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मिर्गी से अधिकतर लोग भली-भांति परिचित होंगे, लेकिन इससे कैसे निपटा जाए, इसके बारे में शायद कम लोगों को ही पता हो। इसकी गिनती गंभीर मस्तिष्क विकारों में होती है, जो किसी को भी कभी भी अपना शिकार बना सकती है। हालांकि, इसके उपचार के कई आधुनिक विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इनके दुष्परिणाम इस समस्या को और भी जटिल बना सकते हैं। ऐसे में मिर्गी से बचने और इसके उपचार के लिए योग एक सटीक और सुरक्षित विकल्प साबित हो सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में मिर्गी के लिए योगासन और मिर्गी से बचने के लिए योग किस प्रकार सहायता करता है, इसकी आवश्यक जानकारी दी जा रही है।
शुरू करते हैं लेख
सबसे पहले जानते हैं कि योग किस प्रकार मिर्गी में लाभदायक है।
मिर्गी में कैसे लाभदायक है योग – How Does Yoga Help with Epilepsy in Hindi
मिर्गी एक घातक मस्तिष्क विकार है, जिसमें व्यक्ति की नर्व सेल्स प्रभावित होती हैं और व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं। मिर्गी के दौरे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करते हैं (1), (2)। इसलिए, इसका उपचार करना जरूरी हो जाता है।
आधुनिक दवाइयों से अलग, योग भी मिर्गी से बचाव का एक कारगर तरीका हो सकता है। योग में कई ऐसे आसन हैं, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार और उसे सही से काम करने में मदद कर मिर्गी से निपटने में सहायक साबित हो सकते हैं। साथ ही योग, स्ट्रेस जैसे मिर्गी के कारणों को भी ठीक कर मिर्गी से बचाव कर सकता है (3)।
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आइए नीचे जानते हैं, मिर्गी के लिए योगासन के बारे में।
मिर्गी के लिए योगासन – Yoga for Epilepsy in Hindi
मिर्गी के लिए किए जाने वाले योगासन और उसकी विधि के बारे में आपको सटीक जानकारी बिंदुवत रूप में नीचे बताई जा रही है।
1. उत्तानासन
उत्तानासन के जरिए मिर्गी की समस्या से बचा जा सकता है। दरअसल, एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह बताया गया कि उत्तानासन के जरिए मेंटल स्ट्रेस कम होता है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि मिर्गी के प्रमुख कारण में स्ट्रेस भी शामिल है। इसलिए, स्ट्रेस को ठीक करके मिर्गी की समस्या से बचा जा सकता है (4)। नीचे जानिए कैसे करें उत्तनासन-
कैसे करें :
- सबसे पहले समतल जगह पर योग मैट बिछा लें।
- अब सावधान की मुद्रा में खड़े हो जाएं।
- अब अपने हाथों को ऊपर की तरफ ले जाएं।
- अब हाथों को बिना मोड़े, सामने की तरफ झुकें।
- फिर दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठों को छूने का प्रयास करें। ध्यान रहे घुटने बिलकुल भी न मुड़ें।
- अपनी क्षमता अनुसार अपने सिर को घुटनों के पास ले जाएं।
- जब इतनी प्रक्रिया को आसानी से कर लें, तब अपने हाथों को पैरों के पीछे की ओर ले जाकर ऐड़ी के ऊपरी हिस्से को पकड़ने की कोशिश करें।
- अब इस मुद्रा में कुछ देर बने रहने का प्रयास करें।
- फिर धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- इस चक्र को 4-5 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर कोई घुटने या पीठ दर्द की समस्या से परेशान है, तो इस योग को करने से बचें।
- ध्यान रहे कि खाना खाने के तुरंत बाद इस योग को न करें।
2. मत्स्यासन
इस योगासन में शरीर की मुद्रा कुछ मछली की जैसी होती है। मत्स्यासन योगासन के जरिए स्ट्रेस कम करने में मदद मिल सकती है। बता दें कि मिर्गी के मरीजों में तनाव की स्थिति दौरे का कारण बन सकती है (5)। ऐसे में माना जा सकता है कि स्ट्रेस को कम कर मिर्गी के दौरे के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
कैसे करें :
- सबसे पहले फर्श पर योग मैट बिछा लें।
- अब पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब धीरे-धीरे पीछे की और झुकें और पीठ के बल लेट जाएं।
- फिर दाएं (Right) हाथ से बाएं (Left) पैर को पकड़ें और बाएं हाथ से दाएं पैर को पकड़ें।
- इसके बाद गहरी सांस लेते हुए सीने को उठाने की कोशिश करें, ध्यान रहे कि इस दौरान सिर जमीन से लगा हुआ होना चाहिए।
- अब इस मुद्रा में कुछ सेकंड तक बने रहने का प्रयास करें।
- अब सांस छोड़ते हुए अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं।
- इस योग चक्र को 2-3 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- रीढ़ की बीमारी से ग्रसित और गर्भवती महिलाएं इस योगासन को करने से बचें।
3. बालासन
इसे चाइल्ड पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने के लाभ भी मिर्गी के खतरे से बचा सकते हैं। दरअसल, दौरे तब पड़ते हैं, जब नर्व सेल (तंत्रिका कोशिकाएं) या न्यूरॉन्स गलत संकेत भेजते हैं (1)। जबकि, बालासन योग के जरिए सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम की कार्य प्रणाली में सुधार हो सकता है, जो मिर्गी रोकने में सहायता कर सकता है (6)।
कैसे करें :
- सबसे पहले एक समतल जगह पर योग मैट बिछा लें।
- अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं।
- ध्यान रहे कि कूल्हों को एड़ियों पर ही रखना है।
- अब आगे की ओर झुक कर माथे को जमीन पर लगाने की कोशिश करें।
- अब अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर उठाते हुए जमीन पर रखें।
- इस दौरान हथेली जमीन से चिपकी हुई होगी।
- अब धीरे से सीने पर जांघों के जरिए दबाव दें।
- अब अपनी क्षमतानुसार कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।
- अब धीरे-धीरे उठकर सामान्य स्थिति में बैठ जाएं।
- इस योग चक्र को करीब 3-5 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- पेट का ऑपरेशन हुआ हो, तो इस योग को न करें।
- गर्भवती महिलाएं भी इस योग को करने से दूर रहें।
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4. कपोतासन
इसे कबूतर मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। कपोतासन करने के फायदे भी मिर्गी के लिए देखे गए हैं। दरअसल, जन्म के समय से ही चयापचय क्रिया में उत्पन्न दोष को भी मिर्गी होने का एक प्रमुख कारण माना जाता है (7)। जबकि, कपोतासन चयापचय दर में सुधार का काम कर सकता है, जिससे मिर्गी होने के खतरे को रोकने में मदद मिल सकती है (8)। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
कैसे करें :
- सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
- इसके बाद घुटने के बल खड़े हो जाएं।
- अब अपने हाथों को सामने की ओर से ऊपर उठाकर शरीर को वक्र का आकार देते हुए पीछे की ओर ले जाएं और अपनी
- हथेलियों को जमीन से टिका दें।
- इस स्थिति में हथेलियां जमीन से चिपकी हुई होगी और शरीर वक्र की स्थिति में होगा।
- अब इसी मुद्रा में रहते हुए अपने सिर को एड़ियों के बीच रखने की कोशिश करें।
- अब अपने दोनों हाथों से पैरों की एड़ियों को पकड़ें।
- अपनी क्षमतानुसार इस मुद्रा में कुछ देर बने रहें।
- अब धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- इस चक्र को दो से तीन बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- योग प्रशिक्षक की देखरेख के बिना इस योग को करने से बचें।
- रीढ़ की समस्या से परेशान लोग इस योग को न करें।
5. पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन एक ऐसा योगासन है, जिसे पीठ के बल लेटकर किया जाता है। यह आसन मिर्गी में लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एक वैज्ञानिक अध्ययन में स्ट्रेस को मिर्गी के मरीजों में दौरे का एक कारण माना गया है (5)। वहीं, एक अध्ययन के अनुसार पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे मिर्गी के दौरों से बचाव हो सकता है (9)।
कैसे करें :
- सबसे पहले एक समतल जगह पर योग मैट बिछा लें।
- अपनी पीठ के बल लेट जाएं और पैरों की बीच की दूरी को कम करें।
- अब गहरी सांस लें और पैरों को उठाकर घुटनों से मोड़ लें।
- अब आप अपनी बाहों से घुटनों को कस कर पकड़ लें।
- अब सांस छोड़ते हुए, घुटनोंं को सीने के पास लाने की कोशिश करें।
- अब सिर को उठाएं और घुटनों को ठोड़ी (Chin) से स्पर्श कराने का प्रयास करें।
- इस मुद्रा में कुछ देर रहें।
- अब धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- इस योग चक्र को 3-5 बार किया जा सकता है।
सावधानियां :
- पीठ दर्द की समस्या से परेशान हैं, तो इस योग को करने से बचें।
6. अर्ध हलासन
इस योग मुद्रा को करना बहुत आसान माना जाता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इसके करने वाले की नियंत्रण क्षमता अच्छी हो। मिर्गी होने के जोखिम कारकों में हाइपरटेंशन को भी गिना जाता है (10)। जबकि, अर्ध हलासन के जरिए हाइपरटेंशन को ठीक किया जा सकता है (11)। हालांकि, सीधे तौर पर यह आसन मिर्गी के लिए कितना कारगर रहेगा, इसपर अभी और शोध की आवश्यकता है।
कैसे करें :
- सबसे पहले एक समतल स्थान का चयन करें और योग मैट बिछाएं।
- अब इस योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अब अपने पैरों को सीधा करें।
- फिर अपने हाथों को सामने की ओर ले जाकर हथेलियों को जमीन से लगाएं।
- इसके बाद अपने पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए 90 डिग्री तक ले आएं।
- इस दौरान हाथ जमीन से लगे ही रहेंगे।
- अपने पैरों को इसी मुद्रा में कुछ सेकंड तक रखने की कोशिश करें।
- इस दौरान ध्यान रहे कि पेट और पैर की ताकत से ही इस मुद्रा का संतुलन बनाए रखना है।
- अब धीरे-धीरे अपनी पहली अवस्था में आ जाएं।
- इस योग चक्र को 3 -4 बार दोहराया जा सकता है।
सावधानियां :
- पीठ दर्द और कमर दर्द से परेशान लोग इस योग को करने से बचें।
- गर्भवती महिलाएं इस योग को न करें।
7. सलंब शीर्षासन
सलंब शीर्षासन के जरिए भी स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है, जो मिर्गी का एक प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि, इस योग का असर मिर्गी से बचने के लिए कितना लाभदायक है, इस पर अभी अधिक वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है।
कैसे करें :
- सबसे पहले एक समतल जगह पर मैट बिछा लें।
- अब घुटनों के बल मैट पर बैठ जाएं।
- अब अपने हाथों को आगे की ओर बढ़ाकर उंगलियों को इंटरलॉक करें और जमीन पर रखें।
- अब अपना सिर दोनों हथेलियों के बीच में रखें।
- अब हथेलियों में अपने सिर को सहारा दें।
- एक गहरी सांस लें और अपने घुटनों को जमीन से धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं।
- अब कमर को सीधा करने की कोशिश करें।
- ध्यान रहे कि शरीर का वजन हथेलियों पर होना चाहिए।
- अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं और अपने पैरों को आसमान की ओर सीधा करने की कोशिश करें।
- पैरों को सीधा करने पर, शरीर सिर के सहारे 90 डिग्री की स्थिति में आएगा।
- इस मुद्रा में अपनी क्षमतानुसार बने रहने का प्रयास करें।
- अगर कोई पहली बार यह योगासन कर रहा है तो उसे दीवार का सहारा या किसी व्यक्ति की मदद लेनी चाहिए।
- इस योग चक्र को 3-4 बार दोहराया जा सकता है।
सावधानियां :
- योग प्रशिक्षक की देखरेख और उनसे परामर्श लिए बिना इस योग को न करें।
- गर्भावस्था में भी इस योग को करने से बचें।
- इस योग के दौरान अगर किसी को चक्कर आ रहा है, तो इस योग को करने से बचें।
8. शवासन
मिर्गी से बचे रहने के लिए शवासन योग के फायदे भी देखे जा सकते हैं। इसे डेड बॉडी पोस्चर भी कहते हैं। जैसा कि हमने लेख में ऊपर जानकारी दी है कि मिर्गी के मरीजों में दौरों का एक कारण तनाव भी है (5)। वहीं, शवासन योग के जरिए स्ट्रेस को कम करने में मदद मिल सकती है (12)। इससे दौरों के जोखिम से बचा जा सकता है।
कैसे करें :
- एक समतल जगह पर योग मैट बिछा लें और पीठ के बल लेट जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों को शरीर से एक फीट की दूरी पर रखें।
- इस दौरान हथेलियां आसमान की ओर रहेगी।
- अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे से 2 फीट की दूरी पर रखें।
- साथ ही मुंह भी आसमान की ओर ही रहेगा।
- अब अपनी आंखों को आराम से बंद कर लें।
- अब सामान्य रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें।
- थोड़ी देर इसी मुद्रा में बन रहें।
- अब वापस सामान्य स्थिति आ जाएं।
- अच्छे परिणाम के लिए रोजाना इस आसन को किया जा सकता है।
सावधानियां :
- अगर कोई पीठ, हाथ और सिर में लगी हुई किसी चोट से जूझ रहा हो, तो उसे इस योग को नजरअंदाज करना चाहिए।
9. अनुलोम विलोम
अनुलोम-विलोम एक प्रकार का प्राणायाम और ब्रीथिंग एक्सरसाइज में से एक है। यह तंत्रिका तंत्र को आराम देने में मदद कर सकता है, जो मिर्गी के दौरे को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस प्राणायाम में, एक नथुने से श्वास लेकर दूसरे से श्वास छोड़ते हैं (13)।
कैसे करें :
- किसी साफ जगह का चुनाव करें और वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं।
- ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
- अब पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें।
- पद्मासन की मुद्रा में जो नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं।
- अगर किसी के लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, तो कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
- कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
- एक लंबी गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ दें। इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
- इसके बाद अपने दाहिने (सीधे) हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
- सांस लेने में जोर न लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
- अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करें और दाईं नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- कुछ सेकंड का विराम लेकर दाईं नासिका से गहरी सांस लें।
- अब दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाईं नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
- एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
सावधानियां :
- शाम की तुलना में सुबह आठ बजे से पहले अनुलोम विलोम के फायदे ज्यादा हैं।
- अगर कोई पहली दफा अनुलोम-विलोम कर रहा है, तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में इसका अभ्यास करें।
- अनुलोम-विलोम का अधिक लाभ पाने के लिए खानपान का भी खास ख्याल रखें।
- यह जरूर सुनिश्चित कर लें कि अनुलोम-विलोम करने के स्टेप सही हों।
- गंभीर हृदय रोग, रक्तचाप संबंधी रोग से ग्रसित लोग डॉक्टरी परामर्श पर ही इस आसन के अभ्यास के लिए आगे बढ़ें।
- प्रेग्नेंट महिलाएं भी इस योगासन को करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले।
ऊपर दिए गए मिर्गी के लिए योगासन करने के बाद जब आप सभी आसन को कर लें, तो उसके बाद शांति पाठ करने की बात भी कही जाती है। जिसमें आपको एक मंत्र “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः” का उच्चारण करना होता है। इसके अतिरिक्त योग प्रक्रिया के दौरान बताई गई सावधानियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। आप एक बार योग प्रशिक्षक के पास योग मुद्राओं को ठीक तरह से सीखने के लिए भी जा सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या कपालभाति मिर्गी के लिए फायदेमंद है?
हां, कपालभाति भी ब्रीथिंग एक्सरसाइज में से एक है जो कि तंत्रिका तंत्र को आराम पहुंचाने का काम कर सकती है इससे मिर्गी को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है (13)।
मिर्गी के लिए कौन सा मेडिटेशन लाभदायक है?
मिर्गी के लिए भ्रामरी प्राणायाम के लाभ देखे गए हैं (14)।
References
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- Epilepsy
https://medlineplus.gov/epilepsy.html - Epilepsy Centers of Excellence (ECoE)
https://www.epilepsy.va.gov/Information/about.asp - Yoga
http://www.deerparktx.gov/Calendar.aspx?EID=693&month=10&year=2013&day=29&calType=0 - Effect of yoga on mental health: Comparative study between young and senior subjects in Japan
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3099103/ - Stress and seizures: space time and hippocampal circuits
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5660662/ - Yoga for Central Nervous System – Starlim India
https://www.academia.edu/5220342/Yoga_for_Central_Nervous_System_-_Starlim_India - Epilepsy
https://medlineplus.gov/ency/article/000694.htm - Effects of a 12-Week Hatha Yoga Intervention on Metabolic Risk and Quality of Life in Hong Kong Chinese Adults with and without Metabolic Syndrome
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4482438/ - Comparative study on the effect of yogic relaxing asanas and pranayamas on cardiovascular response in healthy young volunteers
https://www.researchgate.net/publication/311995352_Comparative_study_on_the_effect_of_yogic_relaxing_asanas_and_pranayamas_on_cardiovascular_response_in_healthy_young_volunteers - Severe uncontrolled hypertension and adult-onset seizures: a case-control study in Rochester Minnesota
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/8764811/#targetText=PURPOSE%3A%20Hypertension%20is%20an%20established - Influence of Yoga on Blood Pressure and Anxiety Among Adults With Hypertension
https://www.researchgate.net/publication/269102241_Influence_of_Yoga_on_Blood_Pressure_and_Anxiety_Among_Adults_With_Hypertension - THE EFFECT OF SHAVASANA ON CARDIOVASCULAR PARASYMPATHETIC FUNCTIONS IN HEALTHY ADULTS
http://njbms.in/uploads/19/1548_pdf.pdf - Yoga for epilepsy
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6485327/ - Effects of Bhramari Pranayama on health – A systematic review
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5755957/
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