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बच्चे का पहली बार चलना सीखने से लेकर, उसका पहली बार बोलना हर पेरेंट्स के लिए सबसे यादगार व आनंद भरा पल होता है। पेरेंट्स की यह खुशी तब दोगुनी हो जाती है, जब बेबी क्लैपिंग करता है। ऐसे कई पेरेंट्स भी हैं, जो बेसब्री से अपने शिशु के ताली बजाने का इंतजार करते हैं। यही खास वजह है कि मॉमजंक्शन ‘शिशु कब ताली बजाना शुरू करते हैं’, इसकी जानकारी लेकर आया है। साथ ही छोटे बच्चे को ताली बजाना कैसे सिखाएं, इसके बारे में भी बताया गया है।

शिशु कब ताली बजाना शुरू करते हैं, इसी सवाल के जवाब साथ लेख पढ़ना शुरू करें।

छोटे बच्चे कब ताली बजाना शुरू करते हैं?

आमतौर पर शिशु आठ माह का होने पर ताली बजाना शुरू कर सकता है। मगर कुछ बच्चे थोड़ी देरी से भी ऐसा करना शुरू करते हैं (1)। जी हां, कुछ बच्चे 12 माह की उम्र का होने पर  पहली बार ताली बजाते हैं, जो पूरी तरह से सामान्य है (2)। सीडीसी (सेंटर्स फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) की जानकारी के अनुसार, बच्चे 6 से 9 माह के बीच की उम्र में तरह-तरह की शारीरिक गतिविधियां शुरू कर देते हैं (3)।

इस दौरान शिशु चीजों को हाथों में पकड़ने के साथ ही सहारे या बिना किसी सहारे के खड़े होने जैसी गतिविधियां भी शुरू कर देते हैं (3)। इसी वजह से अगर बच्चा जन्म के शुरुआती साल में ताली न बजाए, तो इसे लेकर घबराएं नहीं। वह बढ़ती उम्र में धीरे-धीरे ताली बजाने का कौशल विकसित कर सकता है।

बेबी क्लैपिंग क्यों करते हैं, अब यह समझिए।

शिशु ताली क्यों बजाते हैं?

शिशु के ताली बजाने के पीछे कई वजह शामिल हैं। इनमें उसका सामान्य शारीरिक, सामाजिक, मानसिक व भावनात्मक विकास भी छिपा है। यहां हम ऐसी ही कुछ वजह बता रहें, जिसके चलते शिशु ताली बजाते हैं।

1. मोटर स्किल्स का विकास

अक्सर आठ महीने के होने पर शिशु में शारीरिक व मानसिक विकास से जुड़ी गतिविधियां नजर आने लगते हैं। इन्हीं का एक अहम हिस्सा है मोटर स्किल्स यानी शिशु का अपने हाथों, उंगलियों, बाजुओं, पैरों या फिर शरीर के किसी भी हिस्से के इस्तेमाल से कोई हलचल करना। उदाहरण के तौर पर, बच्चे का खड़े होने की कोशिश करना, बैठे-बैठे कूदना आदि (4)। ऐसे में शिशु का ताली बजाना उसके शुरुआती मोटर स्किल्स का एक लक्षण हो सकता है।

2. जीत पर उत्साहित होना

उत्साहित होने पर भी शिशु ताली बजा सकता है। दरअसल, बच्चा जब भी कुछ नया सीखता है या कोशिश करता है, तो पेरेंट्स अक्सर उसे प्रोत्साहित करने के लिए ताली बजाते हैं। ऐसे में जब भी बच्चा खुद से कोई नई गतिविधी करता है, जैसे खड़ा होना, कोई वस्तु या खिलौना हाथ में पकड़ना या कुछ नया अनुभव करना, तो वह भी खुद के इस उत्साह को दिखाने के लिए ताली बजा सकता है (5)।

3. नया जानने व करने का प्रयास

शिशु के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक विकास के चरण उसे बहुत कुछ नया सिखाते हैं (6)। ऐसे में जब बच्चा शुरू-शुरू में ताली बजाना शुरू करता है, तो वह ताली बजाने के बाद होने वाले परिणाम को जानने के लिए भी बार-बार ताली बजा सकता है। वह ताली बजाने के प्रयास में यह भी जानने की कोशिश कर सकता है कि दोनों हाथों के मिलने पर क्या होगा या दोनों हाथ आपस में कैसे मिलाते हैं, आदि।

4. बातचीत का प्रयास करना

अक्सर साल भर के अंदर छोटे बच्चे बातचीत करने की कोशिश शुरू कर देते हैं। वे लोगों के साथ ही खिलौने देखकर भी मुस्कुरा सकते हैं, खुद में ही कुछ बड़बड़ा सकते हैं या सामने वाले व्यक्ति से बातचीत करने का प्रयास भी कर सकते हैं। इस बातचीत में ताली बजाने का भी प्रयास कर सकते हैं। साथ ही बाय-बाय बोलने पर उसकी नकल भी उतारने की कोशिश कर सकते हैं (7)।

5. विजन स्किल्स को आजमाना और सामने वाले की नकल उतारना

एक साल का होने पर बच्चा अपने आस-पास की चीजों को गौर से देखना शुरू कर देता है। वह उन तक पहुंचने, उन्हें छूने, महसूस करने और नया सीखने की धुन में लग जाता है (8)। वहीं, जब बच्चा खुद को या सामने किसी को ताली बजाते हुए देखता है, तो वह भी उसे आजमना शुरू कर सकता है (5)। साथ ही बच्चे के लिए ताली बजाना एक नई कला भी हो सकती है। ऐसे में बच्चा खुद के हाथों से ताली बजते हुए देखने के लिए भी ताली बजा सकता है।

शिशु को ताली बजाने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें, इसके लिए कुछ टिप्स नीचे पढ़ें।

छोटे बच्चों को ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रभावी तरीके | shishu ko tali bajana kaise shikhaye

छोटे बच्चे अक्सर सामने हो रही चीजों को सीखने, समझने व उसकी नकल का प्रयास करते हैं। इसी का फायदा पेरेंट्स उठा सकते हैं। अपने बच्चे को वे ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बच्चे के सामने ताली बजाने वाले खेल या अन्य तरह की गतिविधियां करनी होंगी। इसके लिए निम्नलिखित गतिविधियों को आजमा सकते हैं।

1. ताली बजाने वाले खेल खेलें

बच्चे के साथ कुछ तरह के खेल खेलने से भी उसका शारीरिक, व्यवहारिक व मोटर कौशल बढ़ सकता है (5)। यहां छोटे बच्चों के साथ खेले जाने वाले ऐसे ही कुछ खेलों के नाम बताए गए हैं।

  • केक बनाओ या पैट-ए-केक – यह एक तरह का गाना है, जिसे गाते हुए हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता है और केक बनाने की नकल करनी पड़ती है। इस दौरान हर लाइन के पूरी होने पर पेरेंट्स को ताली बजानी होती है और इस दौरान वे बच्चे को भी ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

2. अन्य गतिविधियों में ताली बजाएं

जब भी बच्चे के साथ बातचीत करें, तो हंसते हुए ताली बजा कर बात करने का प्रयास करें। ऐसा करने से ताली की आवाज सुनकर न सिर्फ बच्चे का पूरा ध्यान मिलेगा, बल्कि बच्चा भी आसानी से ताली बजाना सीख सकता है।

3. बच्चे को ताली बजाना सिखाएं

अगर बच्चा बहुत कम ताली बजाता है या वह ताली बजाने में दिलचस्पी नहीं दिखाता है, तो पेरेंट्स खुद से भी बच्चे को ताली बजाना सिखा सकते हैं। इसके लिए बच्चे के हाथों को पहले अपने हाथों में लें और धीरे-धीरे उन्हें ताली बजाना सिखाएं। जब ताली बजाने के लिए दोनों हाथ आपस में मिलें, तो ऐसा करने के लिए हंसते व पुचकारते हुए बच्चे की सराहना भी करें।

4. हंसते हुए बजाएं ताली

बच्चे के सामने हमेशा हंसते हुए ताली बजाएं। ऐसा करने से बच्चे पर ताली बजाने का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और नकल करने की कोशिश में बच्चा भी हंसते हुए ताली बजाने का प्रयास कर सकता है।

5. अलग-अलग गति से बजाएं ताली

जैसा लेख में बता चुके हैं कि शिशु का शुरुआती विकास का चरण उसे बहुत कुछ नया सीखने के प्रति प्रेरित करता है। ऐसे में जब बच्चा एक तरह से ताली बजाना सीख जाए, तो उसे अलग-अलग गति व तरीकों से भी ताली बजाना सिखाएं। इस दौरान बच्चे कुछ नया सीखने की ललक में इसकी भी तेजी से नकल कर सकता है।

6. बच्चे को हाई फाइव दें

बच्चे को ताली बजाने के लिए कई अलग-अलग अर्थ सिखाएं, जिसमें हाई फाइव देना भी एक तरीका हो सकता है। जब भी बच्चा अपना आहार पूरा खा ले या पेरेंट्स के किसी इशारों को समझने का प्रयास करे, तो उसे प्रोत्साहित करने के लिए हाई फाइव भी जरूर दें। ऐसे करने से बच्चे को ताली बजाने का आनंद भी मिलेगा और वह ताली बजाने के अलग-अलग अर्थ भी समझ सकता है।

7. ताली बजा कर तारीफ करें

जब भी बच्चा कुछ नए प्रयास करे या उस प्रयास में सफल हो जाए, तो इन छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना करने के लिए ताली जरूर बजाएं। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे से कोई सवाल पूछा जाए और वह उसका सही जवाब दे, वह खुद से बिना सहारे के खड़े हो जाता है या वह स्वयं ही अपने हाथों से अपना भोजन करने लग जाए, तो उसे इस काम की सराहना करने के लिए ताली बजाएं।

8. सही समय पर ताली बजाना सिखाएं

जब किसी के जन्मदिन का अवसर है या ऐसा ही कोई अन्य खुशी का अवसर है, जहां पर खुशी जताने के लिए ताली बजाना चाहिए, ऐसे मौकों पर बच्चे को ताली बजा कर दिखाएं और बच्चे को ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित भी करें। पेरेंट्स के ऐसा करने पर बच्चा ताली बजाने का सही व अच्छा समय जल्दी ही सीख सकता है।

9. गाते-नाचते समय ताली बजाएं

बच्चों को हंसाने, खुश करने या उनके साथ खेलने के लिए भी पेरेंट्स अक्सर गाना गाते या डांस भी करके उन्हे दिखाते हैं। इस दौरान पेरेंट्स इस तरह की गतिविधियों में ताली बजाना भी शामिल कर सकते हैं। इस तरह बच्चा भी खुद को जल्द ही ताली बजाने के लिए आकर्षित कर सकता है।

10. बच्चे के साथ बजाएं ताली

जब भी बच्चा खुश होकर या अपनी तरफ ध्यान आकर्षित कराने के लिए ताली बजाए, तो पेरेंट्स भी उसकी तरफ अपना ध्यान देते हुए ताली बजा सकते हैं। ऐसा करने से बच्चा यह समझ सकता है कि ताली बजाने से उसका वह काम सफल हो गया है और अगली बार इस तरह की अन्य गतिविधियों में वह खुद ही ताली बजाने की आदत पर जोर दे सकता है।

शिशु ताली नहीं बजाता है, तो यह भाग जरूर पढ़ें।

बेबी क्लैपिंग नहीं कर पा रहा तो क्या घबराने की बात है?

हर बच्चे का विकासात्मक चरण अलग-अलग उम्र में हो सकता है। ऐसे में कुछ बच्चे जहां चीजों को जल्दी सीख जाते हैं, वहीं कुछ बच्चों को उसे सीखने में थोड़ा समय भी लग सकता है। अगर बच्चा ताली नहीं बजा पा रहा है, तो घबराएं नहीं। वह धीरे-धीरे 12 माह का होने पर ताली बजाना शुरू कर सकता है (2)। हां, ताली न बजाने के साथ बच्चे में निम्नलिखित लक्षण हैं, तो इस बारे में बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें।

  • ताली बजने की आवाज सुनकर बच्चे की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न आना।
  • 1 साल का होने के बाद भी शिशु का ताली न बजाना।
  • बच्चा ताली के साथ ही अन्य तरह की नकल भी न करता हो।
  • इशारों को समझने की तरफ बच्चे का ध्यान न जाना।
  • शारीरिक रूप से बच्चे का किसी भी तरह की एक्टिविटी न करना।

तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि शिशु का ताली बजाना उसके सही विकासात्मक चरण का एक अहम हिस्सा है। साथ ही ताली बजाने के कुछ खास फायदे भी हैं, जिसमें हृदय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ना, मस्तिष्क कार्य बेहतर होना, लिखने व ध्यान लगाने की क्षमता में सुधार होना, आदि शामिल हैं (9)। ऐसे में अपने बच्चे को ताली बजाने के लिए जरूर प्रोत्साहित करें, जिसमें हमारे द्वारा बताए गए टिप्स की भी मदद ले सकते हैं।

References

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