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गर्भवती महिला के लिए गर्भपात दुखद और डरावना शब्द है। हर महिला चाहती है कि उसका शिशु स्वस्थ और बिना किसी तकलीफ के इस दुनिया में आए, लेकिन कभी-कभी शारीरिक समस्याओं के चलते कुछ महिलाएं गर्भपात का शिकार हो जाती हैं। गर्भपात जितना शारीरिक रूप से तकलीफ देता है, उतना ही मानसिक रूप से महिला को कमजोर बना देता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम गर्भपात से जुड़ी कुछ समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि किसी भी महिला को इसका सामना न करना पड़े।

सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि गर्भपात क्या है।

गर्भपात क्या है?

जब गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भ में भ्रूण की मृत्यु हो जाए, तो उसे गर्भपात कहते हैं। इसे स्वत: गर्भपात भी कहा जाता है। बहुत से लोगों को लगता है कि गर्भपात बहुत दुर्लभ स्थिति में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है।

आइए, जानते हैं कि गर्भपात के कितने प्रकार हैं।

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गर्भपात के विभिन्न प्रकार

गर्भपात कई तरह के होते हैं और यह आपकी प्रेग्नेंसी की अवस्था पर निर्भर करता है। हर गर्भपात के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे हम बताने जा रहे हैं कि गर्भपात कितने तरह के हो सकते हैं (1) :

  1. मिस्ड गर्भपात (Missed Abortion) : इसमें गर्भावस्था खुद से खत्म हो जाती है। इस दौरान न ही कोई रक्तस्राव होता है और न ही किसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में तो गर्भपात होने के बाद भी भ्रूण गर्भ में ही रहता है और इसका पता तब चलता है जब गर्भ में भ्रूण का विकास रुक जाता है। इसका पता अल्ट्रासाउंड से किया जाता है।
  1. अधूरा गर्भपात (Incomplete Abortion) : इस तरह के गर्भपात में महिला को भारी रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द होता है। इसमें भ्रूण का कुछ ही भाग बाहर आ पाता है। यही कारण है कि इसे अधूरा गर्भपात कहा जाता है। इसका निदान अल्ट्रासाउंड से किया जा सकता है।
  1. पूर्ण गर्भपात (Complete Abortion): नाम की तरह यह गर्भपात पूरी तरह से होता है। इसमें गर्भाशय से भ्रूण पूरी तरह से बाहर आ जाता है। पेट में तेज दर्द होना और भारी रक्तस्राव होना पूर्ण गर्भपात के लक्षण हो सकते हैं।
  1. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Abortion) : इसमें रक्तस्राव होता रहता है और गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है, जिससे भ्रूण बाहर आ जाता है। इस दौरान महिला को पेट में लगातार ऐंठन होती रहती है।
  1. संक्रमित (सेप्टिक) गर्भपात : इस दौरान गर्भ में संक्रमण हो जाता है, जिससे गर्भपात होता है।

आइए, अब जानते हैं कि गर्भपात होना क्या वाकई में आम है?

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गर्भपात कितना आम है?

गर्भपात होना आम बात है। खासतौर पर प्रारंभिक गर्भावस्था में गर्भपात कई महिलाओं को हो सकता है। इसके अलावा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि गर्भपात होता कब है। पांच में से एक गर्भवती महिला का गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भपात हो जाता है (2)

अब नीचे हम गर्भपात के लक्षण बता रहे हैं। पहले महीने में गर्भपात के लक्षण कुछ इसी प्रकार के होते हैं।

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गर्भपात के संकेत और लक्षण | Garbhpat Ke Lakshan

गर्भपात का सबसे आम लक्षण है पेट में ऐंठन और योनि से रक्तस्राव होना। अगर गर्भावस्था के दौरान ऐसे कुछ लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यहां हम गर्भावस्था के लक्षणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं (3):

  • योनि से रक्तस्राव : योनि से रक्तस्राव होना गर्भपात का सबसे अहम लक्षण हो सकता है। इस दौरान आपको स्पॉटिंग, खून के थक्के या अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। यह रक्तस्राव भूरे या गहरे लाल रंग का हो सकता है।
  • पीठ में तेज दर्द : गर्भावस्था में पीठ में दर्द होना आम है, लेकिन यह दर्द कभी-कभी असहनीय हो सकता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह गर्भपात का संकेत हो सकता है।
  • पेट के निचले हिस्से में ऐंठन : पेट के निचले हिस्से में दर्द होना चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि यह भी गर्भपात के लक्षणों में से एक है। यह दर्द महावारी के समय होने वाले दर्द जितना तीव्र या उससे भी अधिक तेज हो सकता है।

नोट: कई बार ऐसा भी होता है कि गर्भपात के लक्षण महसूस ही न हों। ऐसे में इसका पता तब लगता है, जब गर्भवती नियमित जांच के लिए डॉक्टर के पास जाती है।

हमने ऊपर गर्भपात के लक्षणों के बारे में जाना। आइए, अब जानते हैं गर्भपात के कारणों के बारे में।

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गर्भपात होने के कारण | Garbhpat Ke Karan

गर्भपात के कुछ मुख्य कारणों के बारे में हम यहां बता रहे हैं (2) :

  • हार्मोनल असंतुलन।
  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या।
  • थायरॉयड या मधुमेह जैसी समस्याएं।
  • गर्भ या गर्भाशय में किसी तरह की समस्या।
  • बहुत ज्यादा धूम्रपान के कारण।

गर्भपात होने के अन्य कारण :

  1. क्रोमोजोम असामान्यता : यह भी गर्भपात का एक कारण हो सकता है। व्यक्ति के शरीर में मौजूद छोटी-छोटी संरचनाओं को क्रोमोजोम कहते हैं। ये संरचनाएं जीन्स को लाने और ले जाने का काम करती हैं। किसी-किसी मामले में जब पुरुष के शुक्राणु अंडों से मिलते हैं, तो अंडे या शुक्राणु में से किसी एक में त्रुटि आ जाती है, जिससे भ्रूण में एक क्रोमोजोम का मेल असामान्य हो जाता है, ऐसे में गर्भपात हो सकता है (4)
  1. गर्भाशय असामान्यताएं और असमर्थ सर्विक्स : जब महिला के गर्भाशय का आकार और गर्भाशय का विभाजन (इसमें गर्भाशय का अंदरुनी भाग मांसपेशीय या फाइब्रस दीवार से विभाजित होता है) असामान्य होता है, तो गर्भपात की स्थिति बन सकती है, क्योंकि ऐसे में भ्रूण गर्भाशय में प्रत्यारोपित नहीं हो पाता।
  1. इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर : कभी-कभी इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर (इसमें अस्थमा, एलर्जी, ऑटोइनफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसी समस्याएं हो सकती हैं) के कारण गर्भाशय में भ्रूण का प्रत्यारोपण नहीं हो पाता, इस वजह से भी गर्भपात हो सकता है।
  1. पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) : जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या रहती है, उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन व एस्ट्रोजन हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता है, जिस कारण गर्भधारण के लिए अंडे विकसित नहीं हो पाते हैं (5)

ऊपर आपने पढ़े गर्भपात होने के कारण, आइए, अब जानते हैं बार-बार गर्भपात होने के कारण।

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बार-बार गर्भपात होने के कारण

जिन महिलाओं का गर्भपात बार-बार होता है, उसके पीछे क्रोमोजोम असामान्य होना अहम कारण हो सकता है। यहां हम कुछ अन्य कारण बता रहे हैं, जिनकी वजह से बार-बार गर्भपात हो सकता है, जैसे :

  • अधिक उम्र में गर्भधारण की कोशिश करना : जो महिलाएं 35 वर्ष से ज्यादा उम्र में गर्भधारण की कोशिश करती हैं, उन्हें बार-बार गर्भपात हो सकता है (6)
  • ज्यादा भागदौड़ करना या ज्यादा यात्रा करना : गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा भागदौड़ करना या पहली और तीसरी तिमाही में यात्रा करना गर्भपात का कारण बन सकता है।
  • पेट पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ना या चोट लगना : अगर गर्भावस्था के दौरान महिला के पेट पर चोट लगती है या दबाव पड़ता है, तो भी गर्भपात हो सकता है।
  • योनि में किसी तरह का संक्रमण होना : महिलाओं को योनि में संक्रमण होना आम बात है। ऐसे में बार-बार होने वाला योनि संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है (7)

आइए, अब गर्भपात रोकने के प्राकृतिक तरीकों के बारे में जानते हैं।

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गर्भपात को रोकने के प्राकृतिक तरीके

किसी भी समस्या को रोकने के लिए लोग सबसे पहले प्राकृतिक तरीकों को अपनाने के बारे में सोचते हैं। यहां हम गर्भपात रोकने के कुछ प्राकृतिक तरीके बता रहे हैं।

  • फोलिक एसिड और प्रसव पूर्व विटामिन लें : गर्भपात का खतरा टालने के लिए आपको गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड और अन्य विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर रोजाना 400 से 800 एमजी फोलिक एसिड लेने की सलाह देते हैं (8)
  • नियमित टीकाकरण : कुछ पुरानी बीमारियों के चलते गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप ज़रूरी टीके लगवाकर इस समस्या से बच सकती हैं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें : गर्भावस्था में हल्का व्यायाम करना फायदेमंद हो सकता है। इस दौरान स्ट्रेचिंग व योग आदि करना गर्भपात के जोखिम को कम कर सकता है। इसे करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें और योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसे करें।
  • सिगरेट व तंबाकू से दूर रहें : सिगरेट और तंबाकू न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए खराब है, बल्कि यह गर्भपात का मुख्य कारण हो सकता है। इसलिए, आप इन सब चीज़ों का सेवन करना तुरंत बंद कर दें।

आइए, अब गर्भपात रोकने के कुछ घरेलू उपचार के बारे में जानते हैं।

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गर्भपात रोकने के लिए घरेलू उपचार

नीचे हम कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप गर्भपात को रोक सकते हैं, जैसे :

  • एक चम्मच आंवले के गूदे में शहद मिलाकर खाने से गर्भावस्था में होने वालीं समस्याओं और गर्भपात के खतरे को टाला जा सकता है।
  • अगर गर्भावस्था के दौरान आपको एसिड-रिफ्लक्स (बदहजमी के कारण एसिड आहार नली में ऊपर गले की ओर चला जाता है, जिसे एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है) लगता है, तो 3-4 बादाम खाने से इस स्थिति से निपटा जा सकता है।

नोट : आप जो भी नुस्खा अपनाएं, डॉक्टर की राय लेकर ही अपनाएं।

आइए, अब नजर डालते हैं कि गर्भपात से निपटने के लिए क्या-क्या इलाज संभव हैं।

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गर्भपात का निदान और इलाज | Garbhpat Kaise Hota Hai

गर्भपात का सही समय पर निदान कर लिया जाए, तो संक्रमण जैसी समस्या से बचा जा सकता है। ऐसा न होने पर महिला को खतरा हो सकता है। नीचे हम बता रहे हैं कि गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है (9) :

  • पेल्विक जांच : इस दौरान डॉक्टर ग्रीवा के फैलाव की जांच करेंगे।
  • अल्ट्रासाउंड : अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करके पता लगाएंगे कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं। अगर इससे कुछ पता नहीं चलता है, तो लगभग एक सप्ताह में फिर से अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।
  • ब्लड टेस्ट : इस दौरान डॉक्टर आपके रक्त का नमूना लेकर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) के स्तर की तुलना पहले के स्तर से कर सकते हैं। अगर यह बदला हुआ आए, तो यह समस्या का संकेत हो सकता है। डॉक्टर यह भी जांच सकते हैं कि कहीं आपको एनीमिया तो नहीं है।
  • टिश्यू टेस्ट : अगर ग्रीवा से टिश्यू बाहर निकलने लगे हैं, तो डॉक्टर गर्भपात का पता लगाने के लिए इनकी जांच सकते हैं।
  • क्रोमोजोम टेस्ट : अगर आपको पहले भी गर्भपात हो चुका है, तो डॉक्टर क्रोमोजोम संबंधी परेशानी का पता लगाने के लिए आपका और आपके पति का ब्लड टेस्ट कर सकते हैं।

आइए, अब जानते हैं गर्भपात के इलाज के बारे में (10) :

  • अगर गर्भावस्था के शुरुआत में ही गर्भपात हो जाता है, तो भ्रूण की मृत्यु के एक हफ्ते के भीतर वह अपने आप ही योनी मार्ग से बाहर निकल जाता है। इसे प्राकृतिक गर्भपात कहते हैं। अगर यह प्राकृतिक रूप से न हो, तो मेडिकल ट्रीटमेंट लेने की जरूरत पड़ सकती है।
  • मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए गर्भपात में या तो दवाइयां खाकर इलाज किया जाता है या फिर योनि मार्ग से दवा डालकर इसका उपचार किया जाता है। ज्यादातर डॉक्टर योनि मार्ग से दवा डालकर इसका उपचार करते हैं। इस प्रक्रिया में 24 घंटे का समय लग सकता है।
  • इसका उपचार सर्जरी से भी किया जाता है, जिसे डायलेशन एंड क्यूरेटेज (D&C) प्रक्रिया कहा जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर गर्भाशय से भ्रूण के उत्तक बाहर निकालते हैं। यह तब किया जाता है, जब उत्तक खुद बाहर नहीं निकलते।

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गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद लक्षण नजर आ सकते हैं। इसलिए, गर्भपात के बाद महिला की देखभाल और अच्छी तरह करने की जरूरत होती है। महिला के शारीरिक रूप से पूरी तरह ठीक न होने पर और देखभाल करने की आवश्यकता होती है। यहां हम बता रहे हैं कि गर्भपात के बाद क्या-क्या सावधानियां बरतने की जरूरत होती है।

  • खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। कच्चा मांस व सॉफ्ट चीज़ खाने से बचें।
  • गर्भपात के बाद जब तक आपके दो मासिक धर्म के चक्र पूरे न हो जाएं, तब तक दूसरी गर्भावस्था को शुरू करने के बारे में न सोचें।
  • गर्भपात के बाद डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए।
  • अगर गर्भपात के बाद बुखार आ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। बुखार को बिल्कुल भी अनदेखा न करें, क्योंकि यह गर्भपात के बाद इंफेक्शन का संकेत हो सकता है।
  • गर्भपात के बाद कुछ समय तक शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
  • धूम्रपान और कैफीन का सेवन न करें।

सावधानियों के बाद आइए नजर डालते हैं गर्भपात के बारे में कुछ मिथक और तथ्य के बारे में।

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गर्भपात के बारे में कुछ तथ्य और मिथक

गर्भपात के बारे में बहुत से मिथक प्रचलित हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। नीचे हम गर्भपात से जुड़े कुछ मिथक और उनके तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं :

  • बहुत से लोगों का यह मानना है कि गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती नहीं हुआ जा सकता है, जोकि पूरी तरह से गलत है। गर्भपात के बाद सही देखभाल के बाद महिला फिर से गर्भवती हो सकती है और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म भी दे सकती है।
  • बहुत से लोग समझते हैं कि गर्भावस्था के दौरान योनि से रक्त निकलना गर्भपात ही होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भावस्था में हल्की स्पॉटिंग होना सामान्य है। खासतौर पर शुरुआती तीन महीनों में यह समस्या होना आम है (11)
  • कुछ लोग समझते हैं कि गर्भावस्था के दौरान संभोग करने से गर्भपात हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। गर्भपात और संभोग का आपस में कोई संबंध नहीं है। गर्भ में शिशु एम्नियोटिक कवच में पूरी तरह सुरक्षित होता है, इसलिए सेक्स करने से गर्भपात का खतरा नहीं होता। सिर्फ आपको सेक्स पॉज़िशन पर ध्यान देने की जरूरत होती है (12)

ये तो थे कुछ मिथक, जिन पर लोग विश्वास कर लेते हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है। आइए, अब गर्भावस्था से जुड़े कुछ सवालों पर नजर डाल लेते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या तनाव से गर्भपात हो सकता है?

तनाव से गर्भपात हो सकता है, इस बात का अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है (3)। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान तनाव लेने से गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर असर जरूर पड़ता है।

मैं गर्भपात के बाद गर्भवती होने की कोशिश कब शुरू कर सकती हूं?

गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती होने के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है। जब डॉक्टर आपको बता दें कि अब आप शारीरिक रूप से दूसरी गर्भावस्था के लिए तैयार हैं, तो आप दूसरी गर्भावस्था की योजना बना सकती हैं। इसके अलावा, गर्भपात से उबरने के लिए कुछ लोगों को समय लग सकता है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इससे कब तक उबर पाती हैं (13)

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गर्भपात जैसी अवस्था से बचना न सिर्फ आसान है, बल्कि हर महिला के लिए संभव है। बस इसके लिए गर्भवती को छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। आप नियमित रूप से अपना चेकअप करवाएं और हेल्दी डायट लें। इससे जरूर आपको फायदा होगा। फिर भी कोई शारीरिक समस्या महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

References

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