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इसमें कोई संदेह नहीं कि गर्भावस्था में फलों का सेवन करना फायदेमंद होता है। वहीं, कुछ फल ऐसे होते हैं, जिन्हें प्रेग्नेंसी में खाने को लेकर विवाद हैं। पपीता भी ऐसा ही फल है। आज भी कई लोग प्रेग्नेंसी के दौरान पपीता खाने से मना करते हैं। उनका मानना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान पपीता खाने से गर्भपात का अंदेशा बढ़ सकता है।
इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका क्या आधार है, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम इसी पर विस्तार से चर्चा करेंगे। क्या वास्तव में गर्भावस्था में पपीता खाने से गर्भपात हो सकता है या प्रेग्नेंसी में पपीता खाना सुरक्षित है? इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या प्रेग्नेंसी में पपीता खाना सुरक्षित है? | Pregnancy Me Papita Khana Chahiye Ya Nahi
हां, गर्भावस्था के दौरान पपीता खाना सुरक्षित है, लेकिन वो पपीता पूरी तरह से पका हुआ होना चाहिए (1)।रिसर्च के मुताबिक, अधपका या कच्चा पपीता प्रेग्नेंसी में नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इसमें लेटेक्स की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे असमय संकुचन शुरू हो सकता है। यह स्थिति गर्भपात का कारण भी बन सकती है। वहीं, शोध के मुताबिक, अच्छी तरह पके पपीता प्रेग्नेंसी में फायदेमंद माना गया है।
क्या गर्भावस्था में पपीता खाने से गर्भपात होता है? | Papita Khane Se Pregnancy Ruk Jati Hai
अगर गर्भावस्था में कच्चा पपीता खा लिया जाए, तो गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। आपको बता दें कि कच्चे पपीते में लेटेक्स नामक पदार्थ ज्यादा मात्रा में होता है। रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि पपीते में मौजूद लेटेक्स की वजह से गर्भाशय संकुचन शुरू हो सकता है और यही स्थिति गर्भपात की स्थिति उत्पन्न कर सकती है (2)।
गर्भावस्था में पपीता खाने के लाभ
अगर आप गर्भावस्था के दौरान अच्छी तरह से पका हुआ पपीता खाएंगी, तो इसके कई लाभ देखने को मिल सकते हैं। नीचे हम गर्भावस्था में पपीता खाने के कुछ लाभ बताने जा रहे है :
- गर्भावस्था के दौरान पपीता मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाने में मदद करता है (3)।
- पके हुए पपीते में लेटेक्स बहुत कम मात्रा में होता है, जो प्रेग्नेंसी में नुकसान नहीं पहुंचाता। हालांकि, जिन लोगों को लेटेक्स से एलर्जी है, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए। लेटेक्स से एलर्जी होने पर खुजली, सूजन, सिर चकराना, पेट दर्द व त्वचा लाल होने जैसी समस्या हो सकती है (4)।
पपीता खाने के अन्य फायदे :
- पपीता दिल का स्वास्थ्य सुधारता है और यह कोलोन कैंसर से बचाव करता है।
- पके पपीते में बीटा-कैरोटीन, विटामिन-ए, बी, सी और पोटैशियम होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी हैं। एक ओर जहां विटामिन-ए और सी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, वहीं विटामिन-बी शिशु के विकास के लिए जरूरी है।
- पपीते में फोलेट और फाइबर भी होता है। फोलेट शिशु को तंत्रिका दोष से बचाता है, तो वहीं फाइबर कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है।
- इसके अलावा, यह सीने में जलन, पेट फूलने व गैस जैसी समस्या से राहत दिलाता है।
गर्भवती होने पर कच्चा पपीता खाने के जोखिम | Kacha Papita In Pregnancy
कई देशों में गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर पपीता खाने से मना करते हैं, क्योंकि कच्चा पपीता गर्भपात का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता खाने के विभिन्न जोखिम हम नीचे बता रहे हैं :
- गर्भाशय संकुचन : कच्चे या अधपके पपीते के लेटेक्स में मौजूद पपाइन के कारण प्रोस्टाग्लैंडिन और ऑक्सिटॉसिन हार्मोन उत्तेजित होते हैं, जिससे गर्भाशय संकुचन और समय से पहले प्रसव पीड़ा हो सकती है। समय से पहले प्रसव पीड़ा होने से गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। आपको बता दें कि गर्भावस्था के शुरुआती समय में पपीते का सेवन करने से मना किया जाता है, क्योंकि इस समय प्लेसेंटा का विकास होता है। ऐसे में लेटेक्स की छोटी-सी मात्रा भी गर्भाशय को नुकसान पहुंचा सकती है।
- भ्रूण के विकास में बाधा पहुंचाए : पपीते में मौजूद पेप्सिन और पपाइन भ्रूण के विकास में बाधा पहुंचाते हैं। लैब रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि गर्भावस्था के दौरान पपीता या पपीते के पौधे का कोई भी भाग सेवन करने से एंटी-इंप्लांटेशन (भ्रूण का आरोपण न होना) हो सकता है।
- वाइटल मेंब्रेन को कमजोर करता है : पपीते में मौजूद पपाइन तत्व वाइटल मेंब्रेन को कमजोर बनाता है, जिससे भ्रूण के जीवित न रहने का खतरा बढ़ जाता है। पपाइन के कारण भ्रूण में टिशू के विकास में बाधा आती है।
- रक्तस्राव और सूजन : कच्चे पपीते से रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है, जिस कारण प्लेसेंटा (अपरा) में रक्तस्राव हो सकता है। इसके अलावा, रक्त संचरण भी धीमा हो सकता है, जिससे भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है। वहीं, इससे शरीर में सूजन (एडीमा) की समस्या भी हो सकती है।
- अत्यधिक मल त्याग से गर्भपात हो सकता है : पपीता खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है, लेकिन अत्यधिक मल त्याग करने से गर्भाशय पर दबाव पड़ता है, जिस कारण गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।
- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव : पपीते के बीज और पत्तियों में कार्पिन नामक टॉक्सिक तत्व होता है (5), जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता है।
- गर्भपात : पपीते में पपैन और काइमोपपाइन नामक दो एंजाइम होते हैं। ये दोनों एंजाइम एबोर्टिफिएंट और टेराटोजेनिक हैं। पपाइन के कारण गर्भपात हो सकता है, तो वहीं टेरोजेनिक से भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है।
- पहले भी गर्भपात : जिन महिलाओं को पहले गर्भपात हुआ हो या पहले समय पूर्व डिलीवरी हुई हो, तो उन्हें पपाइन के दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ सकता है।
- एस्ट्रोजन का अधिक उत्पादन : गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता खाने से शरीर में गर्मी आती है, जिस कारण एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन तेज हो सकता है।
- सांस लेने में तकलीफ : पपीते में शामिल पपाइन एलर्जी का कारण बन सकता है। इस वजह से गर्भवती को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। सांस लेने में तकलीफ के कारण भ्रूण तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचेगी और शिशु को हानि होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
- किडनी में पथरी : पपीते में विटामिन-सी होता है, जो रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। हालांकि, पपीते के बहुत अधिक सेवन से गुर्दे की पथरी भी हो सकती है। एक बार जब विटामिन-सी मेटाबॉलिज हो जाता है, तो यह ऑक्सलेट पैदा करता है, जिससे गुर्दे की पथरी हो सकती है। गुर्दे की पथरी से पेट में ऐंठन हो सकती है और गर्भावस्था के दौरान पेट पर यह दबाव खतरनाक साबित हो सकता है।
- गर्भ-निरोधक का काम करे पपीता : जो महिलाएं गर्भवती नहीं होना चाहतीं, वो कच्चे पपीते का सेवन कर सकती हैं। यह गर्भावस्था से बचने का एक प्राकृतिक तरीका माना जाता है। पपाइन के कारण प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन में कमी आती है। यही हार्मोन गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए तैयार करने में मदद करता है। इसलिए, अगर आप प्रेग्नेंसी की योजना बना रही हैं, तो कच्चे पपीते से दूर रहें।
- शुगर का स्तर : अगर महिला पहली गर्भावस्था के दौरान गर्भावधि मधुमेह की शिकार रह चुकी हैं, तो पपीते के सेवन से दूर रहना चाहिए।
- त्वचा का बेरंग होना : पपीते में बीटा-कैरोटीन होता है, जिस कारण यह संतरी रंग का होता है। इसके सेवन से त्वचा बेरंग होने लगती है (5)। इस स्थिति को कैरोटीनीमिया कहा जाता है।
क्या पपीते के बीज से गर्भपात हो सकता है?
हां, गर्भावस्था के दौरान पपीते का बीज गर्भपात का कारण बन सकता है। चूंकि, इसमें एंटी-इंप्लांटेशन तत्व मौजूद होते हैं, जिससे असमय गर्भाशय संकुचन शुरू हो सकता है और गर्भपात की स्थिति पैदा कर सकती है। यही कारण है कि डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान पूरी तरह से ही पपीते का सेवन करने से मना करते हैं, ताकि किसी तरह का खतरा पैदा न हो सके।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
गर्भावस्था के दौरान पपीते का रस पी सकते हैं?
जैसा कि हमने बताया, गर्भावस्था के दौरान पका हुआ पपीता खाया जा सकता है। ठीक इसी तरह, प्रेग्नेंसी में भी पके पपीते का जूस एक सीमित मात्रा में पिया जा सकता है। इसके सेवन से पहले आप डॉक्टर से जरूर पूछ लें, क्योंकि हर महिला की शारीरिक स्थिति अलग होती है। इसलिए, आपकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टर इसे लेने या न लेने की सलाह दे सकते हैं।
क्या मैं गर्भवती होने पर पका हुआ पपीता खा सकती हूं?
हां, गर्भावस्था के दौरान पका हुआ पपीता खाया जा सकता है (1), लेकिन बेहतर होगा कि आप इस बारे में एक बार डॉक्टर से बात कर लें। पपीते का सेवन करते हुए इस बात का पूरा ध्यान रखें कि वह कच्चा या अधपका न हो। कच्चे या अधपके पपीते में लेटेक्स होता है, जो समय से पहले गर्भाशय संकुचन शुरू कर सकता है। यह स्थिति गर्भपात की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
अब आप समझ गए होंगे कि गर्भावस्था के दौरान पपीते का सेवन सोच-समझकर और सतर्कता बरतकर किया जाना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में गर्भावस्था के दौरान पपीता खाने से जुड़े सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे। इस जानकारी को आप सिर्फ अपने तक ही न रखें, बल्कि सभी परिचित महिलाओं के साथ शेयर करें, ताकि वो भी एक स्वस्थ गर्भावस्था के साथ एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकें।
संदर्भ (References) :
2. Effect of papaya (Carica papaya linn) on pregnancy and estrous cycle in albino rats of Wistar strain. By Ncbi
3. Nutritional and Medicinal Values of Papaya (Carica Papaya L.) By Researchgate
4. Papaya By Medlineplus
5. Toxicity and Effect of Carica Papaya Seed Aqueous Extract on Liver Biomarkers of Clarias Gariepinus By Researchgate
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