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गर्भवती महिला के मन यह सवाल आ सकता है कि उसके गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की। इसके अलावा, यह जिज्ञासा महिला के परिवार वालों में भी देखी जा सकती है। वहीं, इस बात का पता लगाने के लिए कई मान्यताओं का भी चलन है, जिसमें से एक है दिल की धड़कन से लड़का या लड़की का पता लगाना। आइये, मॉमजंक्शन के इस लेख में जान लेते हैं कि आखिर यह मान्यता क्या है। यहां हम तथ्यों के आधार पर बताएंगे कि इस बात में कितनी सचाई है। साथ ही यहां विषय से जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी भी दी जाएगी।
आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होती है।
क्या हार्ट बीट से शिशु के लिंग का पता चल सकता है?
नहीं, हार्ट बीट से शिशु के लिंग का पता नहीं चल सकता है। इस बारे में एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर एक रिसर्च प्रकाशित है, जिसमें बताया गया है कि आमतौर पर कई गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार वालों को गर्भावस्था की पहली तिमाही में भ्रूण के लिंग पता करने की उत्सुकता होती है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि दिल की धड़कन से भ्रूण के लिंग का पता लगाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है।
शोध में जिक्र मिलता है कि पहली तिमाही के दौरान लड़का और लड़की भ्रूण की हृदय गति के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं होता है (1)। इस तथ्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि हार्ट बीट से शिशु के लिंग का पता नहीं लगाया जा सकता है।
अब पढ़ें इस विषय पर वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं।
हार्ट बीट के माध्यम से लिंग का पता : रिसर्च का क्या मानना है।
इस विषय पर कई शोधकर्ताओं ने अध्ययन किए, जिन्हें नीचे क्रमवार बताया गया है (2) :
- गर्भावस्था के अंतिम 8 सप्ताह में कुछ महिलाओं पर किए गए शोध में इस बात की पुष्टि होती है कि लड़का और लड़की भ्रूण की हृदय गति में कोई अंतर नहीं होता है।
- इसके अलावा, 32 सप्ताह की गर्भवती महिलाओं पर भी एक रिसर्च किया गया, जिसमें यह पाया गया है कि अगर भ्रूण का हार्ट बीट 140 बीपीएम है या उससे अधिक है, तो वह लड़की होगी। वहीं, अगर भ्रूण की हृदय गति 140 बीपीएम से कम है, तो वह लड़का हो सकता है। हालांकि, इस पर भी कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता है।
- लेबर के शुरुआती दौर में भी 250 मेल और 250 फिमेल भ्रूण पर किए गए अध्ययन में इस बात की पुष्टि होती है कि भ्रूण की हृदय गति में कोई अंतर नहीं होता है।
- वहीं, प्रसव के एक घंटे पहले भी 890 लड़की और 994 लड़का भ्रूण पर एक शोध किया गया। इसमें यह पाया गया कि लड़की भ्रूण की हृदय गति 150 बीपीएम से अधिक हो सकती है और लड़का भ्रूण की हृदय गति 120 से कम हो सकती है। हालांकि, इसके पीछे और भी कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
- इसके अलावा, 19 से 40 सप्ताह के गर्भकाल के दौरान भी 12 लड़की भ्रूण और 25 लड़का भ्रूण पर एक शोध किया गया। इसमें भी लड़की और लड़का भ्रूण के बीच एफएचआर यानी फेटल हार्ट रेट में कोई अंतर नहीं पाया गया।
- 14 से 41 सप्ताह के बीच एंटी पार्टम (बच्चे के जन्म से पहले) एफएचआर (FHR) टेस्टिंग के माध्यम से भी यह बताया गया है कि गर्भावस्था के दूसरे और तीसरे तिमाही के दौरान लड़का और लड़की भ्रूण के हार्ट रेट में कोई अंतर नहीं होता है।
गर्भ में शिशु के लिंग निर्धारण से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है।
गर्भ में शिशु के लिंग का निर्धारण कब होता है?
एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध शोध के मुताबिक, पहली तिमाही के दौरान गर्भधारण के 11 सप्ताह के बाद सोनोग्राफी यानी अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग का निर्धारण किया जा सकता है। वहीं, इस बात का पता जेनाइटल ट्यूबरकल (genital tubercle – प्रजनन प्रणाली से जुड़ा ऊतक) की दिशा और सगिट्टल साइन (sagittal sign – भ्रूण के लिंग की पहचान बताने वाला एक प्रकार का चिन्ह, जिसे अल्ट्रासाउंड से प्राप्त तस्वीर की मदद से देख सकते हैं) से लगाया जाता है। अगर, ट्यूबरकल नीचे की और होता है, तो उसे लड़की माना जाता है। वहीं, अगर ट्यूबरकल ऊपर की और होता है, तो वह एक लड़का माना जाता है (3)।
नोट : इस बात ध्यान जरूर रखें कि भारत में लिंग की जांच गैरकानूनी है और इसके लिए दंड का भी प्रावधान है (4)।
स्क्रॉल कर जानें क्या लड़के और लड़कियों की हार्ट बीट अलग-अलग होती हैं।
क्या लड़कों और लड़कियों की हार्ट बीट अलग-अलग होती है?
एक सामान्य भ्रूण की हृदय गति 120 से 160 बीपीएम होती है (5)। वहीं, बात की जाए, लड़के और लड़कियों की हार्ट बीट की, तो जैसा कि हमने लेख के शुरुआत में बताया कि एक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि पहली तिमाही के दौरान लड़का और लड़की भ्रूण की हृदय गति में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं होता है (2)। हालांकि, इस विषय पर स्पष्टीकरण के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
अंत में उन जांच के बारे में जानें जिनसे भ्रूण के लिंग का पता चल सकता है।
कौन से टेस्ट से लिंग का पता चलता है?
निम्नलिखित टेस्ट से भ्रूण के लिंग का पता चल सकता हैं। बता दें कि नीचे बताए गए टेस्ट सिर्फ जानकारी के लिए हैं। वहीं, हमने लेख में पहले ही बता दिया है कि भारत में लिंग की जांच गैरकानूनी है, जिसके लिए दंड का प्रावधान है। अब पढ़ें आगे :
- अल्ट्रासाउंड : यह चित्रों के माध्यम से किया जाने वाला एक प्रकार का परीक्षण है, जिसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग करके तस्वीर विकसित की जाती है। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे की उम्र और लिंग के साथ-साथ उसके विकास के बारे में पता लगाया जा सकता है (6)।
- सेल फ्री डीएनए : यह ब्लड टेस्ट के माध्यम से किया जाने वाला एक प्रकार का परीक्षण है। इसके जरिए भी पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की (7)।
- एनोजिनिटल डिस्टेंस : एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में जानकारी मिलती है कि एंड्रोजेनिक डिस्टेंस (गुदा से जननांग के मध्य की दूरी (8)) के जरिए भी शिशु के लिंग का पता लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया को गर्भावस्था की पहली तिमाही में किया जा सकता है (9)। बता दें लड़की भ्रूण की तुलना में लड़के भ्रूण का एंड्रोजेनिक डिस्टेंस ज्यादा होता है (10)।
नोट : प्रेगनेंसी के दौरान लिंग के पूर्वानुमान को उचित नहीं माना जा सकता। मॉमजंक्शन, हमेशा लैंगिक समानता में विश्वास रखता है और लिंग निर्धारण जैसे अनैतिक काम को प्रोत्साहित नहीं करता है। साथ ही ऐसे सवालों से परहेज करता है, जिनमें जन्म पूर्व लिंग जानने के संबंध में पूछा जाता है।
हमारा यह लेख किसी भी तरह से जन्म से पहले शिशु के लिंग निर्धारण का समर्थन नहीं करता है। इसके पीछे का हमारा मुख्य उद्देश्य है कि हम अपने पाठकों को इसके तथ्यों के बारे में बता सके। साथ ही लिंग के निर्धारण से जुड़े लोगों में मन में बैठे सभी मिथ्या और भ्रम को दूर कर सकें। हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। स्वास्थ्य संबंधी अन्य जानकारी के लिए पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Gender-related differences in fetal heart rate during first trimester – By NCBI
2. First trimester fetal heart rate as a predictor of newborn sex* – By NCBI
3. The accuracy of 2D ultrasound prenatal sex determination – By NCBI
4. गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग जांच प्रतिषेध) – अधिनियम 1994 by legislative.gov
5. What is the “normal” fetal heart rate?– By NCBI
6. Ultrasound pregnancy– By Medlineplus
7. Prenatal Cell-Free DNA Screening– By Medlineplus
8. Anogenital Distance – By ScienceDirect
9. An appropriate way to predict fetal gender at first trimester: anogenital distance – By NCBI
10. The Relationship between Anogenital Distance, Fatherhood, and Fertility in Adult Men – By NCBI
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