मेनिंगोकोकल वैक्सीन आपके बच्चे के लिए जरूरी क्यों है?
हर माता–पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चे को मेनिंगोकोकल वैक्सीन जरूर लगवाएं। अब आप कहेंगे कि इसकी क्या जरूरत है, तो इसे समझाने के लिए मैं आपबीती आपके साथ शेयर करती हूं। जब मेरा बच्चा करीब 10 महीने का था, तो एक रोज मैंने चेक किया कि उसे तेज बुखार है। हालांकि, लक्षण सारे सामान्य सर्दी–जुकाम के थे, लेकिन बेचैनी उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। मैं तुरंत उसे बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले गई। मैं अपना नंबर आने का इंतजार कर ही रही थी कि मैंने देखा कि बगल में मेज पर पैम्फलेट पड़ा है। उसमें मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस बीमारी के बारे में बताया गया था। मैं यह पढ़कर हैरान थी कि उस बीमारी के जो लक्षण उस पैम्फलेट में बताए गए थे, ठीक वैसे ही लक्षण मेरे बच्चे में भी दिख रहे थे। साथ ही मैंने पढ़ा कि मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस एक जानलेवा बीमारी है। यह पढ़कर मैं बहुत डरा गई थी।
मैं मन ही मन सोचने लगी कि मैंने इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए अपने बच्चे को टीका नहीं लगवाया है। कहीं मेरा बच्चा भी इस घातक बीमारी की चपेट में तो नहीं आ गया। बाद में जब मेरी बारी आई, तो डॉक्टर ने मेरे बच्चे की जांच करके बताया कि उसे सामान्य सर्दी–जुकाम है। यह सुनकर मेरी जान में जान आई। फिर बच्चे के ठीक होते ही मैंने उसे मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस का इंजेक्शन लगवाया, ताकि यह बीमारी कभी मेरे बच्चे के आसपास भी न फटके।
आज भी उस दिन को याद करके मेरा दिल घबरा जाता है, क्योंकि मेनिनजाइटिस के लक्षण सामान्य सर्दी–जुकाम और बुखार के जैसे ही हैं, जिन्हें पहचानना और सही समय पर इलाज कराना काफी मुश्किल है। यही कारण है कि जो मैंने महसूस कि वो आप सभी के साथ शेयर कर रही हूं, ताकि आप भी अपने बच्चे को इस घातक बीमारी के प्रकोप से बचा सकें।
मेनिंगोकोकल कांजुगेट वैक्सीन (एमसीवी) ऐसा इंजेक्शन है, जो मेनिनजाइटिस के जोखिमों को बढ़ाने वाले तीन में एक बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता रखता है। मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस एक घातक और जानलेवा बीमारी है और यह पहला लक्षण दिखने के 24 घंटों के भीतर बच्चे की जान ले सकती है। वहीं, अगर बच्चे का समय रहते इलाज कर भी दिया जाए, तो कुछ मामलों में उसे जिंदगी भर के लिए विकलांगता के साथ जीना पड़ सकता है।
इस बारे में बताने का एक कारण यह भी ही कि आप इस बीमारी के बारे में अच्छे से जान लें, क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद होने वाले टीकाकरण में इस इंजेक्शन को शामिल नहीं किया गया है। दरअसल, भारत में इस बीमारी के अभी तक बहुत कम ही मामले सामने आए हैं। यही कारण है कि इस विषय पर अधिक जोर नहीं दिया गया है, लेकिन यहां सवाल आपके बच्चे की जिंदगी का है। इसलिए, आपको इस गंभीर बीमारी से अपने बच्चे को सुरक्षित रखना है या नहीं, यह आपको ही तय करना होगा।
मेनिनजाइटिस क्या है?
दिमाग और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाली परत में जब किसी कारण सूजन आ जाती है, तो इसे मेनिनजाइटिस कहा जाता है। दरअसल, दिमाग और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर तरल पदार्थ पाया जाता है। इस तरल में जब वायरस या बैक्टीरिया के कारण इन्फेक्शन होता है, तो यह मेनिनजाइटिस को जन्म देता है। वहीं, कुछ मामलों में कुछ विशेष दवाओं के उपयोग, चोट या कैंसर के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।
मेनिनजाइटिस के प्रकार
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस– दिमाग की ऊपरी परत में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण आने वाली सूजन को बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस कहा जाता है। इसमें इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। निसेरिया मेनिंगिटिडिस, स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी) बैक्टीरिया इसके होने के आम कारणों में से एक हैं। इन सभी से बचाव के टीके उपलब्ध हैं, जिन्हें समय रहते लगवा कर आप बच्चे को इस बीमारी से दूर रख सकते हैं।
वायरल मेनिनजाइटिस– यह मेनिनजाइटिस का एक आम कारण है। मेनिनजाइटिस के इस प्रकार में खतरे की आशंका काफी कम होती है। वहीं, रोगी इस बीमारी से बिना किसी गंभीर नुकसान के कुछ समय में ठीक हो सकता है। हो सकता है कि पूरी तरह से ठीक होने में कुछ हफ्ते या महीने लग जाएं। मेनिनजाइटिस पैदा करने वाले वायरस में एंटरोवायरस (जो आमतौर पर जुकाम और गले में खराश का कारण होता है) और मम्प्स वायरस शामिल हैं। इस तरह के मेनिनजाइटिस के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं हैं।
मेनिनजाइटिस के लक्षण
मेनिनजाइटिस एक जानलेवा बीमारी है, जो संक्रमण से प्रभावित पांच में किसी एक को अपना शिकार बनाती है। इस बीमारी से प्रभावित कुछ लोगोंं को जीवनभर कई परेशानियों जैसे:- बालों का झड़ना, दिमागी विकार और तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम में विकार का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी परेशानी है, इस बीमारी का सही से पता लगा पाना। इसकी वजह यह है कि शुरुआती दौर में मेनिनजाइटिस के लक्षण आम वायरल इन्फेक्शन जैसे होते हैं। वहीं, व्यक्तियों की उम्र, प्रतिरक्षा प्रणाली और रिएक्शन के हिसाब से इसके लक्षण अगल–अलग हो सकते हैं।
शुरुआती दौर में दिखने वाले मेनिनजाइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
- अस्वस्थ महसूस करना
- हल्का सिरदर्द बना रहना
- गर्दन में अकड़न
- उल्टी या मतली
- चटक रोशनी में असहज महसूस होना
- आलस और जागने में परेशानी होना
- जोड़ों में दर्द
- हर समय उलझन और अन्य मानसिक बदलाव
किन लोगों को मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस होने का खतरा अधिक होता है?
आमतौर पर बच्चों को मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसका कारण यह है कि उनका प्रतिरक्षा तंत्र बहुत कमजोर होता है। इस वजह से वो आसानी से बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन की चपेट में आ जाते हैं। वहीं, दूसरी बड़ी वजह यह है कि बच्चे अपनी परेशानी ठीक तरह से बता नहीं पाते, जिससे बीमारी का सही समय पर पता लगाना मुश्किल होता है और सही इलाज में देर हो जाती है।
बच्चे को मेनिंगोकोकल वैक्सीन लगवाने की सही उम्र क्या है?
अपने बच्चे को जितना जल्दी हो सके यह टीका जरूर लगवाएं। इसलिए, अगली बार जब आप डॉक्टर के पास जाएं, तो इस इंजेक्शन को लगवाने की सही उम्र के बारी में जरूर पूछें।
मेनिंगोकोकल वैक्सीन के दुष्प्रभाव क्या हैं?
कुछ विशेष स्थितियों में मेनिंगोकोकल वैक्सीन के दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, ऐसा महसूस होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- बुखार, सिरदर्द, मतली–उल्टी, डायरिया
- इंजेक्शन वाले स्थान पर सूजन या लाल रंग का दिखना
मेरा बच्चा पोषक आहार लेता है, क्या इसके बाजवूद उसे मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस हो सकता है?
बेशक, आपका बच्चा पौष्टिक आहार लेता है, लेकिन उसके इस बीमारी की चपेट में आने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए, वो आसानी से किसी भी तरह के इन्फेक्शन की चपेट में आ सकते हैं। वहीं, वो कई सार्वजनिक स्थानों जैसे:- स्कूल और पार्क में भी जाते हैं। ऐसे में उनके संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा, बच्चे एक–दूसरे की पानी की बोतल भी इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में भी उन्हें संक्रमण होने का खतरा रहता है। बता दें कि मेनिनजाइटिस एक संक्रामक बीमारी है, जो छींकने और खांसने पर फैल सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि सही समय पर इससे संबंधित टीकाकरण करा लिया जाए।
अगर मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस एक घातक बीमारी है, तो यह राष्ट्रीय वैक्सीन कार्यक्रम में आधिकारिक रूप से शामिल क्यों नहीं है?
भारत में अभी इस बीमारी के बहुत ही कम मामले सामने आएं है, जो तकरीबन न के बराबर हैं। इस कारण इसे राष्ट्रीय वैक्सीन कार्यक्रम में अभी शामिल नहीं किया गया है। ध्यान रहे कि कम मामले सामने आने का मतलब यह नहीं है कि यह बीमारी घातक नहीं है। यह एक घातक बीमारी है, जो पहला लक्षण दिखने के 24 घंटों के भीतर जान तक ले सकती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017 में इस बीमारी के करीब 3251 मामले सामने आए थे, जिनमें से करीब 205 मामले जानलेवा साबित हुए। इस रिपोर्ट में बताए गए आंकड़ों को देखकर आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि इस बीमारी से बचाव के लिए बच्चे का टीकाकरण कितना जरूरी है।
एक अभिभावक के तौर पर अपने बच्चे की देखभाल आपकी सबसे पहली जिम्मेदारी है। आपके बच्चे के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है, यह आपसे बेहतर कौन जान सकता है। हम बस आपको यह बताना चाह रहे हैं कि यह एक जानलेवा बीमारी है और आपकी जिम्मेदारी है कि आप इस बीमारी से अपने बच्चे को सुरक्षित रखें।
वैधानिक सूचना : इस ब्लॉग में बताए गए विचार पूरी तरह से ब्लॉगर के स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं। इन्हें मेनिनजाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने की पहल सनोफी पेस्ट्यूर इंडिया ने की है, लेकिन लेख में शामिल किए गए विचारों से उनका कोई संबंध नहीं है। वहीं, समय के साथ रिसर्च और शोध के आधार पर इस बीमारी से संबंधित जानकारी के विषय में बदलाव भी संभव है। इसलिए, लेख में भिन्नता मिलने पर ब्लॉग व लेखक इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। ऐसे में इस लेख को महज विषय और जानकारी के आधार पर लें। साथ ही कोई भी कदम उठाने से पूर्व एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। हमारा उद्देश्य केवल इस बीमारी के प्रति आपको जागरूक करना है।
Author: Mitha
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