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बातों को अक्सर भूल जाना, बातों को दोहराना या किसी भी विषय में रुचि न दिखाना, ये सब ऑटिज्म की वजह से हो सकते हैं। यह दिमागी विकार है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है। ऑटिज्म का इलाज समय रहते शुरू करवाना जरूरी है, वरना इसके परिणाम घातक भी हो सकते हैं (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में ऑटिज्म से जुड़ी जरूरी जानकारियां साझा की गई हैं। इस लेख में ऑटिज्म के कारण से लेकर इसके लक्षण और ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय कैसे किए जा सकते हैं, विस्तारपूर्वक समझाया गया है।

शुरू करें लेख

लेख में सबसे पहले व्हाट इस ऑटिज्म, इसके बारे में जानते हैं।

ऑटिज्म क्या है? – What is Autism in Hindi

ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर इन हिंदी एक प्रकार का मानसिक विकार है। इसके लक्षण जीवन के शुरुआती वर्षों में दिखने लगते हैं। इसमें पीड़ित सामाजिक, संचार और व्यवहार संबंधी चुनौतियों से जूझता है। यह एक तरह का न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर (Neurodevelopmental Disorder) होता है, जो उम्र के साथ बढ़ता रहता है। कुछ खास परिस्थितियों में ऑटिज्म का अर्थ अन्य मानसिक विकारों से भी हो सकता है, लेकिन ऐसा दुर्लभ परिस्थितियों में ही होता है (1)।

अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, इस समस्या में पीड़ित व्यक्ति को बात करने या लोगों को अपनी बात समझाने में समस्या होती है, जिसका प्रभाव उसके दैनिक जीवन जैसे स्कूल, ऑफिस या जीवन के अन्य क्षेत्रों पर पड़ता है (2)।

ऑटिज्म मीनिंग जानने के बाद ऑटिज्म के प्रकार के बारे में जानेंगे।

ऑटिज्म के प्रकार – Types of Autism in Hindi

ऑटिज्म के प्रकार को तीन भागों में बांटा जा सकता है (3):

ऑटिस्टिक डिसऑर्डर : ऑटिस्टिक डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों में बौद्धिक अक्षमता पाई जा सकती है। ऐसे व्यक्तियों को दूसरों से बात करने और सामाजिक व्यवहार स्थापित करने में समस्या हो सकती है। साथ ही इनके व्यवहार और रुचि में भी बदलाव देखे जा सकते हैं।
एस्पर्गर सिंड्रोम : इसमें ऑटिज्म के लक्षण आटिस्टिक डिसऑर्डर की तरह साफ नहीं दिखते। इस ऑटिज्म के प्रकार में पीड़ित व्यक्ति की रुचि में कमी आ सकती है और उन्हें सामाजिक व्यावहारिकता निभाने में भी समस्या आ सकती है। आटिस्टिक डिसऑर्डर की तरह इस प्रकार में भाषा और बौद्धिक अक्षमता नहीं पाई जाती।
परवेसिव डेवलपमेंटल डिसऑर्डर : इस प्रकार को एटिपिकल ऑटिज्म भी कहा जाता है। इस ऑटिज्म के प्रकार के कुछ लक्षण ऑटिस्टिक डिसऑर्डर की तरह हो सकते हैं। हालांकि, सारे लक्षण एक जैसे नहीं होते, लेकिन बातचीत करने और सामाजित व्यवहार स्थापित करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

लेख के अगले भाग में जानिए कि ऑटिज्म के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।

ऑटिज्म के कारण – Causes of Autism in Hindi

अभी तक ऑटिज्म के कारण का ठीक प्रकार से पता नहीं लग पाया है, लेकिन यह आनुवंशिक हो सकता है। यह आनुवंशिक होने के साथ-साथ पर्यावरणीय कारणों से हो सकता है (2)। नीचे बताई गई समस्याएं ऑटिज्म के कारण में शामिल हो सकती हैं (4) :

गर्भावस्था की उम्र : 34 या उससे अधिक उम्र में मां बनना।
गर्भावस्था में जटिलताएं : गर्भावस्था के दौरान वायरल संक्रमण, रक्तस्त्राव, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा या गर्भाशय में ऑक्सीजन की कमी, ये सभी ऑटिज्म के कारण बन सकते हैं।
गर्भवती का मानसिक स्वास्थ : अगर गर्भवती महिला सिजोफ्रेनिया, अवसाद व चिंता से पीड़ित है या कभी पीड़ित रही हो, तो होने वाले शिशु में ऑटिज्म का खतरा बढ़ सकता है।
गर्भावस्था में दवाइयां : गर्भावस्था के दौरान, दवाइयों का अधिक मात्रा में सेवन ऑटिज्म के खतरे को 48 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
पारिवारिक परिस्थिति : परिवार की सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक परिस्थितियां ऑटिज्म को प्रभावित करती हैं।

ऑटिज्म के कारण जानने के बाद, आगे जानिए कि ऑटिज्म के लक्षण क्या हो सकते हैं।

ऑटिज्म के लक्षण – Symptoms of Autism in Hindi

ऑटिज्म के लक्षण में सबसे ऊपर आता है समाजिक संचार और व्यवहार में असहजता, साथ ही बातों को दोहराना और रुचि में कमी आना। हालांकि, ऑटिज्म के लक्षण सभी में एक समान नहीं दिखते। नीचे जानिए कुछ आम लक्षण जो ऑटिज्म से पीड़ित ज्यादातर लोगों में दिखते हैं (2) :

सामाजिक संचार में समस्या जैसे :

  • कम या बिल्कुल आंखें न मिलाना।
  • दूसरों की तरफ न देखना और न सुनना।
  • नाम बुलाने पर प्रतिक्रिया न देना।
  • संवाद बनाए रखने में समस्या।
  • अपनी रुचि के विषय पर सामने वाले को मौका दिए बिना बहुत बातें करना।
  • शारीरिक गतिविधि और हावभाव का कही जाने वाली बातों से मेल न खाना।
  • बातें करने में आवाज का गाना गाने या सपाट और रोबोट की तरह लगने वाले असामान्य स्वर होना।
  • दूसरों का दृष्टिकोण समझने में या उसके हावभाव को समझने में समस्या होना।

प्रतिबंधात्मक/दोहरावदार व्यवहार जैसे :

  • असामान्य तरीके से शब्दों या बातों को दोहराना।
  • कुछ विषयों, जैसे – संख्या, विवरण या तथ्यों में अधिक रुचि होना।
  • दैनिक जीवन में थोड़े से परिवर्तन से भी उदास हो जाना।
  • दूसरों की तुलना में रोशनी, आवाज, कपड़ों या तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होना।

ऑटिज्म के लक्षण में कुछ सकारात्मक बातें भी शामिल है, जैसे :

  • बातों को लंबे समय तक विस्तार में याद रख पाना।
  • बातों को देख कर या सुनकर आसानी से सीख जाना।
  • गणित, विज्ञान, संगीत या कला में उत्कृष्ट होना।

ऑटिज्म के लक्षणों से राहत पाने के लिए सही मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है, लेकिन उसके साथ ऑटिज्म के लिए घरेलू उपचार का भी उपयोग किया जा सकता है। लेख के अगले भाग में जानिए ऑटिज्म के लिए घरेलू उपचार के बारे में।

ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Autism in Hindi

नीचे बताए गए ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय ऑटिज्म के लक्षण को कुछ हद तक ठीक करने में मदद कर सकते हैं। जानिए, ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय किस तरह काम करते हैं और इनका उपयोग कैसे किया जा सकता है।

1. एप्सम सॉल्ट

सामग्री :

  • दो कप एप्सम सॉल्ट
  • आधा कप बेकिंग सोडा
  • एक बाथटब गुनगुना पानी

विधि :

  • एक बाथटब गुनगुने पानी में दो कप एप्सम सॉल्ट मिलाएं।
  • इस पानी में पीड़ित को लगभग 15-20 मिनट तक बिठाएं।
  • अंत में साफ पानी से उसे नहला दें।

कैसे काम करता है :

ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में अक्सर प्लाज्मा सल्फेट (खून में सल्फेट का स्तर) का स्तर कम होता है, जिसकी वजह उन्हें सल्फेट के सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। एप्सम सॉल्ट बाथ को प्लाज्मा सल्फेट का स्तर बढ़ाने के प्रभावी तरीकों में से एक माना गया है। बेकिंग सोडा शरीर में सॉल्ट के अवशोषण को बढ़ाता है। इस प्रकार एप्सम सॉल्ट ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय के रूप में उसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है (5)।

2. ओमेगा-3 फैटी एसिड

सामग्री :

  • ओमेगा 3 सप्लीमेंट्स

विधि :

  • डॉक्टर के परामर्श पर पीड़ित को ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं।
  • ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय में ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध खाद्य पदार्थों का भी सेवन किया जा सकता है।

कैसे काम करता है :

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में पाया गया है कि शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी ऑटिज्म के कारण बन सकती है। ओमेगा-3 एक प्रकार का पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होता है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं और ये दिमाग की कोशिका झिल्ली (Brain Cell Membrane) को ठीक से काम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड ऑटिज्म के कुछ लक्षण जैसे भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याओं को कम करने में भी मदद कर सकता है (6)।

3. प्रोबायोटिक

सामग्री :

  • प्रोबायोटिक युक्त आहार और सप्लीमेंट्स

विधि :

  • पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जा सकती है।
  • मरीज के आहार में प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं।

कैसे काम करता है :

ऑटिज्म के कारण अक्सर पीड़ित पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे – पेट दर्द, कब्ज और डायरिया से परेशान रहते हैं, जो उनके असामान्य बर्ताव के पीछे एक वजह हो सकती है। ऐसे में प्रोबायोटिक युक्त आहार और सप्लीमेंट्स लेने से फायदा मिल सकता है। प्रोबायोटिक आंत में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाकर, पेट से जुड़ी समस्याओं से आराम पाने में मदद कर सकता है। इस मामले में अभी और गहन शोध की आवश्यकता है (7)।

किसी भी बीमारी में आराम पाने के लिए उसके इलाज के साथ-साथ सही आहार लेना भी जरूरी होता है। लेख के अगले भाग में जानिए कि ऑटिज्म के लिए किस प्रकार के आहार का सेवन किया जाना चाहिए।

ऑटिज्म के लिए आहार – Diet For Autism in Hindi

ऑटिज्म से आराम पाने के लिए आहार में नीचे बताए खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है।

मैग्नीशियम युक्त आहार : ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में प्लाज्मा मैग्नीशियम का स्तर कम रहता है, जो ऑटिज्म के लक्षण होने का एक कारण बन सकता है। शरीर में मैग्नीशियम की कमी मानसिक अस्थिरता का कारण बन सकती है (8)। इसके लिए मैग्नीशियम युक्त आहार को शामिल किया जा सकता है (9) :

  • फल जैसे केले, एवोकाडो और सूखे खुबानी
  • नट्स जैसे बादाम या काजू
  • चने, फलियां और बीज वाले अनाज
  • सोया युक्त खाद्य पदार्थ
  • साबुत अनाज (जैसे ब्राउन राइस और बाजरा)
  • दूध

ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार : जैसे कि हम लेख में पहले बता चुके हैं कि शरीर में ओमेगा-3 की कमी भी ऑटिज्म का एक कारण हो सकती है। आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करने से भी ऑटिज्म के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है (6)। नीचे बताए गए खाद्य पदार्थ ओमेगा-3 फैटी एसिड से समृद्ध होते हैं (10) :

  • मछली जैसे साल्मन, छोटी समुद्री मछली, अल्बकोर ट्यूना, ट्राउट और सार्डिन
  • अलसी का बीज और तेल
  • अखरोट
  • चिया बीज
  • कैनोला और सोया तेल
  • सोयाबीन और टोफू

प्रोबायोटिक युक्त आहार : मरीज के आहार में प्रोबायोटिक युक्त आहार शामिल करने से भी फायदा मिल सकता है, जो ऑटिज्म के कारण होने वाली पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है (7)। प्रोबायोटिक के लिए नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है (11) :

  • पनीर
  • छाछ
  • दही
  • आइसक्रीम
  • दूध पाउडर
  • फर्मेंटेड दूध (Fermented Milk)

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर मीनिंग इन हिंदी में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में जानने के बाद लेख में आगे हम उन खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें नहीं खाना चाहिए।

ग्लूटन युक्त आहार : कई मामलों में ऑटिज्म के मरीजों को ग्लूटन युक्त खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो सकती है (12) ( 13)। ऐसे में ग्लूटन युक्त आहार न लेने की सलाह दी जाती है, जैसे (14) :
ग्लूटन युक्त अनाज :

  • गेहूं
  • जौ (इसमें माल्ट, माल्ट फ्लेवरिंग और माल्ट सिरका शामिल हैं)
  • राई
  • ट्रिकलिट (गेहूं और सीकल के बीच एक क्रॉस ब्रीड अनाज)
  • अन्य ग्लूटन युक्त खाद्य पदार्थ :
  • ब्रेड और अन्य बेक्ड उत्पाद
  • पास्ता
  • अनाज
  • सोया सॉस
  • डिब्बाबंद या डीप फ्राई खाद्य पदार्थ
  • जई
  • जमे हुए खाद्य पदार्थ, सूप और चावल के मिश्रण सहित डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ।
  • सलाद ड्रेसिंग, सॉस
  • कुछ कैंडी, लिकोरीस
  • कुछ दवाइयां और विटामिन

आगे आप जानेंगे कि चिकित्सकीय रूप से आटिज्‍म का इलाज किस तरह किया जाता है।

ऑटिज्म का इलाज – Treatment of Autism in Hindi

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं बनी है, जो ऑटिज्म ट्रीटमेंट इलाज कर सके। इसलिए, डॉक्टर ऐसी दवाइयां लेने की सलाह देते हैं, जो ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकती हैं, जैसे ऊर्जा का स्तर या अवसाद को नियंत्रित करना या ध्यान केंद्रित करने में समस्या होने से आराम दिलाना। दवाइयों के साथ कुछ थेरेपी की मदद से इसके लक्षणों को कम करके ऑटिज्म ट्रीटमेंट इन हिंदी का इलाज किया जा सकता है, जैसे (15) :

व्यवहार और संचार थेरेपी (Behavior and Communication Approaches) : इसमें व्यक्ति के सामाजिक संचार और व्यवहार पर काम किया जाता है। इसके अंतर्गत ऐसी थेरेपी आती हैं जिनमें मरीज को कपड़े पहनने, खाने, नहाने, आवाज या छूने के प्रति प्रतिक्रिया देना, बात करने के ढंग और भावनात्मक व्यवहार आदि पर नियंत्रण रखना सिखाया जाता है।

डाइटरी थेरेपी : इसमें पीड़ित व्यक्ति में ऑटिज्म के लक्षण कम करने के लिए उनके आहार में विटामिन व मिनरल के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। साथ ही आहार में उन पोषक तत्वों को जोड़ा जाता है, जिनकी मरीज के शरीर में कमी होती है। इस थेरेपी में मरीज की डाइट में बदलाव किए जाते हैं।

पूरक और वैकल्पिक उपचार (Complementary and Alternative Treatments) : इस थेरेपी का उपयोग बहुत कम किया जाता है। इसमें मरीज के आहार में खास खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं। उसके साथ इस थेरेपी में केलेशन (शरीर से लीड जैसे धातुओं को निकालने की प्रक्रिया) जैसी प्रक्रिया को भी शामिल किया जा सकता है।
ऑटिज्म का इलाज जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए ऑटिज्म के बचने के उपाय के बारे में।

ऑटिज्म से बचने के उपाय – Prevention Tips for Autism in Hindi

आटिज्‍म से बचने के उपाय के रूप में गर्भावस्था के दौरान कुछ बातों को ध्यान में रखा जा सकता है, जैसे :

  • गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड का सेवन, जिससे होने वाले शिशु में ऑटिज्म का खतरा कम हो सकता है (16)।
  • भ्रूण में न्यूरल ट्यूब दोष का पता लगान के लिए न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एनटी) और ट्रिपल मार्कर टेस्ट किया जा सकता है। इस टेस्ट की मदद से शिशु में ऐसी किसी भी समस्या को होने से पहले रोका जा सकता है (17)।
  • गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों के अलावा अन्य दवाइयां न लें।
  • जन्म के बाद शिशु का नियमित रूप से चेकअप और टीकाकरण करवाएं।

अब आप ऑटिज्म के बारे में लगभग सब कुछ समझ गए होंगे। ध्यान रखें कि ऑटिज्म के लक्षण की वजह से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपना आत्मविश्वास खोने लगता है, जिस वजह से उनके साथ सही व्यवहार करना जरूरी है। साथ ही सही मेडिकल ट्रीटमेंट, थेरेपी और ऑटिज्म के लिए घरेलू उपाय की मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इससे व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सकती है। लेख में बताई गई थेरेपी की मदद से ऑटिज्म का इलाज किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करवाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या ऑटिज्म से ग्रसित लोग सामान्य जीवन जी सकते सकते हैं?

जी हां, ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति/बच्चे सामान्य जीवन बिता सकते हैं। कई बार सही ट्रीटमेंट के साथ ऑटिज्म के लक्षण कम या दूर हो सकते हैं, जिसके साथ मरीज आम जीवन जी पाता है ।

क्या कैनाबिनोइड्स तेल ऑटिज्म के लिए अच्छा है?

जी हां, कैनाबिनोइड्स तेल का उपयोग बच्चों में ऑटिज्म के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं, अभी वैज्ञानिक तौर यह कहना मुश्किल है कि इसका लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है या नहीं (18)।

वयस्कों में ऑटिज्म का परीक्षण कैसे करें?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, ऑटिज्म का निदान करने के लिए ब्लड टेस्ट जैसा कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ लक्षणों जैसे बोलने में समस्या, असामान्य व्यवहार और अन्य लक्षणों की मदद से ऑटिज्म का पता लगाया जा सकता है (19)।

ऑटिज्म मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है?

ऑटिज्म मुख्य रूप से दिमाग के सेरिब्रल कॉर्टिकल (Cerebral Cortical) क्षेत्र को प्रभावित करता है (20) ।

ऑटिज्म के लिए डॉक्टर से परामर्श कब करें?

बच्चे में ऑटिज्म का एक भी लक्षण या कोई अन्य असामान्य व्यवहार दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

क्या ऑटिज्म का इलाज संभव है?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं बनी है, जो ऑटिज्म का इलाज कर सके। हालांकि, डॉक्टर ऑटिज्म से ग्रसित व्यक्ति को ऐसी दवाएं लेने की सलाह देते हैं, जो उन्हें सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकती हैं (15)।

References

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  1. Prevalence of autism spectrum disorders among children (1-10 years of age) – Findings of a mid-term report from Northwest India
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4943381/
  2. Autism Spectrum Disorder
    https://www.nimh.nih.gov/health/topics/autism-spectrum-disorders-asd
  3. Types of Autism Spectrum Disorders
    https://dhss.alaska.gov/dph/wcfh/Pages/autism/spectrum.aspx
  4. Environmental factors influencing the risk of autism
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5377970/
  5. Comprehensive Nutritional and Dietary Intervention for Autism Spectrum Disorder—A Randomized Controlled 12-Month Trial
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5872787/
  6. Supplementation of omega 3 fatty acids may improve hyperactivity, lethargy, and stereotypy in children with autism spectrum disorders: a meta-analysis of randomized controlled trials
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5634395/
  7. Can probiotics benefit children with autism spectrum disorders?
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5155168/
  8. Magnesium profile in autism
    https://link.springer.com/article/10.1385/BTER:109:2:097
  9. Magnesium in diet
    https://medlineplus.gov/ency/article/002423.htm
  10. Omega-3 fats – Good for your heart
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000767.htm
  11. Omega-3 fats – Good for your heart
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000767.htm
  12. The Voice of The Patient
    https://www.fda.gov/media/111099/download
  13. Effectiveness of the gluten-free, casein-free diet for children diagnosed with autism spectrum disorder: based on parental report
    https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22564339/
  14. Learn about gluten-free diets
    https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000813.htm
  15. Treatment and Intervention Services for Autism Spectrum Disorder
    https://www.cdc.gov/ncbddd/autism/treatment.html
  16. ASSOCIATION BETWEEN MATERNAL USE OF FOLIC ACID SUPPLEMENTS AND RISK OF AUTISM IN CHILDREN
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3908544/
  17. Nuchal translucency test
    https://medlineplus.gov/ency/article/007561.htm
  18. Oral Cannabidiol Use in Children With Autism Spectrum Disorder to Treat Related Symptoms and Co-morbidities
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6333745/
  19. Screening and Diagnosis of Autism Spectrum Disorder
    https://www.cdc.gov/ncbddd/autism/screening.html
  20. Characteristics of Brains in Autism Spectrum Disorder: Structure Function and Connectivity across the Lifespan
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4688328/
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