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गर्भावस्था के नौ महीने क्या महत्व रखते हैं, इसे गर्भवती महिला के अलावा अन्य किसी के लिए समझना कठिन है। यहां हम गर्भावस्था के पांचवें महीने यानी 17वें सप्ताह से 20वें सप्ताह तक की बात कर रहे हैं। इस महीने तक पहुंचते-पहुंचते त्वचा खिल उठती है और गर्भावस्था का रूप आपके चेहरे पर दमकने लगता है। जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता है, वैसे-वैसे शरीर में कई बदलाव होते हैं। गर्भ में शिशु का विकास होने के चलते पेट बढ़ने लगता है, वहीं कुछ शारीरिक परेशानियां भी होती रहेंगी। मॉमजंक्शन के इस लेख में गर्भावस्था के पांचवें महीने के बारे में बात करेंगे।
गर्भावस्था के पांचवें महीने के लक्षण | 5 Mahine Ki Pregnancy
गर्भावस्था के हर महीने कुछ लक्षण समान रहते हैं, तो कुछ नए हो सकते हैं। जानिए, पांचवें महीने के लक्षण के बारे में (1) :
1. थकान होना : गर्भावस्था के पांचवें महीने में थकान होना आम लक्षण है। जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का वजन बढ़ेगा गर्भवती को जल्दी थकान महसूस होगी।
2. पीठ दर्द होना : गर्भाशय में शिशु का आकार बढ़ने के कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने की समस्या आम है। अधिकतर गर्भवती महिलाएं पूरे गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द की समस्या से परेशान रहती हैं।
3. सिर दर्द होना : हालांकि, गर्भावस्था में गैस और कब्ज की समस्या होना आम है, इस वजह से सिर दर्द की शिकायत अक्सर रहती है।
4. नाखून कमजोर पड़ना : इस दौरान नाखूनों पर भी असर पड़ता है। आप पाएंगी कि गर्भावस्था के दौरान आपके नाखून पहले से कमजोर हो गए हैं और जल्दी टूट जाते हैं। कुछ मामलों में नाखून मजबूत भी हो जाते हैं। ऐसा ज्यादातर दूसरी तिमाही के दौरान होता है (2)।
5. मसूड़ों से खून आना : गर्भावस्था के पांचवें महीने में अधिकतर महिलाओं को मसूड़ों से खून आने की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसा हार्मोनल बदलाव या फिर विटामिन-के की कमी के कारण होता है (3)।
6. सांस लेने में तकलीफ होना : प्रोजेस्टरोन हार्मोन बढ़ने के कारण ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में तकलीफ होती है (4)। इसके अलावा, वजन बढ़ने के कारण भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। गर्भ में एक से अधिक शिशु होने पर बढ़ते हुए गर्भाशय का प्रभाव डायफ्राम पर पड़ने से यह समस्या जल्दी शुरू हो जाती है।
7. योनि से सफेद पानी आना : योनि से सफेद स्राव आ सकता है। बिना दुर्गंध का, सफेद व पिच्छिल (न ज्यादा गाढ़ा, न ज्यादा पतला) स्त्राव बिना जलन, खुजली या दर्द के आए, तो वह सामान्य योनि स्त्राव है। इसके अतिरिक्त लक्षण नजर आने पर चिकित्सक से परामर्श लें (5)।
8. भूलने की समस्या : गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के चलते मस्तिष्क पर असर पड़ता है, जिस कारण गर्भवती को कभी-कभी भूलने की समस्या हो सकती है।
9. टखनों में सूजन आना और पैरों में दर्द होना : गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान पैरों में दर्द और सूजन होना आम है। गर्भावस्था के दौरान शिशु के पोषण के लिए शरीर में रक्त ज्यादा बनता है और अक्सर टांगों की नसें ब्लॉक हो जाती हैं, जिस कारण रक्त पैरों से हृदय तक नहीं पहुंच पाता, तब ये लक्षण नजर आते हैं (6)।
10. गैस व कब्ज रहना : शरीर में होने वाले तमाम तरह के बदलाव से कब्ज हो सकती है, जिससे गैस की समस्या भी होती है।
11. कभी-कभी चक्कर आना : जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता है, शिशु के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्वों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में गर्भवती को कभी-कभी कमजोरी महसूस हो सकती है, जिस कारण चक्कर आ सकते हैं।
12. नाक से खून आना : गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान नकसीर आना यानी नाक से खून आना भी सामान्य बात है। यह रक्त संचार बढ़ने चलते होता है (7)।
नोट : ये सभी सामान्य लक्षण हैं, लेकिन इनके अधिक बढ़ने पर बिना लापरवाही किए डॉक्टर से संपर्क करें।
आगे पढ़िए, पांचवें महीने में शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं।
प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
गर्भावस्था के पांचवें महीने में बेबी बंप दिखना शुरू हो जाता है। अब आप इसे संभालने की आदत डाल लें, क्योंकि गर्भ में भ्रूण का आकार बढ़ने के साथ-साथ आपका बेबी बंप और बढ़ेगा। इसके अलावा, गर्भावस्था के पांचवें महीने में नीचे बताए गए शारीरिक बदलाव नजर आ सकते हैं :
- गर्भाशय का आकार : आपका गर्भाशय बढ़कर एक फुटबॉल के आकार जितना हो जाएगा। यही समय है, जब आप अपने पुराने कपड़े छोड़कर विशेष रूप से गर्भावस्था के लिए बनाए गए ढीले-ढाले कपड़ों को पहनना शुरू कर दें।
- पेट पर खिंचाव : पेट बढ़ने के कारण लिगामेंट में खिंचाव आने लगता है, जिससे खिंचाव के निशान आपके पेट पर नजर आ सकते हैं। इन्हें कम करने के लिए आप स्ट्रेच मार्क्स क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं।
- हाथों में गर्माहट : आपको अचानक अपनी हथेलियों में गर्माहट का अहसास हो सकता है। यह शरीर में होने वाली रक्त की आपूर्ति के कारण होता है। यही नहीं, इस वजह से हथेलियों पर लाल लकीरें भी उभर सकती हैं।
- बालों में बदलाव : गर्भावस्था के पांचवें महीने में आपके बालों में भी बदलाव महसूस हो सकता है। आप पाएंगी कि अचानक से आपके बाल मोटे हो गए और इनका झड़ना भी कम हो गया है (8)।
- बहुत भूख लगना : इस महीने गर्भवती महिला को पहले की तुलना में ज्यादा भूख लग सकती है। एक ओर जहां कुछ महिलाएं सब कुछ खा लेती हैं, तो वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं को कोई विशेष चीज खाने का मन करता है।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था के 5वें महीने में बच्चे की स्थिति क्या होती है।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में बच्चे का विकास और आकार
जैसा कि हमने बताया कि पांचवें महीने में गर्भाशय एक फुटबॉल के आकार को हो जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि गर्भ में बच्चा तेजी से बढ़ रहा है। जानिए, इस महीने तक शिशु का विकास और आकार कैसा होता है:
गर्भ में बच्चे का आकार और वजन
- इस महीने के अंत तक गर्भ में शिशु करीब साढ़े छह इंच का हो जाता है (9)।
- एक स्वस्थ शिशु का गर्भ में वजन करीब 226 ग्राम होता है (9)।
गर्भ में बच्चे का विकास:
- पांचवें महीने में शिशु की त्वचा पर रक्त वाहिकाएं दिखनी शुरू हो जाएंगी।
- हड्डियां और मांसपेशियां पूरी तरह से विकसित हो जाएंगी।
- अब शिशु गर्भ में अंगड़ाइयां और जम्हाइयां भी ले पाएगा।
- अगर शिशु लड़का है, तो इस महीने तक उसके अंडकोष विकसित हो जाते हैं।
- अगर शिशु लड़की है, तो उसका गर्भाशय विकसित हो जाता है और उसमें अंडे आ जाते हैं।
- शिशु के सीने पर निप्पल दिखने लगेंगे।
- फिंगर प्रिंट बनने लगेंगे।
- मसूड़ों के अंदर दांत बनने लगेंगे।
- किडनी पूरी तरह से काम करना शुरू कर देंगी।
आगे हम जानेंगे कि गर्भवती की देखभाल कैसे की जाए।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में देखभाल
गर्भावस्था का पांचवां महीना गर्भवती महिला के लिए बेहद खास होता है। इसमें जीवनशैली से लेकर खान-पान तक का विशेष ख्याल रखना होता है। आप जो भी खा रही हैं, इसका सीधा असर न सिर्फ आप पर, बल्कि होने वाले शिशु पर भी पड़ता है। नीचे, हम कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें गर्भावस्था में जरूर खाना चाहिए।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या खाएं?
- ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ लें : ध्यान रहे कि अब आपको दो लोगों का ख्याल रखना है। एक अपना खुद का और दूसरा गर्भ में पल रहे शिशु का। इसलिए, खुद को हाइड्रेट रखें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
- प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं : बच्चे के विकास के लिए प्रोटीन जरूरी है। एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिए दूसरी और तीसरी तिमाही में 21 ग्राम अतिरिक्त प्रोटीन लेने की सलाह दी जाती है (10)। इसलिए, अपने खानपान में प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करें। इसके लिए दालें, पनीर, सोयाबीन व अंडा आदि का सेवन कर सकती हैं।
- सलाद का सेवन करें : अपने खानपान में सलाद को शामिल जरूर करें। इससे आपको फॉइबर मिलेगा, जिससे कब्ज जैसी समस्या दूर होगी। सलाद के तौर पर आप गाजर, टमाटर व खीरे जैसी सब्जियों को शामिल कर सकती हैं। ध्यान रहे कि आप सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धो लें।
- फल खाएं : गर्भावस्था में फलों का सेवन जरूरी है। इनमें भरपूर रूप से विटामिन, खनिज और फाइबर होता है, जो गर्भवती महिला के लिए जरूरी है। आप सेब, केला, संतरा व कीवी जैसे फलों को अपने खानपान में शामिल कर सकती हैं।
- हरी सब्जियां लें : भले ही बहुत सारी सब्जियां रोजाना खाकर आप ऊब जाएं, लेकिन अपने नन्हे के लिए जरूर खाएं। आयरन की आपूर्ति के लिए आप पालक व ब्रोकली का सेवन करें। आप चाहें, तो कुछ सब्जियों की स्मूदी बना सकती हैं।
- साबुत अनाज : गर्भावस्था में साबुत अनाज का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें आप गेहूं, चावल, कॉर्न व ओट्स शामिल कर सकती हैं (11)।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या न खाएं?
ऊपर हमने गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या खाएं, उस बारे में बताया। अब बात करते हैं कुछ खाद्य पदार्थों की, जिनका सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। नीचे जानिए, उन खाद्य पदार्थों के बारे में, जो गर्भावस्था के पांचवें महीने में नहीं खाने चाहिए :
- कोल्ड ड्रिंक को कहें न : गर्भावस्था में कोल्ड ड्रिंक के सेवन से परहेज करें। इनमें कैफीन, शुगर और ऐसी कैलोरी होती हैं, जो गर्भवती और होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचाती है। इसकी जगह आप ताजे फलों का रस पी सकती हैं। यह न सिर्फ आपको ताकत देगा, बल्कि आपको तरोताजा भी रखेगा।
- न खाएं ये फल : गर्भावस्था के पांचवें महीने में अनार, कच्चा पपीता व अनानास खाने से बचें। इनसे गर्भपात होने का खतरा हो सकता है।
- कैफीन न लें : गर्भावस्था में कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय, कॉफी व चॉकलेट आदि खाने से बचें। इससे जन्म के बाद शिशु को अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
- जंक फूड न खाएं : बाहरी जंक फूड जैसे-पिज्जा व बर्गर खाने से बचें। इसके अलावा बाहरी चाट-पकौड़ियों से भी परहेज करें।
- शराब व तंबाकू : शराब, तंबाकू व सिगरेट का सेवन बिल्कुल न करें। यह गर्भवती और होने वाले बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक है।
- कच्चा अंडा या कच्चा मास : अगर आप अंडा या मांस खाती हैं, तो इसे अच्छी तरह पकाकर ही खाएं। कच्चे अंडे में साल्मोनेला बैक्टीरिया होता है, जिससे फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है (12)।
गर्भावस्था के पांचवें महीने के लिए व्यायाम
स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने में व्यायाम की खास भूमिका होती है। वहीं, जब बात गर्भावस्था की हो, तो इस दौरान भी व्यायाम करने की सलाह दी जाती है (13)। इस अवस्था में कोई भी गर्भवती महिला नियमित रूप से सैर और सांसों के व्यायाम कर सकती हैं। इसके अलावा, कुछ योगासन करना भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। जैसे :-
1. तितली आसन
इस आसन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं और श्रोणि व कूल्हों में लचीलापन आता है। इसके अलावा, यह आसन करने से प्रसव में आसानी होती है।
2. पर्वतासन
इससे टांगें और घुटनों में मजबूती आती है और गर्भाशय से संबंधित परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है।
3. सुखासन
इस आसन से गर्भवती को होने वाली रीढ़ की समस्या से राहत मिल सकती है। इससे मन और मस्तिष्क भी शांत रहता है।
4. वक्रासन
यह आसन कब्ज, कमर दर्द और ऐंठन जैसी समस्या को दूर करने में मदद करता है। गर्भवती को यह समस्याएं आमतौर पर होती रहती हैं।
5. उत्कटासन
यह पीठ के निचले हिस्से को मजबूती देता है। इसके अलावा, यह आसन रीढ़ की हड्डी एवं कूल्हों के लिए फायदेमंद है।
आप पांचवें महीने में इन आसनों को कर सकती हैं, लेकिन इन्हें हमेशा एक योग विशेषज्ञ की निगरानी में रहकर करें। गर्भ संस्कार विशेषज्ञ या चाडल्डबर्थ एज्यूकेटर से इस विषय के संबंध में अधिक जानकारी ले सकती हैं।
गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान स्कैन और परीक्षण
गर्भावस्था में नियमित रूप से चिकित्सीय जांच करवाना जरूरी है। इसमें बच्चे के विकास से लेकर उसके स्वास्थ्य की जांच की जाती है। बात की जाए पांचवें महीने की, तो इस दौरान निम्नलिखित जांच की जाती हैं (14):
- कॉर्डोसेंटेसिस टेस्ट : अगर डॉक्टर को कोई खास दिक्कत नजर आती है, तो वे गर्भवती को कॉर्डोसेंटेसिस (cordocentesis) जांच करने की सलाह देते हैं। इस जांच में यह पता किया जाता है कि कहीं शिशु में क्रोमोसोम असमानता तो नहीं है (15)।
- एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट : विशेष परिस्थितियों में गर्भावस्था के दौरान एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट भी किया जा सकता है। इसमें यह देखा जाता है कि कहीं शिशु को स्पाइना बिफिडा, डाउन सिंड्रोम जैसे दोष तो नहीं है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इसका परिणाम सामान्य ही आता है (16)।
- पांचवें महीने में अल्ट्रासाउंड : इस दौरान अल्ट्रासाउंड भी कराया जाता है। इस अल्ट्रासाउंड में शिशु के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। देखा जाता है कि सभी अंग-प्रत्यंग सही से बन गए हैं या नहीं, बच्चे में कोई गंभीर शारीरिक विकृति के लक्षण तो नहीं है जैसे – रीढ की हड्डी की गांठ व अंगभंग आदि। इसमें शिशु का लिंग डॉक्टर को पता लग सकता है, लेकिन भूलकर भी आप शिशु का लिंग जानने की कोशिश न करें। ऐसा करना एक दंडनीय अपराध है। इससे आपको जेल भी हो सकती है।
इसके अलावा रक्तचाप, वजन, गर्भाशय का आकार मापना, यूरिन जांच, हीमोग्लोबिन स्तर की जांच के लिए रक्त जांच व शिशु के दिल की धड़कनों की जांच की जाती है।
यहां जानिए कि क्या-क्या सावधानियां बरतना है जरूरी।
गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान सावधानियां
चूंकि, इस महीने से बच्चा और तेजी से बढ़ता है, इसलिए और सावधानी की जरूरत होती है। नीचे हम बता रहें हैं कि अब किन-किन बातोंं का ध्यान रखना जरूरी है:
गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान क्या करें
- रैशेज का रखें ख्याल : गर्भावस्था में गर्मी के कारण आपको बगल और स्तनों के आसपास रैशेज की समस्या हो सकती है। इनसे राहत पाने के लिए शॉवर लेना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
- बाईं ओर करवट लेकर सोएं : अब आपका पेट बढ़ रहा है, इसलिए सामान्य अवस्था में सोना कठिन हो सकता है। आप बाईं ओर करवट लेकर सोएं, जोकि आपके और शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है (17)।
- ढीले-ढाले कपड़े पहनें : अब बढ़ते पेट के कारण आपको बिल्कुल ढीले-ढाले कपड़े पहनने चाहिए।
- फाइबर युक्त भोजन खाएं : इस दौरान गर्भवती को कब्ज की समस्या रहती है। इससे राहत पाने के लिए फाइबर युक्त भोजन खाना चाहिए।
- पोश्चर का ध्यान रखें : जब भी घर में रहें, अपने उठने-बैठने आदि के पोश्चर का ख्याल रखें। ज्यादा लंबे समय तक खड़े न रहें। काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेकर आराम करती रहें। दिन के समय थोड़ी देर सोना फायदेमंद रहता है।
- अपने बच्चे से बात करें : गर्भ में पल रहे बच्चे से बातें करें। आप हैरान रह जाएंगी, जब आपकी आवाज सुनकर आपका बेबी किक के रूप में प्रतिक्रिया देगा। गर्भ संस्कार में गर्भ संवाद के बारे में जानना आपको आनंदित करेगा। बेबी बॉन्डिंग एक्टिविटी मां और बच्चे दोनों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में क्या न करें
- शराब, कैफीन और सिगरेट का सेवन न करें। यह होने वाले शिशु पर बुरा प्रभाव डालता है (18)।
- अगर किसी गर्भवती महिला की पहले से कोई संतान है, तो इस महीने में अपने बच्चे को गोद में न उठाएं। ऐसा करने से आपके बढ़ते बेबी बंप पर दबाव पड़ सकता है, जो गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
गर्भावस्था के पांचवें महीने के दौरान चिंताएं
पांचवां महीना एक ओर जहां आपको गर्भावस्था के खूबसूरत अनुभव कराता है, वहीं दूसरी ओर कुछ सामान्य समस्याएं भी लेकर आता है। ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे :
- धड़कन बढ़ जाने पर : तनाव, खून की कमी व मोटापे से कई बार गर्भवती महिला की धड़कनें और नब्ज बढ़ जाती है। ऐसे में महिला को सीने में दर्द व सांस लेने में तकलीफ जैसा अनुभव हो सकता है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- बार-बार चक्कर आना या बेहोश होना : यूं तो शुरू के तीन महीनों में चक्कर आना आम है, लेकिन पांचवें महीने में भी लगातार चक्कर आ रहे हैं, तो यह हाइपरटेंशन का संकेत हो सकता है। ऐसा होने पर आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- योनि से स्राव तेज़ होना : गर्भावस्था में योनि से स्राव होना आम है, लेकिन यह स्राव बहुत ज्यादा हो या इसका रंग गुलाबी, हरा या लाल नजर आए, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए (19)।
- पैरों में सूजन ज्यादा बढ़ना : यूं तो गर्भावस्था में पैरों में सूजन और ऐंठन सामान्य है, लेकिन अगर यह समस्या ज्यादा होने लगे, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से उच्च रक्तचाप के कारण होती है। प्री-एक्लेमप्सिया का समय पर उपचार न कराने पर गर्भवती व शिशु दोनों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है (20)।
- पीठ में तेज दर्द होना : गर्भावस्था में पीठ में तेज दर्द होना सामान्य है। बढ़ते गर्भाशय से दबाव पड़ने के कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। अगर यह समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अब चर्चा करते हैं कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले पिता की क्या जिम्मेदारी होती है।
होने वाले पिता के लिए टिप्स
यह ऐसा समय है, जिसमें गर्भवती के साथ-साथ होने वाले पिता की भी जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। चूंकि, यह आप दोनों का बच्चा है, इसलिए उसके देखभाल की जिम्मेदारी आप दोनों को मिलकर उठानी होगी। यहां हम होने वाले पिता के लिए कुछ टिप्स दे रहे हैं :
- अपने पार्टनर को समझें : आप इस बात को समझें कि गर्भावस्था के दौरान आपकी पत्नी के स्वभाव में परिवर्तन आना स्वाभाविक है। इसलिए, उन्हें भावनात्मक रूप से समर्थन देना जरूरी है।
- समयांतराल पर उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाएं : गर्भवती महिला को रूटीन चेकअप पर ले जाने की जिम्मेदारी आप उठाएं। जब भी डॉक्टर के पास जाने की तारीख आए, उस दिन समय निकाल कर पत्नी को डॉक्टर के पास ले जाएं। ऐसे में आप भी अपने शिशु को अल्ट्रासाउंड में देख पाएंगे, जो आपके लिए एक अलग ही अनुभव होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भावस्था के पांचवें महीने में मुझे कितना खाना चाहिए?
गर्भावस्था के पांचवें महीने में महिला को रोजाना 340 अतिरिक्त कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है। साथ ही आप कैलोरी लेने के लिए जो भी खाएं, वो पौष्टिकता से भरपूर होना चाहिए (21)।
गर्भावस्था के पांचवें महीने में मुझे कितना वजन हासिल करना चाहिए?
पांचवें महीने में दो किलो के करीब वजन बढ़ना चाहिए। प्रेगनेंसी वेट गेन कैलकुलेटर के जरिए आप इसका अंदाजा लगा सकती हैं। आपको बता दें कि गर्भावस्था के दौरान ज्यादातर महिलाओं का 11.5 से 16 किलो वजन बढ़ सकता है। जहां, पहली तिमाही में एक से दो किलो वजन बढ़ता है, वहीं, दूसरी और तीसरी तिमाही में हर सप्ताह आधा किलो वजन बढ़ता है। हालांकि, महिला कितना वजन हासिल करती है, यह उसकी शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है (22)।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस लेख के जरिए गर्भावस्था के पांचवें महीने से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिली होंगी। बस छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखकर और नियमित व्यायाम व योगाभ्यास के जरिए पूरी गर्भावस्था को सुखद बनाया जा सकता है। ऐसी ही और जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Pregnancy – Signs And Symptoms By Better Health Channel
2. Pregnancy Stages And Changes By Better Health Channel
3. Bleeding Gums By Medline Plus
4. Why Do Some Pregnant Women Have Trouble Breathing? By Kids Health
5. What To Know About Vaginal Discharge During Pregnancy By Virtua
6. Swelling During Pregnancy By Pregnancy Birth And Babies
7. Nosebleeds During Pregnancy Pregnancy Baby And Birth
8. Skin And Hair Changes During Pregnancy By Medline Plus
9. Fetal Growth And Development By The State Of South Dakota Department Of Health
10. Maternal Diet And Nutrient Requirements In Pregnancy And Breastfeeding. An Italian Consensus Document By Ncbi
11. Proper Nutrition During Pregnancy By Ministry Of Health
12. Food-borne Illnesses During Pregnancy By Ncbi
13. Prenatal Visits During The Second Trimester By Baeumont
14. Yoga In Pregnancy By Ncbi
15. Umbilical Cord Blood Sampling By Ucla Health
16. Pregnancy tests amniocentesis By Better Health Channel
17. Problems Sleeping During Pregnancy By Medline Plus
18. Smoking And Caffeine And Alcohol Intake During Pregnancy In A Northern Population: Effect On Fetal Growth. By Ncbi
19. Vaginal Discharge By Hhs Gov
20. Preeclampsia By Nhp
21. Vegetarian Diets For Pregnancy By Physicians Committee
22. Weight Gain In Pregnancy By Pregnancy Baby And Birth
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