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शिशु के छह माह से ज्यादा होते ही, हर माता-पिता का चिंता होती है कि उसे सॉलिड फूड में क्या दिया जाए। साथ ही उनका यह सोचना भी जायज है कि उसे जो भी दिया जाए, वो पौष्टिकता से भरपूर होना चाहिए। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम पोषक तत्वों से भरपूर ऐसे ही एक खाद्य पदार्थ के बारे में बात करेंगे। इसे आम भाषा में मक्का, मकई या कॉर्न कहा जाता है। यहां आप जानेंगे कि इसे शिशु के आहार में शामिल करना चाहिए या नहीं। साथ ही लेख के अंत में हम मकई की कुछ स्वादिष्ट रेसिपी भी बताएंगे।
आइए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि बच्चों के लिए कॉर्न का सेवन सुरक्षित है या नहीं।
क्या मकई बच्चों के लिए सुरक्षित है?
बच्चों के लिए मकई सुरक्षित है या नहीं ये बच्चों की उम्र और उनके खिलाए जाने के तरीके पर निर्भर कर सकता है। वहीं, बच्चे के आहार में अगर मकई शामिल करना चाहते हैं, तो 6 माह से बड़े बच्चे के आहार में पका हुआ मक्का शामिल किया जा सकता है, लेकिन इसे पीसकर ही देना चाहिए (1)। एक अन्य रिसर्च में बताया गया है कि बच्चों के आहार में दूध के अलावा मकई को शामिल कर सकते हैं। इससे बच्चे की दूध पर निर्भरता कम हो सकती है। इसी शोध के मुताबिक, मकई में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जो बच्चों के लिए बेहतरीन आहार माना जा सकता है, लेकिन इसमें अन्य पोषक तत्वों की कमी होती है (2)।
ध्यान रहे, बच्चों के आहार में मकई की सीमित मात्रा ही शामिल करें, क्योंकि कुछ शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि मकई बच्चों में फ्यूमोनिसिन (fumonisin) नामक विषाक्त बीमारी का कारण बन सकती है (3)।
आगे आप जानेंगे कि छोटे बच्चों को मकई खिलाने का सही समय क्या है।
बच्चे के आहार में मकई कब और कैसे शामिल करें?
एक शोध के मुताबिक नवजात शिशुओं के छह महीने का होने तक सिर्फ स्तनपान ही कराना चाहिए(4)। छह महीने के बाद उन्हें सॉलिड फूड के सेवन की सलाह दी जाती है, जिसमें मकई भी शामिल है (1)। वहीं, अगर मकई का सेवन कराने के दौरान बच्चे को मकई से एलर्जी हो या अपच हो जाए, तो इसका सेवन फौरन रोक दें और डॉक्टर से सलाह लें। इसलिए, ऐसा माना जाता है कि एक वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को मकई देना फायदेमंद होता है।
- यहां हम शिशु को मकई खिलाने के कुछ तरीके बता रहे हैं-
- मकई की प्यूरी बनाकर बच्चों को खिला सकते हैं।
- अगर बच्चा दो साल या उससे थोड़ा बड़ा है, तो उसे मक्के के दाने उबालकर दे सकते हैं, लेकिन इसका ध्यान रखें कि शिशु मकई के दाने चबा पा रहा है या नहीं।
- मकई के दानों को मैश करके भी शिशु को खिला सकते हैं।
नोट: अगर शिशु को पोषक तत्वों से युक्त सॉलिड खाद्य पदार्थ देने की बात हो, तो डॉक्टर मकई की जगह अन्य चीजें देने की सलाह देते हैं। सिर्फ मकई का छोटा-सा भाग डाइट में शामिल करने की बात कहते हैं।
आर्टिकल में आगे जानिए कि किन गुणों के चलते मकई का सेवन किया जाता है।
मकई के पोषक तत्व
यहां हम प्रति 100 ग्राम मकई के पोषक तत्व और उनकी मात्रा के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं(5)।
- प्रति 100 ग्राम मकई में 76 ग्राम पानी, 3.27 ग्राम प्रोटीन, 86 कैलोरी, 18.7 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 6.85 ग्राम शुगर (NLEA), 2.0 ग्राम फाइबर (टोटल डायटरी) व 3.43 ग्राम ग्लूकोज मौजूद होता है।
- वहीं मिनरल की बात करें, तो 100 ग्राम मकई में 2 मिलीग्राम कैल्शियम, 37 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 0.52 मिलीग्राम आयरन, 89 मिलीग्राम फास्फोरस, 15 मिलीग्राम सोडियम, 270 मिलीग्राम पोटेशियम, 0.054 मिलीग्राम कॉपर, 0.46 मिलीग्राम जिंक और 0.6 माइक्रोग्राम सिलेनियम होता है।
- इसके अलावा 100 ग्राम मकई में विटामिन भी होते हैं, जिनमें 6.8 मिलीग्राम विटामिन-सी, 9 माइक्रोग्राम विटामिन-ए, 0.07 मिलीग्राम विटामिन-ई, 187 आईयू विटामिन-ए, 0.3 माइक्रोग्राम विटामिन-के और 0.093 मिलीग्राम विटामिन-बी6 शामिल है।
- इसके साथ ही, मकई की प्रति 100 ग्राम मात्रा में 42 माइक्रोग्राम फोलेट, 0.325 ग्राम फैटी एसिड (सैचुरेटेड), 0.432 ग्राम फैटी एसिड (मोनोअनसैचुरेटेड) और 0.487 ग्राम फैटी एसिड (पॉलीअनसैचुरेटेड) भी पाए जाते हैं।
क्या आप जानना चाहेंगे कि मकई किसी लिहाज से बच्चों के लिए फायदेमंद है, तो पढ़ें लेख का अगला भाग।
शिशु को मक्का खिलाने के फायदे
यहां हम शिशु को मक्का खिलाने के फायदों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:
- वजन बढ़ना : ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मकई सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों में से एक है। जिन बच्चों का वजन कम होता है, उनके आहार में कैलोरी की मात्रा बढ़ाने के लिए मकई का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक शोद्य के अनुसार, मकई में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में पाए जाते हैं (6), जो शिशु का वजन बढ़ाने में कारगर हो सकते हैं।
- आंखों की रोशनी : आंखों और त्वचा के लिए मकई फायदेमंद हो सकती है। इस बात की जानकारी एनसीबी (National Center For Biotechnology Information) की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च पेपर से मिलती है। शोध के मुताबिक, पीले मकई के दानों में कैरोटीनोइड नामक पदार्थ मौजूद होता है, जो आंखों की रोशनी के लिए लाभकारी हो सकता है(7)।
- मजबूत मांसपेशियां : फास्फोरस हड्डियों को मजबूत करने में मददगार होता है, जो मकई में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यही नहीं मकई में पाया जाने वाला मैग्नीशियम मांसपेशियों एवं तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- पाचन में सुधार : अगर बच्चे को पाचन या कब्ज की शिकायत है, तो मकई उसके लिए फायदेमंद साबिक हो सकती है। इसमें फाइबर होता है, जो कब्ज से राहत दिला सकता है। इसलिए, बच्चों को मकई के आटे से बनी चीज खिलाने से लाभ हो सकता है(8)।
- स्वस्थ रक्त कोशिकाएं : मकई में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचा सकता है। साथ ही ये शरीर में टिश्यू और डीएनए क्षति को रोकने में भी मददगार हो सकता है।
- शरीर की वृद्धि और विकास: मकई में कई प्रकार के मिनरल और विटामिन होते हैं, जो शिशु के विकास में सहायक होते हैं। खासकर, इसमें बी कॉम्प्लेक्स होता है, जिसके स्वास्थ्य लाभ निम्न प्रकार के हो सकते हैं:
- यह तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के विकास में सहायता कर सकता है।
- यह शर्करा, प्रोटीन और फैटी एसिड के चयापचय में सुधार कर सकता है।
- साथ ही नई कोशिका के विकास में मदद कर सकता है।
बच्चों और मकई खिलाने से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप अंत तक इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
शिशु को मक्का खिलाने के नुकसान
जहां एक ओर मक्के के ढेरों फायदे हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है(3)।
- लेख में बताया गया है कि मकई में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है (5)। इसके कारण मकई को अधिक मात्रा में खिलाने से शिशुओं को पेट में दर्द, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्या हो सकती है(9)।
- कॉर्न का ज्यादा सेवन शरीर में पेलाग्रा (विटामिन-बी3 की कमी) को पैदा कर सकता है। इसके कारण शिशु को दस्त और त्वचा रोग हो सकते हैं (10)।
- मकई में ग्लूटेन भी पाया जाता है, जो शिशु की त्वचा में एलर्जी का कारण बन सकता है(11)।
- मक्का आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले शिशुओं में फ्यूमोनिसिन (fumonisin) नामक विषाक्त बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है (3)।
लेख में जाने मकई को लेते वक्त किन बातों का ध्यान रखें।
मकई कैसे चुनें और इसे स्टोर कैसे करें?
जब आप ये जान लें कि आपके बच्चों के लिए कॉर्न के सेवन से किसी तरह की कोई एलर्जी नहीं है तो इसे आप बाजार से खरीद सकते हैं। नीचे आपको बाजार से अच्छी मकई चुनने के लिए कुछ टिप्स बताए गए हैं।
- हमेशा ताजी मकई ही खरीदें, क्योंकि ताजा मकई खाने में लाभकारी होती है।
- मक्का लेते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उनके दाने मोटे और चमकदार हों। साथ ही दानों को दबाकर देखें, ताजी मकई के दाने कठोर होते हैं।
- उस मकई का चयन करें, जिसका छिलका निकला हुआ न हो। सूखा छिलका बासी मक्का होने का संकेत देता है।
- मकई के ऊपरी हिस्से पर भूरे रंग के रेशे चमकदार और चिपचिपे होने चाहिए।
- ताजी मकई का सेवन पहले तीन दिन के भीतर ही कर लें।
- मकई को गर्मी व सूरज की रोशनी से बचाकर रखना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला शर्करा सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से स्टार्च में बदल सकता है।
- आप मकई के दानों को एयरटाइट डिब्बे में बंद करके फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं।
- ऑर्गेनिक मकई खरीदते वक्त मकई के पैकेट पर लिखे गए निर्देशों को ध्यान से पढ़ें।
नीचे हम लेख में बच्चों के आहार में मकई को शामिल करने के लिए कुछ पौष्टिक रेसिपी बताने जा रहे हैं।
बच्चों के लिए स्वादिष्ट मकई रेसिपीज
छोटे बच्चों के लिए मकई का सेवन कितना फायदेमंद है, ये ऊपर लेख में बताया गया है। लेख के इस आखिरी भाग में बच्चों के लिए स्वीट कॉर्न से बनी कुछ रेसिपी के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे आप आसानी से अपने शिशु के आहार में शामिल कर सकते हैं।
1. कद्दू और मकई के आटे का दलिया
सामग्री:
- 1 कप पानी
- 1 कप दूध
- 1 कप कद्दू की प्यूरी
- पीली मकई का आटा
- 1 बड़ा चम्मच ब्राउन शुगर
- 1/2 छोटा चम्मच पीसा हुआ अदरक (वैकल्पिक)
- नमक
बनाने की विधि :
- बर्तन में कद्दू, दूध और पानी को एक साथ मिला लें।
- इसके बाद दूसरे बर्तन में मकई के आटे को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को अच्छे से फेट लें, ताकि गांठे न रह जाएं।
- इसके बाद पैन में मकई के आटे का मिश्रण कद्दू, दूध व पानी के साथ मिलाकर गर्म करें। इसके बाद शक्कर मिलाएं और गाढ़ा होने तक हिलाते रहें।
- अब इस पेस्ट में नमक और अदरक मिला दें।
- गैस में इसे 3-5 मिनट तक पकने के लिए छोड़ दें।
- समय पूरा होने के बाद इसे हल्का गुनगुना हो जाने के बाद शिशु को खिलाएं।
2. गाजर, आलू व स्वीट कॉर्न प्यूरी
सामग्री :
- 1 आलू
- 1 गाजर
- 1 बड़ा चम्मच मटर के दाने
- 2 बड़े चम्मच स्वीट कॉर्न के दाने
- 1 छोटा चम्मच जैतून का तेल
- 4 बड़े चम्मच पानी
बनाने की विधि :
- पैन में तेल को गर्म करें।
- फिर उसमें बारीक कटी हुई गाजर डालें।
- गाजर नर्म होने के बाद उसमें आलू, मटर व स्वीट कॉर्न के दाने डाल दें और फिर पानी मिलाएं।
- इस मिश्रण को प्यूरी बनाने के लिए कुछ देर तक उबालें और फिर धीमी आंच पर 15 मिनट तक पकाएं।
3. मकई के पकोड़े
सामग्री :
- आवश्यकतानुसार वनस्पति तेल
- 3 बड़े चम्मच दूध
- 3 छोटे चम्मच सॉस
- 1 कप स्वीट कॉर्न
- 1 कप मैदा
बनाने की विधि :
- मैदा और दूध को एक साथ मिलाकर मिश्रण बना लें।
- इसके बाद स्वीट कॉर्न और सॉस को एक साथ मिला लें।
- थोड़ा-सा वनस्पति तेल पैन में डालकर गर्म करें और फिर थोड़ा-थोड़ा करके उसमें मिश्रण डालें।
- पकाते वक्त उन्हें हल्के से दबाएं और तलें।
लेख के माध्यम से बच्चों के आहार में मकई का सेवन कब और कैसे करवाना चाहिए, इसकी विस्तार से जानकारी दी गई है। ध्यान रहे, बच्चों के आहार में मकई के अधिक सेवन के भी नुकसान हैं। इसलिए, इसका सेवन हमेशा बच्चों को सीमित मात्रा में ही करवाना चाहिए। वहीं, अगर इसके सेवन से बच्चे को किसी भी तरह की कोई एलर्जी या समस्या होती है, तो बिना देर किए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में बताए गए मकई के फायदे और नुकसान के बारे में आप अच्छे से जान गए होंगे। अगर आपको ये लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों और करीबियों के साथ जरूर शेयर करें।
References
1. Feeding Your Baby the First 12 Months
2. Formulation of Weaning Food from Fermented Maize, Rice, Soybean and Fishmeal
3. Fumonisin exposure through maize in complementary foods is inversely associated
4. with linear growth of infants in Tanzania
5. How Much and How Often to Breastfeed
6. FoodData Central Search Results
7. Quality-protein maize with a high fat content as a weaning food
8. What is vitamin A and why do we need it?
9. Diets for Constipation
10. Fiber
11. The relationship of pellagra to corn and the low availability of niacin in cereals
12. Food allergy and intolerance
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