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गर्भावस्था ऐसा चरण है, जिसमें विशेष देखभाल की जरूरत होती है, ताकि गर्भवती महिला खुद भी स्वस्थ रहे और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके। यहां हम गर्भावस्था के तीसरे महीने की बात कर रहे हैं। गर्भावस्था का तीसरा महीना गर्भवती महिला के शरीर में तमाम तरह के बदलाव लेकर आता है। इस दौरान बच्चे का विकास भी तेजी से होने लगता है, जिसे आसानी से महसूस किया जा सकता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भावस्था के तीसरे महीने (9वें सप्ताह से 12वें सप्ताह) से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां देंगे।
गर्भावस्था के तीसरे महीने के लक्षण | 3 Mahine Ki Pregnancy
1. मॉर्निंग सिकनेस : गर्भावस्था के तीसरे महीने तक उल्टी और जी मिचलने जैसा अहसास चरम तक पहुंच सकता है, लेकिन महीने के अंत तक यह समस्या कम होने लगेगी। ज्यादातर गर्भवती महिलाएं पहले तिमाही के अंत तक उल्टी जैसी परेशानियों से बाहर आ जाती हैं (1)।
2. थकान होना : गर्भावस्था के दौरान, हार्मोनल स्तरों में परिवर्तन महिला को नींद और थका हुआ महसूस कराते हैं। चूंकि, शरीर को गर्भ में आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त रक्त की आवश्यकता होती है, इसलिए यह आपके रक्तचाप (blood pressure) और रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को प्रभावित करता है, जिससे आप थकान महसूस कर सकती हैं।
3. बार-बार पेशाब आना : शरीर में एचसीजी (Human chorionic gonadotropin) हार्मोन पैदा होने के कारण पहले के मुकाबले ज्यादा पेशाब आने की समस्या हो सकती है। रक्त की मात्रा में वृद्धि आपके गुर्दे पर दबाव डालती है। इसके अलावा, बढ़ता गर्भाशय मूत्राशय पर दबाव डालता है, इस कारण भी आपको बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो सकती है (2)।
4. कब्ज : गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में वृद्धि पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देती है, जिससे कब्ज की शिकायत हो सकती है। अनुचित आहार भी कब्ज का एक कारण हो सकता है।
5. योनि स्राव : एस्ट्रोजन के उच्च स्तर के कारण योनि स्राव में थोड़ी वृद्धि हो सकती है (3)।
6. पैरों में ऐंठन : इस दौरान रात को सोते समय गर्भवती को पैरोंं में ऐंठन और दर्द परेशान कर सकता है। पोटैशियम और आयरन की पूर्ति न होना गर्भावस्था के दौरान ऐंठन का कारण हो सकता है।
7. पीठ दर्द और पेट दर्द : हार्मोनल स्तर में परिवर्तन के कारण, आपको पीठ दर्द हो सकता है। इसके अलावा, बढ़ते गर्भाशय में खिंचाव होने के कारण, पेट के निचले भाग में दर्द महसूस होता है (4)।
8. स्वभाव में बदलाव : तीसरे तिमाही के दौरान आपके शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण, आपके स्वभाव में बदलाव हो सकते हैं। ऐसे में चिड़चिड़ापन, बात-बात पर गुस्सा आना और बिना किसी कारण रोने जैसी समस्याएं स्वभाविक हैं।
9. मसूड़ों से खून आना : हार्मोनल स्तर में बदलाव होने से मसूड़ों की सूजन और खून आने की समस्या हो सकती है। इसके लिए आप मुंह की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
10. सीने में जलन : जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता है, यह भोजन पचाने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। आपका बढ़ता गर्भाशय पेट पर दबाव डालना शुरू कर देता है, जिससे जलन की समस्या होने लगती है।
11. बार-बार खाने का दिल करना : गर्भवती महिला को बार-बार कुछ न कुछ खाने का दिल करेगा। इसके अलावा, कई बार अपने ही पसंदीदा खाने की गंध भी पसंद नहीं आएगी।
आइए, अब जानते हैं कि तीसरे महीने में क्या-क्या परिवर्तन आ सकते हैं।
प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
गर्भावस्था का तीसरा महीना शरीर में कई सारे बदलाव लेकर आता है। इसमें न सिर्फ आपको सही जीवनशैली अपनाने की जरूरत होती है, बल्कि खानपान का विशेष ध्यान रखना होता है। बहरहाल, नीचे हम बता रहे हैं कि तीसरे महीने में शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं :
तीसरे महीने में आपका पेट कितना बढ़ जाता है?
गर्भावस्था के तीसरे महीने तक, आपका गर्भाशय अंगूर के आकार का हो जाता है (5)। सिर्फ पेट ही नहीं तीसरे महीने तक शरीर में और भी बदलाव आते हैं, जो इस प्रकार हैं :
1. स्तन और भारी हो जाना : इस अवधि में स्तनों में दूध का निर्माण शुरू हो सकता है, जिस कारण ये भारी हो सकते हैं। इसके अलावा, निप्पल के आसपास का रंग और गहरा हो सकता है।
2. नसें दिखाई देना : जैसे ही आपके शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, तो आपका दिल तेजी से पंप होने लगता है। इससे स्तनों पर नसें दिखाई देना आम बात है (6)।
3. वजन बढ़ना : गर्भावस्था के तीसरे महीने तक गर्भवती का वजन बढ़ना शुरू हो सकता है। तीसरे महीने में एक से दो किलो वजन बढ़ना ठीक है (7)। चूंकि, भ्रूण अभी छोटा है, तो इससे ज्यादा वजन बढ़ना ठीक नहीं है। हालांकि, कुछ महिलाओं का मॉर्निंग सिकनेस की वजह से वजन कम होने लगता है।
4. स्ट्रेच मार्क्स दिखाई देना : गर्भावस्था के तीसरे महीने में पेट और स्तनों के बढ़ने के कारण स्ट्रेच मार्क्स भी नजर आ सकते हैं।
5. सूखी त्वचा और खुजली होना : हार्मोंस बदलने के चलते त्वचा सूखी पड़ सकती है, जिससे खुजली की समस्या हो सकती है। ग्लिसरीन वाला साबुन या मॉइस्चराइजर का उपयोग कर इससे राहत पाई जा सकती है।
6. पेट पर काली लकीर उभर आना : गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल बदलाव के चलते तीसरे महीने तक पेट के निचले भाग पर एक काले रंग की लकीर उभर आती है। इसे मेडिकल भाषा में लिनिया नाइग्रा (Linea nigra) कहते हैं।
आइए, अब जानते हैं कि होने वाले शिशु में क्या-क्या बदलाव होते हैं।
गर्भावस्था के तीसरे महीने में बच्चे का विकास और आकार
आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों को महसूस कर सकती हैं, लेकिन तीसरे महीने में बच्चे की हलचल को महसूस नहीं किया जा सकता। गर्भ में हलचल का न होना आपको उतावला या परेशान कर सकता है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। यहां, हम बताएंगे कि तीसरे महीने तक गर्भ में बच्चे का विकास कितना होता है :
- तीसरे महीने तक, गर्भ में भ्रूण का आकार बेर या फिर नींबू जितना होता है।
- तीसरे महीने के अंत तक यानी 12वें सप्ताह तक आपका बच्चा लगभग 2.5 इंच लंबा होता है (8)। उसका वजन लगभग 28 ग्राम आसपास हो सकता है।
- इस दौरान बच्चे का दिल काम करना शुरू कर देता है। किडनी, आंखों व जननांग का विकास इसी महीने होता है।
आइए, अब जानते हैं कि तीसरे महीने में खान-पान पर किस तरह ध्यान देना चाहिए।
गर्भावस्था के तीसरे महीने में आहार
गर्भावस्था से पहले आप सिर्फ अपने लिए खा रही थीं और अपनी पसंद का खा रही थीं, लेकिन अब आप सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाले नन्हे शिशु के लिए भी खा रही हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप अपने खान-पान का खास ख्याल रखें। आपको इस अवस्था में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसका खास ध्यान रखें :
गर्भावस्था के तीसरे महीने में क्या खाएं? | Pregnancy Ke Teesre Mahine Me Kya Khaye
- विटामिन-6 से भरपूर खाद्य पदार्थ : इस महीने जी-मिचलाने की समस्या बहुत ज्यादा होती है। इसके लिए आप विटामिन-बी6 से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि अपने खान-पान में शामिल करें।
- ताजे फलों का रस : गर्भावस्था में ताजे फलों का जूस पीना फायदेमंद होता है। यह आपको सभी जरूरी विटामिन देता है।
- कार्बोहाइड्रेट : गर्भावस्था में कार्बोहाइड्रेट लेना जरूरी है। इसके लिए साबुत अनाज के साथ-साथ गेहूं के आटे की ब्रेड, चावल व आलू अपने खान-पान में शामिल करें।
- मीट : अगर आप मांसाहारी हैं, तो गर्भावस्था के दौरान मीट का सेवन करें। बस ध्यान दें कि यह मीट अच्छी तरह से पका हुआ हो।
- आयरन और फोलेट : गर्भ में बच्चे के विकास के लिए आयरन और फोलेट बहुत जरूरी हैं। इसकी कमी से शिशु में कई तरह के शारीरिक विकार होने का खतरा रहता है। इसलिए, अपने खान-पान में आयरन और फोलेट को जरूर शामिल करें। इसके लिए चुकंदर, चीकू, ओटमील, बींस, संतरा, आलू, ब्रोकली, अंडा और हरी सब्जियां जरूर शामिल करें।
- डेयरी उत्पाद : चूंकि कैल्शियम की जरूरत आपको और आपके शिशु दोनों को ही है, तो इसके लिए अपने खान-पान में डेयरी उत्पाद शामिल करें। इसके लिए दूध, दही, पनीर व घी आदि का सेवन करें।
गर्भावस्था के तीसरे महीने में क्या नहीं खाना चाहिए?
नीचे हम बताने जा रहे हैं कि गर्भावस्था के तीसरे महीने में क्या नहीं खाना चाहिए :
- जंक फूड और शराब : गर्भावस्था के तीसरे महीने में जंक फूड, शराब व तंबाकू आदि से परहेज करें। इसके अलावा, चाय, कॉफी व चॉकलेट आदि का सेवन कम करें (9)।
- सी फूड : बेहतर यही होगा कि इस दौरान सी फूड से परहेज करें, क्योंकि इनमें उच्च मरकरी हो सकती है, जो भ्रूण के लिए हानिकारक होती है।
- डिब्बाबंद खाना : गर्भावस्था के दौरान डिब्बाबंद चीजें न खाएं। फिर चाहे वो अचार हो या जूस। दरअसल, इन्हें लंबे समय तक चलाने के लिए कुछ केमिकल मिलाए जाते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक होते हैं।
- कच्चा मांस और कच्चे अंडे : गर्भावस्था के इस दौरान कच्चा मांस और कच्चे अंडे न खाएं। इसमें साल्मोनेला व लिस्टेरिया नामक बैक्टीरिया होता है, जो भ्रूण पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
लेख के इस हिस्से में आप जानिए कि इस दौरान किस-किस तरह के व्यायाम करने चाहिए।
गर्भावस्था के तीसरे महीने के लिए व्यायाम
- वेट ट्रेनिंग : गर्भावस्था के तीसरे महीने आप वेट ट्रेनिंग कर सकती हैं। इससे शरीर मजबूत होता है और गर्भावस्था के भार को सहने के लिए शरीर को तैयार करता है। सप्ताह में दो बार वेट ट्रेनिंग की जा सकती है।
- रनिंग : अगर आप पहले से रनिंग करती हैं, तो इस दौरान रनिंग करना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि आप किसी टूटी-फूटी सड़क पर रनिंग न करें और रनिंग बहुत तेज न करते हुए धीरे-धीरे करें। जैसे ही आप थकने लगें, रनिंग करना तुरंत बंद कर दें।
- स्विमिंग : गर्भावस्था के शुरुआती दौर में तैराकी करना फायदेमंद माना जाता है। पानी में आपका वजन जमीन की तुलना में हल्का होता है, जो आपको आराम देगा। ध्यान रहे कि हमेशा किसी प्रशिक्षक की निगरानी में ही तैराकी की जाए (10)।
- सैर करना : गर्भावस्था के तीसरे महीने में सुबह-शाम की सैर फायदा पहुंचा सकती है। इससे आप तरोताजा महसूस करेंगी और रक्त संचार भी सुचारू रूप से होगा।
- पाइलेट्स व्यायाम : गर्भावस्था के तीसरे महीने में पाइलेट्स व्यायाम भी किया जा सकता है। इससे पेट, पीठ और श्रोणि को मजबूती मिलती है।
गर्भवती महिला के लिए यह जानना भी जरूरी है कि तीसरे महीने में कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं।
गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान स्कैन और परीक्षण
सही खान-पान, नियमित व्यायाम के साथ-साथ गर्भावस्था में नियमित रूप से डॉक्टरी जांच करवाना भी जरूरी है। जानिए, गर्भावस्था के तीसरे में महीने में कौन से जांच और स्कैन होते हैं :
- वजन और रक्तचाप जांचा जाएगा।
- गर्भाशय के आकार का पता लगाने के लिए पेट का माप लिया जा सकता है।
- इस महीने में आप शिशु के दिल की धड़कन सुन पाएंगी।
गर्भावस्था के तीसरे महीने में होने वाले लैब टेस्ट :
- शुगर और प्रोटीन स्तर की जांच के लिए यूरिन टेस्ट।
- रक्त में आरएच फैक्टर की जांच के लिए आपके रक्त का नमूना लिया जाएगा। इससे रक्त में प्रोटीन की मात्रा का पता लगाया जाता है।
- अगर आपके हाथ व पैरों में सूजन है, तो उसके लिए फ्लूइड रिटेंशन टेस्ट किया जाता है।
गर्भावस्था के तीसरे महीने में किए जाने वाले स्कैन :
- न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एनटी) स्कैन : इसमें शिशु के सिर के पीछे मौजूद तरल की जांच की जाती है। इस स्कैन को ‘12 वीक स्कैन’ कहा जाता है (11)। डाउंस सिंड्रोम के खतरे का पता लगाने के लिए इस तरल के स्तर को मापा जाता है। डाउंस सिंड्रोम आनुवंशिक स्वास्थ्य स्थिति है। गर्भ में पल रहे जिस भ्रूण में यह पाया जाता है, उसके विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- मैटरनल सीरम टेस्ट : इसमें गर्भवती महिला के रक्त की जांच की जाती है। यह स्कैन आमतौर पर गर्भधारण के 11वें से 13वें हफ्ते के बीच किया जाता है। प्रेगनेंसी-एसोसिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन-ए (पीएपीपी-ए) और हृयूमन कोरियॉनिक गोनडोट्रोपिन (एचसीजी) का स्तर जांचने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
- कोरियॉनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) : इसमें कोरियॉनिक विलस के लिए प्लेसेंटा से नमूना लिया जाता है। यह नमूना सर्विक्स या एब्डॉमिनल वॉल में से निकाला जाता है। इसके जरिए बच्चे में आनुवंशिक रोग का पता लगाया जाता है। वैसे अब यह टेस्ट इतना आम नहीं है और कुछ ही मामलों में किया जाता है।
- अल्ट्रासाउंड : अल्ट्रासाउंड की मदद से गर्भाशय में प्लेसेंटा की स्थिति और एमनियोटिक द्रव का पता लगाने में मदद मिलती है।
क्या अल्ट्रासाउंड से शिशु के लिंग का पता लग सकता है?
चूंकि, इस दौरान शिशु का लिंग विकसित हो रहा होता है, इसलिए लिंग की जांच कर पाना मुश्किल होता है। 12वें सप्ताह से पहले की गई जांच से सही परिणाम कम ही संभव है। हालांकि, भारत में जन्म से पहले शिशु का लिंग पता करना कानूनी अपराध है। ऐसा करने पर जेल हो सकती है।
आइए, अब इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जान लेते हैं।
गर्भावस्था के तीसरे महीने के दौरान सावधानियां – क्या करें और क्या नहीं
गर्भावस्था के तीसरे महीने में खान-पान से लेकर व्यायाम करते समय कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। जानिए, तीसरे महीने के दौरान क्या करें और क्या न करें।
- भरपूर और पौष्टिक भोजन करें।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- डॉक्टर की सलाह से जरूरी सप्लीमेंट्स लें। यह बच्चे के विकास के लिए जरूरी है।
- फल और सब्जियां खाने से पहले अच्छी तरह धोएं और हाथ हमेशा साफ रखें।
- इस दौरान मसूड़ों से खून आने की समस्या आम है, इसलिए नियमित रूप से दांतों का चेकअप कराएं।
- सक्रिये रहें। बच्चे के नाम सोच लें, कमरे में बच्चों की तस्वीरें लगा लें। ऐसा करने से तनाव कम होगा।
होने वाले पिता के लिए टिप्स
गर्भावस्था को संभालना गर्भवती ही नहीं, बल्कि होने वाले पिता की भी जिम्मेदारी है। इसलिए, होने वाले पिता को भी अपनी कुछ खास जिम्मेदारियां निभानी चाहिए, जैसे :
- गर्भवती की शारीरिक स्थिति कमजोर होती है, इसलिए कोशिश करें कि घर के कामों में उनका साथ दें।
- हो सकता है कि गर्भवती अपनी देखभाल के लिए बाकी लोगों से कट-सी गई हों, ऐसे में उनके आसपास रहकर उनका साथ दें और उन्हें अकेलेपन का अहसास न होने दें।
- आप इस दौरान पत्नी के साथ कहीं बाहर घूमने भी जा सकते हैं।
लेख के अंत में जानिए इस विषय के संबंध में पाठकों द्वारा पूछे गए कुछ सवालों के जवाब।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अगर मैं तीन महीने की गर्भवती हूं, तो मेरी देय तिथि कब होगी?
नियत तिथि शिशु के जन्म लेने की अनुमानित तारीख होती है। इसकी गणना आपकी अंतिम माहवारी के पहले दिन में 40 हफ्ते जोड़कर की जाती है।
क्या तीसरे महीने के दौरान तंत्रिका ट्यूब दोष (Neural Tube Defect) का पता लगाना संभव है?
तंत्रिका ट्यूब दोष एक प्रकार का मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी से संबंधित दोष है। गर्भावस्था के 11वें से 13वें सप्ताह के बीच एनटी स्कैन की मदद से इसका पता लगाया जा सकता है (12)।
निष्कर्ष के तौर पर यह कहना सही होगा कि गर्भावस्था का तीसरा महीना बेहद नाजुक होता है। इसलिए, गर्भवती महिला व घर के सभी सदस्यों को खास ध्यान रखने की जरूरत है। आप इस लेख में बताए गई जरूरी सावधानियां का पालन कर इस समय को सुखद बना सकती हैं। यह जानकारी आप उन सभी परिचित महिलाओं के साथ जरूर शेयर करें, जो गर्भावस्था के तीसरे महीने में हैं।
References
1. Morning sickness by Pregnancy birth and baby
2. Common Physical Changes During Pregnancy By Healthy Women
3. What To Know About Vaginal Discharge During Pregnancy By Virtua
4. Pregnancy: Having a Healthy Pregnancy By Cleveland Clinic
5. Your Body throughout Pregnancy By Child birth connection
6. Signs and symptoms of pregnancy By National Health Service
7. Managing your weight gain during pregnancy By Medline Plus
8. Fetal Development By Website Of The State Of South Dakota Department Of Health
9. Checklist of Foods to Avoid During Pregnancy By Food Safety
10. Water Exercise For Pregnant Women By AWHONN
11. Screening for Down syndrome By Pregnancy birth and baby
12. Detection of neural tube defect in the first and second trimester of pregnancy by ultrasound in Imam Hospital, Ahwaz
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