Neelanjana Singh, RD
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

सदियों से प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल शरीर की विभिन्न परेशानियों के उपचार में किया जाता रहा है। खासकर, आयुर्वेदिक इलाज में इनका विशेष महत्व है। जानकारी के अभाव और आधुनिक दवाइयों पर निर्भरता के कारण भले ही इनके उपयोग में कमी आई हो, लेकिन इनके गुणों को नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम एक खास औषधि के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम है पिप्पली। हमारे साथ जानिए शरीर के लिए पिप्पली के फायदे और इसके उपयोग से जुड़ी जरूरी बातें। इसके अलावा, इस लेख में पिप्पली के नुकसान से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई है। पाठक ध्यान दें कि पिप्पली लेख में शामिल की गई किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कम करने में एक सहायक भूमिका निभा सकती है।

लेख के शुरुआत में जानिए पिप्पली के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।

पिप्पली के फायदे – Benefits of Long Pepper (Pippali) in Hindi

शरीर से जुड़ी समस्याओं पर पिप्पली का उपयोग निम्नलिखित तरीके से सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है :

1. लिवर के लिए

पिप्पली का उपयोग लिवर को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। दरअसल, इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव (Hepatoprotective) गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के स्वास्थ्य को बरकरार रखने का काम कर सकते हैं। इसी गुण की वजह से पिप्पली का उपयोग लिवर से जुड़े जोखिम से बचने के लिए भी किया जा सकता है। इससे संबंधित एक शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि पिप्पली ग्लूटाथिओन (Glutathione, एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट) को बढ़ाने का काम कर सकता है (1)। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर यानी बिना शराब का सेवन किए लिवर में अधिक फैट जमने की समस्या से पीड़ित मरीजों में ग्लूटाथिओन प्रभाव दिखा सकता है (2)

2. कब्ज के लिए

कब्ज की समस्या में भी पिप्पली के गुण काम कर सकते हैं। दरअसल, यह औषधि डाइजेस्टिव एजेंट की तरह काम कर सकती है, जिससे भोजन को सही से पचाने में मदद मिल सकती है (1)। साथ ही यह मल निकासी में सहयोग कर कब्ज में आराम दिला सकती है। इस तरह पिप्पली का उपयोग कब्ज में सहायक साबित हो सकता है (3)

3. मलेरिया के लिए

मलेरिया की स्थिति में पिप्पली का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है। दरअसल, पिप्पली में एंटी मलेरिया गुण पाए जाते हैं, जो मलेरिया से बचाव और इसके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं (4)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि मलेरिया से बचाव के लिए पिप्पली को वैकल्पिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए

बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए भी पिप्पली के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, जर्नल ऑफ एक्यूपंचर एंड मरीडियन स्टडीज के एक शोध के अनुसार, पिप्पली से प्राप्त पेट्रोलियम ईथर और एथिल एसीटेट नामक अर्क कई सूक्ष्म जीवों (Microorganisms) के खिलाफ एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं (5)। इसके अलावा, पिप्पली के एंटीमाइक्रोबियल गुण कॉलेरा जैसे बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव में भी मदद कर सकते हैं।

5. खांसी के लिए

अगर किसी को खांसी की समस्या है, तो पिप्पली चूर्ण का उपयोग खांसी के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। पिप्पली के इस लाभ की वजह है, इसमें मौजूद एंटीट्यूसिव (Antitussive) प्रभाव, जो खांसी से बचाने और राहत दिलाने का काम कर सकते हैं। इसके लिए मरीज को डॉक्टरी सलाह पर पिप्पली चूर्ण का सेवन कराया जा सकता है (6)

6. अपच के लिए

पिप्पली का सेवन अपच जैसी समस्या से राहत पहुंचाने का काम कर सकता है। इसके लिए इसमें पाए जाने वाले डाइजेस्टिव गुण फायदेमंद हो सकते हैं। दरअसल, डाइजेस्टिव गुण भोजन को सही से पचाने में सहायता करते हैं, जिससे अपच की समस्या से राहत मिल सकती है (1)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि अपच से छुटकारा पाने के लिए पिप्पली को वैकल्पिक रूप से प्रयोग किया जा सकता है।

7. दांत दर्द के लिए

पिप्पली में पिपराइन नामक एल्कलॉइड पाया जाता है, जो कई तरह की समस्याओं में हर्बल औषधि की तरह काम कर सकता है। इनमें खांसी, बुखार व सिरदर्द के साथ दांत दर्द भी शामिल है (7)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पिप्पली के फायदे दांत दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।

8. दस्त के लिए

जैसे की हमने ऊपर बताया है कि यह कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि पिप्पली दस्त की स्थिति में भी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, एक मेडिकल शोध से पता चलता है कि पिप्पली के मुख्य घटक पिपराइन में एंटीडायरियल गुण पाया जाता है। एंटीडायरियल गुण दस्त के दौरान मल की तीव्रता को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि पिपराइन कैस्टर ऑयल की वजह से होने वाले डायरिया में भी लाभकारी हो सकता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि डायरिया के दौरान पिप्पली का उपयोग लाभदायक साबित हो सकता है (8)। ध्यान रहे, गंभीर रूप से दस्त से जूझ रहे लोग दस्त का इलाज डॉक्टर से जरूर कराएं।

9. अस्थमा के लिए

पिप्पली का इस्तेमाल ब्रोन्कियल अस्थमा (Bronchial Asthma) की स्थिति में उपयोगी साबित हो सकता है। ब्रोन्कियल अस्थमा वो स्थिति है, जिसमें श्वसन मार्ग (Airway) में सूजन (Inflammation) आ जाती है। परिणामस्वरूप, श्वसन मार्ग संकुचित हो जाता है और जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है (9)। यहां पिप्पली कुछ हद तक मदद कर सकती है, क्योंकि यह एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है। यह गुण श्वसन मार्ग की सूजन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे ब्रोन्कियल अस्थमा के दौरान आराम मिल सकता है (10)। जानकारी के लिए बता दें कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अस्थमा के लिए बड़ी पिप्पली की तुलना में छोटी पिप्पली को ज्यादा प्रभावी माना है। वहीं अस्थमा की समस्या अगर गंभीर है, तो संबंधित डॉक्टर से उपचार जरूरी है।

10. आंत की क्षमता को बढ़ावा

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि पिप्पली में डाइजेस्टिव गुण होता है , जो खाने को पचाने में मदद कर सकता है। इस गुण के कारण आंतों की परत में कुछ बदलाव हो सकता है, जिससे कि पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा मिल सकता है (1)।

पिप्पली का उपयोग कैसे करें, जानने के लिए इस लेख को पढ़ते रहें।

पिप्पली का उपयोग – How to Use Long Pepper (Pippali) in Hindi

पिप्पली को कई अलग-अलग तरीके से उपयोग किया जा सकता है। नीचे इसके उपयोग के कुछ तरीके बताए गए हैं –

कैसे करें उपयोग :

  • शाम में हर्बल सूप बनाने के लिए पिप्पली का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • दोपहर या रात के भोजन में मसाले के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है
  • खांसी जैसी समस्याओं के लिए पिप्पली के चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    नोट – इसके अन्य इस्तेमाल जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

कितना खाएं :

  • पिप्पली का सेवन करने की सटीक मात्रा से जुड़ा फिलहाल कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। पर आहार में इस्तेमाल होने वाली मात्रा को सुरक्षित माना जाता है। फिर भी हम यही सलाह देंगे कि इस विषय पर डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर इसके सेवन की सही मात्रा बताएंगे।

लेख के अंतिम भाग में हम पिप्पली के नुकसान की जानकारी दे रहे हैं।

पिप्पली के नुकसान – Side Effects of Long Pepper (Pippali) in Hindi

पिप्पली को सिमित मात्रा में लेना सुरक्षित माना जाता है। पर यदि इसे कोई अधिक मात्रा में लेता है, तो उन्हें निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं – – (11)

  • हाथों में जलन
  • पैर में जलन
  • आंखों में जलन
  • हृदय को नुकसान
  • सिरदर्द
  • गर्भवती महिलाएं इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें

उम्मीद करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद पिप्पली के गुण से आप बहुत हद तक वाकिफ हो गए होंगे। इसका अगर इस्तेमाल सावधानी से साथ किया जाए, तो लेख में बताए गए लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। वहीं, इसका इस्तेमाल करते समय इससे होने वाले दुष्परिणामों को भी ध्यान में रखना जरूरी है। यहां एक बार फिर से बता दें कि पिप्पली के गुण लेख में बताई गई शारीरिक परेशानियों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह किसी भी बीमारी का ट्रीटमेंट नहीं है।

References

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  1. Remedial merits of Piper longum Linn with astonishing antidiabetic potential
    https://www.researchgate.net/publication/324694574_Remedial_merits_of_Piper_longum_Linn_with_astonishing_antidiabetic_potential
  2. Efficacy of glutathione for the treatment of nonalcoholic fatty liver disease: an open-label single-arm multicenter pilot study
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5549431/
  3. Overview for various aspects of the health benefits of Piper longum linn. fruit
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21704957/
  4. Anti-Malarial Plants of Jonai India: an Ethnobotanical Approach
    https://www.academia.edu/33494378/Anti_Malarial_Plants_of_Jonai_India_an_Ethnobotanical_Approach
  5. Overview for Various Aspects of the Health Benefits of Piper Longum Linn. Fruit
    https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2005290111600204?via%3Dihub
  6. Anti-Tussive Activity of Piper Longum Churna
    https://www.researchgate.net/publication/274894468_Anti-Tussive_Activity_of_Piper_Longum_Churna
  7. Study of variation in Piperine content of Piper longum genotypes
    https://www.researchgate.net/publication/280762722_Study_of_variation_in_Piperine_content_of_Piper_longum_genotypes
  8. Insight into the possible mechanism of antidiarrheal and antispasmodic activities of piperine
    https://www.tandfonline.com/doi/full/10.1080/13880200902918352
  9. Asthma
    https://medlineplus.gov/ency/article/000141.htm
  10. Anti-inflammatory activity of two varieties of Pippali (Piper longum Linn.)
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3611634/
  11. Ethnomedicinal phytochemical and pharmacological properties of Piper longum (Linn)
    https://www.academia.edu/39720724/Ethnomedicinal_phytochemical_and_pharmacological_properties_of_Piper_longum_Linn_
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Neelanjana Singh has over 30 years of experience in the field of nutrition and dietetics. She created and headed the nutrition facility at PSRI Hospital, New Delhi. She has taught Nutrition and Health Education at the University of Delhi for over 7 years.

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Puja Kumari
Puja Kumariहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
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