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प्रेगनेंसी के दौरान खान-पान पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है। आखिर आहार ही तो है, जो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। मगर, कुछ खाद्य ऐसे भी होते हैं, जिन्हें गर्भवती और होने वाले बच्चे के लिए नुकसानदायक माना जाता है। ऐसे में कई बार महिलाओं के मन में इस बात का संशय पैदा हो जाता है कि उनके लिए कौन सा खाद्य ठीक है और कौन सा नहीं! यही स्थिति कुछ महिलाओं के मन में आम को लेकर भी देखी जाती है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम प्रेगनेंसी में आम खाने के फायदे और नुकसान दोनों बता रहे हैं। ताकि प्रेगनेंसी में आम खाना चाहिए या नहीं, इस बात का फैसला आप खुद कर सकें।
शुरू करते हैं लेख
तो आइए सबसे पहले हम प्रेगनेंसी के दौरान आम खाना सुरक्षित है या नहीं, यह समझ लेते हैं।
क्या प्रेगनेंसी में आम खाना सुरक्षित है?
यह तो हम सभी जानते है कि गर्भवती के बेहतर खान-पान पर ही गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास निर्भर करता है। यही वजह है कि गर्भावस्था में कुछ खास पोषक तत्वों को काफी अहम और उपयोगी माना गया है। इन पोषक तत्वों में कैल्शियम और आयरन के साथ ही प्रोटीन, एनर्जी, फोलेट व फैटी एसिड शामिल हैं। इसके अलावा विटामिन की बात करें तो गर्भावस्था में विटामिन सी और ए को भी काफी जरूरी बताया गया है (1)। वहीं गर्भावस्था में आवश्यक माने जाने वाले यह सभी पोषक तत्व आम में भी पाए जाते हैं (2)। इसके अलावा चूहों पर आधारित एक शोध में स्पष्ट रूप से आम को गर्भावस्था में उपयोगी माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि यह गर्भवती के साथ-साथ भ्रूण की हड्डियों, ऊतकों और दांतों के विकास में सहायक हो सकता है (3)। साथ ही खाद्य विशेषज्ञ भी गर्भावस्था में विटामिन ए और सी की कमी को पूरा करने के लिए आम खाने की सलाह देते हैं (4) (5)। इस आधार पर गर्भावस्था में आम को सुरक्षित माना जा सकता है।
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लेख के अगले भाग में अब हम प्रेगनेंसी में आम खाने के फायदे जानेंगे।
प्रेगनेंसी में आम के फायदे Benefits of Eating Mango During Pregnancy In Hindi
यहां हम क्रमवार प्रेगनेंसी में आम खाने के फायदे बताने जा रहे हैं, ताकि इस दौरान आम की उपयोगिता को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
1. एनीमिया से निजात दिलाने में कारगर
गर्भावस्था के दौरान खून की कमी के कारण एनीमिया की समस्या होना आम बात है। ऐसे में डॉक्टर मुख्य तौर पर आयरन युक्त खाद्यों को लेने की सलाह देते हैं (5)। वहीं आम में कुछ मात्रा में आयरन उपलब्ध होता है (2)। इसके अलावा एक अन्य शोध से इस बात का पता चलता है कि आम विटामिन सी से समृद्ध होता है और विटामिन सी आयरन के अवशोषण में मदद कर सकता है। इस तरह यह आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या में सहायक हो सकता है (6)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि आम एनीमिया की समस्या से राहत दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।
2. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को एंटीऑक्सीडेंट की खास जरूरत होती है। वजह यह है कि इस दौरान शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की कमी भ्रूण के विकास को बाधित कर सकती है। साथ ही गर्भावस्था में हाई बीपी, हृदय रोग और डायबिटीज जैसे रोगों को बढ़ावा दे सकती है (7)। वहीं आम में मौजूद विटामिन ए, सी और ई शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट माने जाते हैं (9)। इस आधार पर आम को एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य के रूप में स्वस्थ गर्भावस्था के लिए उपयोगी माना जा सकता है।
3. विटामिन ए का स्त्रोत
आम में अन्य पोषक तत्वों के साथ ही विटामिन ए भी पाया जाता है (2)। वहीं लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि गर्भावस्था में विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए विशेषज्ञ आम को आहार में शामिल करने की सलाह देते है (4)। इसके अलावा एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से इस बात का पता चलता है कि विटामिन ए गर्भावस्था में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही भ्रूण के विकास, हड्डियों की मजबूती और आंखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद कर सकता है (1)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि विटामिन ए की पूर्ति कर गर्भावस्था से जोड़े कई जोखिमों को दूर करने में आम सहायक साबित हो सकता है।
4. मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाए
अधिकार महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान मॉर्निंग सिकनेस यानी उल्टी और जी मिचलाने की समस्या आमतौर पर देखी जाती है। ऐसा अधिकतर प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में होता है (8)। इससे निजात पाने के लिए मुख्य रूप से विटामिन बी-6 लेने की सलाह दी जाती है (9)। वहीं आम में विटामिन बी-6 भी पाया जाता है (2)। इस आधार पर प्रेगनेंसी के समय आम का सेवन मॉर्निंग सिकनेस से निजात दिलाने में कारगर माना जा सकता है।
5. मैग्नीशियम की आपूर्ति
गर्भावस्था के दौरान आवश्यक माने जाने वाले पोषक तत्वों में मैग्नीशियम भी शामिल है। इस भ्रूण के विकास के लिए सहायक माना जाता है। साथ ही गर्भावस्था के दौरान होने वाली हाई बीपी की समस्या में भी इसे उपयोगी बताया जाता है (10)। वहीं आम मैग्निशियम से समृद्ध होता है (2)। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान शरीर में मैग्नीशियम का स्तर बनाए रखने में भी आम मददगार हो सकता है।
6. पाचन क्षमता बढ़ाए
गर्भावस्था के दौरान पाचन क्रिया को मजबूत बनाए रखने के लिए भी आम का प्रयोग किया जा सकता है। आम से संबंधित एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है कि आम में अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह फाइबर पाचन क्रिया को सुधारने के साथ ही कब्ज की समस्या में भी राहत दिला सकता है (11)। इस आधार पर गर्भावस्था में पाचन क्रिया को मजबूत बनाए रखने के लिए भी आप को उपयोग में लाया जा सकता है।
7. भ्रूण के विकास को बढ़ावा दे
भ्रूण के विकास को बढ़ावा देने के मामले में भी आप को उपयोगी माना जा सकता है। यह बात एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध से स्पष्ट होती है। शोध में माना गया है कि विटामिन ए की कमी भ्रूण में किडनी, हृदय, पित्त, कान से संबंधित विकार का कारण बन सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था के अंतिम चरण यानी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भ्रूण के विकास के लिए अधिक खून की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति में भी विटामिन ए अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं इसकी पूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्यों में आम का जिक्र भी शामिल है (12)। इसके साथ ही आम फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत माना जाता है और भ्रूण के विकास के लिए इस पोषक तत्व को भी काफी अहम् माना गया है (1) (2)। इन तथ्यों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि भ्रूण के बेहतर विकास के लिए भी गर्भावस्था में आम का सेवन किया जा सकता है। खासकर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान आम का सेवन अधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
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यहां अब हम आम के पोषक तत्वों से जुड़ी जानकारी हासिल करेंगे।
आम के पोषक तत्व
नीचे दिर गए चार्ट के माध्यम से आम के पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से जाना जा सकता है (2)।
पोषक तत्व | यूनिट | मात्रा प्रति 100 ग्राम |
पानी | g | 83.46 |
एनर्जी | Kcal | 60 |
प्रोटीन | g | 0.82 |
टोटललिपिड (फैट) | g | 0.38 |
कार्बोहाइड्रेट | g | 14.98 |
फाइबर(टोटलडायट्री) | g | 1.6 |
शुगर | g | 13.66 |
मिनरल | ||
कैल्शियम | mg | 11 |
आयरन | mg | 0.16 |
मैग्नीशियम | mg | 10 |
फास्फोरस | mg | 14 |
पोटेशियम | mg | 168 |
सोडियम | mg | 1 |
जिंक | mg | 0.09 |
कॉपर | mg | 0.111 |
मैगनीज | mg | 0.063 |
सेलेनियम | µg | 0.6 |
विटामिन | ||
विटामिनसी | mg | 36.4 |
थियामिन | mg | 0.028 |
राइबोफ्लेविन | mg | 0.038 |
नियासिन | mg | 0.669 |
विटामिनबी-6 | mg | 0.119 |
फोलेट (डीएफई) | µg | 43 |
विटामिनए(आईयू) | IU | 1082 |
विटामिनई | mg | 0 |
विटामिनके | µg | 4.2 |
लिपिड | ||
फैटी एसिड (सैचुरेटेड) | g | 0.092 |
फैटी एसिड (मोनोअनसैचुरेटेड) | g | 0.14 |
फैटी एसिड (पॉलीअनसैचुरेटेड) | g | 0.071 |
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आगे अब हम गर्भावस्था में आम को उपयोग में लाने के कुछ आसान तरीके बताएंगे।
गर्भावस्था में आम को अपने आहार में कैसे शामिल करें?
गर्भावस्था के दौरान आम को आहार में शामिल करने के कुछ आसान तरीके इस प्रकार हैं :
- आम को छोटे या बड़े अपनी सुविधा अनुसार पीस में काट कर सुबह या शाम के स्नैक्स के रूप में आम का सेवन किया जा सकता है।
- आम का शेक बनाकर या स्मूदी बनाकर इसे सुबह नाश्ते में लिया जा सकता है।
- फ्रूट सलाद के तौर पर भी आम को खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- स्मूदी या डेजर्ट बनाने के लिए भी आम का प्रयोग किया जा सकता है।
- चाहें तो आप को काटकर इसे खाने के साथ बतौर सलाद भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
मात्रा– गर्भावस्था के दौरान आम की ली जाने वाली मात्रा की बात की जाए तो प्रतिदिन करीब आधा कप कटे हुए आम का सेवन किया जा सकता है (4)।
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आखिर में अब हम प्रेगनेंसी में आम खाने के नुकसान से जुड़ी जानकारी हासिल करेंगे।
प्रेगनेंसी में आम खाने के नुकसान- Side Effects of Eating Mango While Pregnant In Hindi
फायदे के साथ ही प्रेगनेंसी में आम खाने के नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं। दरअसल, प्रेगनेंसी में यदि आम का सेवन आवश्यकता से अधिक किया जाए तो निम्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- डायरिया– अधिक मात्रा में आम का सेवन डायरिया की स्थिति पैदा कर सकता है (13)।
- डायबिटीज– आम में प्रचुर मात्रा में शुगर पाया जाता है (2)। ऐसे इसका अधिक सेवन डायबिटीज के जोखिम को बढ़ावा दे सकता है।
- वजन बढ़ना– आम में कार्बोहाइड्रेट भरपूर होता है (2)। इसलिए अगर आम का अधिक सेवन वजन बढ़ने का कारण भी बन सकता है (14)।
- कृत्रिम रूप से पके आम से रिएकशन– आजकल बाजार में ऐसे आम भी मौजूद होते हैं जो कि कृत्रिम रूप से पकाए जाते हैं। ये आम खाने से प्रेगनेंसी में समस्या हो सकती है, क्योंकि आमों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायन का प्रयोग किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड की अधिकता के कारण उल्टी, मतली, पेट और सीने में जलन व अत्याधिक प्यास की समस्या देखने को मिल सकती है (17)।
लेख के माध्यम से हमने गर्भावस्था में आम खाने के विषय में काफी कुछ जाना और समझा। साथ ही हमें यह भी पता चला कि गर्भावस्था में आम का सेवन उपयोगी साबित हो सकता है। बशर्ते, इसका सेवन संतुलित मात्र में किया जाए। वहीं गर्भावस्था के शुरुआती चरण में होने वाली मॉर्निंग सिकनेस हो या अंतिम चरण में भ्रूण के विकास के लिए पर्याप्त खून की आवश्यकता, दोनों ही मामलों में आम एक सहायक की भूमिका अदा कर सकता है। इसलिए पहली तिमाही के साथ ही गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान आम खाना अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। उम्मीद है, गर्भावस्था से जुड़ा यह लेख आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य विषयों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पढ़ते रहें स्टाइलक्रेज।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या गर्भवती खाली पेट आम खा सकती है?
सामान्य तौर पर आम का सेवन खाली पेट न करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, इस संबंध में कोई भी स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए अगर आप खाली पेट आम का सेवन करना चाहती हैं तो इस संबंध में पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
क्या गर्भावस्था के दौरान मैं रोज आम खा सकती हूं?
लेख में आपको पहले ही गर्भावस्था में आम के सेवन के सभी फायदों के बारे में बताया जा चुका है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि गर्भावस्था में प्रतिदिन आम का सेवन किया जा सकता है। बशर्ते, इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही किया जाए।
क्या आप गर्भपात का कारण बन सकता है?
नहीं, आम गर्भपात का कारण नहीं बनता है बल्कि इसे गर्भापात के जोखिम को कम करने में सहायक माना जाता है (16)।
क्या गर्भावस्था में अत्याधिक आम खाना नुकसानदायक है?
हां, अधिक सेवन के कारण प्रेगनेंसी में आम खाने के नुकसान देखे जा सकते हैं, जिनके बारे में लेख में पहले ही बताया जा चुका है।
क्या गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान आम खाना लाभकारी है?
हां, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भ्रूण के विकास के लिए अधिक खून की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति में विटामिन ए अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं इसकी पूर्ति के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्यों में आम का जिक्र भी शामिल है (12)। इस आधार पर गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान आम खाना लाभदायक माना जा सकता है।
References
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