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हरी पत्तेदार सब्जियां और उसके बीज हम सभी किसी-न-किसी रूप में अपनी डाइट में शामिल जरूर करते हैं। ऐसी ही एक हरी पत्तेदार सब्जी सोआ भी है। सोआ का साग, बीज और जड़ तीनों को ही सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। क्या वाकई सोआ सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इस बात पर प्रकाश हम वैज्ञानिक रिसर्च के आधार पर डालेंगे। स्वादिष्ट और सेहतमंद सोआ के फायदे बता रहे हैं। यही नहीं, आपको यहां सोआ के उपयोग और नुकसान की भी जानकारी मिलेगी।
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सबसे पहले यह जानते हैं कि सोआ क्या होता है।
सोआ क्या है – What is Dill in Hindi
सोआ एक तरह की जड़ी-बूटी है, जिसे अंग्रेजी में डिल कहा जाता है। यह हरी पत्तेदार और तेज खुशबू वाली बूटी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम एनाथुम ग्रेवोलेंस एल (Anethum graveolens L) है। इसके पत्तों का उपयोग सब्जी बनाने के लिए और सोआ के बीज को औषधि व मसाले की तरह किया जाता है। सोआ के बीज से बने तेल का उपयोग भी घरेलू उपचार और खाने के लिए होता है (1)।
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अब हम बता रहे हैं कि सोआ खाने के फायदे क्या होते हैं।
सोआ खाने के फायदे – Benefits of Dill in Hindi
सोआ के पत्ते, जड़ और बीज तीनों ही स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने गए हैं। इनसे होने वाले फायदे जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
1. पाचन संबंधी परेशानी के लिए
सोआ खाने के फायदे में सबसे पहला नाम पाचन का ही आता है। रिसर्च बताती हैं कि पाचन संबंधी सभी तरह की परेशानी को दूर करने के लिए सोआ का उपयोग किया जा सकता है। यूनानी दवा में पेट दर्द के कारण बच्चों के घंटों तक रोने यानी कोलिक को कम करने में सोआ को फायदेमंद बताया गया है (1)।
दरअसल, इसमें मौजूद कार्मिनेटिव प्रभाव के कारण पेट फूलने की समस्या से राहत मिल सकती है। इसी वजह से यह पाचन में भी मदद करता है। सोआ के इस गुण को देखते हुए शिशु के ग्राइप वाटर में भी सोआ का इस्तेमाल किया जाता है (1)।
2. मासिक धर्म से जुड़े दर्द
मासिक धर्म की वजह से होने वाले दर्द को भी कम करने में सोआ मददगार साबित हो सकता है। एक रिसर्च के दौरान मासिक धर्म शुरू होने से करीब दो दिन पहले सोआ बीज के पाउडर का सेवन करने से दर्द में कमी दर्ज की गई (2)।
शोध में सोआ के दर्द कम करने की क्षमता को दर्दनिवारक दवाई मेफानामिक एसिड जितना प्रभावी बताया है। साथ ही यह अनियमित मासिक धर्म संबंधी परेशानी को कम कर सकता है (2)। माना जाता है कि सोआ में यह दर्द निवारक प्रभाव कारवॉन और लिमोनेन कंपाउंड की वजह से होता है (3)।
3. प्रेगनेंसी व लेबर
माना जाता है कि डिल के बीज का काढ़ा पीने से लेबर के समय को कम किया जा सकता है। इससे संबंधित एक रिसर्च पेपर की मानें, तो लो रिस्क प्रेगनेंसी वालों द्वारा सोआ के बीज का काढ़ा पीने से लेबर की पहली स्टेज की अवधि घट सकती है (3)।
साथ ही प्रसव के बाद स्तन में दूध का उत्पादन बेहतर करने के लिए भी सोआ को जाना जाता है। बस ध्यान दें कि इससे गर्भाशय संकुचित हो सकता है। ऐसे में समय से पहले इसका सेवन करने से गर्भावस्था को हानि भी पहुंच सकती है (3)।
4. ब्लड प्रेशर
ब्लड प्रेशर को कम करने में भी सोआ सहायक साबित हो सकता है। दरअसल, साल 2016 में ब्लड प्रेशर कम करने वाले औषधीय पौधों से संबंधित एक रिसर्च प्रकाशित हुआ था। उस शोध में सोआ का नाम भी शामिल है। स्टडी के दौरान कई अन्य पौधों की तरह ही सोआ में भी एंटी हाइपरटेंसिव प्रभाव होने की संभावना जताई गई है (4)।
इस प्रभाव को ब्लड प्रेशर कम करने के लिए जाना जाता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति सोआ को अपनी डाइट में जगह दे सकते हैं (4)। बस बीपी की दवा लेने वालों को डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
5. हड्डी स्वास्थ्य के लिए
सोआ के फायदे हड्डियों पर भी नजर आ सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध की मानें, तो इसके जड़ में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मुख्य भूमिका निभा सकता है। इस शोध में यह भी बताया गया है कि सोआ के जड़ के पाउडर का सेवन किया जा सकता है। ऐसे में सोआ चूर्ण का उपयोग हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है (5)।
6. अनिद्रा
अनिद्रा को दूर करने के लिए सालों से डिल यानी सोआ का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस बात का जिक्र एक रिसर्च पेपर में भी मिलता है (6)। लोगों का मानना है कि दूध में सोआ के बीज को कुछ देर उबालकर रात को सोने से पहले पीने से अनिद्रा की परेशानी को कुछ कम किया जा सकता है।
बस यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें मौजूद कौन-से प्रभाव अनिद्रा में लाभदायक साबित होता है। हां, नींद न आने की समस्या के पीछे तनाव एक कारण हो सकता है (7)। इसमें मौजूद एंटी-स्ट्रेस गुण मदद कर सकता है। यह तनाव को कम करके नींद की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है (8)।
7. डायबिटीज
सोआ का सेवन करने से मधुमेह की समस्या से भी बचा जा सकता है। इससे संबंधित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि सोआ में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है। यह प्रभाव ब्लड ग्लूकोज को कम करने में मदद कर सकता है (9)। इसी वजह से डायबिटीज से राहत दिलाने के लिए सोआ को जाना जाता है।
8. प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए
सोआ खाने के फायदे में इम्यून सिस्टम को बेहतर करना भी शामिल है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च में दिया है कि सोआ में क्वेरसेटिन बायोफ्लेवोनॉइड होता है। यह शरीर को इंफेक्शन से बचा सकता है। इन इंफेक्शन में कोरोना वायरस का नाम भी शामिल है (10)।
साथ ही क्वेरसेटिन बायोफ्लेवोनॉइड में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट क्षमता से फेफड़ों की कोशिकाओं को सुरक्षा भी मिल सकती है (10)। इसी आधार पर सोआ को इम्यून सिस्टम बेहतर करने के लिए अच्छा कहा जा सकता है।
9. हिचकी
अगर किसी को बार-बार हिचकी आती है, तो सोआ का उपयोग कर सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, हिचकी से राहत पाने के लिए सोआ का इस्तेमाल सालों से किया जाता रहा है (5)।
दरअसल, हिचकी आने के पीछे की एक वजह पेट का फूलना हो सकता है (11)। सोआ में एंटी फ्लैटुलेंट प्रभाव होता है, जो पेट को फूलने से रोककर हिचकी से राहत दिला सकता है (12)। बस तो कभी हिचकी आए, तो सोआ पानी का उपयोग कर लें।
10. कैंसर
कैंसर के जोखिम से बचने में सोआ सहायक भूमिका निभा सकता है। इससे जुड़े एक अध्ययन की मानें, तो सोआ में एंटी-कैंसर गतिविधि होती है, जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोक सकता है। इससे कैंसर को फैलने और इससे बचाव हो सकता है (13)। बस ध्यान दें कि यह कैंसर का इलाज नहीं है। कैंसर होने पर डॉक्टरी इलाज करवाना जरूरी है।
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लेख में आगे बढ़ते हुए पढ़िए सोआ में मौजूद पौष्टिक तत्व।
सोआ के पौष्टिक तत्व – Dill Nutritional Value in Hindi
सोआ के पत्ते और बीज दोनों में कई तरह के अलग-अलग पोषक तत्व होते हैं, इसलिए हम इसके पत्तियों और बीजों के पोषक तत्वों को एक टेबल के माध्यम से नीचे बता रहे हैं (14) (15)।
पोषक तत्व | पत्तियों का मूल्य प्रति 100 ग्राम | बीजों का मूल्य प्रति 100 ग्राम |
पानी | 86 g | 7.7 g |
ऊर्जा | 43 kcal | 305 kcal |
प्रोटीन | 3.46 g | 16 g |
टोटल लिपिड (फैट) | 1.12 g | 14.5 g |
कार्बोहाइड्रेट | 7. 02 g | 55.2 g |
फाइबर | 2.1 g | 21.1 g |
कैल्शियम | 208 mg | 1520 mg |
आयरन | 6.59 mg | 16.3 mg |
मैग्नीशियम | 55 mg | 256 mg |
फास्फोरस | 66 mg | 277 mg |
पोटैशियम | 738 mg | 1190 mg |
सोडियम | 61 mg | 20 mg |
जिंक | 0.91 mg | 5.2 mg |
कॉपर | 0.146 mg | 0.78 mg |
मैंगनीज | 1.26 mg | 1.83 mg |
विटामिन सी | 85 mg | 21 mg |
थायमिन | 0.058 mg | 0.418 mg |
राइबोफ्लेविन | 0.296 mg | 0.284 mg |
नियासिन | 1.57 mg | 2.81 mg |
विटामिन बी 6 | 0.185 mg | 0.25 mg |
फोलेट | 150 µg | 10 µg |
विटामिन ए, RAE | 386 µg | 3 µg |
विटामिन ए, IU | 7720 IU | 53 IU |
फैटी एसिड्स, टोटल सैचुरेटेड | 0.06 g | 0.73 g |
फैटी एसिड्स, टोटल मोनोअनसैचुरेटेड | 0.802 g | 9.41 g |
फैटी एसिड्स, टोटल पोलीअनसैचुरेटेड | 0.095 g | 1.01 g |
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अब हम आगे सोआ का उपयोग करने का तरीका बता रहे हैं।
सोआ का उपयोग – How to Use Dill in Hindi
सोआ को अनेक तरह से उपयोग में लाया जा सकता है। इन उपयोग के तरीकों में ये शामिल हैं :
कैसे करें सेवन :
- इसकी पत्तियों की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
- सोआ के बीज को माउथ फ्रेशनर की तरह भोजन के बाद चबा सकते हैं।
- पानी में उबालकर सोआ के बीज का पानी पी सकते हैं।
- सोआ के बीज को बेकरी प्रोडक्ट में उपयोग कर सकते हैं।
- सोआ की जड़ से बने पाउडर का भी सेवन कर सकते हैं।
- सोआ की पत्तियों से खाने की ड्रेसिंग कर सकते हैं।
कब करें सेवन :
- सोआ की पत्तियों से बने सब्जी को दोपहर और रात के भोजन के समय ले सकते हैं।
- इसके बीज को खाना खाने के बाद चबा सकते हैं।
- सोआ पानी को उबालकर पी सकते हैं।
कितना करें सेवन :
- प्रतिदिन 1 ml सोआ के अर्क का सेवन कर सकते हैं। इसमें हाइपरलिपिडेमिक के इलाज में मदद मिल सकती है, जिससे कि शरीर में फैट की मात्रा कम हो सकती है (16)।
लेख में बने रहें
अब हम बता रहे हैं सोआ का चयन करने और उसे सुरक्षित रखने का तरीका।
सोआ का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें?
सोआ का चयन करना और सुरक्षित रखना काफी आसान है। इसके लिए नीचे बताई जा रही बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
चयन करने का तरीका :
- सोआ के पत्ते हरे और ताजे होने चाहिए।
- इसकी पत्तियां मुरझाई हुई और पीली न हों।
- सोआ के पत्तों में कीड़े और काले धब्बे नहीं होने चाहिए।
- इसके बीज ले रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि बीज में नमी न आई हो।
- सोआ के बीज खरीदने से पहले उसकी खुशबू सूंघ लें। ताजे बीज से अच्छी खुशबू आती है।
स्टोर करने का तरीका :
- इसके ताजा पत्तों को फ्रिज में डालकर रख सकते हैं।
- सोआ की पत्तियों को हल्के गिले कपड़े में लपेटकर रख लें।
- सोआ के बीज और पाउडर को एयर टाइट कंटेनर में डालकर रख सकते हैं।
अंत तक पढ़ें लेख
अब हम बता रहे हैं कि सोआ के नुकसान होते हैं या नहीं।
सोआ के नुकसान – Side Effects of Dill in Hindi
सोआ के फायदे तो कई हैं, लेकिन इसकी अधिकता होने से नुकसान भी हो सकते हैं। क्या हैं सोआ के नुकसान आगे जानिए।
- गर्भधारण करने की चाह रखने वालों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें कॉन्ट्रासेप्टिव यानी बर्थ कंट्रोल करने वाला प्रभाव होता है (17)।
- सोआ के उपयोग से कुछ लोगों को एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है (18)।
- अगर कोई रक्त शुगर को कम करने के लिए दवाई ले रहा है, तो सोआ का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। दरअसल, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता हैं, जो निम्न रक्त शुगर का कारण बन सकता है (9)।
सोआ साग और इसके बीज के फायदे के बारे में आप जान ही गए हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों से भी यह स्पष्ट हुआ है कि सोआ में कई औषधीय प्रभाव होते हैं, जिस वजह से इसका उपयोग स्वस्थ रहने के लिए भी किया जा सकता है। इसे डाइट में शामिल करने के तरीकों का जिक्र हम ऊपर कर ही चुके हैं। बस तो इसका स्वाद चाहे आपको पसंद हो या नहीं, लेकिन सेहत के लिहाज से इसे अपनी डाइट में शामिल जरूर करें। सेहत से जुड़े ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए विजिट करते रहें स्टाइलक्रेज की वेबसाइट।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मैं हर दिन डिल खा सकता हूं?
हां, कम मात्रा में रोजाना इसे खाद्य पदार्थ में शामिल किया जा सकता है।
डिल की तासीर कैसी होती है?
सोआ की तासीर गर्म होती है।
आपको कैसे पता चलेगा कि सोआ कब खाने के लिए तैयार है?
सोआ के पत्ते हरे ही खाए जाते हैं। जब ये एक-दो इंच लंबे हो जाएं, तो इसे खा सकते हैं। बात अगर बीज की करें, तो सोआ के फूल में लगने वाले ये बीज जब खाने लायक हो जाते हैं, तब अपने आप सूख जाते हैं। साथ ही इनसे खुशबू भी आने लगती है। ऐसे में समझ जाएं कि इसके बीज खाने के लिए तैयार हैं।
डिल को बढ़ने में कितना समय लगता है?
सोआ को बढ़ने में एक महीने का समय लग सकता है।
क्या डिल सीजन में है?
वसंत और शुरुआती गर्मियों के मौसम में सोआ बाजार में मिलता है। हां, अगर इसे ग्रीनहाउस में उगाया जाए, तो यह साल भर भी मिल सकता है। साथ ही सोआ के बीज और जड़ सालभर बाजार में मौजूद रहते हैं।
क्या सोआ का उपयोग फोड़े के लिए कर सकते हैं?
हां, सोआ का उपयोग फोड़े के उपचार के तौर पर किया जा सकता है। माना जाता है कि इसकी पत्तियों के पेस्ट को फोड़े पर लगाने से कुछ राहत मिल सकती है।
References
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http://nopr.niscair.res.in/bitstream/123456789/14952/1/IJTK%2011%284%29%20602-606.pdf - An ethnobotanical study of medicinal plants administered for the treatment of hypertension
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https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4322175/ - Anaphylaxis to dill
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/10831013/
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