विषय सूची
समय रहते अगर सेहत पर ध्यान न दिया जाए, तो बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ सकती है। वहीं, इससे बचने के लिए कई तरह की आयुर्वेदिक औषधियां हैं, जो कारगर हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है त्रिकटु चूर्ण। त्रिकटु के फायदे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम त्रिकुट चूर्ण के फायदे बता रहे हैं। हम त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि के साथ-साथ त्रिकटु चूर्ण के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
पढ़ना शुरू करें
सबसे पहले जानेंगे त्रिकटु चूर्ण कहा किसे जाता है।
त्रिकटु चूर्ण क्या है? – What is Trikatu Churna in Hindi
एनसीबीआई के अनुसार त्रिकटु जड़ी-बूटियों का एक मिश्रिण है। इसे तीन चीजों को समान मात्रा में मिलाकर बनाया जाता है। इस मिश्रण को तैयार करने के लिए काली मिर्च, पिप्पली व सूखे अदरक यानी सोंठ का उपयोग किया जाता है (1)। इसमें मौजूद इन तीनों चीजों में विशेष गुण पाए जाते हैं, जिसके बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।
- सूखा अदरक यानी सोंठ : यह आंतरिक रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही आंतों की कार्यप्रणाली को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे शरीर का डायजेस्ट सिस्टम बेहतर हो सकता है (2)।
- काली मिर्च : काली मिर्च में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो कि स्वास्थ्य समस्याओं में राहत दिला सकते हैं। इसमें एंटी इंफ्लामेंटरी, एनाल्जेसिक, एंटी माइक्रोबियल और न्यूरोप्रोटेक्टिव आदि प्रभाव पाए जाते हैं। ये सभी गुण विभिन्न समस्याओं में मदद कर सकते हैं (3)।
- पिप्पली : पिप्पली में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में किया जाता है। इसे अस्थमा, कब्ज, जीभ का लकवा, दस्त, हैजा, पुराना मलेरिया, वायरल हेपेटाइटिस, श्वसन संक्रमण, पेट दर्द, ब्रोंकाइटिस यानी श्वास नली से जुड़ी समस्या, खांसी और ट्यूमर जैसी समस्याओं के लिए घरेलू उपचार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है (4)।
त्रिकटु चूर्ण में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डिस्लिपिडेमिया और इम्यून-मॉड्यूलेटरी प्रभाव होने के कारण इसका उपयोग विशेष रूप से फ्लू जैसी बीमारियों के इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा कोरोना के लक्षणों को कम करने में भी इसके सकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। इसकी पुष्टि एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध रिसर्च पेपर से होती है। यह रिसर्च ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भोपाल के आयुष विभाग की तरफ से की गई थी (1)।
आगे पढ़ें
आगे जानते हैं त्रिकटु चूर्ण के फायदे के बारे में।
त्रिकटु चूर्ण के फायदे – Trikatu Churna Benefits in Hindi
1. पाचन में लाभकारी
पाचन संबंधी समस्या में राहत पाने के लिए त्रिकटु का उपयोग लाभकारी हो सकता है। इस बात उल्लेख सुश्रुत संहिता में भी मिलता है। इस संबंध में एनसीबीआई ने एक शोध पेपर को अपनी साइट पर पब्लिश किया है। इसमें बताया गया है कि अग्निमान्द्य जैसी समस्या में त्रिकटु का इस्तेमाल करने से फायदा हुआ।
खराब पाचन तंत्र की समस्या को अग्निमान्द्य कहा जाता है। त्रिकटु किस प्रकार फायदेमंद है, यह जानने के लिए इस समस्या से ग्रस्त मरीज को इसका सेवन कराया गया। कुछ समय बाद रिसर्च में पाया गया कि त्रिकटु को डाइट में शामिल करने से मरीज की पाचन क्षमता में करीब 54.84 प्रतिशत सुधार आया। इस आधार पर कहा जा सकता है कि त्रिकुट के फायदे में अपच व भूख न लगने की समस्या से राहत पाना शामिल है (5)।
2. वजन घटाने में त्रिकटु के फायदे
अगर कोई बढ़ते वजन की समस्या से परेशान हैं या वजन कम करना चाहता है, तो त्रिकुट चूर्ण का सेवन किया जा सकता है। अध्ययन की मानें तो शहद के साथ त्रिकटु चूर्ण खाने की विधि अपनाई जाए, तो मोटापे की समस्या कुछ कम हो सकती है। एक अन्य आयुर्वेदिक शोध की मानें तो त्रिकटु के सेवन करने वाले लोगों के वजन में कमी देखने को मिली। इस संबंध में आचार्य सुश्रुत का कहना है कि त्रिकटु को दवा के रूप में लेने से स्थौल्या यानी मोटापा की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यह शोध गुजरात आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की तरफ से किया गया था (6)।
3. कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में सहायक
शोध की मानें तो त्रिकटु चूर्ण में एंटी डिसलिपिडेमिया यानी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने वाला प्रभाव मौजूद होता है। त्रिकटु चूर्ण ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने के अलावा एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम कर सकता है (1)। इस आधार पर माना जा सकता है कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए त्रिकटु चूर्ण के फायदे देखे जा सकते हैं।
4. अस्थमा में त्रिकटु के फायदे
अस्थमा की समस्या में त्रिकटु चूर्ण के लाभ देखे जा सकते हैं। त्रिकटु चूर्ण का उपयोग पारंपरिक दवा के रूप में आयुर्वेद में लंबे समय से किया जा रहा है। इसका उपयोग अस्थमा से राहत पाने के लिए भी किया जा सकता है (7)। एक अन्य शोध की मानें तो त्रिकटु चूर्ण में मौजूद पिप्पली अस्थमा के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण दवाओं में से एक है। ऐसे में त्रिकटु चूर्ण अस्थमा को कुछ हद तक सही कर सकता है (9 )। अस्थमा की समस्या से राहत पाने के लिए आयुर्वेद में 1 से 2 ग्राम त्रिकटु चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने की सलाह दी जाती है।
5. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक
जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि त्रिकटु चूर्ण को तैयार करने में पिप्पली का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, शोध की मानें तो पिप्पली में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मॉड्यूलेट करने में अहम भूमिका निभाते हैं (9)।
एनसीबीआई पर प्रकाशित शोध की मानें, तो त्रिकटु में इम्यून मॉड्यूलेटरी प्रभाव पाया जाता है। इसके कारण फ्लू जैसी बीमारियों व कोरोना जैसी समस्याओं में इसके सेवन की सलाह दी गई। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर इन बीमारियों से लड़ने में सहायक हो सकता है (1)। ऐसे में माना जा सकता है त्रिकटु का सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
6. इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में सहायक
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की मानें, तो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आंतों से जुड़ी बीमारी में त्रिकटु चूर्ण के फायदे देखे जा सकते हैं। अदरक या अदरक के अर्क का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है, यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आंतों से जुड़ी बीमारी के उपचार में लाभकारी हो सकता है।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी बीमारी जो आंतों में सूजन व पेट दर्द जैसे लक्षणों के साथ हो सकती है। चूहों पर किए गए शोध में पाया गया कि सूखे अदरक के सेवन से आंतों से संबंधी बीमारी के लक्षणों में सुधार हो सकता है (10)। वहीं, त्रिकटु चूर्ण में सूखे अदरक यानी सोंठ का इस्तेमाल किया जाता है (1)।
7. शारीरिक दर्द में राहत
त्रिकटु चूर्ण में मौजूद पिप्पली में एनाल्जेसिक यानी दर्द को कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है। शोध की मानें तो त्रिकटु चूर्ण का उपयोग दर्द से राहत पाने के लिए किया जा सकता है। कई बार सूजन के साथ दर्द की समस्या महसूस होती है, ऐसे में त्रिकटु चूर्ण के सेवन से लाभ मिल सकता है। बनारस, जर्मनी और कर्नाटक के मुख्य विश्वविद्यालय इस संबंध में रिसर्च कर चुके हैं (11)। इस आधार पर माना जा सकता है कि शारीरिक दर्द में त्रिकटु चूर्ण फायदेमंद हो सकता है।
8. त्वचा स्वास्थ्य के लिए
त्रिकटु चूर्ण तीन चीजों काली मिर्च, पिप्पली और सोंठ यानी सूखे अदरक से मिलकर बनता है। इन तीनों चीजों में मौजूद गुणों के कारण यह कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी साबित हो सकता है। रिसर्च जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड टेक्नोलॉजी का इस संबंध में कहना है कि त्रिकटु में कई चिकित्सीय गुण होते हैं। इन गुणों के कारण त्रिकटु के फायदे में त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाना भी शामिल हैं (12)।
9. थायराइड में राहत
त्रिकटु चूर्ण फॉर थायराइड का पता लगाने के लिए गुवाहटी के गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक रिसर्च किया गया। इसके तहत हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त 30 मरीजों को चुना गया। उन्हें डायटरी सप्लीमेंट के रूप में त्रिकटु चूर्ण का सेवन कराया गया। इससे मरीजों को कुछ आराम मिला। बता दें कि हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम हार्मोंस का निर्माण करती है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आने लगती हैं (14 )। ऐसे में माना जा सकता है कि यह थायराइड की समस्या में त्रिकटु चूर्ण लाभकारी हो सकता है।
आगे अभी और है
त्रिकटु चूर्ण के फायदे जानने के बाद अब जानेंगे त्रिकटु चूर्ण लेने की विधि क्या है।
त्रिकटु चूर्ण का उपयोग – खाने का सही समय और सही तरीका
त्रिकटु के फायदे प्राप्त करने के लिए त्रिकटु चूर्ण लेने की विधि के बारे में जानना आवश्यक है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाने के लिए त्रिकटु चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है। नीचे हमे इसके सेवन करने का आम तरीका बता रहे हैं। अब इसे किस समय लेना चाहिए, इस बारे में रोग के अनुसार आयुर्वेदिक डॉक्टर ही बता सकते हैं (6)।
- गर्म दूध के साथ त्रिकटु चूर्ण का सेवन किया जा सकता है।
- दूध का सेवन नहीं करना चाहते, तो गर्म पानी के साथ भी त्रिकटु चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
- इसके अलावा सर्दी, राइनाइटिस, खांसी, सांस फूलना, दमा, अपच और मोटापा जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए रोगों को दूर करने के लिए त्रिकटु का उपयोग शहद के साथ किया जा सकता है।
स्क्रॉल करें
आइए जानते हैं त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि के बारे में।
त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि
त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि को बारे में नीचे विस्तृत रूप से बताया गया है।
सामग्री :
- 50 ग्राम सूखे अदरक यानी सोंठ
- 50 ग्राम यानी चार चम्मच काली मिर्च
- चार चम्मच पिप्पली
- एयर टाइट कंटेनर
- छन्नी
बनाने की विधि:
- सबसे पहले काली मिर्च, पिप्पली व सूखे अदरक यानी सोंठ को आपस में मिला लें।
- इस मिश्रण को ग्राइंडर में बारीक पाउडर होने तक पीसें।
- इसके बाद महीन जाली या छन्नी में इसे छान लें, ताकि मोटे कण निकल जाएं।
- तैयार बारीक त्रिकटु चूर्ण को कांच या फिर एयर टाइट कंटेनर में धूप से दूर एक सूखी ठंडी जगह पर स्टोर करके रखें।
- इस पाउडर को एक साल तक उपयोग कर सकते हैं।
बन रहें हमारे साथ
त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि के बाद अब जानेंगे है त्रिकटु चूर्ण यूजेज के बारे में।
त्रिकटु चूर्ण की खुराक – Trikatu Churna Dosage in Hindi
त्रिकटु चूर्ण के फायदे प्राप्त करने के लिए इसके खुराक के बारे में पता होना आवश्यक है (6)। इसकी खुराक व्यक्ति के स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।
- युवा व्यक्ति त्रिकटु चूर्ण का सेवन 2 ग्राम कर सकता है। वह दिन में तीन बार इसे गर्म दूध, पानी या फिर शहद में मिलाकर सेवन कर सकता है।
- बच्चों के लिए इसकी खुराक स्वास्थ्य व उम्र पर निर्भर करती है। सामान्यतौर पर 125 मिलीग्राम की खुराक बच्चों को एक बार में दी जा सकती है। दिनभर में 500 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं देना चाहिए। बच्चों को त्रिकटु चूर्ण दूध में उबालकर दिया जा सकता है।
पढ़ते रहें लेख
लेख के अंतिम भाग में त्रिकटु चूर्ण के नुकसान के बारे में बताया गया है।
त्रिकटु चूर्ण के नुकसान – Side Effects of Trikatu Churna in Hindi
त्रिकटु चूर्ण के फायदे और नुकसान दोनों ही है। हालांकि, त्रिकटु पाउडर के अधिक सेवन से नुकसान भी देखने को मिल सकते हैं, जो इस प्रकार हैं (14)।
- स्वाद के बाद जलन महसूस होना।
- सीने में जलन होना।
- गले में जलन का आभास।
- शरीर में गर्मी का एहसास।
- मुंह के छाले।
- पसीना आना।
- आंखों में लालिमा या आंखों में जलन महसूस होना।
त्रिकटु चूर्ण को बेहद उपयोगी आयुर्वेदिक औषधी के रूप में जाना जाता है। लेख में त्रिकटु चूर्ण के फायदे के बारे में भी बताया गया है। हालांकि इसके फायदे प्राप्त करने के लिए त्रिकटु चूर्ण बनाने की विधि और त्रिकटु चूर्ण खाने की विधि के बारे में जानना आवश्यक है, जिसकी जानकारी लेख में दी गई है। इसके बावजूद अगर मन में कोई संशय हो तो सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या त्रिकटु थायराइड के लिए अच्छा है?
हां, शोध के अनुसार थायराइड रोगियों के उपचार में 30 मरीजों को सप्लीमेंट के रूप में त्रिकटु चूर्ण का सेवन कराया गया। उनमें हाइपोथायरायडिज्म में कमी देखने को मिली (14 )। इस आधार पर मान सकते हैं कि त्रिकटु चूर्ण थायरॉइड के लिए अच्छा हो सकता है। इस संबंध में लेख में विस्तार से बताया गया है।
क्या त्रिकटु वजन घटाने के लिए अच्छा है?
हां, शोध में इस बात का जिक्र मिलता है कि त्रिकटु चूर्ण का सेवन करने वाले लोगों के वजन में कमी देखने को मिल सकती है (7)। इस विषय के बारे में लेख में विस्तार से बताया गया है।
References
Articles on thebridalbox are backed by verified information from peer-reviewed and academic research papers, reputed organizations, research institutions, and medical associations to ensure accuracy and relevance. Read our editorial policy to learn more.
- Is Trikatu; an ayurvedic formulation effective for the management of flu-like illness? A narrative review
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/34081846/ - Bioavailability enhancers of herbal origin: An overview
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3634921/ - A systematic review on black pepper (Piper nigrum L.): from folk uses to pharmacological applications
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30740986/ - Overview for various aspects of the health benefits of Piper longum linn. fruit
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/21704957/ - Effect of Ekakala Bhojana in patients of Agnimandya
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5822973/ - Traditional Herbal Remedies for Primary Health Care
https://health.rajasthan.gov.in/content/dam/doitassets/Medical-and-Health-Portal/rajasthan-state-medicinal-plant-board/pdfs/Letter/Herbal-Remedies-in-Primary%20Health%20Care.pdf - Medohara and Lekhaniya dravyas (anti-obesity and hypolipidemic drugs) in Ayurvedic classics: A critical review
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3764867/#ref38 - Cytochrome P450 inhibitory potential and RP-HPLC standardization of trikatu–a Rasayana from Indian Ayurveda
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24690772/ - Anti-inflammatory activity of two varieties of Pippali (Piper longum Linn.)
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3611634/ - Overview for Various Aspects of the Health Benefits of Piper Longum Linn. Fruit
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2005290111600204 - Ginger relieves intestinal hypersensitivity of diarrhea predominant irritable bowel syndrome by inhibiting proinflammatory reaction
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7489045/#Sec22title - Preventive potentials of piperlongumine and a Piper longum extract against stress responses and pain
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5067934/ - Evaluation of Pharmacognostic and Physicochemical Parameters of Trikatu churna – an Ayurvedic Classical Drug
https://rjptonline.org/HTMLPaper.aspx?Journal=Research%20Journal%20of%20Pharmacy%20and%20Technology%3BPID=2011-4-12-9 - TRIKATU CHURNA IN THE MANAGEMENT OF HYPOTHYROIDISM
https://ijapr.in/index.php/ijapr/article/view/903 - Trikatu – A combination of three bioavailability enhancers
https://www.researchgate.net/publication/329129608_Trikatu_-_A_combination_of_three_bioavailability_enhancers
Community Experiences
Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.