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गर्भवती महिला के लिए दूसरी तिमाही ज्यादा मुश्किलों भरी होती है। इस दौरान जीवनशैली थोड़ी असहज होने लगती है। ऐसा गर्भ में पल रहे शिशु के विकसित होने और शरीर का आकर बढ़ने के कारण होता है। ऐसे में आपकी और शिशु की सेहत का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर से नियमित जांच व स्कैन करवाना आवश्यक हो जाता है। मॉमजंक्शन के इस लेख में हम दूसरी तिमाही में होने वाले ऐसी ही एक स्कैन के बारे में बात करेंगे, जिसका नाम है एनॉमली स्कैन। इस स्कैन के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य और विकास के बारे में काफी जानकारी मिल पाती है।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि एनॉमली स्कैन होता क्या है।
एनॉमली स्कैन क्या है? | Anomaly Scan Kya Hai
एनॉमली स्कैन को टारगेट स्कैन व टिफ्फा (TIFFA) आदि नाम से भी जाना जाता है। इसे गर्भावस्था के 18-22 हफ्ते के बीच कभी भी करवाया जा सकता है। यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है, जिस कारण इसे लेवल 2 अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है। इस स्कैन के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि भ्रूण का विकास कैसा हो रहा है। इस स्कैन के जरिए खासकर यह पता लगाया जाता है कि भ्रूण के शरीर का विकास सही हो रहा है या नहीं और उसमें कोई जन्म दोष तो नहीं है (1)।
आइए, अब आपको बताते हैं कि यह स्कैन क्यों किया जाता है।
लेवल 2 अल्ट्रासाउंड स्कैन क्यों किया जाता है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि एनॉमली स्कैन को लेवल 2 अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है। यह अल्ट्रासाउंड की तरह ही काम करता है। इसके जरिए निम्नलिखित बातों का पता लगाया जा सकता है (2):
- भ्रूण का आकार, विकास और स्वास्थ्य
- गर्भ में पल रहे शिशु के सभी अंगों,हड्डियां, पेट और पेट के अंदर (abdominal wall) की जांच
- गर्भधारण भ्रूण की उम्र
नोट: ध्यान रखें कि भ्रूण के लिंग का पता करना कानूनन जुर्म है।
लेख के अगले भाग में जानिये कि क्या इस स्कैन को करवाना आवश्यक है।
क्या एनॉमली स्कैन करवाना आवश्यक है?
जी , एनॉमली स्कैन करवाना आवश्यक है। हालांकि, इस लेवल 2 स्कैन न करवाने से भी आपकी गर्भवस्था सामान्य रूप से बढ़ेगी,लेकिन इसे करवाने की सलाह हमेशा दी जाती है क्योंकि यदि भ्रूण में कोई विसंगति हो तो वह पहले ही पता की जा सके और उसके अनुसार आगे का प्रबंधन किया जा सके । कुछ कारण जैसे 35 से अधिक उम्र की गर्भावस्था, स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या, गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान, शराब या किसी और नशे का सेवन करना, परिवार में आनुवंशिक विकार आदि की वजह से शिशु का जन्म किसी दोष के साथ हो सकता है (3)। ऐसे में एनॉमली स्कैन करवाने का फायदा हो सकता है और दोष का पता लगने पर आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।
आइए, अब आपको बताते हैं कि एनॉमली स्कैन करवाने से पहले आपको क्या तैयारी करनी होगी।
एनॉमली स्कैन करने से पहले की तैयारी
एनॉमली स्कैन एक साधारण अल्ट्रासाउंड की तरह ही होता है। इसे करवाने से पहले कोई खास तैयारी करने की जरूरत नहीं है। नीचे बताई गई कुछ सामान्य बातों को ध्यान में रख कर आप आराम से एनॉमली स्कैन करवा सकती हैं :
- समय पर डायग्नोस्टिक सेंटर पहुंच जाएं और पूरी तरह से सहज हो जाएं।
- घर से खाना खाकर जाएं। क्योंकि अल्ट्रासाउंड कराने में समय लग सकता है।
- स्कैन से पहले पानी पिएं, ताकि आपका मूत्राशय भरा हुआ हो। खाली मूत्राशय में स्कैन करने से सटीक परिणाम नहीं मिलते। इसलिए, जब तक मूत्राशय भरा हुआ न हो, तब तक प्रतीक्षा करें।
- स्कैन के लिए ढीले कपड़े पहन कर जाने से आपको स्कैन करवाने में आसानी होगी।
- स्कैन के दौरान अपने शरीर पर कोई आभूषण न पहनें।
लेख के अगले भाग में जानिए कि एनॉमली स्कैन कैसे किया जाता है।
एनॉमली स्कैन परीक्षण कैसे किया जाता है?
एनॉमली स्कैन को प्रशिक्षित सोनोग्राफर्स की देखरेख में कुछ इस प्रकार किया जाता है (4):
- आपको एक बेड पर पीठ के बल लेटाया जाएगा।
- सोनोग्राफर आपके पेट पर एक जेल लगाएगा, ताकि अल्ट्रासाउंड प्रोब और आपकी त्वचा के बीच अच्छा संपर्क बना रहे और भ्रूण साफ तरीके से दिख सके।
- इसके बाद अल्ट्रासाउंड प्रोब को आपके पेट पर घुमाया जाएगा और भ्रूण की अल्ट्रासाउंड तस्वीर कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने लगेगी।
- भ्रूण की साफ तस्वीर पाने के लिए सोनोग्राफर पेट पर थोड़ा दबाव डाल सकता है, लेकिन इससे आपको या गर्भ में पल रहे शिशु को कोई तकलीफ नहीं होगी।
- पूरी तरह से स्कैन होने में लगभग 30- 60 मिनट लगेंगे और स्कैन होने के बाद सोनोग्राफर टिश्यू पेपर से जेल को साफ कर देगा।
कुछ मामलों में भ्रूण की तस्वीर साफ नहीं आती, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसके पीछे निम्न कारण हो सकते हैं :
- अगर बच्चा एक अजीब स्थिति में लेटा हुआ हो या बहुत घूम रहा हो।
- अगर आप औसत वजन से ऊपर हैं।
- अगर आपके शरीर के टिशू ज्यादा हैं।
आइए, अब आपको बताते हैं कि एनॉमली स्कैन के परिणाम का क्या मतलब होता है।
एनॉमली स्कैन के परिणाम का क्या मतलब होता है?
एनॉमली स्कैन की मदद से गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में निम्नलिखित बातों का पता लग सकता है (5):
- सिर व दिमाग का आकार और विकास।
- शिशु के चेहरे का विकास।
- रीढ़ की हड्डी और आसपास की हड्डियों का विकास।
- दिल और उसके बाकी हिस्सों का विकास।
- पेट, किडनी, मूत्राशय और आंत का विकास।
- हाथ, पैर और उनकी उंगलियों का आकार और विकास।
- नाल की स्थिति और विकास।
- पेट के आकार को चेक करना (Abdominal circumference) की जांच।
- हाथ की हड्डी की लंबाई।
- जांघ की हड्डी की लंबाई।
- एमनियोटिक द्रव की मात्रा।
लेख के इस भाग में हम बात करेंगे कि स्कैन के जरिए कौन-सी असामान्यताओं के बारे में पता किया जा सकता है।
एनॉमली स्कैन से कौन सी असामान्यताएं पता चल सकती हैं?
एनॉमली स्कैन की मदद से आप नीचे बताई गई असामान्यताओं का पता लगा सकते हैं (2) (6):
- अनेंसेफली (गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग और रीढ़ की हड्डी का पूरी तरह विकास नहीं होना)
- ओपन स्पाइना बिफिडा (गर्भ में पल रहे शिशु की रीढ़ की हड्डी की हड्डियों का विकास नहीं होना)
- डायाफ्रामिक हर्निया (छाती और पेट को विभाजित करने वाली मांसपेशियों में छेद)
- एक्सोम्फालोस (गर्भ में पल रहे शिशु के पेट का पूरी तरह विकास न होना)
- क्लेफ्ट लिप्स (कटे-फटे होंठ)
- गैस्ट्रोस्काइसिस (आंतों का गलत तरीके से फैल जाना)
- लीथल डिसप्लेसिया (अविकसित या छोटे हाथ/पैर)
- अविकसित या असामान्य किडनी
- मल्टीसिस्टिक डिस्प्लास्टिक किडनी (किडनी में अलग-अलग आकार के अनियमित सिस्ट होते हैं)
- ट्राइसॉमी 18 (एडवर्ड्स सिंड्रोम)
- ट्राइसॉमी 13 (पटाऊ सिंड्रोम)
- ट्रिसोमी 21 ( डाउन सिंड्रोम)
आइए, अब आपको बताते हैं कि इस स्कैन के परिणाम कितने सही होते हैं।
लेवल 2 अल्ट्रासाउंड स्कैन के परिणाम कितने सही होते हैं?
दूसरी तिमाही में भ्रूण के अंगों का विकास होने लगता है और असामान्यताओं का पता लगाना आसान हो जाता है। इसलिए, दूसरी तिमाही में होने वाले स्कैन के परिणाम, पहली तिमाही में हुए स्कैन से ज्यादा सटीक होते हैं। लेवल 2 अल्ट्रासाउंड के परिणाम नीचे दिए गए प्रतिशत तक सही हो सकते हैं (2) (6):
असमान्यताएं | प्रतिशत |
---|---|
एनेस्थली | 98 प्रतिशत |
ओपन स्पाइना बिफिडा | 90 प्रतिशत |
डायाफ्रामिक हर्निया | 60 प्रतिशत |
एक्सोम्फालोस | 80 प्रतिशत |
क्लेफ्ट लिप्स | 75 प्रतिशत |
गैस्ट्रोस्काइसिस | 98 प्रतिशत |
लीथल डिसप्लेसिया | 60 प्रतिशत |
अविकसित या असामान्य किडनी | 85 प्रतिशत |
मल्टीसिस्टिक डिस्प्लास्टिक किडनी | 97 से 100 प्रतिशत |
ट्राइसॉमी 18 (एडवर्ड्स सिंड्रोम) | 95 प्रतिशत** |
ट्राइसॉमी 13 (पटाऊ सिंड्रोम) | 95 प्रतिशत** |
**नोट: इनकी सटीक दर पर अभी और शोध होना बाकी है।
लेख के अगले भाग में जानिए कि एनॉमली स्कैन के लाभ क्या होते हैं।
टारगेट स्कैन परीक्षण के लाभ
- इस स्कैन को करवाने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि शिशु में किसी भी तरह की असामान्यता जन्म से पहले ही पता चल जाती है। फिर डॉक्टर उसी के अनुसार इसे ठीक करने के लिए अपना इलाज शुरू करते हैं।
- यह एक स्कैन है और इसमें किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। इससे आपको या गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता।
क्या एनॉमली स्कैन के नुकसान भी है? जानिये लेख के अगले भाग में।
टारगेट स्कैन परीक्षण के नुकसान
टारगेट स्कैन एक नियमित गर्भावस्था स्कैन है और इसका कोई नुकसान नहीं है। यह आपके और आपके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। ध्यान रखें कि इसे आप किसी प्रशिक्षित डॉक्टर की देखरेख में ही करवाएं (7)।
आगे हम आपको इस स्कैन पर होने वाले खर्च के बारे में बता रहे हैं।
एनॉमली स्कैन परीक्षण की लागत क्या है?
एनॉमली स्कैन की लागत अस्पताल, डॉक्टर और जगह पर निर्भर करती है। इसकी औसतन लागत 1200 से लेकर 5 हजार तक हो सकती है। इसलिए, यह स्कैन करवाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से इसकी लागत के बारे में जरूर पूछ लें।
अकसर पूछे जाने वाले सवाल
क्या लेवल 2 अल्ट्रासाउंड पिक्चर्स मिल सकते हैं?
हां, आपको लेवल 2 अल्ट्रासाउंड स्कैन के पिक्चर्स मिल सकते हैं। हालांकि, कुछ अस्पताल इन पिक्चर्स के अलग से पैसे लेते हैं, क्योंकि ये थर्मल पेपर पर बनाए जाते हैं और इनकी लागत ज्यादा होती है।
लेवल 2 अल्ट्रासाउंड का रिजल्ट कितने देर में मिल जाता है?
एनॉमली स्कैन के नतीजों के बारे में सोनोग्राफर आपको स्कैन के दौरान ही बता देगा। इसकी प्रिंट की हुई रिपोर्ट आपको कब मिलेगी, यह अस्पताल पर निर्भर करता है। आमतौर पर यह रिपोर्ट तीन से चार घंटे में दे दी जाती है।
ऐसा बहुत कम होता है कि शिशु में कोई असामान्यता निकले, लेकिन अगर ऐसा कुछ होता है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें और जरूरी उपचार लें , कुछ परिस्थितियों में दोबारा अल्ट्रासाउंड कराने की आवश्यकता पड़ सकती है । ध्यान रहे कि इस स्कैन के दौरान आपके परिवार का कोई सदस्य आपके साथ जरूर हो। एनॉमली स्कैन से घबराने की कोई बात नहीं है। गर्भ में पल रहे अपने शिशु की तस्वीर देखना सबसे सुखद अनुभवों में से एक है और हमें यकीन है कि आप इस मौके को कभी खोना नहीं चाहेंगे। अगर आप भी अपनी गर्भावस्था के 18वें से 21वें सप्ताह के बीच हैं, तो आज ही अपने डॉक्टर से लेवल 2 अल्ट्रासाउंड स्कैन के बारे में बात करें।
References
1.Diagnosis of Birth Defects by Centers for Disease Control and Prevention
2.Ultrasound structural fetal anomaly screening: an update by NHS Foundation Trust, Cambridge, UK
3.Antenatal care critical in detecting and correcting foetal abnormalities during pregnancy by The Aga Khan University Hospital, Nairobi
4.The Dos and Don’ts of Pregnancy: From Conception to Birth by Google Books
5.Content of a Complete Routine Second Trimester Obstetrical Ultrasound Examination and Report by JOGC
6.NHS Fetal Anomaly Screening Programme Handbook by Public Health England
7.Early second trimester transvaginal ultrasound anomaly scan does not cause adverse perinatal outcome by NCBI
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