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सामाजिक, पारिवारिक और ऑफिस की जिम्मेदारियों का बोझ किसी को भी मानसिक रोगी बना सकता है। वहीं, आज के आधुनिक दौर में भी मानसिक रोग को पागलपन से जोड़कर देखा जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। दरअसल, शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ मानसिक समस्या का इलाज भी जरूरी है। कुछ मामलों में मानसिक विकार गंभीर रूप तक ले लेता है, जिसे मेडिकल भाषा में सिजोफ्रेनिया कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता), दिमाग से जुड़ी एक बीमारी है जिससे दुनियाभर में लगभग 2.1 करोड़ लोग पीड़ित हैं। इसके बावजूद, सिजोफ्रेनिया के कारण पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत लोगों को सही इलाज नहीं मिल पाता है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम सिजोफ्रेनिया के कारण से ले कर सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय और बचाव के बारे में बताएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) क्या होता है।
सिजोफ्रेनिया क्या है? – What is Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) एक मानसिक विकार है, जो पीड़ित व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस दौरान व्यक्ति एक काल्पनिक दुनिया जीने लगता है। उसे ऐसे आवाजें सुनाई देती हैं, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं। सिजोफ्रेनिया के चलते व्यक्ति को बात करने में भी समस्या होने लगती है (2)। इसका असर उसके पूरे जीवन पर पड़ता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने जीवन सभी काम जैसे – पढ़ाई, नौकरी व परिवार की जिम्मेदारियां आदि का ध्यान रखने में समस्या होने लगती है (3)। आपको बता दें कि हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
लेख के अगले भाग में सिजोफ्रेनिया के प्रकार के बारे में जानिए।
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के प्रकार – Types of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया के पांच प्रकार बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं (4):
- कैटेटोनिक सिजोफ्रेनिया
- डिसआर्गेनाइज्ड सिजोफ्रेनिया
- पैरानॉयड सिजोफ्रेनिया
- अन्डिफरेन्शिएटिड सिजोफ्रेनिया
- रेसिडुअल सिजोफ्रेनिया
आइए, अब आपको सिजोफ्रेनिया के चरण के बारे में बताते हैं।
सिजोफ्रेनिया के चरण – Stages of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) को चार चरण में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार हैं (5):
- पहला चरण : इसे प्रीमॉर्बिड स्टेट कहा जाता है। इस दौरान सोचने समझने की क्षमता में कमी की अनुभूति होने लगती है।
- दूसरा चरण : इसे प्रोड्रोम स्टेज कहा जाता है। इस दौरान कुछ सायकोटिक लक्षण जैसे हैलुसिनेशन (जो न हो उसका दिखाई या सुनाई देना) का अहसास होने लगता है (6), लेकिन ये गंभीर नहीं होते हैं।
- तीसरा चरण : इस दौरान सभी सायकोटिक लक्षण साफ दिखने लगते हैं। इस चरण तक पहुंचने के बाद सिजोफ्रेनिया का इलाज होने की संभावना 25 प्रतिशत रह जाती है।
- चौथा चरण : यह सिजोफ्रेनिया का आखिरी चरण होता है। इस चरण तक आते-आते व्यक्ति पूरी तरह से बीमार हो जाता है। साथ ही अपने सोचने-समझने की और रोजमर्रा के काम को ठीक से करने की क्षमता पूरी तरह से खो देता है।
यह जानने के बाद कि इसके प्रकार और चरण क्या है, आइए आपको बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया के कारण क्या हो सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया के कारण – Causes of Schizophrenia in Hindi
यह कहना मुश्किल होगा कि सिजोफ्रेनिया के पीछे कोई एक कारण काम करता है। जहां यह कारण महिला और पुरुष, दोनों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, यह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को जल्दी प्रभावित करता है। नीचे हमने प्रमुख सिजोफ्रेनिया के कारण बताए हैं :
- आनुवंशिक : अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक को भी सिजोफ्रेनिया है, तो 10 प्रतिशत तक आशंका होती है कि उनका बच्चा भी इसका शिकार हो सकता है।
- बायोकेमिकल कारक : दिमाग में मौजूद कुछ बायोकेमिकल, खासकर डोपामाइन नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर (दिमाग से सिग्नल ले जाने वाले केमिकल) के असंतुलित होने से सिजोफ्रेनिया हो सकता है। इस रासायनिक असंतुलन का कारण आनुवंशिक, जन्म दोष या गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रकार की जटिलताओं का होना भी हो सकता है।
- तनाव : माना जाता है कि तनाव सिजोफ्रेनिया के कारण में शामिल हो सकता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को अक्सर कहीं भी ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है, जिस वजह से वो चिंतित और चिड़चिड़े होने लगते हैं। इसके अलावा, इस स्थिति में परिवार और स्वयं पर ध्यान न दे पाना आदि भी स्ट्रेस का कारण बनता है। यहां पर यह कह पाना मुश्किल है कि तनाव के कारण सिजोफ्रेनिया हो रहा है या सिजोफ्रेनिया के कारण तनाव हो रहा है।
इस बीमारी के कारण बताने के बाद, आइए अब आपको बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया के लक्षण क्या होते हैं।
सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) के लक्षण – Symptoms of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया के लक्षण कुछ दुर्लभ स्थितियों में बच्चों में दिखना शुरू होते हैं। इन्हें तीन भागों में बांटा जा सकता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है (7):
- पॉजिटिव लक्षण : इसमें पीड़ित के मनोवैज्ञानिक व्यवहार में बदलाव होने लगता है, जो आम व्यक्ति में नजर नहीं आता। इन लक्षणों के चलते व्यक्ति वास्तविकता से दूर होने लगता है। ये बदलाव कुछ इस तरह से होते हैं :
- हैलुसिनेशन (जो न हो उसका दिखाई या सुनाई देना)
- भ्रम
- सोचने समझने में समस्या होना
- शारीरिक गतिविधियां करने में समस्या होना
- नेगेटिव लक्षण : इन लक्षणों में पीड़ित व्यक्ति के सामान्य व्यवहार और भावनाओं में परिवर्तन आने लगते हैं, जैसे :
- चेहरे या आवाज में कोई भाव न होना
- रोजमर्रा के जीवन में भावनाओं का महसूस न होना
- कम बोलना
- कोई भी नया काम शुरू करने या पुराने को जारी रखने में समस्या
- कॉग्निटिव लक्षण : कुछ मरीजों में सिजोफ्रेनिया के ये लक्षण बहुत हल्के होते हैं, लेकिन कुछ के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, जैसे :
- बातों को समझ कर निर्णय लेने में समस्या होना
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या होना
- याददाश्त कम होना
सिजोफ्रेनिया के कारण, उसके लक्षण और प्रकार बताने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय के बारे में।
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies For Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है और इसके उपचार के लिए डॉक्टर से सही दवा व थेरेपी लेना जरूरी है। नीचे बताए गए कुछ घरेलू नुस्खे इलाज के प्रभाव को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में भी लाभकारी साबित हो सकते हैं। नीचे जानिए सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय।
1. हरी इलाइची
सामग्री :
- एक छोटा चम्मच इलाइची पाउडर
- एक गिलास गर्म पानी
- शहद
विधि :
- एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच इलाइची पाउडर मिला लें।
- अच्छी तरह मिलाने के बाद इस घोल को 10 मिनट के लिए छोड़ दें।
- 10 मिनट बाद इस घोल को छान लें और पानी अलग कर लें।
- आखिरी में इस पानी में शहद मिला लें और गुनगुना सेवन करें।
- इस घोल का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय में आप हरी इलाइची का उपयोग कर सकते हैं। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है और सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम कर सकती है (8)।
2. विटामिन
- विटामिन बी6 (चिकन, अंडे, मछली व स्टार्च भरी सब्जियां)
- विटामिन बी12 (मीट व डेयरी उत्पाद)
- विटामिन ए (डेयरी उत्पाद व हरी सब्जियां)
- विटामिन सी (साइट्रस फल, आलू व पालक)
- विटामिन ई (वेजिटेबल ऑइल व अंडे)
- विटामिन डी (मछली, अंडे की जर्दी व दूध)
- विटामिन सप्लीमेंट्स
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में कई विटामिन की कमी हो जाती है। इनमें से कुछ विटामिन जैसे विटामिन डी की कमी सिजोफ्रेनिया के कारण में शामिल में हो सकती है। ऐसे में विभिन्न विटामिन से समृद्ध खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट्स लेने से सिजोफ्रेनिया के लक्षण में कमी आ सकती है (9)। लेख के आने वाले भागों में आप जानेंगे कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इन विटामिन की कमी पूरी हो सकती है।
3. तुलसी की पत्तियां
सामग्री:
- तुलसी की पत्तियां
- सेज हर्ब
- पानी
विधि :
- एक कप पानी में चार से पांच तुलसी की पत्तियां और आधा चम्मच सेज हर्ब डाल कर उबाल लें।
- कुछ मिनट उबालने के बाद पानी को छान लें।
- जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए, तो इसका सेवन करें।
- आ जल्द परिणाम के लिए इसका सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
तुलसी की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी की पत्तियां मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को ठीक से काम करने में मदद करती हैं, जिससे सिजोफ्रेनिया के लक्षण से आराम मिल सकता है (8)। इसके अलावा, इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण होते हैं, जो सिजोफ्रेनिया के कारण होने वाले तनाव को कम करने में भी मदद करते हैं (10)।
4. जिनसेंग
सामग्री :
- सूखा जिनसेंग पाउडर
- पानी
विधि :
- एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच जिनसेंग पाउडर डालकर उबाल लें।
- लगभग 10 मिनट उबलने के बाद पानी को छान कर अलग कर लें।
- फिर पानी के गुनगुना होने पर सेवन करें।
- इस घोल का सेवन लगभग छह महीने तक दिन में एक बार किया जा सकता है।
कैसे काम करता है :
जिनसेंग के फायदे सिजोफ्रेनिया के लक्षण से आराम पाने में मदद कर सकते हैं। यह प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करता है, जिससे दिमाग से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है (11)।ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होने से सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद मिल सकती है। साथ ही जिनसेंग में न्यूरो प्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो दिमाग में न्यूरोन्स को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं (8) (12)।
5. ओमेगा-3 (फिश ऑयल)
सामग्री :
- ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स
विधि :
- डॉक्टर से परामर्श कर ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली, सोया, अखरोट, अंडे व दही आदि का सेवन भी किया जा सकता है (13)।
कैसे काम करता है :
शोध में पाया गया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड सिजोफ्रेनिया के लक्षण को रोकने में मदद कर सकता है। खासकर, कॉग्निटिव लक्षणों को रोकने में यह मददगार साबित हो सकता है। यह पीड़ित व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाने में मदद कर सकता है, लेकिन इस पर अभी और शोध होना बाकी है (14)।
6. ब्राह्मी
सामग्री :
- ब्राह्मी सप्लीमेंट
विधि :
- डॉक्टर से परामर्श कर ब्राह्मी सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सदियों से ब्राह्मी का उपयोग आयुर्वेद में किया जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सिजोफ्रेनिया का इलाज करने के लिए ब्राह्मी को एक प्रभावशाली दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। ब्राह्मी सप्लीमेंट का सेवन सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकता है (14)।
7. अश्वगंधा
सामग्री:
- अश्वगंधा सप्लीमेंट्स
विधि :
- डॉक्टर से परामर्श कर अश्वगंधा सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए अश्वगंधा का उपयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके अर्क के एंटी इन्फ्लेमेटरी और इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने वाले गुण सिजोफ्रेनिया के लक्षण, खासकर नेगेटिव लक्षण और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि अश्वगंधा सिजोफ्रेनिया का इलाज करने में मदद कर सकता है (15)।
8. कैमोमाइल
सामग्री :
- एक छोटा चम्मच सूखी कैमोमाइल
- एक कप पानी
विधि :
- एक कप पानी में एक छोटा चम्मच कैमोमाइल डालकर अच्छी तरह से उबाल लें।
- अच्छी तरह से उबाल जाने के बाद पानी (कैमोमाइल टी) को छान लें।
- फिर गुनगुने कैमोमाइल टी का सेवन करें।
- दिन में दो बार इस चाय का सेवन करें
कैसे काम करता है :
शरीर में पोटैशियम की कमी को हाइपोकैलीमिया कहा जाता है। यह भी सिजोफ्रेनिया के लक्षणों का एक कारण हो सकती है, जिसे सायकोसिस कहा जाता है (16)। इस परिस्थिति में कैमोमाइल टी का सेवन करने से फायदे मिल सकते हैं। इसमें पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो पोटैशियम की कमी को पूरा कर सकती है (17)
9. आंवला
सामग्री :
- आंवला पाउडर
- एक गिलास गर्म पानी
विधि :
- आंवले को सुखाकर, उसे बारीक पीस कर पाउडर बना लें।
- रोज एक चम्मच आंवला पाउडर का एक गिलास गर्म पानी के साथ सेवन करें।
- मरीज चाहे तो साबूत आंवला के फल का सेवन भी कर सकता है।
कैसे काम करता है :
आंवले को एक प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में कारगर साबित हो सकता है (18)। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि एंटीऑक्सीडेंट गुण सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में मदद करता है (12)। साथ ही आंवला रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे सिजोफ्रेनिया से लड़ने में मदद मिलती है (8)।
10. लिकोरिस (मुलेठी) पाउडर
सामग्री :
- दो चम्मच मुलेठी पाउडर
- दो कप पानी
विधि :
- दो कप पानी में दो चम्मच मुलेठी पाउडर को अच्छी तरह से मिला लें।
- इस घोल को एक पैन में डाल कर, तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न रह जाए।
- आधा हो जाने के बाद, इसे छान लें।
- फिर इसे ठंडा करके पिएं।
- इस घोल का सेवन रोज सुबह नाश्ते से एक घंटा पहले कर सकते हैं।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के बचाव के लिए मुलेठी का सेवन किया जा सकता है। यह दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाता है, ताकि मस्तिष्क ठीक से काम कर सके। इसके अलावा, यह दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर (दिमाग से सिग्नल ले जाने वाले केमिकल) और सिजोफ्रेनिया के कारण कम होने वाली याददाश्त को बढ़ाने में भी मदद करता है। खासकर, यह सिजोफ्रेनिया के कॉग्निटिव लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (19)।
11. गाजर
सामग्री :
- दो से तीन गाजर
- आधा कप पानी
विधि :
- गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े करके ब्लेंडर में डाल लें।
- अब इसमें लगभग आधा कप पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें।
- अच्छी तरह पिस जाने के बाद, इस जूस को छानकर गिलास में डाल लें।
- आप दिन में दो बार इस जूस का सेवन करें।
- आप गाजर को सलाद की तरह भी खा सकते हैं।
कैसे काम करता है :
गाजर का उपयोग सिजोफ्रेनिया का उपचार करने के लिए किया जा सकता है। गाजर में नियासिन (विटामिन बी3) पाया जाता है (20)। शोध में पाया गया है कि नियासिन की कमी भी सिजोफ्रेनिया के लक्षण में शामिल है। साथ ही न्यूरोन्स की कमी और हैलुसिनेशन में भी वृद्धि हो सकती है। इस परिस्थिति में नियासिन से समृद्ध खाद्य पदार्थ जैसे गाजर का सेवन करने से सिजोफ्रेनिया के लक्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम (psychotic features) को कम करने में मदद मिल सकती है (21)।
12. जिन्कगो बिलोबा
सामग्री :
- जिन्कगो बिलोबा सप्लीमेंट्स
विधि :
- डॉक्टर से परामर्श कर जिन्कगो बिलोबा सप्लीमेंट्स का सेवन करें।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया के कारण में फ्री रेडिकल्स या ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का प्रभाव भी शामिल। ऐसे में एक प्रभावशाली एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे जिन्कगो बिलोबा इस कारण को कम करने में मदद कर सकता है। यह सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव लक्षण को कम करने में मदद करता है और एंटी-सायकोटिक दवाइयों (मनोविकार के प्रति प्रभावकारी दवा) के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करता है (22)।
13. पालक
सामग्री :
- पालक की सब्जी
विधि :
- आप घर में पालक की सब्जी बना सकते हैं।
- पालक को सलाद के साथ मिला कर भी खाया जा सकता है।
कैसे काम करता है :
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति में अक्सर फोलेट (विटामिन बी9) की कमी हो जाती है, खासकर प्लाज्मा फोलेट का स्तर ज्यादा कम हो जाता है। फोलेट की यह कमी उनके लिए सिजोफ्रेनिया से जल्द उबरने में बाधा बन सकती है (23)। ऐसे में पालक का सेवन सिजोफ्रेनिया का उपचार होने की दर बढ़ाने में मददगार हो सकता है। पालक में भरपूर मात्रा में फोलेट पाया जाता है, जिससे उसकी कमी को पूरा किया जा सकता है (24)।
14. कावा कावा
सामग्री :
- एक बड़ा चम्मच कावा कावा पाउडर
- एक गिलास पानी
विधि :
- एक गिलास पानी में कावा पाउडर अच्छी तरह से मिला लें।
- पाउडर को लगभग 10 मिनट तक पानी में अच्छी तरह मिलाएं।
- पूरी तरह मिल जाने के बाद पानी को छान लें और उसका सेवन करें।
- इसका सेवन दिन में एक बार किया जा सकता है।
नोट : कावा कावा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी हैं, क्योंकि इसका सेवन सिजोफ्रेनिया की अन्य दवाइयों पर प्रभाव डाल सकता है।
कैसे काम करता है :
कावा के गुण सिजोफ्रेनिया के पॉजिटिव और नेगेटिव लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही यह सिजोफ्रेनिया के सायकोटिक लक्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम को कम करने में भी मदद कर सकता है। फिलहाल, यह कहना मुश्किल होगा कि सिजोफ्रेनिया के लक्षण कम करने में कावा कावा के कौन-से गुण काम करते हैं (25)।
नोट : सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय क्या-क्या हैं, यह तो आप जान ही चुके हैं। साथ ही ध्यान रहे कि ये सभी उपाय सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम करने में सिर्फ मदद कर सकते हैं। साथ ही, ये मरीज के ठीक होने की गति को भी बढ़ा सकते हैं, लेकिन स्पष्ट तौर पर यह कहना मुश्किल है कि ये सिजोफ्रेनिया का उपचार करने में कितने लाभकारी हैं।
सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए कि सिजोफ्रेनिया के जोखिम कारक क्या हो सकते हैं।
सिजोफ्रेनिया के जोखिम कारक – Risk Factors of Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया के कारण के अलावा कुछ और जोखिम कारक भी हैं, जो सिजोफ्रेनिया होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जैसे (7) :
- शराब और दूसरे नशों का सेवन
- कुछ प्रकार के वायरस से संपर्क
- जन्म के समय कुपोषण
- जन्म दोष
- मनोसामाजिक कारक
लेख के द्वारा सिजोफ्रेनिया के लिए घरेलू उपाय बताने के बाद, आइए अब आपको बता दें कि दवा और थेरेपी से सिजोफ्रेनिया का इलाज कैसे किया जा सकता है।
सिजोफ्रेनिया का इलाज – Treatment of Schizophrenia in Hindi
लेख के इस भाग की शुरुआत करने से पहले हम आपको एक बार फिर बता दें कि सिजोफ्रेनिया का इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है। नीचे बताई जाने वाली दवाइयां और थेरेपी सिर्फ सिजोफ्रेनिया के लक्षण को कम कर सकती हैं (7)।
- एंटीसायकोटिक ट्रीटमेंट : एंटीसायकोटिक का मतलब होता है सायकोटिक लक्षण जैसे हैलुसिनेशन और भ्रम को कम करने वाली दवाइयां (26)। इस ट्रीटमेंट को टेबलेट या सिरप के रूप में दिया जाता है। कुछ स्थितियों में एंटीसायकोटिक दवाइयों के इंजेक्शन भी लगते हैं। शुरुआत में इस ट्रीटमेंट के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन वो कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।
- साइकोसोशल ट्रीटमेंट : यह एक प्रकार की थेरेपी होती है, जिसकी शुरुआत मरीज के लिए सही दवा मिल जाने के बाद की जाती है। यहां हम बता दें कि सभी मरीजों के लिए सभी दवाइयां काम नहीं करती हैं। इसलिए, डॉक्टर पहले चेक करते हैं कि मरीज को कौन-सी दवा फायदा करेगी। साइकोसोशल ट्रीटमेंट में डॉक्टर मरीज को रोजमर्रा के काम जैसे ऑफिस जाना व पढ़ाई करना आदि में ध्यान लगाने में मदद करते हैं।
- कॉर्डिनेट स्पेशयलिटी केयर (Coordinated Specialty Care) : इस ट्रीटमेंट में दवाइयां, थेरेपी, परिवार की मदद लेना, पढ़ाई और काम में ध्यान लगाने की थेरेपी आदि सब शामिल होता है। इसमें सभी लक्षणों को कम करने और रोजमर्रा के कम करने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया जाता है।
आइए, अब आपको बताते हैं कि जब सिजोफ्रेनिया का इलाज चल रहा हो, तब क्या खाना चाहिए।
सिजोफ्रेनिया में क्या खाना चाहिए – What to eat during Schizophrenia in Hindi
जैसा कि हम लेख में पहले बता चुके हैं कि कुछ पोषक तत्वों की कमी सिजोफ्रेनिया का इलाज होने की दर में कमी ला सकती हैं (9)। ऐसे में उन सभी खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है, जो इन पोषक तत्वों की कमी पूरा कर सके।
- विटामिन-बी6 के लिए चिकन, अंडे, मछली, स्टार्च भरी सब्जियां जैसे आलू, मटर, हरे केले, कॉर्न का सेवन किया जा सकता है (9) (27)।
- विटामिन-बी12 के लिए मीट, डेयरी उत्पाद व सिरियल्स आदि का सेवन किया जा सकता है (9)।
- विटामिन-ए के लिए अंडे, डेयरी उत्पाद व हरी सब्जियां का सेवन किया जा सकता है (9)।
- विटामिन-सी के लिए साइट्रस फल, लाल और पीली बेल पेप्पर, टमाटर व ब्रोकली का सेवन किया जा सकता है (28)।
- विटामिन-ई के लिए वेजिटेबल ऑयल जैसे सूरजमुखी, सोयाबीन, कॉर्न का तेल, बादाम, मूंगफली, हेज़लनट, पालक व ब्रोकली का सेवन किया जा सकता है (29)।
- विटामिन-डी के लिए मछली, अंडे की जर्दी व दूध का सेवन किया जा सकता है (9)।
- गाजर के साथ आप फोलेट से समृद्ध अन्य खाद्य पदार्थ भी खा सकते हैं, जैसे चिकन, अंडे, मशरूम, साबुत अनाज व बीन्स आदि (30)।
यह जानने के साथ कि सिजोफ्रेनिया में क्या खाना चाहिए, यह भी जानना जरूरी है कि क्या नहीं खाना चाहिए। इस बारे में जानिये लेख के अगले भाग में।
सिजोफ्रेनिया में परहेज – What to Avoid During Schizophrenia in Hindi
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को नीचे बताई गई बातों से परहेज रखने की सलाह दी जाती है।
- सबसे पहले तो उन सभी पदार्थों का सेवन करने से बचना जरूरी है, जिनकी वजह से सिजोफ्रेनिया के लक्षण बढ़ सकते हैं, जैसे शराब और अन्य नशीले पदार्थ ।
- जैसा कि हम बता चुके हैं कि तनाव भी सिजोफ्रेनिया का एक कारण हो सकता है । ऐसे में चिंता करने से बचना सिजोफ्रेनिया के बचाव की तरह काम कर सकता है।
- सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को धूम्रपान करने से भी बचना चाहिए (31)।
- सिजोफ्रेनिया के मरीज को नींद न आने की समस्या होती है, लेकिन उन्हें भरपूर नींद लेना जरूरी है (32)। ऐसे में उन सभी पदार्थों का सेवन करने से बचें, जो नींद में अड़चन पैदा कर सकते हैं, जैसे रात में चाय या कॉफी पीना आदि।
लेख के अगले भाग में जानिए कि सिजोफ्रेनिया के बचाव क्या होते हैं।
सिजोफ्रेनिया से बचने के उपाय – Prevention Tips for Schizophrenia in Hindi
जैसा कि कहा जाता है उपचार से बेहतर बचाव है और सिजोफ्रेनिया का तो कोई उपचार भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उससे बचना ही समझदारी होगी। नीचे बताए गए कुछ टिप्स सिजोफ्रेनिया के बचाव में मदद कर सकते हैं :
- शराब, धूम्रपान और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- सिजोफ्रेनिया के शुरूआती लक्षण महसूस होते ही डॉक्टर से परामर्श करें।
- भरपूर नींद लें।
- योग और व्यायाम करें, ताकि आपका मन शांत रहे और आप चिंता से दूर रहें।
- साधारण डॉक्टर की तरह ही, नियमित रूप से साइकोलोजिस्ट से मिलें और चेकअप करवाएं।
- अपने मानसिक स्वास्थ को नजरअंदाज न करें, फिर चाहे वह मानसिक थकान और तनाव ही क्यों न हो।
अब आप सिजोफ्रेनिया के बारे में लगभग सब समझ गए होंगे और इसके लक्षण जानने के बाद आपको यह भी समझ आ गया होगा कि यह कितनी खतरनाक बीमारी है। सिजोफ्रेनिया के लक्षण जैसे उन चीजों का दिखना या सुनाई देना जो नहीं हैं, इस पर आमतौर पर लोग आसानी से यकीन नहीं करते। कई बार इसे भूत-प्रेत की बाधा से भी जोड़ दिया जाता है और सिजोफ्रेनिया के कारण पीड़ित व्यक्ति अपना आत्मविश्वास खोने लगता है। उसे अक्सर ऐसा महसूस होने लगता है कि कोई उस पर भरोसा नहीं करता। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के परिवार और दोस्तों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि वो उस पर भरोसा करें और उसे सिजोफ्रेनिया का इलाज करवाने में मदद करें। सिजोफ्रेनिया के बचाव और उपचार के लिए कई सहयोगी ग्रुप बने हुए हैं, जिनकी मदद से पीड़ित व्यक्ति को आम जीवन जीने में मदद मिल सकती है। अगर अब भी आपके मन में सिजोफ्रेनिया से जुड़ा कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स के जरिए हमसे पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या सिजोफ्रेनिया आनुवंशिक है?
कुछ मामलों में सिजोफ्रेनिया आनुवंशिक हो सकता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अगर किसी के माता-पिता या दोनों में से किसी एक को भी सिजोफ्रेनिया है, तो 10 प्रतिशत आशंका है कि उनका बच्चा भी इसका शिकार हो सकता है ।
अगर सिजोफ्रेनिया का उपचार न किया जाए तो क्या होगा?
अगर समय रहते सिजोफ्रेनिया का उपचार शुरू न किया जाए, तो उसके चरण बढ़ने लगते हैं और लक्षण गंभीर होने लगते हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के भ्रम और हैलुसिनेशन बढ़ सकती हैं और अत्यंत बुरे मामलों में व्यक्ति आत्महत्या कर सकता है (33)।
क्या सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोग खतरनाक होते हैं?
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित ज्यादातर लोग खतरनाक नहीं होते है। हां, कुछ स्थितियों में मरीज को यह भ्रम होने लगता है कि आसपास के लोग उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे में आत्मरक्षा के चलते वो दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं (2)।
सिजोफ्रेनिया को नियंत्रित करने में कितना समय लगता है?
इस बारे में कहना मुश्किल है कि सिजोफ्रेनिया को नियंत्रित करने में कितना समय लग सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज सिजोफ्रेनिया के कौन-से चरण पर है। कई मामलों में मरीज को पूरी जिंदगी एंटीसायकोटिक लेने की जरूरत पड़ सकती है। जैसा कि हम लेख में पहले भी बता चुके हैं कि सिजोफ्रेनिया का पूरी तरह उपचार करना मुमकिन नहीं है। फिर इसके लक्षणों को ही नियंत्रित किया जा सकता है।
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