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बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और जल्द बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। यही वजह है कि हर मौसम उनकी देखभाल विशेष तौर पर करनी पड़ती है। खासकर, सर्दियों के दौरान बच्चों से जुड़ी छोटी से छोटी चीजों पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। वहीं, इस दौरान संक्रमण का खतरा भी ज्यादा रहता है। इसलिए, सर्दियों में शिशु की देखभाल से जुड़ी जरूरी बातें आपको पता होनी चाहिए। आइए, मॉमजंक्शन के इस लेख में जानते हैं कि सर्दियों के दौरान शिशु की देखभाल कैसे करें और कौन-कौन सी बातों का खास ख्याल रखें। पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

सबसे पहले हम आपको बता रहे हैं कि सर्दियों के दौरान शिशु की देखभाल क्यों जरूरी है।

सर्दियों के दौरान शिशु की देखभाल करना क्यों महत्वपूर्ण है? | Winter Care For Babies In Hindi

इंसानों और जानवरों पर किए गए शोध से पता चलता है कि सर्दियों में इंसान हो या फिर जानवर दोनों का ही इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है (1)। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर हो जाने पर कई बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। वहीं, बड़ों के मुकाबले बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए सर्दियों के दौरान शिशु की खास देखभाल जरूरी हो जाती है। इसके अलावा, सर्दियों में बच्चे के शरीर को गर्म रखने के लिए भी खानपान और कपड़ों पर भी खास ध्यान देना होता है।

स्क्रॉल करके पढ़ें सर्दियों में वायरस से होने वाली समस्याओं के बारे में।

विंटर्स में वायरस के कारण समस्याएं | Sardi Me Bacho Ki Dekhbhal

सर्दियों के दौरान कई तरह के वायरस शिशुओं को अपना निशाना बना सकते हैं, जिनकी वजह से कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम नीचे बता रहे हैं – (2)

  • फेफड़ों से जुड़ी बीमारी : रेस्पिरेटरी सिंसेटियल वायरस या आरएसवी श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है, जो सर्दी-जुकाम के साथ-साथ गंभीर फेफड़ों से जुड़ी बीमारी का कारण बन सकता है (3)
  • क्रूप : यह एक प्रकार का श्वसन संक्रमण है। इसमें गले में घरघराहट के साथ सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। यह आमतौर पर पैराइंफ्लुएंजा वायरस के कारण होता है (4)
  • गर्दन में सूजन और दर्द : रेस्पिरेटरी वायरस के कारण गले में सूजन और दर्द के साथ-साथ आंखों में भी दर्द की समस्या हो सकती है।
  • ब्रोंकिओलाइटिस : रेस्पिरेटरी वायरस के कारण ब्रोंकिओलाइटिस की समस्या भी हो सकती है। यह फेफड़ों से जुड़ा संक्रमण है, जो सर्दियों में ज्यादा देखा जाता है। इसके कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। आरएसवी का मुख्य कारण है। वहीं, एडिनोवायरस, इंफ्लुएंजा और पैराइन्फ्लुएंजा वारयरस के कारण भी यह हो सकता है (5)
  • इंफ्लुएंजा : इंफ्लुएंजा वायरस के कारण सर्दी-जुकाम के साथ तेज बुखार हो सकता है।
  • अन्य समस्याएं : सर्दी में वायरस के कारण कुछ आम समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बहती और बंद नाक, खांसी और सिरदर्द आदि।

चलिए, अब जानते हैं शीतकालीन संक्रमण के लक्षणों के बारे में।

शिशुओं में शीतकालीन संक्रमण के लक्षण

शिशुओं में सर्दी के मौसम में होने वाले संक्रमण के लक्षण कुछ इस प्रकार दिखाई दे सकते हैं।

  • रेस्पिरेटरी सिंसेटियल वायरस या आरएसवी : इसके होने पर नाक बहना, बुखार, भूख में कमी, सांस लेते वक्त आवाज और खांसी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं (3)
  • क्रुप: क्रूप होने पर सांस लेने में कठिनाई और तेज खांसी जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं (2)
  • ब्रोंकोलाइटिस : सांस लेने में कठिनाई, थकान, बुखार, खांसी और तेज सांस लेने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं (2)
  • इंफ्लुएंजा : सर्दी-जुकाम, बुखार और शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं (2)

यहां हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों को संक्रमण और सर्दी से बचाने के लिए क्या करें।

सर्दियों के लिए आवश्यक 17 बेबी केयर टिप्स

नीचे हम नवजात और उससे बड़े बच्चों के लिए जरूरी विंटर केयर टिप्स दे रहे हैं (2) (6)

नवजात शिशु से लेकर 2 साल तक के बच्चों के लिए विंटर केयर टिप्स | Newborn Baby Care Tips In Winter In Hindi

सबसे पहले हम जानकारी दे रहे हैं नवजात से लेकर 2 साल तक की उम्र के बच्चे के लिए विंटर केयर टिप्स की।

  1. अपने नवजात शिशु को छूने से पहले अपने हाथों को नियमित रूप से धोते रहें। इसके लिए हैंडवाश का उपयोग कर सकते हैं। इससे आपके द्वारा बच्चे को किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया का खतरा कम हो जाता है।
  1. नवजात शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है स्तनपान कराना। यह उसे ठंड और संक्रमण से दूर रखने में मदद करेगा। छह महीने तक के बच्चों के लिए स्तनपान जरूरी है।
  1. नवजात शिशु को लगने वाले सभी प्रकार के टीकों की लिस्ट याद रखें और समय से उसे टीका लगवाएं। यह बच्चे को सर्दी के मौसम में होने वाली बीमारियों से सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।
  1. सर्दियों के मौसम में बच्चे के बेडरूम का तापमान गर्म बनाए रखें। कमरे में ठंडी हवा के प्रवेश को रोकने के लिए सभी खिड़कियां बंद रखें। साथ ही वेंटिलेशन का भी ध्यान रखें।
  1. अपने बच्चे को गर्म और आरामदायक कपड़े पहनाएं रखें। याद रखें कि यदि बच्चे के कमरे का तापमान पहले से ही गर्म किया हुआ है, तो उसे बहुत सारे कपड़े न पहनाएं।
  1. सर्दियों में विशेष रूप से नवजात शिशु की मालिश का पूरा ध्यान रखें। बच्चे की मालिक करने के लिए जैतून का तेल, बादाम का तेल या नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।
  1. नवजात शिशु की त्वचा संवेदनशील होती है। इसलिए, सर्दियों के दौरान बेबी साबुन, शैंम्पू और बॉडी वॉश जैसे उत्पादों का अधिक उपयोग करने से बचें।
  1. नियमित रूप से बच्चे की त्वचा को सबसे अच्छे बेबी लोशन से मॉइस्चराइज करें।
  1. ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण जैसे – सर्दी-जुकाम या बुखार होने पर तुरंत बाल चिकित्सक से संपर्क करें।
  1. बीच-बीच में बच्चे के शरीर के तापमान की भी जांच करते रहें।

नीचे हम आपको बता रहे हैं 2 साल से बड़े बच्चों के लिए सेफ्टी टिप्स के बारे में।

2 साल से बड़े बच्चों के लिए विंटर केयर टिप्स | Baby Care Tips In Winter In Hindi

अब नीचे जानें दो साल से बड़ों बच्चों से जुड़े विंटर केयर टिप्स –

  1. 2 साल से बड़े बच्चों के कमरे में भी बच्चे की पहुंच से दूर रूम वार्मर लगवाएं, जिससे उनका कमरा गर्म बना रहे।
  1. पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाने के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे ओवर-ड्रेसिंग करने से बचें रहें, क्योंकि यह असुविधाजनक हो सकता है।
  1. उन्हें स्नान के लिए सहने योग्य गर्म पानी दें और बाथरूम और बेडरूम के तापमान के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें।
  1. बच्चे को संतुलित आहार दें। संतुलित आहार प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद कर सकता है।
  1. स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  1. बच्चे को संक्रमित व्यक्ति से दूर ही रखें और उन्हें गोद में लेने के पहले अपने हाथ अच्छी तरह से साफ करें।
  1. इसके अलावा, बच्चे जिन खिलौनों से खेलते हैं, उन्हें भी साफ रखें। साथ ही बच्चे को बाहर अकेले खेलने न दें।

विंटर केयर टिप्स जानने के बाद अब हम उम्मीद कर सकते हैं कि अब आप सर्दियों में अपने बच्चों का ख्याल ठीक से रख पाएंगे। वहीं, इस दौरान बच्चे के खानपान, स्वच्छता और कपड़ों का पूरा ध्यान रखें। साथ ही लेख में बताए गए विंटर वायरस के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें। आप जितना जागरूक रहेंगे आपका बच्चा उतना ही स्वस्थ रहेगा। आशा करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए लाभदायक रही होगी। आप चाहें, तो इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी साझा कर सकते हैं।

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