्छे से एब्जॉर्ब करेंगे।
आप्टाग्रो के फायदे यही तक सीमित नहीं है। यह हेल्थ ड्रिंक बच्चों के सही कद के लिए प्रोटीन और कैल्शियम की आवश्यकता की पूर्ति भी करता है। यही नहीं, इस हेल्थ ड्रिंक में विटामिन ए, सी, डी और विटामिन ई भी शामिल हैं, जो बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं। इसमें DHA, आयरन, फोलिक एसिड और आयोडिन जैसे मिनरल्स भी मिलते हैं, जो बच्चे के मस्तिष्क विकास में मददगार हैं।
बेशक, खाने में नखरे करने वाले बच्चों को सही पोषण मिलना चुनौती से कम नहीं है। यही कारण है कि पेरेंट्स को बच्चों को साथ बैठाकर खिलाने के साथ ही उसकी डाइट में कुछ ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए, जो न्यूट्रिशन एब्जॉर्बशन में मदद करें।
इसका एक बेहतरीन विकल्प आप्टाग्रो हेल्थ ड्रिंक है। बच्चे को आप अपनी निगरानी में यह ड्रिंक पिलाएं और अन्य स्वस्थ आहार खिलाएं। इससे बच्चे को पोषक तत्व भी मिलेंगे और वो अच्छे से शरीर में अवशोषित भी होंगे।
हां, अगर बच्चे को मानसिक समस्या है या वो गले से संबंधी दिक्कत के कारण खाने में नखरीला है, तो डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
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