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साइनस एक ऐसी समस्या है, जिससे आज एक बड़ी आबादी ग्रसित है। चिकित्सा जगत में इसे ‘साइनोसाइटिस’ कहा जाता है। यह नाक संबंधी रोग है, जो नजला (जुकाम), सांस लेने में तकलीफ व चेहरे की मांसपेशियों में दर्द के साथ शुरू होता है। आगे चलकर यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। ध्यान रहे कि हर सर्दी-जुकाम को साइनस नहीं कहा जा सकता है। इसके कुछ विशेष लक्षण होते हैं, जिनके विषय में आपको पता होना चाहिए। इस लेख के जरिए हम आपको साइनस के इलाज और इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराएंगे ताकि आप जान सकें कि साइनस कैसे होता है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है।
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चलिए, जानते हैं साइनस बीमारी क्या है।
साइनस क्या है?
साइनस खोपड़ी (Skull) में हवा से भरी हुई जगह होती हैं। यह माथे, नाक की हड्डियों, गाल और आंखों के पीछे होती हैं। स्वस्थ साइनस में कोई बैक्टीरिया नहीं होता है, लेकिन साइनस यानी वायुविवरशोथ में जब सूजन हो जाती है या म्यूकस यानी बलगम जम जाता है, तो इसमें कीटाणु पनपने लगते हैं। इसी वजह से साइनस यानी वायुविवरशोथ में इंफेक्शन हो जाता है। यह संक्रमण साइनस इंफेक्शन व साइनसाइटिस कहलाता है (1)।
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साइनस क्या है, जानने के बाद अब हम साइनस के प्रकार बता रहे हैं।
साइनस के प्रकार – Types of Sinus in Hindi
वायुविवरशोथ यानी साइनस रोग चार प्रकार के होते हैं। क्या हैं वो प्रकार, हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (2) (3)।
- एक्यूट राइनोसाइनसाइटिस – एक्यूट व तीव्र साइनस सबसे कम अवधि वाला होता है। वाइरल इंफेक्शन की वजह से होने वाला यह साइनस चार या उससे कम हफ्तों तक रहता है। यह एक्यूट साइनस सामान्य रोगजनकों स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया, मोराक्सेला कैटरालिस और हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा की वजह से भी होता है।
- सबएक्यूट राइनोसाइनसाइटिस – सबएक्यूट साइनसाइटिस के लक्षण 3 महीने तक रह सकते हैं। यह स्थिति आमतौर पर जीवाणु संक्रमण या मौसमी एलर्जी की वजह से होती है।
- रिकरंट एक्यूट राइनोसाइनसाइटिस – यह एक ऐसे तरह का साइनस है, जो वक्त के साथ बार-बार होता है। एक साल में चार से पांच बार यह हो सकता है। हर बार 7 दिन तक इसके लक्षण दिखते हैं। बार-बार होने की वजह से यह रिकरंट कहलाता है।
- क्रॉनिक साइनसाइटिस – क्रॉनिक साइनस यानी लंबे समय तक रहने वाला साइनस है। इसके लक्षण 12 हफ्ते यानी करीब 3 महीने तक रहते हैं। यह एलर्जी, इंफेक्शन, म्यूकस व सूजन की वजह से हो सकता है।
- एलर्जिक साइनसाइटिस – इसके अलावा, एलर्जिक साइनसाइटिस भी होता है, जो किसी एलर्जी के कारण व्यक्ति को होता है। एलर्जिक साइनसाइटिस के उपचार का बेहतर तरीका एलर्जी पैदा करने वाली चीजों से बचना है।
बने रहें हमारे साथ
अब साइनस कैसे होता है यानी इसके कारण क्या हैं, यह जानते हैं। आगे हम साइनस रोग के लक्षण के बारे में बताएंगे।
साइनस के कारण – Causes of Sinusitis in Hindi
साइनस के कारण कई हो सकते हैं। इनमें से कुछ सामान्य वजह के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (1) (2)।
- सर्दी-जुकाम।
- एलर्जी।
- वायरस, फंगस और बैक्टीरिया।
- जानवरों के शरीर से निकलने वाली रूसी।
- प्रदूषित हवा।
- धुआं और धूल।
- नाक के छोटे बाल यानी सिलिया, जो नाक से म्यूकस को अच्छे से निकलने नहीं देते।
- नाक की हड्डी का नुकीले आकार में बढ़ना।
आगे है और जानकारी
साइनस के कारण के बाद जानें साइनस के लक्षण क्या हैं।
साइनस के लक्षण – Symptoms of Sinusitis in Hindi
साइनस क्यों होता है, यह जानने के बाद साइनस लक्षण को जानना भी जरूरी है। वयस्कों की बात करें, तो एक्यूट साइनसिसिस के लक्षण नजला या कोल्ड के साथ शुरू हो सकते हैं। जुकाम की यह स्थिति ठीक होने की जगह 5 से 7 दिन में और बिगड़ सकती है। इसी वजह से हम नीचे साइनस के कुछ आम लक्षणों के बारे में बता रहे हैं (1)।
- सांस से बदबू आना
- किसी तरह की गंध का न आना
- खांसी, जो रात को और ज्यादा हो जाती है।
- थकान और बीमार जैसा महसूस होना।
- बुखार आना।
- सिरदर्द।
- आंखों के पीछे दर्द और दांतों में दर्द।
- चेहरे का बहुत मुलायम होना।
- नाक बंद होना या बहना।
- गले में खराश।
बच्चों में साइनसाइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –
- सर्दी या सांस की बीमारी, जो बेहतर होते-होते फिर खराब होने लगती है।
- साइनस लक्षण में हाई फीवर भी शामिल है।
- नाक का बहना, जो कम से कम 3 दिनों तक रहता है।
- खांसी या बिना खांसी के नाक का बहना, जो 10 से अधिक दिनों से मौजूद है और इसमें सुधार नहीं हो रहा है।
पढ़ते रहें
चलिए, अब साइनस के घरेलू उपचार के बारे में बात करते हैं।
साइनस के घरेलू इलाज – Home Remedies for Sinusitis in Hindi
साइनस का घरेलू इलाज हम नीचे बता रहे हैं, लेकिन ध्यान दें कि ये साइनस बीमारी का उपचार नहीं हैं। ये केवल इससे बचाव व साइनस के लक्षण को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं। गंभीर स्थिति में साइनस के इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
1. एसेंशियल ऑयल
सामग्री:
- एसेंशियल ऑयल की दो से तीन बूंदें।
- यूकलिप्टस, रवेन्सरा, लोबान जैसे किसी भी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
उपयोग करने का तरीका:
- तेल को डिफ्यूजर में डाल कर इसकी खुशबू को सूंघें।
- हथेली में तेल लेकर नाक और सिर की हल्की मसाज भी कर सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
एसेंशियल ऑयल की खुशबू को सूंघने को एरोमाथेरेपी कहते हैं। यह थेरेपी साइनस की बीमारी में होने वाली सूजन और बैक्टीरिया से बचाव में मददगार हो सकती है। दरअसल, यूकलिप्टस, रवेन्सरा (Ravensara) और लोबान जैसे एसेंशियल ऑयल में सिनोल, अल्फा-टेरपिनोल, और अल्फा-पीनिन जैसे मोनोटर्पीन्स होते हैं। ये सभी मोनोटर्पीन एंटी-इंफ्लामेटरी और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसी वजह से माना जाता है कि ये एसेंशियल ऑयल साइनस में होने वाली सूजन से राहत दिलाने और पनपने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में सहायक हो सकते हैं (4)।
वहीं, तुलसी (Origanum syriacum), पिपरमिंट, गुलमेंहदी (Rosmarinus Officinalis) भी साइनस के लिए लाभदायक हो सकते हैं। एक स्टडी में कहा गया है कि इन जड़ी-बूटियों और इनके तेल में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गतिविधियां पाई जाती हैं। इसी वजह से ये एसेंशियल ऑयल्स नाक में वायु प्रवाह को बेहतर बनाने के साथ ही श्वसन पथ संबंधी परेशानी और खांसी से राहत दिलाने में मददगार हो सकते हैं (5)। इसके अलावा, तेलों की खुशबू साइनस का सिरदर्द भी कम कर सकती है, जो साइनस लक्षण में शामिल है।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
- एप्पल साइडर विनेगर की 5 से 10 बूंदें या बोतल का आधा ढक्कन।
उपयोग करने का तरीका:
- सेब का सिरका एक चौड़े बर्तन में डालें।
- अब उसमें करीब एक लीटर पानी डाल दें।
- फिर बर्तन को गैस पर रखकर गर्म करें।
- जैसे ही पानी से भाप निकलने लगे, बर्तन को गैस से उतार लें।
- फिर, तौलिए से सिर को ढककर भाप लें।
- स्टीमर हो, तो उसकी मदद से भाप लें।
- करीब पांच से 10 मिनट तक भाप लेते रहें।
- दिन में दो से तीन बार ऐसा किया जा सकता है।
कैसे लाभदायक है:
साइनस में होने वाले भारीपन को कम करने में भाप मदद कर सकती है (1)। इसी वजह से एप्पल साइडर विनेगर का इस्तेमाल करके भाप लेने को भी साइनस की बीमारी के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। सेब का सिरका एंटीमाइक्रोबियल गुण से भरपूर होता है। यह गुण बैक्टीरिया की वजह से होने वाले साइनस इन्फेक्शन को कम कर सकता है (6)।
3. लेमन बाम
सामग्री:
- एक छोटा चम्मच लेमन बाम ऑयल
- एक चम्मच लेमन बाम की सूखी पत्तियां
उपयोग करने का तरीका:
- लेमन बाम के तेल को हाथ में लेकर सिर, नाक और गले की मसाज कर सकते हैं।
- लेमन बाम की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में पी सकते हैं।
- दोनों ही तरीके लाभकारी हैं। दोनों को अपनाया जा सकता है या फिर दोनों में से एक को भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इसके अलावा, लेमन बाम ऑयल को डिफ्यूजर में डालकर सूंघ भी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
माना जाता है कि लेमन बाम का उपयोग सिरदर्द को ठीक कर सकता है, जो साइनस रोग के लक्षण में से एक है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल कई तरह की एरोमाथेरेपी और मसाज में किया जाता है। लेमन बाम एनाल्जेसिक (दर्दनिवारक) गुणों से समृद्ध होता है, जो साइनस का सिरदर्द कम कर सकते हैं (7)। इसी वजह से लेमन बाम को साइनस का घरेलू उपचार माना जा सकता है।
4. टी और हर्बल टी
(क) कायेन पैपर टी – Cayenne Pepper Tea
सामग्री:
- 1/2 चम्मच कायेन पैपर
- 2 चम्मच शहद
- 1 छोटा नींबू
- एक गिलास गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका:
- सभी सामग्री को गर्म पानी (चाय जितना गर्म) में डालें और अच्छी तरह मिलाएं।
- साइनस के लक्षण से राहत पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन करें।
- एक दिन में एक से दो कप पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
घर पर साइनस के उपचार के लिए कायेन पैपर टी का सेवन किया जा सकता है। कायेन पैपर एक डीकॉन्गेस्टेंट (सर्दी खांसी की दवा) की तरह काम कर खांसी और इंफेक्शन को कम कर सकता है (8)। कायेन पैपर का बॉटानिकल नाम Capsicum annum है, जिसका इस्तेमाल दो हफ्ते तक करने से साइनस के लक्षण में कमी पाई गई है (9)। साइनस के उपचार के लिए कायेन पैपर में मौजूद कैप्सेसिन (Capsaicin) की वजह से इसका नेसल स्प्रे की तरह उपयोग किया जा सकता है (10)। हालांकि, घर में इसका स्प्रे बनाकर इस्तेमाल करना सुरक्षित नहीं है, इसलिए इसे चाय के रूप में और खाना बनाते समय डालकर खाने की सलाह दी जाती है।
(ख) अदरक की चाय
सामग्री:
- 1-2 चम्मच कद्दूकस किया हुआ अदरक
- दो कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
- पानी में अदरक डालें।
- अब कुछ देर पानी को उबलने दें।
- हल्की आंच में जब पानी करीब दो से तीन मिनट तक उबल जाए, तो पानी को छान लें।
- अब इसे गर्मा-गर्म चाय की तरह पी लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद भी डाल सकते हैं।
- एक दिन में दो कप अदरक की चाय पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस का सिरदर्द कम करने के लिए अदरक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एनाल्जेसिक यानी दर्द निवारक गुण मौजूद होते हैं। इसी वजह से माइग्रेन के सिरदर्द में भी इस चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, खांसी को भी अदरक कम कर सकता है (11)।
(ग) ग्रीन टी
सामग्री:
- एक चम्मच ग्रीन टी या फिर एक ग्रीन टी बैग
- एक कप गर्म पानी
उपयोग करने का तरीका:
- ग्रीन टी को गर्म पानी में डालकर कुछ देर के लिए छोड़ दें।
- थोड़ी देर बाद चाय को छान लें।
- अगर टी बैग का इस्तेमाल किया है, तो उसे निकाल लें।
- स्वाद के लिए इसमें शहद और नींबू डाल सकते हैं।
- अब इसका सेवन करें।
- एक दिन दो से तीन कप चाय पी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनन से घरेलू उपचार के लिए ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है। माना जाता है कि इसका नियमित सेवन करने से शरीर वायरस और बैक्टीरिया के प्रभाव से बचा रहता है। दरअसल, इसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गतविधियां पाई जाती हैं (12)। इसी वजह से इसे साइनस इंफेक्शन के लिए लाभकारी कहा जा सकता है।
5. शहद
सामग्री:
- दो चम्मच शहद
- आधा चम्मच नींबू का रस
- एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
- एक गिलास गुनगुने पानी में दो चम्मच शहद मिला लें।
- अब इसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिला लें।
- इसे रोज सुबह-शाम पिएं।
कैसे लाभदायक है:
शहद का इस्तेमाल भी साइनस की बीमारी के लिए कर सकते हैं। शहद क्रॉनिक राइनो साइनसाइटिस के कारक स्यूडोमोनस एरुगिनोसा (पीए) और स्टैफिलोकोकस ऑरियस (एसए) बैक्टीरिया के खत्म करने में मदद कर सकता है। इसी वजह से शहद को साइनस का घरेलू उपचार माना जाता है (13)। इसके अलावा, शहद और पानी का इस्तेमाल करके नेसल इरिगेशन (नाक के एक छिद्र में पानी डालकर दूसरे छिद्र से निकालना) करना भी साइनस प्रॉब्लम के लिए फायदेमंद माना जाता है (14)।
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6. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
सामग्री:
- 30 ml फिलटर वॉटर
- हाइड्रोजन पेरॉक्साइड (पानी का एक चौथाई)
उपयोग करने का तरीका:
- एक स्प्रे बोतल में 30 ml पानी डालें।
- अब पानी का एक चौथाई हाइड्रोजन पेरॉक्साइड स्प्रे बॉतल में डाल दें।
- फिर दाएं नॉस्ट्रिल यानी नथुने में स्प्रे से पानी डालें।
- जब पानी दूसरे नॉस्ट्रील से निकल जाए, तब बाएं नथुने में पानी डालें।
कैसे लाभदायक है:
अध्ययनों से पता चलता है कि हाइड्रोजन पेरॉक्साइड साइनस को साफ कर सकता है, जिससे साइनस के भारीपन से राहत मिल सकती है (15)। हाइड्रोजन पेरॉक्साइड में एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो साइनस में पनपने वाले बैक्टीरिया को खत्म करके साइनोसाइटिस के लक्षण को कम कर सकता है (16)। यह एक तरह का केमिकल होता है, इसलिए इसका इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरतें और डॉक्टर की सलाह पर ही इसका उपयोग करें।
7. लहसुन
सामग्री:
- 4 से 5 लहसुन की कलियां
उपयोग करने का तरीका:
- सूप बनाने के लिए आप गर्म पानी में लहसुन की कलियों को पीस कर डाल दें।
- हल्का गरम होने पर पिएं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस के घरेलू नुस्खे में लहसुन भी शामिल है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है, जो किटाणुओं को पनपने से रोक सकता है (17)। इसी वजह से साइनस प्रॉब्लम के लिए लहसुन का सेवन करने की भी सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि लहसुन साइनस में जमे अत्यधिक म्यूकस को निकालने में मदद कर सकता है (18)।
8. ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट
सामग्री:
- ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट की कुछ बूंदें
- जूस या पानी
उपयोग करने का तरीका:
- ग्रेप सीड एक्सट्रैक्ट को पानी या जूस में डाल लें।
- अब इसे पी लें।
- वैकल्पिक रूप से इसे पानी में डालकर भाप भी ले सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस के घरेलू उपाय में ग्रेप फ्रूट सीड एक्सट्रैक्ट भी शामिल है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो शरीर को किटाणुओं से दूर रखने में मदद कर सकता है (19)। इसके अलावा, यह इंफेक्शन से भी बचाने में मदद कर सकता है (20)। दरअसल, साइनस एक तरह का इंफेक्शन है, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होता है। इसी वजह से माना जाता है कि ग्रेप फ्रूट सीड एक्सट्रेक्ट साइनस बीमारी के लक्षण को कम कर साइनस इन्फेक्शन से बचाव कर सकता है।
9. हॉर्सरेडिश की जड़
सामग्री:
- एक हॉर्सरेडिश यानी वसाबी की जड़
- एक से डेढ़ गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
- सबसे पहले जड़ को पानी में डालकर उबाल लें।
- पानी में उबाल आने और उसका रंग बदलने के बाद गैस को बंद कर दें।
- अब इसे चाय की तरह पिएं।
- वैकल्पिक रूप से इसकी जड़ को सीधे चूस भी सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
हॉर्सरेडिश की जड़ को भी साइनस का घरेलू उपचार माना जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक रिसर्च के मुताबिक हॉर्सरेडिश की जड़ को एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल विशेषताओं के लिए जाना जाता है। इसी वजह से यह एक्यूट साइनसाइटिस के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है (21)। दरअसल, एंटी-इंफ्लामेटरी गुण सूजन और एंटीबैक्टीरियल गुण बैक्टीरिया से साइनस को बचा सकता है।
10. स्टीम यानी भाप
सामग्री:
- स्टीमर (भाप लेने वाला उपकरण)
उपयोग करने का तरीका:
- स्टीमर में पानी डालकर उससे भाप ले लें।
- अगर स्टीमर न हो, तो आप एक बर्तन में पानी उबालकर भी भाप ले सकते हैं।
कैसे लाभदायक है:
साइनस बीमारी के लक्षण में जुकाम (नजला) और नाम का बंद होना व भारीपन भी शामिल है। इनसे बचाव के लिए साइनस के घरेलू उपाय के तौर पर भाप का प्रयोग किया जाता है। भाप साइनस के भारीपन को कम कर सकती है (1)। इसी वजह से साइनस प्रॉब्लम को कम करने के लिए लोग भाप का सहारा लेते हैं।
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चलिए, अब साइनोसाइटिस के यौगिक उपचार के बारे में जानते हैं।
साइनस के लिए योगासन – Yoga for Sinusitis in Hindi
साइनस का घरेलू उपचार योगासन भी हो सकता है। दरअसल, योग के दौरान सांस लेने व छोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिस वजह से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है। इसी वजह से साइनस संक्रमण के लिए योगासन को बेहतर माना जाता है। गोमुखासन, भुजंगासन, अधोमुख श्वानासन जैसे कई योगासन को साइनोसाइटिस के यौगिक उपचार में गिना जाता है। विस्तार से इसके बारे में जानने के लिए आप साइनस के इलाज के लिए योगासन आर्टिकल पढ़कर जान सकते हैं। इसमें साइनस के लिए बेहतर योगासन के साथ ही इन्हें करने का सही तरीका भी बताया गया है।
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आगे हम बता रहे हैं कि साइनस के इलाज के लिए डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।
साइनस के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
लेख में ऊपर बताए गए साइनस के लक्षण अगर तीन से चार दिन तक रहते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना अनिवार्य है। सिर दर्द, नाक में भारीपन व अन्य साइनोसाइटिस के लक्षण अगर घरेलू नुस्खों से भी ठीक नहीं होते हैं, तो समझ जाएं कि डॉक्टरी सलाह लेने का समय आ गया है। वैसे भी घरेलू नुस्खे किसी भी समस्या का उपचार नहीं हैं, ये समस्या से बचाव का काम कर सकते हैं। इसी वजह से बीमारी या कोई समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है। हां, दवाई के साथ डॉक्टरी परामर्श पर भाप, सिकाई, मसाज व लेख में बताए गए अन्य साइनस के घरेलू नुस्खे को अपनाया जा सकता है।
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जानें, साइनोसाइटिस ट्रीटमेंट किस तरह से होता है।
साइनस का इलाज – Treatments for Sinusitis in Hindi
साइनस की बीमारी का इलाज करते हुए डॉक्टर क्या सब सलाह दे सकते हैं, अब हम इसके बारे में बता रहे हैं। बस ध्यान दें कि साइनस की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें (1) (22)। चलिए जानते हैं साइनस का इलाज क्या हो सकता है।
- एनाल्जेसिया (Analgesia) – साइनस का इलाज करने वाले डॉक्टर तीव्र दर्द के लिए दर्द निवारक दवाई दे सकते हैं। यह दवाई साइनस की वजह से होने वाले सिर दर्द व अन्य दर्द से राहत दिला सकती है।
- सर्दी खांसी की दवा (Decongestants) – (i) ओरल यानी मुंह से खाने के लिए सूडोफेड्रीन (Pseudoephedrine) की सलाह दी जा सकती है, लेकिन इस साइनस की दवा के कारण अनिद्रा, चिंता या घबराहट हो सकती है। साथ ही उच्च रक्तचाप वालों को इस दवा का सेवन सावधानी पूर्वक करने की सलाह दी जाती है।
(ii) टॉपिकल यानी लगाने वाली दवा जाइलोमेटाजोलाइन (xylometazoline) को एक हफ्ते से कम समय तक इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है। वहीं, एक हफ्ते से ज्यादा इस्तेमाल करने पर इसके दुष्प्रभाव (Rebound rhinitis, इस दवा का अत्यधिक उपयोग करने से नसल कंजेशन) सामने आ सकते हैं।
- इंट्रानासल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स – इंट्रानासल कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स एक तरह का स्प्रे होता है, जिसे नाक की मदद से डाला जाता है। यह क्रॉनिक, एक्यूट और रिकरंट साइनस के इलाज में मददगार हो सकता है।
- एंटीबायोटिक्स – अगर बैक्टीरिया की वजह से साइनस हुआ है, तो 2 हफ्ते तक साइनस की दवा के रूप में एंटीबायोटिक्स का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। साइनस रोग का इलाज करते हुए डॉक्टर रोगी की स्थिति और उसे होने वाली एलर्जी को ध्यान में रखकर एमोक्सिसिलिन (ट्राइमेथोप्रिम या सीफ्लोर) या को-अमोक्सिक्लेव (क्लैरिथ्रोमिसिन) एंटीबायोटिक लेने का परामर्श दे सकते हैं।
- साइनस का आयुर्वेदिक इलाज – साइनस का आयुर्वेदिक इलाज भी किया जा सकता है। इसके लिए किसी आयुर्वेद के डॉक्टर से संपर्क करें।
- सर्जरी – इसके अलावा, साइनस रोग का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है, लेकिन, यह स्थिति तब आती है, जब साइनस की दवा काम नहीं करती है। गंभीर स्थिति में ही डॉक्टर साइनस के उपचार के लिए सर्जरी कर सकते हैं।
अंत तक पढ़ें
साइनस से बचने के टिप्स के बारे में आगे पढ़ें।
साइनस से बचने के लिए कुछ और उपाय – Other Tips for Sinusitis in Hindi
साइनस के बारे में जानकारी होने के साथ-साथ इससे बचाव के उपाय भी पता होना जरूरी हैं। नीचे हम यही बता रहे हैं (1) (23) (24) –
- हाइड्रेशन यानी पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से साइनस के लक्षण से बचाव किया जा सकता है।
- गुनगुने फेशियल पैक का इस्तेमाल, जिससे म्यूकस की वजह से नाक में हुई ब्लॉकेज कुछ कम हो सकती है।
- ट्रीगर से दूर रहें, यानी उन चीजों से जिनसे साइनस और गंभीर होता है, जैसे – धूम्रपान।
- धूल-मिट्टी से खुद को बचाए रखें। डस्ट एलर्जी भी साइनस की वजह बन सकती है।
- भाप लेते रहें।
- जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि वायरस और बैक्टीरिया की वजह से साइनस संक्रमण हो सकता है। ऐसे में उन खाद्य पदार्थ का सेवन करें, जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता देते हैं।
- हाथों को अच्छे से धोएं, खासकर किसी से हाथ मिलाने के बाद।
- स्ट्रेस से भी दूर रहने से साइनस के लक्षण से बचा जा सकता है।
इस लेख को पढ़ने के बाद साइनस के बारे में जानकारी, तो आपको मिल ही गई होगी। अब आप सावधानी बरत कर इस समस्या से बचाव कर सकते हैं। वहीं, बताए गए घरेलू उपाय अपनाने के बाद भी अगर साइनस के लक्षण ठीक न हों, तो साइनस की बीमारी का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। चलिए, अब आगे पाठकों द्वारा पूछे जाने वाले सवालों के जवाब देते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
एक सामान्य साइनस कब तक रहता है?
सामान्य तौर पर साइनस 7 से 14 दिन तक रह सकता है। साइनोसाइटिस ट्रीटमेंट समय पर शुरू होने पर यह जल्दी भी ठीक हो जाता है।
साइनस संक्रमण का जोखिम किन लोगों को ज्यादा रहता है?
नीचे बताई गईं स्थितियों का सामना कर रहे व्यक्ति साइनस की चपेट में जल्द आ सकते हैं (1) –
- एलर्जी।
- सिलिया (नाक के छोटे बाल) से संबंधित बीमारी।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस, जिसमें बहुत गाढ़ा म्यूकस लंग्स या शरीर के अन्य हिस्सों में जमा हो जाता है।
- एचआईवी या कीमोथेरेपी की वजह से कमजोर हुई प्रतिरक्षा प्रणाली।
साइनस के इलाज का खर्चा कितना है?
साइनस के इलाज का खर्चा, इलाज के तरीकों पर निर्भर करता है। वहीं, अगर इसके लिए सर्जरी की आवश्यकता है, तो इसका भी खर्चा अलग-अलग शहरों और हॉस्पिटल पर निर्भर करता है।
साइनस में किस तरह का भोजन नहीं करना चाहिए?
साइनस में दूध और डेयरी उत्पादों के सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा, नॉन-वेज, डीप फ्राइड व जंक फूड आदि से भी परहेज करना चाहिए (25)।
साइनस में किस तरह का भोजन करना चाहिए?
साइनस में हल्के और शाकाहारी भोजन का सेवन करना चाहिए, ताकि बलगम न बने और इम्यून सिस्टम मजबूत हो। इसके अलावा, तरल पदार्थों का भी अधिक सेवन करना चाहिए (25)।
क्या दालचीनी साइनस के उपचार में फायदेमंद?
हां, दालचीनी साइनस के उपचार में फायदेमंद हो सकती है (26)। जैसा कि हमने लेख में बताया कि साइनस एक तरह का इंफेक्शन है, जो बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होता है। बता दें कि दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं (27)। इसके ये गुण बैक्टीरिया से बचाने में मदद कर सकते हैं। वहीं, एंटी-इंफ्लेमेटरी सूजन को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
References
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- Sinusitis
https://medlineplus.gov/ency/article/000647.htm - Sinusitis : Statpearls
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK470383/ - European Position Paper on Rhinosinusitis and Nasal Polyps
http://www.eaaci.org/attachments/671_Rhinosinusitis%20and%20nasal%20Polyps%20(complete%20doc).PDF - Effect of Inhalation of Aromatherapy Oil on Patients with Perennial Allergic Rhinitis: A Randomized Controlled Trial
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4808543/ - Treatment of Acute Rhino-Sinusitis With Essential Oils of Aromatic Plants
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