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बचपन से लेकर बुढ़ापे तक जीवन में कई पड़ाव आते हैं, जिनमें से सबसे अहम पड़ाव किशोरावस्था है। यह वो समय होता है, जब बच्चे बचपने से निकल कर जीवन की दूसरी सीढ़ी पर पैर रखने के लिए तैयार होते हैं। उनमें मानसिक व शारीरिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास भी होने लगता है। यही वो दौर होता है, जहां से उनके भविष्य की राह तय होती है। इस समय में जरा-सी लापरवाही बच्चे के जीवन की राह बदल देती है। अगर यह कहा जाए कि मनुष्य के जीवन का यह सबसे नाजुक दौर होता है, तो गलत नहीं होगा। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी कई गुणा बढ़ जाती है। इस दौरान युवाओं में किस तरह के परिवर्तन होते हैं और उन्हें कैसे संभाला जाए, मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम इसी बारे में बात करेंगे।

आइए, सबसे पहले जान लेते हैं कि किशोरावस्था होती क्या है।

किशोरावस्था क्या है?

बचपन और वयस्कता के बीच के महत्वपूर्ण समय को ही किशोरावस्था कहा जाता है। बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ते लड़के और लड़कियों में हार्मोन्स की वजह से मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शारीरिक बदलाव होते हैं। यह समय यौवन के आसपास का होता है। इस समय किशोर में सामाजिक क्षमताओं और व्यवहार का विकास होता है। साथ ही किशोरों का मस्तिष्क भी परिपक्वता की ओर बढ़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये बदलाव लगभग 10 से 19 साल के बीच तक जारी रहती हैं (1) (2) (3)

किशोरावस्था के बाद चलिए अब यौवन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में जान लेते हैं।

यौवन कब शुरू होता है?

यौवन जीवन का ऐसा समय होता है, जब लड़का या लड़की यौन रूप से परिपक्व होने लगते हैं। यह ऐसी प्रक्रिया है, जो लड़कियों में 10 से 14 की उम्र और लड़कों में 12 से 16 साल के बीच होती है। इन शारीरिक परिवर्तन के कारण लड़के और लड़कियों में अलग-अलग तरह के प्रभाव देखे जाते हैं (4)

किशोरावस्था क्या है यह तो आप ऊपर जान ही चुके हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके अलग-अलग चरण भी होते हैं। जी हां, उन्हीं चरणों के बारे में आगे विस्तार से बताया जा रहा है।

किशोरावस्था के अलग-अलग चरण

किशोरावस्था के दौरान लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तन कई बार माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाती है। इसलिए, आपको  किशोरावस्था के अलग-अलग चरण के बारे में जानना जरूरी है। हम आपको नीचे किशोरावस्था के दौरान लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तन के बारे में विस्तार से बताएंगे (5) :

किशोरावस्था का प्रारंभिक चरण (10 से 13 की उम्र के बीच)

इस चरण के दौरान लड़के-लड़कियों का विकास तेजी से होने लगता है। शरीर में कई तरह के परिवर्तन नजर आते हैं। इन परिवर्तनों में अंडरआर्म्स और जननांगों के पास बालों का बढ़ना, लड़कियों में स्तन का विकास और लड़कों में अंडकोष का बढ़ना शामिल है। माना जाता है कि यह बदलाव लड़कों की तुलना में लड़कियों में एक-दो साल पहले से शुरू होने लग जाते हैं। इस दौरान कई लड़कियों का मासिक चक्र भी शुरू हो जाता है। वहीं, ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए यौवन की शुरुआत मुश्किल समय हो सकता है। कुछ बच्चे इस समय अपने लिंग पहचान पर भी सवाल उठा सकते हैं।

किशोरावस्था का मध्यम चरण (14 से 17 की उम्र के बीच)

इस दौरान अधिकांश लड़कों का विकास तेजी से होने लगता है और यौवन संबंधी परिवर्तन भी जारी रहते हैं, जैसे – आवाज में बदलाव होना व मुंहासों का आना। वहीं, लड़कियों में शारीरिक परिवर्तन लगभग पूर्ण हो जाते हैं और अधिकांश लड़कियों का मासिक धर्म भी नियमित हो जाता है। इस उम्र में, कई किशोर रोमांस और शारीरिक संबंधों में रुचि लेने लगते हैं। वहींं, किशोर माता-पिता के साथ बहस और तर्क करने लगते हैं, क्योंकि वो परिवार से ज्यादा दोस्तों के साथ समय बिताना और बंदिशों में नहीं रहना चाहते हैं। इन सभी के साथ लड़का और लड़की का मस्तिष्क विकास जारी रहता है।

किशोरावस्था का अंतिम चरण (18 से 21 की उम्र के बीच या उससे अधिक)

आमतौर पर किशोरावस्था के अंतिम चरण तक शारीरिक विकास पूरा हो जाता है। वयस्कता की ओर बढ़ रहे अंतिम चरण के किशोर अपने व्यक्तित्व और अपनी अहमियत को बखूबी समझने लगते हैं। वो अपने भविष्य पर ध्यान देने के साथ ही अपने आदर्शों को आधार बनाकर ही फैसला लेते हैं। इस दौर में दोस्ती और प्यार जैसे रिश्ते स्थिर होते जाते हैं। कुछ लड़के-लड़कियां भावनात्मक और शारीरिक रूप से अपने परिवार से अलग हो जाते हैं। हालांकि, कई अपने माता-पिता के साथ एक नए रिश्ते को फिर से स्थापित करते हैं।

आइए, अब किशोरावस्था के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जान लेते हैं।

किशोरावस्था में होने वाले सामान्य शारीरिक परिवर्तन

अब हम आपको किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों में होने वाले सामान्य परिवर्तन के बारे में बताएंगे। इसके बाद नीचे विस्तार से लड़कियों और लड़कों में होने वाले बदलावों पर भी चर्चा करेंगे (4)

  • आपके चेहरे और शरीर पर मुंहासे हो सकते हैं।
  • पसीना अधिक आने लगता है और शरीर से पसीने की दुर्गंध भी आ सकती है।
  • आर्मपिट में बाल उगने लगते हैं।
  • जननांगों के आसपास बाल उगने लगते हैं – इसे प्यूबिक हेयर भी कहा जाता है।
  • बाहों और पैरों में बाल उग सकते हैं और बाल अधिक गहरे होने लगते हैं।
  • आपको अपने पैरों और हाथों में कुछ दर्द भी महसूस हो सकता है।

नीचे हम जानेंगे लड़कियों का शरीर इस दौरान किस तरह से बदलता है।

लड़कियों में किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन

लड़कियों में किशोरावस्था के दौरान तेजी से परिवर्तन होता है। इस अवस्था में उनके शरीर में होने वाले बदलाव कुछ इस प्रकार हैं (6) (7):

  • लड़कियों के स्तन विकसित होने लगते हैं। यह एक तरीके से संकेत होता है कि यौवन शुरू हो रहा है।
  • 12 से 18 साल के बीच लड़कियों के स्तन पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं।
  • बाएं और दाएं दोनों स्तनों का विकास अलग-अलग आकार में हो सकता है।
  • इस दौरान सॉफ्ट क्रॉप टॉप या स्पोर्ट्स ब्रा का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है।
  • लड़कियां इस दौरान लंबी होती हैं और उनके शरीर के कुछ अंग- जैसे हाथ, सिर और चेहरा अन्य अंगों के मुकाबले तेजी से बढ़ सकते हैं।
  • लगभग 16-17 साल बाद लड़कियों का कद बढ़ना बंद हो जाता है।
  • लड़कियों के शरीर का आकार भी बदलने लगता है, जैसे उनकी कमर और कुल्हे चौड़े होने लगते हैं।
  • इस दौरान गुप्तांगों के बाल भी बढ़ने लगते हैं।

लड़कों के लिए भी किशोरावस्था काफी कुछ नया लेकर आता है। जानते हैं कि लड़के किस तरह के शारीरिक परिवर्तन से गुजरते हैं।

लड़कों में किशोरावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन

लड़कियों की तरह ही लड़कों का भी किशोरावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन होने लग जाता है, जो इस प्रकार है (6) :

  • 12 साल की उम्र से बगल, पैर, छाती और चेहरे के बाल भी बढ़ने शुरू हो जाते हैं।
  • लड़कों का अंडकोष बढ़ने लगता है और लिंग का भी विकास होता है।
  • लड़कों की आवाज भी बदलने लगती है।
  • लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत की तरह लड़कों में यौवन से संबंधित अचानक कुछ नहीं होता, लेकिन, लड़कों में नाइटफॉल व स्वप्न दोष का होना यौवन की शुरुआत माना जाता है।
  • नाइटफॉल आमतौर पर 13 से 17 साल की उम्र के बीच शुरू होता है।
  • 17 या 18 साल की उम्र तक, लड़कों के गुप्तांग का भी पूरी तरह विकास हो जाता है।
  • लड़कों का विकास 13 वर्ष की आयु के आसपास तेज गति से होता है और 18 साल तक पहुंचे-पहुंचे यह धीमी हो जाता है।
  • लड़कों का कद बढ़ने के साथ ही उनकी छाती और कंधे भी चौड़े हो जाते हैं।
  • इस दौरान लड़के 10-30 सेमी बढ़ते हैं। लगभग 18-20 साल के बाद यह प्रक्रिया रुक जाती है।
  • लड़कों के स्तनों में हल्का विकास होना आम बात है। अगर ये सामान्य लग रहे हैं, तो घबराएं नहीं, इनका विकास थोड़े समय बाद रुक जाता है।
  • युवाओं में इस दौरान टेस्टोस्टेरोन (सेक्स हार्मोन) का उत्पादन अधिक होने लगता है, जो शुक्राणुओं (स्पर्म) का उत्पादन करते हैं।

किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तन के बाद चलिए, बात करते हैं इनमें होने वाले मनोवैज्ञानिक परिवर्तन के बारे में।

किशोरावस्था में होने वाले मनोवैज्ञानिक परिवर्तन | Kishoravastha Me Hone Wale Mansik Parivartan

किशोरावस्था में अक्सर आपकी बातों को मानने और समझने वाले अच्छे स्वभाव के आपके बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव आता है। जी हां, क्योंकि यह समय होता ही ऐसा है। इस दौरान बच्चे मनोवैज्ञानिक बदलाव से गुजर रहे होते हैं। मनोवैज्ञानिक परिवर्तन की वजह से गुस्सा करना और विद्रोह करने जैसे बदलाव आपके बच्चों में नजर आ सकते हैं (8) (9)

  • साइकोलॉजिकल बदलाव हार्मोनल और न्यूरोडेवलपमेंटल परिवर्तनों से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण सामाजिक और भावनात्मक परिवर्तन होते हैं।
  • इसके साथ ही बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
  • किशोरों में इस दौरान तार्किक व नैतिक सोच मजबूत होती है।
  • वो तर्कशील होने लगते हैं।
  • सामान्य सोच में बदलाव होता है।
  • तर्कसंगत निर्णय लेने में सक्षम होने लगते हैं।

आइए, अब एक नजर किशोरावस्था में होने वाले सामाजिक परिवर्तन पर डाल लेते हैं।

किशोरावस्था में सामाजिक परिवर्तन

किशोरावस्था के दौरान युवा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ ही समाजिक परिवर्तन से भी गुजरते हैं। इन्हीं सामाजिक परिवर्तन के बारे में नीचे बताया गया है (9) :

  • युवा खुद में हो रहे बदलावों को समझने के साथ ही आत्म-परिचय की कोशिश करते हैं।
  • लोगों की राय को लेकर चिंतित होते हैं, खासकर अपने दोस्तों की राय से प्रभावित होते हैं।
  • स्वतंत्रता और जिम्मेदारी की चाहत बढ़ती है।
  • अपने फैसलों, भावनाओं और कार्यों को दृढ़तापूर्वक करते हैं।
  • माता-पिता के नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश करते हैं।
  • ‘सही’ और ‘गलत’ के बारे में अधिक सोचने लगते हैं।
  • इंटरनेट, मोबाइल और सोशल मीडिया से प्रभावित होते हैं।

किशोरावस्था में भावनात्मक परिवर्तन

हार्मोन में होने वाले बदलावों की वजह से युवाओं को कई तरह के भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। इन बदलावों के बारे में हम नीचे विस्तार से बात करेंगे (10) (11)

  • मूड स्विंग
  • प्राइवेसी की मांग
  • भविष्य की चिंता
  • भवानाओं में बहना
  • दोस्तों के साथ रिश्ते और माता-पिता व स्कूल की अपेक्षाओं की वजह से तनावपूर्ण में आना।

आर्टिकल के इस अंतिम भाग में माता-पिता के लिए जरूरी टिप्स दिए गए हैं। इसलिए, आप आर्टिकल का यह हिस्सा जरूर ध्यान से पढ़ें।

किशोरावस्था में अपने बच्चों की मदद कैसे करें और काम के टिप्स

किशोरावस्था के दौरान बच्चों और उनके माता-पिता व परिवार के रिश्तों में परिवर्तन आने लगता है। वो अपने दोस्तों के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करते हैं और परिवार से कटने लगते हैं। ऐसे में नीचे दिए गए कुछ टिप्स आपको अपने बच्चों की मदद करने में सहायक साबित हो सकते हैं (5) (6)

  • युवाओं को समझाएं कि शारीरिक परिवर्तन और कामुकता की भावना का होना इस समय सामान्य है। उन्हें इतना सहज महसूस कराएं कि वो आपसे किशोरावस्था से जुडे़ सवाल करने से हिचके न।
  • किशोरावस्था में हो रहे शारीरिक बदलावों को लेकर बच्चों को चिढ़ाएं नहीं और न ही शर्मिंदगी महसूस कराएं।
  • अपने बच्चों के साथ सकारात्मक बातचीत करते रहें।
  • महत्वपूर्ण विषय जैसे- रिश्तों, कामुकता, शारीरिक संबंध, इससे संबंधित सहमति और सुरक्षा के बारे में खुलकर बातचीत करें।
  • यही समय है जब उनके साथ संबंध स्थापित करने (संभोग) से होने वाले संक्रमण और गर्भावस्था के बारे में सहज तरीके से खुलकर बात की जाए।
  • उनका सहयोग करने के साथ ही कुछ सीमाएं भी निर्धारित करें, जैसे – कितना समय पढ़ाई के लिए देना है, कितना दोस्तों को, कितना परिवार को और किस तरीके से व्यवहार करना है।
  • युवाओं की स्वतंत्रता और व्यक्तित्व का सम्मान करें। साथ ही उन्हें यह भी एहसास दिलाएं कि जरूरत पड़ने पर आप हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।
  • किशोरों को अक्सर इस समय गोपनीयता की आवश्यकता होती है। ऐसे में उन्हें अलग कमरा या निजी स्थान देने की कोशिश करें।

किशोरावस्था से संबंधित सभी जानकारी आपको इस लेख के माध्यम से मिल ही गई होगी। तो बस अपने बच्चों के जीवन के इस सुनहरे पड़ाव में उनके साथ खड़े रहें और हर कदम में उनका सहयोग करें। बच्चे खुद में हो रहे बदलावों को स्वीकार कर सकें, इसके लिए आपको उनसे खुलकर बातचीत करनी चाहिए। लेख में दिए गए टिप्स के माध्यम से आप अपने बच्चे के जीवन के इस अहम पड़ाव में हो रहे बदलावों को आसान बना सकते हैं। किशोरावस्था आत्मचिन्तन के लिए सबसे उचित समय है, इसलिए हमारी राय यही है कि अपने बच्चों को उनके जीवन का लक्ष्य तय करने मे सहायता

References

1. Age limit and adolescents By NCBI
2. What Is Adolescence? By NCBI
3. The Development of Adolescent Social Cognition By NCBI
4. Puberty By Medline plus
5. Stages of Adolescence By American Academy of Pediatrics
6. Adolescent Development By Medline plus
7. Breast Changes By Girls Health
8. Psychology of Adolescent By NCBI
9. Adolescence : Psychological and Social Changes By WHO
10. Changes – Helping Your Child Through Early Adolescence By US Department of Education
11. Emotional Development By US Department of Health and Human Services

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