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सभी माता-पिता अपने बड़े होते शिशु के एक-एक पल को जीना चाहते हैं। उनका प्रयास रहता है कि वो अपने बच्चे में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को महसूस करें। उनकी खुशी में शामिल हों। वहीं, बच्चे के विकास को लेकर भी उनके मन में कई तरह के सवाल पनपते रहते हैं। ये सवाल तब और बड़े हो जाते हैं, जब बच्चा सातवें महीने में कदम रखता है।

मॉमजंक्शन के इस लेख में हम सात महीने के शिशु से जुड़े कुछ बदलाव और विकास के संबंध में कुछ जानकारियां आपके साथ शेयर करेंगे। सबसे पहले हम बात करेंगे 7 महीने के बच्चे के वजन और हाइट के बारे में।

7 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

अपने शिशु के वजन और लंबाई को लेकर सभी माता-पिता चिंतित रहते हैं। उनके मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि क्या उनके बच्चे का विकास सही प्रकार से हो रहा है या नहीं। आंकड़ों की बात करें, तो 7 महीने के बेबी बॉय का औसतन वजन 7.1 किलो से 9.3 किलो और लंबाई 65.3 से 71.3 सेमी तक हो सकती है। वहीं, बेबी गर्ल की औसतन लंबाई 63.2 से 69.4 सेमी और वजन 6.5 से 8.5 किलो के बीच हो सकता है (1) (2)

नोट :

  • 7 माह के बच्चे से संबंधित ऊपर दिए गए आंकड़े औसत गणना पर आधारित हैं। सामान्य रूप से इनमें बदलाव पाया जा सकता है। ध्यान रहे, आंकड़ों में बदलाव आने का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि बच्चे का विकास ठीक नहीं हो रहा है।
  • अगर आपको लगता है कि बच्चे का वजन और लंबाई कम या ज्यादा है, तो एक बार चिकित्सक से परामर्श कर लें।

लेख में आगे हम बच्चे के विकास से संबंधित कुछ अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

7 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

जन्म के बाद से बच्चे में विकास प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया में बच्चा हर दिन नए बदलाव के साथ आगे बढ़ता है। यहां हम 7 महीने के बच्चे में होने वाले विकास के संबंध में जरूरी माइलस्टोन के बारे में जानेंगे (3)

मानसिक विकास

मानसिक विकास की बात करें, तो 7 माह के दौरान बच्चे में कई परिवर्तन देखे जाते हैं। ये परिवर्तन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बच्चा विकास की ओर धीरे-धीरे कदम बढ़ा रहा है। आइए, इन परिवर्तनों को हम विस्तार से जानते हैं।

  1. बोलने का प्रयास : उम्र के इस पड़ाव में बच्चे लोगों से बात करने की कोशिश करते हैं। दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं। खासकर दो अक्षरों से बनने वाले शब्दों को बोलने लगते हैं। वहीं, जिन शब्दों को वो बोल पाने में समर्थ नहीं होते, उन्हें बुदबुदा कर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
  1. जिज्ञासु : 7वें महीने में बच्चे के अंदर चीजों को जानने की रुचि पैदा होती है। इस दौरान बच्चा हर नई या पुरानी चीज को छूकर या चाटकर उसकी बनावट, आकार व स्वाद आदि को जानने का प्रयास करता है।
  1. निर्देशों को समझना : इस दौरान बच्चे इशारों या फिर निर्देशों को समझने और मानने लगते हैं। अगर माता-पिता नाराजगी में ‘न’ या ‘नहीं’ बोलते हैं, तो बच्चा रुक कर उनके चेहरे के हाव-भाव को समझने की कोशिश करता है (4)
  1. चीजों के ट्रैक करना : 7 माह के बच्चे वस्तुओं को ट्रैक करने में सक्षम हो जाते हैं। सामने किसी आकर्षक वस्तु के आने पर उसे गौर से देखते हैं। दिशा बदलने की स्थिति में भी वस्तु को एक टक निहारते रहते हैं (5) (6)
  1. वस्तुओं के महत्व को समझना : इस दौरान बच्चे में कुछ खास चीजों (खिलौने आदि) के प्रति लगाव बढ़ जाता है। वो रो कर या चीख कर उन चीजों को हासिल करने का प्रयास करते हैं। 7वें माह में बच्चों में देखी जाने वाली यह आदत प्रदर्शित करती है कि उनमें वस्तुओं के महत्व को समझने की योग्यता का विकास हो जाता है ।

शारीरिक विकास

आइए, अब 7 माह के बच्चे में होने वाले शारीरिक विकास की बात करते हैं।

  1. बिना सहारे के बैठना : 7 माह का शिशु बिना सहारे के बैठना सीखने लगता है। इससे पूर्व तक शिशु को बैठने के लिए सहारे की जरूरत पड़ती है, लेकिन सातवें माह में आने के बाद बच्चा अपने कमर से ऊपर के हिस्से को नियंत्रित करना सीख जाता है।
  1. ध्वनि की ओर देखना : उम्र के इस पड़ाव में बच्चा ताली बजाने या आवाज करने पर ध्वनि की दिशा में देखने की कोशिश करता है। उसमें ध्वनि कहां से आ रही है, ये जानने की जिज्ञासा विकसित हो जाती है।
    1. हाथों की पकड़ : इंडेक्स फिंगर और अंगूठे की मदद से 7 माह के बच्चे चीजों को पकड़ना व उठाना सीख जाते हैं। यह पकड़ उन्हें किसी भी चीज को खाने में भी मदद करती है (8)।
  1. चबाने का प्रयास करना : इस माह के शिशु भोजन को चबाना भी सीखने लगते हैं। दरअसल, 6 से 12 महीने के बीच शिशु को दांत भी आने लगते हैं। वहीं, इसके साथ ही वह पाचन क्रिया की पहली प्रक्रिया को विकसित कर लेते हैं (8)।
  1. वस्तुओं को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेना : परिवर्तन और विकास के इस दौर में 7 माह के बच्चे किसी भी वस्तु को एक हाथ से दूसरे हाथ में लेना शुरू कर देते हैं (8)।
  1. खड़े होने का प्रयास : 7 माह के बच्चों को सीधा पकड़ने पर वो किसी ठोस सतह के संपर्क में आते ही पैरों को जमाने का प्रयास करते हैं। इससे वो खड़े होने का प्रयास करते हैं (6)
  1. रात को देर तक सोना : जन्म के बाद बच्चे दिन में ज्यादा और रात को कम सोते हैं। वहीं, 7 माह के होते-होते रात को देर तक सोने में सक्षम हो जाते हैं। इतने माह के बच्चे 24 घंटे में से 11-16 घंटे की नींद पूरी करते हैं (9)
  1. ऊंचाई को समझना : 7वें माह में कदम रखने के साथ बच्चे की आंखों की मांसपेशियां सही तरह से काम करने लगती हैं। इस कारण बच्चे छोटी-छोटी वस्तुओं पर भी ध्यान केन्द्रित कर पाने में सफल हो जाते हैं। साथ ही उनमें गहराई को भांपने की क्षमता भी विकसित हो जाती है। इस कारण से उनमें ऊंचाई से गिरने का डर पैदा हो जाता है (3)

सामाजिक और भावनात्मक विकास

शारीरिक और मानसिक विकास के बाद अब बात करते हैं सामाजिक और भावनात्मक विकास की (3)

  1. अपनों से दूरी का दुख : बच्चे का सबसे ज्यादा लगाव उसके माता-पिता से होता है। इसलिए, वह उनसे जरा भी दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाता। जन्म के कुछ महीनों बाद वह रोकर अपनों से अलग होने की भावना को व्यक्त करता है, लेकिन सातवें महीने में कदम रखते ही माता-पिता से दूर होने की स्थिति में उसके चेहरे पर दुख साफ तौर पर देखा जा सकता है।
  1. अजनबियों से असहज : सातवें माह में बच्चा इतना समझदार हो जाता है कि वह अपने और अनजान लोगों में फर्क समझने लगता है। यही कारण है कि वह अपनों को देखकर खिलखिला कर हंस देता है। वहीं, अजनबियों के नजदीक आने पर उनसे दूर होने की कोशिश करता है।
  1. परिचितों को देखकर खुशी : उम्र के इस दौर में बच्चा अपनी भावनाएं बेहतर तरीके से व्यक्त करना सीख जाता है। माता-पिता या ऐसे लोगों को देख वह खुशी व्यक्त करता है, जिन्हें वह अच्छी तरह से जानता है। यही कारण है कि बच्चा जान-पहचान वाले लोगों के पास जाने से नहीं हिचकता और दोनों हाथ फैलाकर उनका स्वागत करता है।
  1. सहानुभूति के संकेत दिखाना : इस दौरान बच्चा सहानुभूति का भाव प्रदर्शित करने लगता है। बच्चा अपने आसपास के लोगों के चेहरे के भावों को देखकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। इसी कारण है कि बच्चा माता-पिता को हंसता देखकर मुस्कुरा देता है। वहीं, अगर उन्हें दुखी देखता है, तो रोकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने की कोशिश करता है।

आगे लेख में हम जानेंगे सातवें माह में होने वाले टीकाकरण के बारे में।

7 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगते हैं?

शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसलिए, उसे गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। इन बीमारियों से बचाने के लिए उसे टीकाकरण की जरूरत होती है। आईएपी 2021 के अनुसार सातवें माह में लगने वाले कुछ इस प्रकार हैं   (10)

  • इन्फ्लूएंजा 2 : इस माह में बच्चे को केवल इन्फ्लूएंजा 2 की खुराक दी जा सकती है। इस टीके की मदद से बच्चे को इन्फ्लूएंजा वायरस (जिसे आम भाषा में फ्लू कहा जाता है) से बचाया जा सकता है। वहीं टाइफाइड का टिका बच्चे को 7 महीने से 1 वर्ष के होने के बीच में कभी भी दिया जा सकता है।

वैसे तो बच्चे के जन्म के बाद माता-पिता को टीकाकरण चार्ट से जुड़ी पूरी जानकारी दे दी जाती हैं, लेकिन इसके बावजूद अगर आपको इसे समझने में कोई परेशानी हो, तो शिशु विशेषज्ञ से सलाह जरूर करें।

आइए, अब बच्चे की खुराक के बारे में बात करते हैं।

7 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?

जन्म के बाद बच्चे का पाचन तंत्र उतना मजबूत नहीं होता कि वह ठोस आहार पचा सके। इसलिए, बच्चा 6 महीने तक सिर्फ मां के दूध पर ही निर्भर रहता है (11)। वहीं, कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो किसी कारणवश मां का दूध पीने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चे मार्केट में मिलने वाले फॉर्मूला दूध पर निर्भर रहते हैं। दूसरी तरफ, 7 माह का होने के बाद बेहतर विकास के लिए बच्चे को दूध के साथ ठोस आहार भी देना जरूरी हो जाता है। ऐसे में कई माता-पिता जानना चाहते हैं कि इस दौरान उनके बच्चे को कितना दूध दिया जाना चाहिए।

  • मां का दूध– 7 माह के बच्चे को दिन में 3 से 5 बार में 946 ml दूध दिया जा सकता है, लेकिन यह शिशु के स्वास्थ्य और उसकी पाचन क्षमता पर भी निर्भर करता है (12)
  • फॉर्मूला दूध– अगर बच्चा फॉर्मूला दूध पर निर्भर है, तो उसे 3 से 5 बार में 946 ml दूध दिया जा सकता है (12)

7 महीने के बच्चे के लिए कितना खाना आवश्यक है?

7 माह के बच्चों के लिए ठोस आहार की बात की जाए, तो बेहतर विकास के लिए उन्हें आयरन, प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों वाले आहार के साथ फल, सब्जियां और स्नैक्स भी दिए जा सकते हैं। यहां हम नन्हे शिशु को दिए जाने वाले ठोस आहार की मात्रा के बारे में बता रहे हैं (12) (13) (14)

  • आयरन युक्त अनाज : 3 से 5 चम्मच आयरन युक्त अनाज बच्चे को दिया जा सकता है। इनमें आप गेहूं और सूजी को शामिल कर सकते हैं। बच्चे को खिलाने के लिए इन्हें फॉर्मूला दूध के साथ भी मिक्स कर दिया जा सकता है।
  • फल : बच्चे को फल का गूदा खिलाया जा सकता है। आप गूदे को मिक्स करके दो से तीन चम्मच दिन में दो बार दे सकते हैं। वहीं, केले जैसे मुलायम फले के दो-तीन टुकड़े शिशु को खाने के लिए दे सकते हैं।
  • सब्जियां : बच्चे के आहार में दो से तीन चम्मच सब्जियां भी शामिल करें। सब्जियों में कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करते हैं। जैसे : पालक, चुकंदर व गाजर आदि।
  • प्रोटीन युक्त आहार : 7 माह का बच्चा विकास प्रक्रिया में तेजी से आगे बढ़ रहा होता है। इसलिए उसके आहार में प्रोटीन को शामिल किया जाना जरूरी है। बेहतर होगा कि बच्चे को दिन में दो बार दो चम्मच प्रोटीन युक्त आहार की खुराक दी जाए, जैसे – राजमा, छोले व दाल आदि। बता दें इन चीजों को बच्चे को खिलाने के लिए इन्हें पहले अच्छे से उबाल लें और फिर पीसकर गर्म पानी के साथ पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चम्मच की सहायता से बच्चे को दिया जा सकता है   (13) (14)
  • स्नैक्स : 7 माह के बच्चे को दिए जाने वाले आहार में स्नैक्स को भी शामिल किया जा सकता है। इनकी सहायता से बच्चे में खाने के प्रति रुचि पनपती है। स्नैक्स की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए आप इन्हें घर में ही बना सकते हैं। उनमें कुछ हेल्दी चीजें भी जोड़ सकते हैं, जो स्वाद के साथ बच्चे की सेहत के लिए भी लाभकारी साबित होगी, जैसे – दही, पकी हुई हरी फलियां व पनीर आदि।

7 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

इस उम्र के बच्चों में रातभर सोने की आदत विकसित हो जाती है। सामान्य रूप से 7 माह के बच्चे 24 घंटों में 11 से 16 घंटे की नींद लेने में सक्षम होते हैं (9)

अब आगे लेख में हम 7 माह के बच्चे के खेल और गतिविधियों पर प्रकाश डालेंगे।

7 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां

उम्र के इस पड़ाव पर बच्चा काफी कुछ सीख चुका होता है। उसे चीजों को पकड़ना, बोलने का प्रयास करना, दूसरों की भावनाओं को समझना आ चुका होता है। ऐसे में उसकी खेल और गतिविधियां भी पहले से काफी बदल जाती हैं (3)

  • ब्लॉक के साथ खेलना : सात माह के बच्चे चीजों को समझने लगते है। उनमें वस्तुओं को समझने और परखने की कला विकसित होने लगती है। इसलिए, वो ब्लॉक के साथ खेलना पसंद करते हैं। यह नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए एक प्रकार की पज्जल गेम होती है (15)
  • पिक्चर गेम : उम्र के इस पड़ाव पर बच्चे में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। उनकी उभरती प्रतिभा और बदलावों को देखते हुए उन्हें पिक्चर गेम खेलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कारण यह है कि इस दौरान बच्चा चटकीले रंगों और चित्रों के प्रति आकर्षित होता है। बच्चा इस खेल के माध्यम से देखने के कौशल को थोड़ा और विकसित करने की कोशिश करता है (15)
  • कॉलिंग गेम : इस दौरान बच्चों में चीजों को याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है। वे चीजों के साथ कुछ खास शब्दों को पहचानने लगते हैं। इन शब्दों में उनका और उनके माता-पिता का नाम भी शामिल होता है। इस कारण वे इन शब्दों को पुकारे जाने पर प्रतिक्रया देते हैं (3)

इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर आप अपने बच्चे का नाम पुकार कर कहीं छिप जाते हैं, तो वह आपको ढूंढने की कोशिश करता है। वहीं, वापस सामने आ जाने पर वह खिलखिलाकर अपनी खुशी प्रकट करता है। बाद में वह इसी गतिविधि को बार-बार करने के लिए आपको प्रेरित करता है।

  • मिरर गेम : इस दौरान बच्चों को मिरर में बार-बार देखना काफी पसंद आता है। वे मिरर में झांक कर यह अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि उसमें दिखने वाला बच्चा वाकई में है या नहीं। धीरे-धीरे वो यह समझने लगते हैं कि मिरर में जो उन्हें दिखाई देता है, वह उनकी वास्तविक दुनिया का ही प्रतिबिम्ब है (15)
  • खाना चखने का खेल : खाना चखना भी उनके लिए इस दौरान एक खेल की तरह होता है। वह इस गतिविधि को बार-बार दोहराते हैं। उनके द्वारा किया जाने वाला यह कार्य उन्हें भोजन के अलग-अलग स्वादों की जानकारी हासिल कराता है (16)
  • आह-बू : यह खेल 7 माह के बच्चों को काफी लुभाता है, क्योंकि आप इसमें अपने चेहरे को जल्दी नीचे ले आते हैं (3)
  • पीक-ए-बू : यह एक ऐसा खेल है, जिसमें आप अपने चेहरे को किसी कपड़े या किताब से छिपाते हैं। बाद में जब आप कपड़े या किताब को हटाकर बच्चे का नाम पुकारते हैं, तो वह बहुत खुश होता है। यह खेल भी बच्चे को काफी लुभाता है। इस खेल में बच्चे को अपना नाम याद रखने के साथ-साथ किसी भी अधूरे चित्र के पूरे भाग की कल्पना करने की क्षमता विकसित होती है (3)

अब हम उन समस्याओं के बारे में बात करेंगे, जो माता-पिता के लिए चिंता का सबब बन सकती हैं।

7 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं

आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। उनकी इस चिंता का मुख्य कारण सर्दी खांसी और जुकाम जैसी मौसमी बीमारियां है। आइए, इन बीमारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं (17)

  • क्रुप : यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो गले और विंड पाइप में समस्या पैदा करता है। शुरुआत में यह जुकाम जैसे लक्षण दिखाता है। बाद में सांस लेते हुए छाती से आवाज आती है और साथ में खांसी भी होती है। इस समस्या के होने पर बच्चे को रात में ज्यादा परेशानी महसूस होती है।

सलाह– अगर आपके बच्चे को सांस लेने में कोई समस्या न हो रही हो, तो घरेलू उपचार से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। बस ध्यान दें कि वक्त रहते इस संबंध में डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी है   (18)

  • निमोनिया : यह फेफड़ों में होने वाला एक प्रकार का संक्रमण है। इस बीमारी में बच्चे को बलगम के साथ खांसी आती है। कंपकंपी का एहसास होता है और सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। इस दौरान बच्चा तेजी से सांस लेने का प्रयास करता है (19)

सलाह– अगर निमोनिया में बच्चे को बुखार हो तो गर्म पानी में भीगी पट्टी से थोड़ी राहत मिल सकती है।

चेतावनी :

  • बच्चे को इस दौरान स्टीम वैपोराइजर न दिलाएं इससे समस्या और बढ़ सकती है।
  • किसी को बच्चे के आस-पास स्मोकिंग न करने दें।
  • अधिक परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सक के पास ले जाएं।
  • गले में खराश : बच्चे के गले में खराश की समस्या को अनुभव कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। कारण यह है कि बच्चा समस्या को बोलकर नहीं बता सकता है। इसे आपको खुद अनुभव करना पड़ेगा। अगर आपका बच्चा खाना खाने से मना कर रहा है या उसे खाना निगलने में दिक्कत महसूस हो रही है, तो ये खराश के लक्षण हो सकते हैं (20) खराश एक प्रकार का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, लेकिन बच्चों के मामले में यह एक वायरस इन्फेक्शन भी हो सकता है।

नोट– ध्यान रहे कि खरास की समस्या 8 से 10 दिन के अंदर ठीक हो जाए। अगर आपको लगे कि समस्या बढ़ रही है, तो चिकित्सक से सलाह लेना बेहतर होगा।

  • जुकाम : यह एक प्रकार का श्वसन संक्रमण है, जो बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले लेता है। इस बीमारी में नाक बहना, छींक आना, गले में खराश और सूजन जैसे लक्षण शामिल हैं (17) (20)

सलाह– बच्चों को जुकाम से बचाने के लिए आप उन्हें ऐसे लोगों से हमेशा दूर रखें, जिन्हें पहले से इस तरह का संक्रमण है। कारण बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है, इसलिए वो आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं।

नोट– इस समस्या से निजात पाने के लिए एक चिकित्सक की सलाह सबसे अहम है।

आगे लेख में हम बच्चे की सुनने और देखने की क्षमता के साथ अन्य इन्द्रियों के बारे में बात करेंगे।

बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां

क्या मेरा बच्चा देख सकता है?

7 माह का बच्चा चीजों को ज्यादा बेहतर तरीके से देख पाता है। गहराई का हिसाब लगाने की क्षमता विकसित कर लेता है। साथ ही देखी गई चीजों की स्मृति अपने दिमाग में रखने का कौशल सीख जाता है। इसी कारण बच्चा अपने पसंदीदा खिलौनों और करीबी लोगों को याद रख पाता है। साथ ही इन सभी चीजों की अनुपस्थिति में उदासी का अनुभव करता है (3) (6)

मेरा बच्चा क्या सुन सकता है?

जैसा कि इसे लेख के शुरुआत में बताया गया है कि 7 माह का बच्चा आवाज देने पर अपनी प्रतिक्रिया प्रकट करता है। इसी कारण उम्र के इस पड़ाव में उसे कॉलिंग गेम काफी लुभाता है। इस गेम में माता-पिता बच्चे को उसके नाम से पुकारते हैं। इसके बाद बच्चा आवाज की दिशा में उन्हें ढूंढने की कोशिश करता है (3)

क्या मेरे बच्चे को स्वाद और गंध का अनुभव हो सकता है?

7 माह का बच्चा स्वाद और गंध दोनों को बेहतर तरीके से समझने लगता है। यही कारण है कि टॉफी, बिस्किट और फल जैसी मीठी स्वाद वाली वस्तुएं बच्चों को काफी लुभाती हैं। वहीं गंध के मामले में अच्छी और बुरी गंध का अनुभव भी उन्हें होने लगता है। इसलिए, वस्तुएं जिनकी गंध उन्हें नहीं भाती, उन्हें वो खुद से दूर कर देते हैं (21) (22)

अब आते हैं 7 माह के बच्चे की स्वच्छता संबंधी देखभाल पर।

बच्चे की साफ-सफाई और देखभाल

स्वच्छता की बात की जाए, तो जन्म से ही बच्चों की साफ-सफाई का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। अगर इसमें लापरवाही बरती जाए, तो बच्चे को बीमारी या इन्फेक्शन होने की आशंका रहती है (23)

नाखून की देखभाल– 7 माह के बच्चों में नाखूनों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इस उम्र में बच्चों के नाखून तेजी से बढ़ते हैं, जिनमें गन्दगी भर जाती है। बच्चे बार-बार अपनी उंगलियों को मुंह में डालते हैं। इससे नाखूनों की गंदगी उनके मुंह से होते हुए पेट में जा सकती है और इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। इसलिए, उन्हें समय रहते सावधानी से काटते रहना चाहिए।

नहलाना है जरूरी– बच्चे को नियमित रूप से नहलाना भी चाहिए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि वो हमेशा साफ रहें। कारण सात माह के बच्चे दूध के साथ ठोस आहार भी लेना शुरू कर देते हैं। इस कारण उनके मूत्र में पहले से ज्यादा बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। अगर नियमित रूप से उनकी सफाई नहीं की जाती है, तो उन्हें इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है।

बोतल की सफाई– सबसे अहम और जरूरी है बच्चे की बोतल का साफ होना। दरअसल, नियमित रूप से बोतल का उपयोग करने पर बोतल की तली में बचा दूध सड़ने लगता है और उसमें बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। बोतल को अच्छी तरह साफ न करने से बच्चे को दस्त और पाचन संबंधी विकारों का सामना करना पड़ सकता है।

माता-पिता बच्चे के विकास में कैसे मदद कर सकते हैं?

बच्चे के बेहतर विकास के लिए माता-पिता का योगदान काफी अहम रहता है। खेल-खेल में बच्चा आपसे बहुत कुछ सीख सकता है (5)। आइए, जानते हैं कुछ खास टिप्स, जिनके सहारे आप बच्चे के विकास में कुछ मदद कर पाएंगे।

  • बच्चे के साथ बैठकर ऐसे खेल खेलें, जिसमें उसे आपकी भागीदारी की जरूरत पड़े।
  • उनकी आंखों में देखें, ताकि उनमें किसी की आंखों में देख भावुकता के भाव को और बेहतर तरीके से समझने की काबिलियत पैदा हो।
  • उन्हें छूकर अपनी मौजूदगी का एहसास कराएं और चीजों को हिलाएं-डुलाएं, ताकि उन्हें वैचारिक रूप से दुनिया पर अपने प्रभाव को समझने में मदद मिले।
  • उनसे बात करें, ताकि उनकी बोलने की क्षमता का विस्तार हो सके और वो शब्दों से कही जाने वाली बातों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
  • किसी सामान या खिलौने को छिपाएं और बच्चे को उसे ढूंढने के लिए प्रेरित करें।

7 महीने के बच्चे के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?

अगर आपके बच्चे में नीचे दिए गए लक्षणों में से कुछ भी नजर आता है, तो बिना देर किए उसे चिकित्सक के पास ले जाएं (5)

  • नजदीक रखी चीजों को पकड़ने की कोशिश न करे।
  • माता-पिता के प्रति कोई प्रतिक्रिया न दे।
  • आवाज देने पर भी कोई प्रतिक्रिया न आए।
  • चीजों को मुंह तक ले जाने में दिक्कत महसूस हो।
  • आह, एह, ओह जैसे शब्दों का उच्चारण करने में दिक्कत हो।
  • करवट बदलने का प्रयास न करे।
  • हंसकर या चिल्ला कर आवाज न निकाले।
  • उसकी मांसपेशियां ज्यादा तनी हुई लगें।
  • किसी बेजान गुड़िया की तरह निष्क्रिय नजर आए।

इस महीने के लिए चेकलिस्ट

बच्चे पर बेहतर तरीके से ध्यान देने के लिए आपको बच्चे से संबंधित छोटी-छोटी चीजों की एक चेकलिस्ट तैयार करनी होगी। आगे लेख में हम आपको 7 माह के बच्चे के लिए चेकलिस्ट के बारे में बता रहे हैं।

  • बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी सभी टीके लगवाए है या नहीं।
  • बच्चे के आस-पास ऐसा कोई सामन तो नहीं, जिसे वह निगल लें।
  • दूध देने से पहले देख लें कि बोतल सही से साफ है या नहीं।
  • बच्चा 7 माह में होने वाली सभी गतिविधियों को अपना रहा है या नहीं।
  • बच्चे के साथ बाहर कहीं जाने पर उसकी जरूरत के सभी समान रखे है या नहीं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या बच्चे 7 महीने की उम्र में घुटनों के बल चलाना (क्रॉलिंग) सीख जाते हैं?

विशेषज्ञों की माने तो क्रालिंग करना बच्चे 7 माह से 10 माह के बीच सीखते हैं। यह हर बच्चे में अलग-अलग समय में देखने को मिल सकता है। संभव है कि कुछ बच्चे 7वें माह में कदम रखने के बाद ही क्रालिंग करना शुरू कर दें। वहीं, कुछ ऐसे होते हैं, जो 10वें माह के अंत में इसे सीखते हैं (24)

क्या मुझे अपने 7 महीने के बेबी को पानी देना चाहिए और कितना?

जब बच्चे दूध के साथ कुछ ठोस आहार लेने लगते हैं, तो उन्हें पानी की भी आवश्यकता पड़ती है। शुरुआत में बच्चों को छोटे कप में पानी देकर उसे पीने की आदत डालनी चाहिए। पानी की कमी से बच्चों को डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इसलिए, उन्हें प्रत्येक समयांतराल पर पानी पिलाना चाहिए। ध्यान रहे, कप इतना बड़ा हो, जिसे बच्चे आसानी से पकड़ सकें। बच्चों को दिन में 118.29 एमएल से 177.44 एमएल तक पानी दिया जा सकता है (25) (26)

मैं अपने 7 महीने के बच्चे को क्या खिला सकती हूं?

जैसा कि लेख में पहले भी बताया गया है कि 7 माह के बच्चे दूध के साथ ठोस आहार भी लेना शुरू कर देते हैं। इसलिए, उन्हें दूध के साथ फल, सब्जियां, आयरन और प्रोटीन युक्त आहार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिया जा सकता है (12)

हम उम्मीद करते हैं कि 7 माह के शिशु की देखभाल को लेकर आपके मन में जितने भी सवाल थे, उन सभी के जवाब आपको मिल गए होंगे। इस लेख में शिशु के स्वास्थ्य और आहार के संबंध में बताए गए टिप्स पर ध्यान दें और अपने बच्चे का अच्छी तरह से पालन-पोषण करें। साथ ही इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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