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शिशुओं को हमेशा मुंह में कुछ न कुछ चाहिए होता है, इसलिए कुछ न होने पर वे अपनी उंगली या अंगूठा ही चूसने लगते हैं। ऐसे में उनकी इस तीव्र इच्छा को शांत करने के लिए पेसिफायर (चुसनी) का उपयोग किया जा सकता है। यह बच्चों की स्तनपान करने की इच्छा को शांत करने का काम करता है, जिसके कारण इन्हें आर्टिफिशियल निप्पल भी कहा जाता है। इसका उपयोग कई महिलाएं अपने शिशुओं को शांत करने के लिए करती हैं। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनीसेफ (UNICEF) स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए इसका उपयोग न करने की सलाह देते हैं (1)। आइए, मॉमजंक्शन के इस लेख में जानते हैं कि बेबी पेसिफायर का इस्तेमाल करना कितना सुरक्षित हैं और इससे जुड़े फायदे और नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं।

आइए, सबसे पहले बताते हैं कि बेबी पेसिफायर (चुसनी) का उपयोग कब शुरू किया जा सकता है।

नवजात शिशु के लिए चुसनी का उपयोग कब शुरू कर सकते हैं?

चुसनी का उपयोग शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि बच्चे को स्तनपान की आदत लग चुकी हो। ऐसा अक्सर जन्म ने तीन से चार हफ्ते (एक महीने) में हो जाता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि एक महीने के शिशु के लिए चुसनी का उपयोग करना शुरू किया जा सकता है (2)

यहां हम आपको फिर से याद दिला दें कि कई स्वास्थ संगठनों द्वारा स्तनपान करने वाले शिशुओं के लिए इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उनका मानना है कि इसके कारण शिशु समय से पहले स्तनपान करना छोड़ सकता है। इस कारण इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य कर लें (1)

आगे जानिए कि नींद के दौरान क्या बेबी पेसिफायर (चुसनी) का उपयोग करना सुरक्षित है?

क्या बच्चे को नींद के दौरान चुसनी (पेसिफायर) देना सुरक्षित है?

नींद के लिए और नींद के दौरान शिशु के लिए पेसिफायर का उपयोग करना सुरक्षित है या नहीं, यह भी एक विवादित विषय है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) के एक शोध में यह पाया गया है कि नींद के दौरान पेसिफायर का उपयोग शिशु को नींद के दौरान होने वाली घातक समस्या जैसे ‘सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम’ (Sudden Infant Death Syndrome) से बचा सकता है (3) ‘सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम’ में एक साल से कम उम्र, खासकर एक से चार महीने तक के शिशु की नींद में मृत्यु हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार इसके कारण अभी तक अज्ञात हैं (4)। वहीं, दूसरी ओर विश्व स्वास्थ संगठन और यूनीसेफ इसका उपयोग करने से पूरी तरह बचने की सलाह देते हैं (5)। इन विवादों के चलते मॉमजंक्शन इसका उपयोग करने से पहले शिशु विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह देता है।

आगे जानिए बेबी पेसिफायर का इस्तेमाल करने के फायदे।

बच्चे को चुसनी (पेसिफायर) देने के फायदे

पेसिफायर, शिशु को किसी भी प्रकार का पोषण नहीं देता है, इसलिए इसे नॉन-न्यूट्रिटिव सकिंग (Non Nutritive Sucking) भी कहा जाता है। इस तरह की चुसनी के कई फायदे हो सकते हैं, जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है (6) :

  1. शारीरिक लाभ : नॉन-न्यूट्रिटिव सकिंग शिशु के दिल की धड़कनों को सामान्य रखने और ऑक्सीजन लेने की क्षमता को बढ़ाने (खासकर तनाव से पीड़ित शिशुओं में) में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह बच्चों के दूध पीने की क्षमता को बढ़ाता है और उनकी पाचन क्षमता बेहतर कर सकता है।
  1. व्यावहारिक लाभ : पेसिफायर का उपयोग शिशु में व्यवहारिक गुण देने में सहायता कर सकता है, जैसे धैर्य और सतर्कता के स्तर को बढ़ाना। साथ ही यह शिशु को बेहतर नींद लेने में भी मदद कर सकता है।
  1. मोटर सिस्टम बेहतर करे : नॉन-न्यूट्रिटिव सकिंग शिशु की मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है, जिससे शारीरिक विकास में मदद मिल सकती है।
  1. न्यूरोलॉजिकल लाभ : यह शिशु के टीकाकरण और हील प्रिक (शिशु की एड़ी में इंजेक्शन की मदद से खून का सैंपल लेने की प्रक्रिया) के दौरान पेसिफायर का उपयोग दर्द सहने की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। वहीं, पसिफायर का उपयोग प्रीमच्योर शिशु में सांस लेने की समस्या कम करने में मदद कर सकता है।
  1. सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम : इन सभी फायदों के साथ नींद के दौरान पेसिफायर का उपयोग शिशु को सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (किसी कारणवश एक साल से छोटे बच्चे की नींद में मृत्यु) से भी बचा सकता है। पेसिफायर शिशु को इससे किस तरह बचाता है, इस बारे में फिलहाल कोई शोध उपलब्ध नहीं है।
  1. हवाई यात्रा के दौरान सहायता : शिशु के साथ हवाई यात्रा करने के दौरान चुसनी का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है। इससे उड़ान के दौरान हवा का दबाव कम या ज्यादा होने के कारण शिशु को होने वाली असुविधा से बचाने में मदद मिल सकती है।

चुसनी के फायदे जानने के बाद, आइए आपको बताते हैं कि इसके नुकसान क्या हो सकते हैं।

बच्चे को चुसनी (पेसिफायर) देने के नुकसान

  1. अर्ली वीनिंग : लगभग छह महीने के शिशु ठोस आहार लेना शुरू कर देते हैं। फिर धीरे-धीरे उनकी स्तनपान की आदत को छुड़ाने की कोशिश की जाती है, जिसे ‘वीनिंग’ कहा जाता है (7), (8)। वहीं, चुसनी के लगातार उपयोग से शिशु समय से पहले स्तनपान छोड़ सकता है, जिसके कारण उसे स्तनपान के जरिए मिलने वाले शुरुआती पोषण में कमी आ सकती है (5)
  1. ओटिटिस मीडिया का कारण : ओटिटिस मीडिया कान में होने वाला एक संक्रमण है (9)। माना जाता है कि पेसिफायर, अल्फा-हेमोलिटिक स्ट्रेप्टोकोकी (Alpha-Hemolytic Streptococci) जैसे बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है, जिससे ओटिटिस मीडिया का जोखिम बढ़ सकता है। इस वजह से यह कहा जा सकता है कि पेसिफायर का उपयोग ओटिटिस मीडिया का एक जोखिम कारक हो सकता है (5)
  1. दांतों के लिए नुकसानदायक : माना जाता है कि एक साल से बड़े बच्चे के दांतों के लिए पेसिफायर का उपयोग हानिकारक हो सकता है। शोध में पाया गया है कि इसका अधिक उपयोग बच्चे के दांतों के आकार को बिगाड़ सकता है। दांत टेढ़े-मेढ़े आ सकते हैं। साथ ही बच्चे की चुसनी पर शुगर, कॉर्न सिरप या शहद लगाना दांतों की सड़न का कारण बन सकता है (5)
  1. संक्रमण का खतरा : कुछ मामलों में पाया गया है कि पेसिफायर का उपयोग शिशु में फंगल इन्फेक्शन (कैनडीडा अल्बिकन्स) का खतरा बढ़ा सकता है (5)

लेख के अगले भाग में जानिए कि पेसिफायर का उपयोग करते समय किन बातों को ध्यान रखना जरूरी है।

बच्चे को चुसनी (पेसिफायर) देते समय इन बातों का रखें ध्यान

अपने शिशु के लिए पेसिफायर का उपयोग करते समय इन बातों को ध्यान में रखें (10) :

  • कभी भी चुसनी का उपयोग स्तनपान की जगह न करें।
  • शिशु को वही पेसिफायर दें, जो सिलिकॉन से बना हो। इस तरह के पैसिफायर लैटेक्स की तुलना में सुरक्षित होते हैं (5)
  • बच्चे को हर बात पर चुसनी देने से पहले उसकी समस्या (जैसे भूख, नींद या कोई अन्य शारीरिक समस्या) समझने की कोशिश करें।
  • बच्चे को चुसनी देने से पहले उसे स्टरलाइज (पानी में उबालना) कर लें।
  • बच्चे को पेसिफायर देने से पहले देख लें कि वह कहीं से टूटा या डैमेज न हो।
  • कभी भी किसी रिबन या धागे की मदद से चुसनी को शिशु के गले में न टांगें। आप छोटे रिबन के साथ लगे क्लिप्स का उपयोग कर सकते हैं।
  • कभी भी बोतल के ढक्कन की मदद से चुसनी बनाने की कोशिश न करें। इससे नवजात को घुटन की समस्या हो सकती है।
  • बच्चे को दिनभर की सामान्य गतिविधियां करने के दौरान पेसिफायर चूसने की आदत न डलवाएं। यह बोलने की या दांत आने के विकास में बाधा बन सकती है।
  • ध्यान रखें कि बच्चा चुसनी को न चबाए। यह उसके लिए घातक हो सकता है।

आगे जानिए बच्चे से चुसनी की आदत छुड़वाना कब शुरू करना चाहिए।

शिशु के लिए चुसनी का उपयोग कब बंद करना चाहिए?

यह शिशु पर निर्भर करता है। आमतौर पर, शिशु लगभग दो से चार साल की उम्र के बीच चुसनी का उपयोग करना बंद कर देते हैं (2)। अगर चार साल की उम्र के बाद भी बच्चा पेसिफायर का उपयोग करना बंद न करे, तो आप उनकी आदत छुड़ाने के लिए नीचे बताई टिप्स अपना सकते हैं।

लेख के अगले भाग में जानिए बच्चे की चुसनी की आदत कैसे छुड़वाएं।

अपने बच्चे की चुसनी (पेसिफायर) वाली आदत को कैसे रोकें?

बच्चे की पेसिफायर चूसने की आदत छुड़ाने के लिए नीचे बताए गए उपाय अपना सकते हैं (10) :

  • बच्चे के लिए पेसीफायर का उपयोग करने का समय नियंत्रित करें। उसका उपयोग सिर्फ शिशु को सुलाने के लिए करें।
  • अगर बच्चा चुसनी का उपयोग करना चाहे, तो उसे न डाटें, बल्कि प्यार से समझाने की कोशिश करें।
  • जब भी आप इस बात का निर्णय लें कि बच्चे को चुसनी की आदत छुड़वानी चाहिए, तो उसे निर्णय लेने में शामिल करें। उसके सामने अन्य विकल्प रखें, जैसे – चुसनी फेंकना या टूथ फैरी (परी) के लिए तकिए के नीचे रखना।
  • जिस दिन बच्चा पेसिफायर का उपयोग न करे, उस दिन उसे कोई तोहफा दें। इससे उसका मनोबल बढ़ेगा।
  • अगर पेसिफायर का उपयोग बंद करने के बाद बच्चा रोए, नाराज या उदास हो, तो प्यार से उसका मन बहलाने की कोशिश करें।
  • अगर एक बार चुसनी का उपयोग बंद करने के बाद बच्चा दोबारा उसका उपयोग करने की जिद करे, तो बच्चे की जिद के मनोविज्ञान को समझ कर उसे समझाएं कि वह अब बड़ा हो गया है और अब उसे पेसिफायर की जरूरत नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या स्तनपान कराने वाले बच्चे को चुसनी देनी चाहिए?

विश्व स्वास्थ संगठन और यूनीसेफ जैसी स्वास्थ्य संस्थाएं स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए चुसनी का उपयोग न करने की सलाह देती हैं (1)। वहीं, कुछ शोध का मानना है कि जब बच्चे को स्तनपान की आदत पड़ जाए, तो उसे चुसनी देना शुरू किया जा सकता है (10)। इस कारण इस बारे में अपने शिशु के डॉक्टर से परामर्श करना एक अच्छा विचार होगा।

क्या चुसनी का उपयोग मेरे बच्चे के दांतों को प्रभावित करेगा?  

जी हां, शोध में पाया गया है कि कुछ मामलों में पेसिफायर का उपयोग बच्चे के दांत को नुकसान पहुंचा सकता है (5)

तो दोस्तों, इस लेख के सार में यही कहा जा सकता है कि बेबी पेसीफायर (चुसनी) के फायदे, नुकसान और इसके हर पहलू को ध्यान में रखते हुए, इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। साथ ही इसका उपयोग करते समय लेख में बताई गई बातों को ध्यान में रखने से सहायता मिल सकती है। इसके अलावा, अगर चुसनी के इस्तेमाल की वजह से शिशु को एलर्जी की समस्या होती है, तो इसका उपयोग बंद करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेख से जुड़े किसी भी सवाल या सुझाव के लिए आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हमारे साथ जुड़ सकते हैं। हम आशा करते हैं कि चुसनी का उपयोग आपके शिशु को शांति और आपको सुकून देने में मददगार साबित होगा।

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