Dt. Arpita Jain, MSc (Clinical Nutrition & Dietitics)
Written by , (शिक्षा- एमए इन जर्नलिज्म मीडिया कम्युनिकेशन)

सरसों के तेल को सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। यह इसलिए, क्योंकि इससे अनेक स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। इस तेल को अधिकतर लोग सिर्फ खाना बनाने के लिए ही इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन यह सिर्फ भोजन बनाने तक ही सीमित नहीं है। यह तेल शरीर की कई छोटी-बड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है, लेकिन इसे किसी समस्या का सटीक इलाज न समझा जाए। किसी गंभीर समस्या का पूर्ण इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सरसों तेल का उपयोग व सरसों के तेल के फायदे बता रहे हैं। इसके अलावा, सरसों के तेल के नुकसान के बारे में भी हम लेख में काफी कुछ जानेंगे।

नीचे है विस्तृत जानकारी

इस लेख के पहले भाग में हम सरसों का तेल क्या है, इस बारे में जानेंगे।

सरसों का तेल क्या है? – What is Mustard Oil in Hindi

सरसों के तेल को सरसों (पौधा) के बीजों से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका जुनसा है, जिसे विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे मस्टर्ड, तेलुगु में अवन्यून, मलायम में कदुगेना और मराठी में मोहरीच कहा जाता है। सरसों के बीज भूरे, लाल और पीले रंग के होते है। मशीनों की मदद से इनमें से तेल निकाला जाता है। भारत में इसका प्रचलन ज्यादा है और प्रतिदिन बनने वाले भोजन में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल जायका बढ़ाने के साथ-साथ भोजन को पौष्टिक भी बनाता है।

आगे जानिए सरसों के तेल के प्रकारों के बारे में।

सरसों के तेल के प्रकार – Types of Mustard Oil in Hindi

सरसों के तेल के कई प्रकार होते हैं, जो इस तरह से हैं:

  • रिफाइंड सरसों का तेल : सरसों के बीजों से यह तेल मशीनों के जरिए निकाला जाता है। इसका स्वाद कड़वा होता है। इस प्रकार के तेल का इस्तेमाल भारत में खाना बनाने के लिए किया जाता है। रिफाइंड सरसों का तेल काले, भूरे या सफेद सरसों के बीजों से निकाला जाता है।
  • ग्रेड-1 (कच्ची घानी) : इसे आमतौर पर कच्ची घानी के नाम से जाना जाता है। यह सरसों के तेल का शुद्ध रूप है। यही वजह है कि अधिकतर भारतीय गृहणी भोजन बनाने के लिए इसी तेल का इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। इस प्रकार का सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।
  • ग्रेड-2 : इस तेल का इस्तेमाल भोजन बनाने के लिए नहीं, बल्कि थेरेपी के लिए किया जाता है।

आगे और जानें

आइए, अब सरसों के तेल के फायदे भी जान लेते हैं।

सेहत के लिए सरसों के तेल के फायदे – Health Benefits of Mustard Oil in Hindi

यहां हम बता रहे हैं कि शरीर से जुड़ी समस्याओं के लिए यह तेल किस प्रकार फायदेमंद है।

1. जोड़ों का दर्द/गठिया/मांसपेशियों का दर्द

आज से नहीं, बल्कि वर्षों से सरसों के तेल को जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। नियमित रूप से इस तेल से मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। इससे जोड़ों व मांसपेशियों की समस्या को दूर रखने में मदद मिल सकती है। वहीं, सरसों के तेल में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड भी जोड़ों के दर्द और गठिया की समस्या में सहायक साबित हो सकता है (1)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि सरसों तेल के फायदे जोड़ों के दर्द, गठिया और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।

2. हृदय स्वास्थ्य

सरसों तेल के फायदे हृदय स्वस्थ के लिए भी सहायक हो सकते हैं। दरअसल, एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, सरसों का तेल मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA & PUFA) के साथ-साथ ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से समृद्ध होता है। ये दोनों फैटी एसिड मिलकर इस्केमिक हृदय रोग (रक्त प्रवाह की कमी के कारण) की आशंका को 50 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं (2)। वहीं, एक दूसरे शोध में दिया है कि सरसों के तेल को हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला) और हाइपोलिपिडेमिक (लिपिड-लोअरिंग) प्रभाव के लिए भी जाना जाता है (3)। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) के स्तर को कम कर सकता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे हृदय रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है।

3. कैंसर

कैंसर एक घातक बीमारी है, जिससे हर कोई बचना चाहता है। ऐसे में सरसों के तेल का इस्तेमाल इस समस्या से बचने के लिए कुछ हद तक मदद कर सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि एलिल आइसोथियोसाइनेट (सरसों के तेल) में एंटी कैंसर गुण होते हैं, जो कैंसर सेल्स के विकास को रोकने का काम कर सकते हैं (4)। इसके अलावा, एक दूसरा अध्ययन भी यही साबित करता है। इस अध्ययन में कोलन कैंसर से प्रभावित चूहों पर सरसों, मकई और मछली के तेल के असर का परीक्षण किया गया। इस शोध में पाया गया कि कोलन कैंसर को रोकने में मछली के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक प्रभावी साबित हुआ (5)।

ऐसे में माना जा सकता है कि सरसों के तेल के फायदे कैंसर जैसी समस्या से बचे रहने में भी मदद कर सकते हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि कैंसर एक घातक और जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज डॉक्टरी परामर्श के बिना संभव नहीं। इसलिए, पूर्ण इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें और सरसों के तेल के इस्तेमाल के लिए सलाह लें।

4. दांत संबंधी समस्या

सरसों के तेल के लाभ दांत संबंधी समस्याओं में भी कारगर साबित हो सकते है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तेल को हल्दी के साथ इस्तेमाल करने पर मसूड़ों की सूजन और पेरियोडोंटाइटिस (मसूड़ों से जुड़ा संक्रमण) से निजात मिल सकती है (6)। वहीं, सरसों तेल और नमक का उपयोग मौखिक स्वच्छता में भी सुधार करने का काम कर सकता है (7)। सरसों तेल, हल्दी और नमक को पेस्ट की तरह उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आधा चम्मच सरसों का तेल, एक चम्मच हल्दी और आधा चम्मच नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट से दांतों और मसूड़ों पर कुछ मिनट तक मालिश करें। इसे हफ्ते में तीन-चार बार उपयोग कर सकते हैं। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है, ताकि इसमें मौजूद कौन सा गुण दंत स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो सके।

5. अस्थमा

अस्थमा श्वसन तंत्र से संबंधित एक समस्या है। इससे राहत पाने में पीली सरसों तेल के फायदे कुछ हद तक सहायक साबित हो सकते हैं। दरअसल, इस संबंध में कई वैज्ञानिक शोध किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि सरसों के तेल में पाया जाने वाला सेलेनियम अस्थमा के प्रभाव को कम करने में सहायक साबित हो सकता है (7)।

6. ब्रेन फंक्शन को बूस्ट करने के लिए

सरसों के तेल के लाभ ब्रेन फंक्शन को बढ़ावा देने में भी उपयोगी हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, सरसों के तेल में मौजूद फैटी एसिड सबसेलुलर मेम्ब्रेंस (उपकोशिकीय झिल्ली) की संरचना में बदलाव करने में मदद कर सकता है, जिससे मेम्ब्रेन-बाउंड एंजाइमों की गतिविधि को रेगुलेट किया जा सकता है। यह मस्तिष्क के कार्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है (8)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि सरसों का तेल दिमागी कार्य क्षमता को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित हो सकता है।

7. एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी

सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट सूजन संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने का काम कर सकता है। साथ ही सरसों के तेल में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण के कारण इसे डिक्लोफेनाक के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो एक एंटीइंफ्लेमेटरी दवा है (9)।

वहीं, सरसों के तेल से संबंधित एक अन्य शोध से पता चलता है कि इसमें अनावश्यक बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं के पनपने से रोकने की क्षमता पाई जाती है। इसके अलावा, यह काफी हद तक फंगस के प्रभाव को कम करने में भी सहायक साबित हो सकता है (10)। ऐसे में यह माना जा सकता है कि फंगल के कारण त्वचा पर होने वाले रैशेज और संक्रमण के इलाज करने में सरसों का तेल मददगार हो सकता है।

8. कीट निवारक

सरसों तेल लगाने के फायदे कीट निवारक के रूप में भी हासिल किए जमा सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के हिसाब से इस तेल को त्वचा पर लगाने से मच्छर या अन्य कीड़े-मकोड़े दूर रहते हैं। इसके अलावा, यह गुणकारी तेल एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के प्रभाव को भी बेअसर कर सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध एक शोध में स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है (11)।

9. संपूर्ण स्वास्थ्य

सरसों का तेल खाने के फायदे संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का काम कर सकता है। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह खास तेल जोड़ों व मासपेशियों की दर्द जैसी सामान्य समस्या से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी सुरक्षा प्रदान कर सकता है (1) (5)। वहीं, सरसों का तेल कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित कर शरीर के सबसे अहम भाग हृदय को भी स्वस्थ्य रखने का काम कर सकता है (3)। आंतरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ सरसों त्वचा को भी संक्रमण से दूर रख सकता है (12)। साथ ही फटे होंठ व त्वचा पर रैशेज के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

10 . त्वचा के लिए (एंटी-एजिंग)

सरसों तेल लगाने के फायदे त्वचा के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। खासकर, बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने में यह सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है। दरअसल, एक शोध में बताया गया है कि सरसों के तेल में ओमेगा-3, ओमेगा-6 फैटी एसिड , एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई की भरपूर मात्रा पाई जाती है। शरीर में इन तत्वों की कमी से उम्र बढ़ने की समस्या तेज हो सकती है (13)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि बढ़ती उम्र के प्रभाव को धीमा करने में सरसों का तेल काफी हद तक सहायक साबित हो सकता है।

11. बालों के लिए

कई लोग सरसों के तेल को बालों में लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जो बालों और स्कैल्प के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसके उपयोग से बालों के विकास में मदद मिल सकती है। इसके लिए सरसों के तेल में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, इस तेल में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल प्रभाव भी पाए जाते हैं, जो रूसी की समस्या को पनपने से रोक सकते हैं। इससे स्कैल्प पर खुजली की समस्या से भी राहत मिल सकती है (14)। ऐसे में कहा जा सकता है कि बालों में सरसों का तेल लगाने के फायदे काफी हद तक उपयोगी साबित हो सकते हैं।

बने रहें हमारे साथ

सरसों तेल के फायदे जानने के बाद इसमें मौजूद पौष्टिक तत्वों के बारे में जानेंगे।

सरसों के तेल में मौजूद पौष्टिक तत्व – Mustard Oil Nutritional Value in Hindi

सरसों के तेल के गुण में कई तरह के पोषक तत्व शामिल है, जिसे आसानी से समझने के लिए एक टेबल का उपयोग कर रहे हैं (15)।

पोषक तत्वमूल्य प्रति 100g
ऊर्जा884 kcal
टोटल लिपिड (फैट)100 g
फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड11.582 g
फैटी एसिड, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड59.187 g
फटी एसिड, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड21.23 g

पढ़ते रहें आर्टिकल

इस लेख के अगले हिस्से में हम सरसों के तेल का उपयोग कैसे-कैसे किया जा सकता है, इसकी जानकारी दे रहे हैं।

सरसों के तेल का उपयोग – How to Use Mustard Oil in Hindi

वैसे तो सरसों के तेल को कई तरह के व्यंजन तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा भी इस तेल को अन्य तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है। इसकी जानकारी हम नीचे विस्तार से दे रहे हैं।

कैसे करें उपयोग:

  • सरसों का तेल शाकाहारी और मांसाहारी आहार बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • इस तेल को अचार बनाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
  • इसे नींबू और शहद के साथ सलाद में डालकर भी उपयोग किया जा सकता है।
  • इससे दाल को तड़का लगा सकते हैं।
  • गोभी मंचूरियन व नूडल जैसे चाइनीज खाद्य सामग्री में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसके अलावा, इस तेल को बालों और त्वचा पर लगाने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।

कब करें उपयोग:

  • इससे बने शाकाहारी और मांसाहारी आहार को दोपहर या रात में खाया जा सकता है।
  • सरसों तेल से बने अचार को दोपहर व रात के खाने के अलावा सुबह नाश्ता के साथ भी उपयोग कर सकते हैं।
  • इससे बने पनीर टिक्का व गोभी मंचूरियन को शाम के स्नैक्स के रूप में ले सकते हैं।
  • इसके अलावा, रही बात बालों और त्वचा में लगाने की तो इसे नहाने के बाद त्वचा और बालों में लगाया जा सकता है। कई लोग सरसों के तेल को बालों में रात में सोने से पहले भी लगते हैं।

कितना करें उपयोग:

  • वैसे तो सरसों तेल को इस्तेमाल करने की कोई निश्चित मात्रा नहीं है, लेकिन इसे हमेशा कम मात्रा में ही उपयोग किया जाना चाहिए। इसकी सही मात्रा जानने के लिए खाद्य विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं।

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आइए, अब यह जान लेते हैं कि सरसों के तेल को कैसे सुरक्षित रखना चाहिए।

सरसों के तेल को लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें? – How to Store Mustard Oil in Hindi?

निम्न बिन्दुओं के माध्यम से हम सरसों के तेल को सुरक्षित रखने के बारे में जान सकते हैं।

  • सरसों का तेल आवश्यकतानुसार मात्रा में ही खरीदें।
  • अगर तेल को अच्छी तरह स्टोर किया जाए, तो इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • तेल को हमेशा एयरटाइट कंटेनर और घर के सामान्य तापमान में ही रखें।

सरसों तेल के फायदे और इस्तेमाल करने के तरीके जानने के बाद अब सरसों के तेल के नुकसान भी जान लेते हैं।

सरसों के तेल के नुकसान – Side Effects of Mustard Oil in Hindi

इस तेल के अधिक सेवन से कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं, जो इस प्रकार से हैं :

  • सरसों के तेल में इरुसिक नाम का एसिड मौजूद होता है, जो हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इरुसिक एसिड हृदय की मांसपेशियों में लिपिडोसिस (ट्राइग्लिसराइड्स का जमाव) का कारण बन सकता है और हृदय के टिशू को क्षतिग्रस्त कर सकता है (16) (17)।
  • कुछ लोगों को त्वचा पर सरसों तेल के इस्तेमाल से एलर्जी हो सकती है (18)।

सरसों तेल के इतने फायदे पढ़कर हैरान न होइए, यह बात पूरी तरह सच है, जिसे कई वैज्ञानिक प्रमाण द्वारा साबित भी किया गया है। फिर भी ध्यान रहे कि सरसों का तेल सिर्फ इन समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक साबित हो सकता है। यह किसी समस्या का पूर्ण इलाज नहीं है। अगर कोई किसी रोग से पीड़ित है, तो डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता दें। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर ही इस तेल के इस्तेमाल करें। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पाठक के लिए उपयोगी साबित होगी।

चलिए, अब सरसों के तेल से जुड़े पाठकों के कुछ सवालों को सुलझाने का प्रयास करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

कच्ची घानी सरसों का तेल क्या है?

यह कोल्ड प्रेस्ड सरसों का तेल होता है, जिसे कच्चे ग्रेड 1 सरसों के तेल के रूप में भी जाना जाता है। यह सरसों के तेल का एक प्रकार है, जिसकी जानकारी हम ऊपर प्रकार वाले भाग में दे चुके हैं।

क्या हम गीले बालों पर सरसों का तेल लगा सकते हैं?

जी नहीं, सरसों के तेल को गीले बालों में नहीं लगाना चाहिए। नहाने के बाद बालों को हल्का सूखने दें या तौलिए से पोंछकर इसे इस्तेमाल करें, ताकि बालों में सरसो का तेल लगाने के फायदे बेहतर तरीके से हासिल हो सकें।

क्या नियमित रूप से सरसों का तेल लगाने से त्वचा काली पड़ जाती है?

जी नहीं, सरसों तेल के नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग काला नहीं होता है, बल्कि इससे त्वचा चमकदार बन सकती है। फिलहाल, इस बात की पुष्टि करने के लिए किसी तरह का वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है।

मुझे अपने बालों पर सरसों का तेल कितने समय तक लगाए रखना चाहिए?

सरसों के तेल को आप लगाकर पूरी रात के लिए छोड़ सकते हैं।

क्या सरसों के तेल की तुलना में रिफाइंड तेल बेहतर है?

नहीं, रिफाइंड ऑयल की तुलना में सरसों का तेल ज्यादा अच्छा होता है। यह प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है (19)।

सरसों के तेल से फैट हटाने के तरीके क्या हैं?

एक पुरानी विधि की मदद से सरसों के तेल से फैट को कम किया जा सकता है। इसके लिए सरसों के बीजों को पीसकर उसे पानी के साथ मिला सकते हैं और इस मिश्रण द्वारा तेल प्राप्त कर सकते हैं। इस विधि द्वारा प्राप्त किए गए तेल में आमतौर पर अन्य तेलों की तुलना में कम फैट होता है।

अगर सरसों के तेल से एलर्जी है, तो कैसे पता चलेगा?

हमने इस लेख के नुकसान वाले भाग में बताया है कि सरसों के तेल से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। इसका असर त्वचा पर दिखाई दे सकता है। अगर किसी को इसके इस्तेमाल से एलर्जी होती है, तो इस तेल का इस्तेमाल करना बंद कर दें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

क्या सरसों का तेल (टॉक्सिक) विषाक्त होता है?

वैसे तो सरसों के तेल में प्रत्यक्ष रूप से टॉक्सिक नहीं होता, लेकिन इसमें इरुसिक एसिड की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जिसे अधिक मात्रा में लेने पर यह टॉक्सिक हो सकता है (20)।

अन्य भाषाओं में सरसों का तेल क्या कहा जाता है?

सरसों के तेल को अंग्रेजी में मस्टर्ड ऑयल, तेलुगु में अवन्यून, मलायम में कदुगेना और मराठी में मोहरीच कहा जाता है। इसकी जानकारी लेख में ऊपर विस्तार से दी गई है।

सरसों तेल की तासीर कैसी होती है?

सरसों तेल की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे कम मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए।

सरसों के तेल में कपूर मिलाकर लगाने के फायदे?

अगर आप सोच रहे हैं कि सरसों के तेल में क्या मिलाकर लगाएं, तो हम आपको बता दें कि इसमें कपूर को मिलकर लगाने से घुटनों और जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है। साथ ही त्वचा में निखार भी आ सकता है (21)।

सरसों के तेल की मालिश करने से क्या फायदा होते हैं?

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि सरसों के तेल की मालिश के फायदे बढ़ते उम्र के प्रभाव को धीमा कर सकते हैं। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि इसकी मालिश से त्वचा को टाइट किया जा सकता है।

सरसों का कच्चा तेल पीने से क्या फायदा हो सकता है?

सरसों का तेल पीने के फायदे कई हो सकते हैं, जिनमें ऊपर बताए गए लाभ शामिल हैं, लेकिन इसे हमेशा खाद्य पदार्थ के साथ ही इस्तेमाल में लाना चाहिए।

सरसों के तेल और लहसुन मिलाकर खाने से क्या फायदा हो सकता है?

सब्जी तैयार करते समय सरसों के तेल में तले हुए लहसुन का सेवन किया जा सकता है। वहीं, सरसों के तेल में लहसुन का तड़का लगाकर नाक में उपयोग किया जाता है, जिससे खर्राटे की समस्या कम हो सकती है। फिलहाल, इस तथ्य के संबंध में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

References

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  1. Therapeutic evaluation of “Ayush Tulsi Jiwan Plus” oil for chronic musculoskeletal pain relief
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  2. Definitions and potential health benefits of the Mediterranean diet: views from experts around the world
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4222885/
  3. Hypolipidemic Effect of Mustard Oil Enriched With Medium Chain Fatty Acid and Polyunsaturated Fatty Acid
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21621386/
  4. Allyl isothiocyanate as a cancer chemopreventive phytochemical
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2814364/
  5. Chemopreventive Effects of Dietary Mustard Oil on Colon Tumor Development
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  6. Role of curcumin in systemic and oral health: An overview
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  7. To Study the Beneficial Effect of Mustard Oil and Salt Massaging With Oral Prophylaxis in Patients With Gum Diseases
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  8. Influence of Dietary Fat on the Activities of Subcellular Membrane-Bound Enzymes From Different Regions of Rat Brain
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  9. Thermal, Mechanical and Electrochemical Characterization of Gelatin-Based Physical Emulgels
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  10. Antifungal Activity of Essential Oils Evaluated by Two Different Application Techniques Against Rye Bread Spoilage Fungi
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  11. Evaluation of Botanicals as Repellents Against Mosquitoes
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/15119071/
  12. Comparative study on the antibacterial activities of Neem oil, Mustard oil and Black seed oil against Staphylococcus aureus, Klebsiella pneumoniae, Bacillus cereus, Salmonella typhi and Pseudomonas aeruginosa
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  16. Various Concentrations of Erucic Acid in Mustard Oil and Mustard
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  21. A Comparative Study To Evaluate The Effect Of Warm Mustard Oil Vs. Warm Mustard Oil With Camphor On Relief Of Knee Joint Pain Among Rural Women In Selected Areas Of Puducherry
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Dt. Arpita Jain
Dt. Arpita JainMSc (Clinical Nutrition & Dietitics)
Dt. Arpita Jain is a Clinical Dietitian and Certified Sports Nutritionist with 4 years of experience. She is also the founder of HEALVICK [Live Healthy. Feel Younger] in Mumbai, India. She has a Master's degree in Clinical Nutrition and Dietetics from SNDT University.

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Puja Kumariहेल्थ एंड वेलनेस राइटर
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