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हर माता-पिता को अपने शिशु को आंखों के सामने स्वस्थ रूप से विकसित होते देखना अनोखी खुशी देता है। बेशक, शिशु के जन्म के बाद पहले और दूसरे महीने में होने वाले विकास में ज्यादा अंतर नहीं होता, लेकिन तीसरे महीने से उनमें कई बड़े बदलाव साफ-साफ दिखने लगते हैं। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको 4 महीने के बच्चे की गतिविधियों और उनके विकास के बारे में जानकारी देंगे।
सबसे पहले जानते हैं 4 महीने के बच्चे के वजन और हाइट के बारे में।
4 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
पहले तीन महीने की तुलना में चौथे महीने में शिशु के वजन और कद में काफी अंतर आ जाता है। चौथे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन लगभग 5.2 किलोग्राम से लेकर 6.9 किलो तक हो सकता है और लंबाई कम से कम 62.1 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, चौथे महीने में बेबी बॉय का सामान्य वजन लगभग 5.7 किलो से लेकर 7.6 किलो तक हो सकता है और लंबाई लगभग 63.9 सेंटीमीटर तक हो सकती है (1)।
नोट : हर शिशु एक दूसरे से अलग होता है और सबका शारीरिक विकास भी अलग-अलग होता है। इसलिए, आपके शिशु का वजन व कद कम-ज्यादा हो सकता है। इस संबंध में आपको डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं।
आगे इस लेख में आप जानेंगे 4 महीने के बच्चे के विकास के बारे में।
4 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?
शिशु जन्म के बाद हर महीने कुछ न कुछ नया सीखता हैं और उनका न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तरीके से भी विकास होता है। इस लेख के आगे के भाग में हम 4 महीने के शिशु के विकास के माइल्सटोन के बारे में आपको जानकारी देंगे।
मानसिक विकास
- चीजों को समझना – शिशु तीसरे महीने से ही थोड़ा-बहुत चीजों को समझने लगते हैं। जब वो 4 महीने के होते हैं, तो अपने माता-पिता को और अपने करीबी लोगों को, जो उनके साथ हमेशा रहते हैं, उन्हें पहचानने लगते हैं। कई बार तो उन्हें दूर से ही देखकर पहचान जाते हैं। साथ ही अपने माता-पिता की आवाज और स्पर्श को भी अच्छे से समझने लगते हैं (2) (3)।
- चीजों को याद रखना – 4 महीने के शिशु की याददाश्त भी धीरे-धीरे मजबूत होने लगती है। अगर उनके सामने कोई चीज रखी जाए और फिर उसे हटा दी जाए, तो वो उसे ढूंढने लगते हैं। इसके अलावा, उन्हें आकर्षित करने वाली कुछ खास चीजों को याद रखते हैं और उनके नजर आते ही प्रतिक्रिया देते हैं (3)।
- प्यार जताना – 4 महीने के शिशु प्यार जताना भी सीखने लगते हैं। अगर उनसे कोई प्यार से बात करे, उन्हें दुलार करे या पुचकारे, तो वो भी हंसकर या सामने वाले के गाल पर अपने मुंह को सटाकर प्रतिक्रिया देते हैं। अगर कोई उनके प्रति स्नेह व्यक्त करता है, तो वो भी बदले में खिलखिलाकर अपना प्यार जताते हैं (2)।
- खुशी और दुख को समझाना – जहां वो हंसकर या खिलखिलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं, तो वहीं रो कर या चिड़चिड़े होकर अपनी तकलीफ या दुख को व्यक्त करते हैं। कई बार वो माता-पिता का ध्यान खींचने के लिए भी बेवजह रोने और चिड़चिड़ाने लगते हैं (2) (3)।
- ध्यान देना – अगर उनके सामने कोई चलती हुई चीज या खिलौने रखे जाएं, तो उसे दूर तक देखते हैं। जिधर-जिधर खिलौना जाएगा, वहां-वहां देखेंगे। यहां तक कि वो खिलौने और अन्य चीजों तक पहुंचने की भी कोशिश करते हैं (2)।
शारीरिक विकास
- सिर को स्थिर रखना – जन्म के बाद शिशु का सिर और गर्दन बहुत नाजुक होते हैं और उसे सहारे की जरूरत होती है। फिर महीने-दर-महीने शिशु का सिर मजबूत होने लगता है। चौथे महीने में शिशु बिना सहारे के अपने सिर को सीधा रखना सीखने लगते हैं (2) (3)।
- सहारे से बैठना – 4 महीने का शिशु बैठना भी सीखने लगते हैं। अगर उन्हें सहारे के साथ बैठाया जाए, तो वो थोड़ी देर तक बैठ भी सकते हैं (3)। हालांकि, ध्यान रहे कि उन्हें ज्यादा देर तक नहीं बैठाया जाए, वरना उनके कमर में दर्द भी हो सकता है।
- चीजों को पकड़ना – इस महीने में शिशु चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं। साथ ही चीजों को हाथ में लेकर उन्हें फेंकना या झटकना शुरू कर देते हैं (3)।
- पलटी मारना – अगर शिशु को पेट के बल सुलाया या लेटाया जाए, तो वो पलटना सीख जाते हैं। साथ ही पेट के बल लेटने पर अपना सिर बिना किसी सहारे के सीधा उठा सकते हैं। इसलिए, अगर आप शिशु को बेड पर या किसी ऊंची जगह पर सुलाते हैं या खेलने के लिए छोड़ते हैं, तो उन पर ध्यान रखें। साथ ही उनके आसपास तकिया रख दें, ताकि वो गिरे नहीं। जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढ़ती है, वो चंचल होने लगते हैं (2)।
- पैरों को धकेलना – 4 महीने के शिशु लेटे-लेटे अपने पैरों से खूब खेलते हैं। अगर उनके पैर किसी मजबूत चीज पर लगते हैं, तो वो अपने पैरों को उस पर सटाकर अपने शरीर को पीछे की तरफ धकेल सकते हैं। कई बार अपने पैरों को साइकिल चलाने की मुद्रा में भी चलाते हैं (2)।
- नींद में सुधार – इस महीने में शिशु के नींद में भी काफी सुधार आ जाता है। 4 महीने के शिशु 24 घंटे में 14 से 16 घंटे सोते हैं। रात में 9 से 10 घंटे और दिनभर में दो बार थोड़ी-थोड़ी देर की झपकी ले लेते हैं (3)।
- चीजों को मुंह में डालना – 4 महीने का शिशु न सिर्फ उंगली मुंह में डालना सीखता है, बल्कि अन्य सामने पड़ी चीजों को भी मुंह में डालने लगता है। इसलिए, इस दौरान शिशु पर खास ध्यान रखना जरूरी है। ऐसी स्थिति में शिशु को संक्रमण का खतरा लगा रहता है (2) (3)।
- आवाजों को सुनना – शिशु न सिर्फ आवाजों को सुनते हैं, बल्कि उनकी नकल करने कोशिश भी करते हैं। इतना ही नहीं जब लोग आपस में बात करते हैं, तो वो भी उस वार्तालाप का हिस्सा बनने की कोशिश करते हैं। इस दौरान, वो तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं और अपने तरीके से बड़बड़ाने लगते हैं। साथ ही अगर उन्हें कुछ पसंद हो, तो इशारों और अपने ही तरीके से उसकी मांग भी करते हैं (2)।
सामाजिक और भावनात्मक विकास
- हंसना-मुस्कुराना – 4 महीने के शिशु अपने माता-पिता और जो उनके साथ ज्यादा देर तक रहते हैं, उन्हें पहचानने लगते हैं। वो जब भी उन्हें आसपास देखते हैं, तो उन्हें देखकर हंसने, मुस्कुराने और खिलखिलाने लगते हैं। उनके पास जाना चाहते हैं और अपना स्नेह व्यक्त करना चाहते हैं (2)।
- खेलना पसंद करते हैं – हर रोज अगर किसी एक निर्धारित वक्त पर शिशु को खेलने या घुमाने के लिए ले जाया जाए, तो शिशु इस महीने में अपने खेलने का वक्त समझने लगते हैं। ऐसे में अगर शिशु को उस वक्त खेलने के लिए न ले जाया जाए, तो वो रोने और चिड़चिड़ाने लग सकते हैं। शिशु को खेलना पसंद आने लगता है और अगर ऐसे में उनके साथ खेलना बंद कर दिया जाए, तो वो रोने भी लग सकते हैं। यहां तक कि वो आईने में खुद को देखकर खेलते और हंसते हैं (2)।
- नकल करना – ऊपर हमने बताया कि 4 महीने के शिशु आवाजों की नकल करने की कोशिश करने लगते हैं, लेकिन इतना ही नहीं वो अन्य व्यक्तियों के चेहरे के हाव-भाव की भी नकल करने लगते हैं। बड़े जैसे हंसते हैं या जैसा अन्य शिशुओं के हाव-भाव होते हैं, वो भी वैसे ही करने लगते हैं (2)।
अब वक्त है 4 महीने के बच्चे के टीकाकरण के बारे में जानने का।
4 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगते हैं?
शिशु के सही विकास के लिए उनका स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। शिशु बहुत ही नाजुक होते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बड़ों के मुकाबले कम होती है। इसलिए, शिशुओं को जन्म के बाद हर महीने टीकाकरण कराया जाता है। यहां हम 4 महीने बच्चे को कौन-कौन से टीके लगवाने है उसके बारे में बता रहे हैं (4)।
- डीटीपी 3
- आईपीवी 3
- हिब 3
- रोटावायरस 3
- पीसीवी 3
नोट : शिशु के जन्म के बाद माता-पिता को टीकाकरण का एक चार्ट दिया जाता है, जिसमें सारे टीकों के बारे में जानकारी रहती है। अगर फिर भी आपको समझने में कुछ उलझन हो कि कौन-सा टीका कब लगवाना है, तो आप शिशु विशेषज्ञ से इसके बारे में पूछ सकते हैं।
लेख के इस भाग में हम बताएंगे कि 4 महीने का शिशु कितना दूध पी सकता है।
4 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?
जन्म के बाद शिशु कम दूध का सेवन करता है, क्योंकि उनके पेट का आकार छोटा होता है। वहीं, जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, उसका पेट व पाचन तंत्र भी बढ़ने लगता है। इसलिए, उसके भूख में भी बदलाव होने लगता है।
मां का दूध – यह तो जगजाहिर है कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है और जन्म के बाद कम से कम छह महीने तक मां का दूध जरूरी है। 4 महीने का शिशु एक दिन में औसतन 728 एमएल से लेकर 1165 एमएल (750 ग्राम से 1200 ग्राम) तक दूध पी सकता हैं। वह 24 घंटे में 8 से 12 बार मां के दूध का सेवन कर सकता है (5) (6)।
फॉर्मूला दूध : विभिन्न कारणों से शिशु को फॉर्मूला दूध भी देना पड़ जाता है। ऐसे में 4 महीने के शिशु को 177 से 207 एमएल तक फॉर्मूला दूध का सेवन दिन में 5 से 6 बार कराया जा सकता है (7)।
नोट : ऊपर दिए गए दूध की मात्रा में बदलाव हो सकते हैं, क्योंकि सभी शिशु एक जैसे नहीं होते हैं और सभी की भूख भी एक जैसी नहीं होती है। इसलिए, यह शिशु के स्वास्थ्य और उसकी आदतों पर निर्भर करता है कि वो दिनभर में कितना दूध पीता है।
आगे हम आपको 4 महीने के बच्चे की नींद के बारे में बताएंगे।
4 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?
शिशु जन्म के बाद कुछ महीने तक बहुत सोता है, लेकिन जैसे-जैसे उसका विकास होता है, सोने की आदत में भी परिवर्तन होने लगता है। 4 माह के शिशु 24 में से लगभग 12-16 घंटे सोते हैं। दिन में ये दो या तीन झपकी लेते हैं। ज्यादातर बच्चों को रात में 5 या 6 घंटे की नींद आती है। कुछ शिशु, विशेष रूप से जो स्तनपान कर रहे हैं, वो पूरे दिन में कई बार जाग सकते हैं (8)।
नोट : जिस तरह से हर शिशु की दूध की खुराक अलग-अलग होती है, उसी प्रकार उनकी नींद भी अलग-अलग होती है। यह शिशु के स्वास्थ्य, उसकी आदतों व् व्यवहार पर निर्भर करता है। जरूरी नहीं हर शिशु 6 से 8 घंटे तक ही सोए, कोई ज्यादा सो सकता है तो कोई कम।
लेख के इस भाग में जानिए कि 4 महीने के शिशु का किस तरह के खेलों में मन लगता है।
4 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां
4 महीने के शिशु काफी फुर्तीले हो जाते हैं। अगर आप उनके साथ कोई गेम खेलेंगे, तो वो उत्साहित हो जाते हैं। नीचे हम आपको बता रहे हैं कि माता-पिता और घर के अन्य सदस्य कैसे 4 महीने के बच्चे के साथ खेल सकते हैं।
- अगर आप 4 महीने के शिशु के साथ कोई बात करेंगे, तो वो अपने तरीके से उसकी नकल करने की कोशिश करेंगे। साथ ही अपने तरीके से ही बोलने की कोशिश करेंगे हैं और तरह-तरह की आवाजें भी निकालेंगे। इससे शिशु की संवाद क्रिया में सुधार होगा।
- शिशु के सामने रंग-बिरंगी कहानियों की किताब लेकर बैठें और उन्हें न सिर्फ कहानी सुनाएं, बल्कि किताब में तस्वीरें भी दिखाएं।
- उन्हें गोद में बिठाकर उनके साथ बातें करें और झूला झुलाएं। ऐसा करने से वो बहुत खुश हो जाते हैं और खिलखिलाने लगते हैं। उनके सामने गाना गाएं। अगर उन्हें सिटी की आवाज पसंद है, तो उनके सामने बजाए।
- अपने शिशु को सामने बैठाएं और बुलबुले बनाने वाले खिलौने से बुलबुले बनाएं। इससे बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं और कई बार बुलबुलों को छूने की कोशिश भी करते हैं।
- उनके पालने में या उनके सामने घूमने वाले खिलौने, बजने वाले खिलौने व छोटे घुंघरू भी बांध सकते हैं। शिशु उसकी आवाज सुनकर प्रतिक्रिया दें और खुश हो जाएंगे।
- शिशु को गोद में उठाकर उनके साथ हल्के-फुल्के व्यायाम कर सकते हैं। जैसे शिशु को ऊपर उठाना, फिर नीचे लाना, जैसे आप जिम में लिफ्टिंग करते हैं। ध्यान रहे कि शिशु को ज्यादा ऊपर तक न उठाएं।
- उनके साथ मध्यम आकार के हल्की गेंद से खेलें। गेंद उन्हें काफी आकर्षित करेगी और उसे पकड़ने की चाह में उनकी फुर्ती और बढ़ेगी।
आगे हम आपको बताएंगे कि 4 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं क्या होती हैं।
4 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं
शिशु जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें छोटी-मोटी समस्याएं होना आम बात है। यहां हम आपको 4 महीने के बच्चे की कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिन पर हर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए (9)।
बुखार – मौसम बदलते देर नहीं लगती है और शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें बुखार होना आम बात है। शिशु बहुत कोमल होते हैं और सामान्य बुखार भी गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए, शिशु को न सिर्फ डॉक्टर के पास ले जाएं, बल्कि हर कुछ घंटे में उसका तापमान भी चेक करते रहें।
सर्दी-जुकाम – शिशु को सर्दी-जुकाम होना सामान्य है, लेकिन अगर हर वक्त शिशु की नाक बह रही है, तो इस पर ध्यान देना जरूरी है। सर्दी-जुकाम की वजह से शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और वो चिड़चिड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, अगर लगातार खांसी की समस्या हो, तो न सिर्फ शिशु के सीने में दर्द हो सकता है, बल्कि ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी गंभीर समस्या भी हो सकती है। यहां तक कि उन्हें सोने में भी परेशानी हो सकती है।
दूध न पिए – अगर शिशु मां का दूध या फॉर्मूला दूध पीने से इंकार करे और लगातार रोता रहे, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। ऐसा होना शिशु के शरीर में किसी तरह की तकलीफ का संकेत हो सकता है।
सोने में परेशानी – अगर शिशु सो नहीं रहा हो या रात को सोते-सोते उठ रहा हो, तो इसका मतलब है कि उसे कुछ परेशानी है। इस स्थिति में जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर की राय लें। हो सकता है शिशु के कान में संक्रमण की वजह से दर्द हो रहा हो, पेट में दर्द हो या अन्य कोई परेशानी हो।
लेख के इस भाग में हम चार महीने के शिशु से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां बता रहे हैं।
बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां
क्या मेरा बच्चा देख सकता है?
चार महीने में शिशु के देखने की क्षमता काफी विकसित हो जाती है और पहले की तुलना में वो बहुत दूर तक देख सकते हैं। अपने आसपास हो रही गतिविधियों को वो बहुत गौर से देखते हैं। इसके अलावा, अगर उनके सामने कोई गेंद हो या हिलने-डुलने वाला खिलौना हो या उनके भाई-बहन आसपास खेल रहे हों, तो शिशु उन सब चीजों पर गौर करते हैं। वो रंग-बिरंगी चीजों पर भी पूरा गौर करते हैं (10)।
क्या मेरा बच्चा सुन सकता है?
आपका शिशु हर तरह की आवाज को सुन सकता है। अगर आपका शिशु रो रहा हो, तो हो सकता है कि वह मधुर आवाज सुनकर चुप हो जाए। वह माता-पिता की आवाज को भी पहचानने लगता है और उनकी आवाज सुनकर प्रतिक्रिया देता है व उत्साहित हो जाता है (10)।
क्या मेरा बच्चा स्वाद और गंध को पहचान सकता है?
चार महीने के शिशु स्वाद और गंध को समझने लगते हैं और मीठे स्वाद को ज्यादा पसंद करते हैं। उसी प्रकार वो खूशबूदार चीजों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं और खराब गंध आने पर चिड़चिड़ाकर या अन्य तरीकों से प्रतिक्रया देते हैं (10)।
आगे जानिए शिशु की सफाई और स्वच्छता से जुड़ी कुछ मुख्य बातें।
शिशु की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है
घर की सफाई – ध्यान रहे कि आपके घर का फर्श साफ हो, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ और जमीन पर कुछ गिरा हुआ हो, तो हो सकता है कि आपका शिशु उसे उठाकर मुंह में डाल ले। बाद में यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
डायपर – शिशु के डायपर को हर कुछ देर में चेक करते रहें। अगर डायपर गिला हो, तो उसे तुरंत बदले, क्योंकि गिले डायपर से शिशु को रैशेज या संक्रमण हो सकता है। साथ ही डायपर पहनाने से पहले शिशु के गुप्तांगों को अच्छे से नर्म गीले तौलिये से या बेबी वाइप्स से पोछें और बेबी मॉइस्चराइजर लगाएं।
खिलौनों की सफाई – चार महीने का शिशु खिलौनों से खेलना और उन्हें पकड़ना सीखने लगता है। साथ ही उन्हें मुंह में डालना भी सीखता है। इस स्थिति में खिलौनों का साफ होना बहुत जरूरी है। इसलिए शिशु के खेलने वाले खिलौनों को गर्म पानी से साफ करें, ताकि शिशु को संक्रमण न हो।
मुंह व हाथ-पैरों की सफाई – शिशु को नहलाना जरूरी है, लेकिन अगर आप शिशु को रोज नहीं नहला सकते हैं, तो भीगे तौलिए से शिशु का शरीर जरूर पोछें, ताकि उनके हाथ-पैर साफ रहें। नियमित रूप से उनके नाखून भी काटें, ताकि उनके नाखून की गंदगी उनके मुंह में न जाए। कोमल कपड़े से हल्के-हल्के हाथों से शिशु की जीभ की भी सफाई करें।
शिशु के कपड़ों की सफाई – शिशु जो कपड़े पहनते हैं या जो चादर व कंबल ओढ़ते हैं, उन्हें रोज गर्म पानी और एंटीसेप्टिक लिक्विड से धोएं, ताकि शिशु के कपड़े साफ हों और उन्हें संक्रमण का खतरा न हो।
इन सबके अलावा भी छोटी-छोटी चीजें जैसे – नाक साफ करना, शिशु को छूने से पहले हाथ धोना, उनके गाल पर किस न करना आदि का ध्यान रखना जरूरी है।
इस लेख में आगे जानिए कि माता-पिता अपने शिशु के स्वस्थ विकास में कैसे मदद कर सकते हैं।
माता-पिता बच्चे के विकास में कैसे मदद कर सकते हैं पर सामान्य सुझाव
शिशु का तेजी से विकास हो उसके लिए माता-पिता का योगदान सबसे जरूरी है। यहां हम उसी के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
- 4 महीने का बच्चा चीजों को समझने लगता है और खेलने के लिए उत्साहित रहता है। ऐसे में माता-पिता उनके साथ शिशु के पसंदीदा खिलौने को लेकर खेलें।
- शिशु के साथ सामने बैठकर ही लुका-छिपी खेलें, इसमें उन्हें काफी मजा आएगा। जितना हो सके, उनके साथ वक्त बिताएं।
- उनके पसंदीदा खिलौने को उनसे थोड़ा दूर रख दें और शिशु को उसे पकड़ने के लिए प्रेरित करें।
- उनके सामने गाना गाएं या कविताएं पढ़ें और सोने से पहले लोरी सुनाएं।
- उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं और दूसरे बच्चों के साथ खेलने दें।
- उन्हें रंग-बिरंगी तस्वीरें दिखाएं व कहानियां सुनाएं।
आगे हम आपको शिशु के कुछ लक्षणों के बारे में बताएंगे, जो माता-पिता के लिए चिंता का कारण हो सकते हैं।
4 महीने के बच्चे के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?
अगर आपके शिशु में नीचे दिए गए लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर से बात करें (2) (11)।
- अगर लोगों को देखकर हंसने या रोने जैसी कोई प्रतिक्रिया न दे।
- अगर सिर को सहारा देने के बाद भी संतुलित न रख सके।
- अगर चीजों को पकड़ न सके या मुंह तक न ले जा सके।
- पैरों से खुद को न धकेल सके या पैरों को ज्यादा न चलाए।
- कमरे में किसी के आने के बाद भी न देखे या प्रतिक्रिया न दे।
- अगर आवाजों को सुनकर भी प्रतिक्रिया न दे।
- दूध न पिए और पूरे दिन चिड़चिड़ा रहे या रोता रहे।
- रात को ठीक से न सोए या बेचैन रहे।
आर्टिकल के इस भाग में जानिए कि 4 महीने के शिशु के लिए क्या-क्या जरूरी है।
इस महीने के लिए चेकलिस्ट
माता-पिता को अपने शिशु के लिए चेकलिस्ट तैयार कर रखना जरूरी है, ताकि वो शिशु के स्वास्थ्य और बेहतर विकास पर न सिर्फ ध्यान दे सकें, बल्कि बेहतर तरीके से योगदान भी दे सकें। नीचे जानिए चेकलिस्ट के बारे में।
- शिशु का नियमित तौर पर डॉक्टर से चेकअप कराएं।
- डॉक्टर से जानकारी लेकर सही वक्त पर वैक्सीन लगवाएं।
- जब भी शिशु के साथ बाहर जाएं, तो उसके एक्स्ट्रा कपड़े, डायपर व दूध आदि चीजें साथ लेकर निकलें।
- अगर शिशु को दूध के अलावा कोई ठोस आहार देना चाहते हैं, तो उसके लिए डॉक्टर से बात करें।
इस लेख में आगे हम कुछ सामान्य सवालों के जवाब देंगे, जिसके बारे में अक्सर माता-पिता जानना चाहते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मैं अपने 4 महीने के बच्चे को ठोस आहार दे सकती हूं?
शिशु के लिए छह महीने तक मां का दूध सर्वोत्तम आहार होता है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में शिशु को फॉर्मूला दूध देना पड़ता है। अगर बात करें ठोस आहार की, तो 4 महीने में शिशु को ठोस आहार देने से बचें, क्योंकि हो सकता है कि शिशु के गले में खाना अटक जाए या शिशु ठीक से पचा न पाए। इस कारण से उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप डॉक्टर से बात करें।
कब शिशु रातभर बिना खाए सो सकता है?
अगर शिशु स्वस्थ है, तो 6 महीने या उसके बाद रातभर बिना स्तनपान किए सो सकता है। 6 महीने के आसपास शिशु लगातार 6 घंटे की नींद ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि शिशु 6 महीने या उसके बाद से ही ऐसा करें। इसके अलावा, अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात करें, क्योंकि सारे शिशु एक जैसे नहीं होते और सबकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं।
क्या मैं अपने 4 महीने के बच्चे को पानी दे सकती हूं?
नहीं, जब तक शिशु 6 महीने का न हो जाए, उसे पानी देना उचित नहीं है। 6 महीने में भी शिशु को थोड़ी मात्रा में उबला हुआ पानी देना चाहिए। इसके अलावा, अगर आप 4 महीने के बच्चे को पानी देना चाहते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह लें (12)।
शिशु का बेहतर विकास हर माता-पिता के लिए खुशी की बात होती है। इस स्थिति में उन्हें जितना घुमाएंगे, उनके साथ वक्त बिताएंगे और खेलेंगे, उनका विकास तेजी से होगा। 4 महीने का शिशु बहुत कुछ समझने और सीखने लगता है, इसलिए इस दौरान माता-पिता उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं। आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारियां आपके काम आएंगी और आप अपने शिशु की जरूरतों को जानकर उनके बेहतर विकास में मदद कर सकेंगे।
References
1. Data Table of Infant Weight-for-age Charts By CDC
2. Important Milestones: Your Baby By Four Months by CDC
3. Developmental milestones record – 4 months By MedlinePlus
4. IAP Immunization Schedule 2016 By ACVIP
5. Milk Volume By NCBI
6. How Much and How Often to Breastfeed By CDC
7. Feeding Guide for the First Year By URMC
8. Your Child’s Checkup: 4 Months By Kidshealth
9. Medical Care and Your 4- to 7-Month-Old By Kidshealth
10. Your Baby’s Hearing, Vision, and Other Senses: 4 Months By Kidshealth
11. Your Child’s Development: 4 Months By Kidshealth
12. When can babies drink water? By Pregnancybirthbaby
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