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बच्चों को खाना खिलाने में सभी पेरेंट्स के पसीने छूट जाते हैं। जैसे-जैसे वो ठोस खाद्य के सेवन की तरफ बढ़ते हैं, खाने को लेकर उनके नखरे भी उतने ही बढ़ने लगते हैं। ऐसे में कई बार माता-पिता जबरदस्ती ही शिशु को खिलाना शुरू कर देते हैं। इस तरह कई बार शिशु प्लेट का खाना खा तो लेता है, लेकिन इससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता, कभी आपने इस बारे में सोचा है? बस तो इसी विषय से जुड़ी विस्तृत जानकारी मॉमजंक्शन के इस लेख में आप पढ़ेंगे।
सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर पेरेंट्स अपने शिशु को जबरदस्ती क्यों खिलाते हैं।
माता-पिता शिशु को जबरदस्ती खाना खिलाने का प्रयास क्यों करते हैं?
शिशु को पूरा पोषण मिले और वो स्वस्थ रहें, ये सोचकर अधिकतर माता-पिता शिशु को जबरदस्ती खाने खिलाते हैं। मगर इस बात का ध्यान रखें कि छोटे बच्चे को जबरन खाना खिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। हां, उसे आप खाना खाने के लिए प्रेरित जरूर कर सकते हैं, लेकिन उसके साथ किसी तरह की जबरदस्ती न करें (1)। फिर भी कई बार पेरेंट्स छोटे बच्चे को जबरन खाना खिलाने का प्रयास करते हैं। क्या हैं वो परिस्थितियां और कारण नीचे विस्तार से जानिए।
1. शुरुआती आहार
छह माह के बाद शिशु को हल्के-फुल्के ठोस आहार दिए जाते हैं (1)। ऐसे में मां के दूध के साथ शिशु को सॉलिड फूड खिलाते समय बच्चे का पेट जल्दी भर जाता है, तो वह अधिक खाने से मना कर सकता है। ऐसे में कई पेरेंट्स को लगता है की उनका शिशु ठीक से नहीं खा रहा है और पर्याप्त पोषण नहीं ले रहा है, इसलिए जबरन बच्चे को अधिक खाना खिलाने का प्रयास कर सकते हैं।
2. पेरेंट्स का चिंता करना
बच्चे ने भर पेट खाना खाया या नहीं, इस बात की चिंता करना पेरेंट्स का लाजमी है। इसी वजह से कई बार माता-पिता को लग सकता है कि उनके बच्चे ने भरपेट खाना नहीं खाया। पेरेंट्स का मानना होता है कि बच्चा छोटा है और अपनी भूख के बारे में ठीक से बता नहीं पाता है। इस वजह से पेरेंट्स कई बार बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने का प्रयास कर सकते हैं।
3. बच्चे को खिलाना
कुछ पेरेंट्स बच्चे के साथ बैठकर खाना खाते व उसे अपने हाथों से खिलाते हैं। ऐसे में कई बार पेरेंट्स को यह ध्यान नहीं रहता है कि उन्होंने अभी तक बच्चे को कितनी मात्रा में खाना खिला दिया है। इसी वजह से उन्हें लगता है कि बच्चे को और खाना चाहिए। इसी सोच के साथ वो बच्चे को लगातर जबरन खाना खिलाते रहते हैं।
4. प्लेट का सारा खाना खत्म कराना
हममें से अधिकतर ऐसे लोग हैं, जिन्हें अपनी थाली का सारा खाना खत्म करने की आदत होती है। एक तरह से इसे खाने की अच्छी आदत भी माना जाता है, क्योंकि हम अन्न की पूजा करते हैं और उसे बर्बाद करना अच्छा नहीं मानते। इसी वजह से कई बार पेरेंट्स बच्चे को थाली में परोसा गया सारा खाना जबरन खत्म करने के लिए कहते हैं या जबतक वो खत्म न हो जाए, उसे खिलाते ही रहते हैं।
5. अच्छी आदत सिखाने के चक्कर में
अगर खाना हेल्दी है, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे जबरदस्ती बच्चे को खिलाया जाए। माता-पिता अक्सर ये सोचते हैं कि बच्चे में खाने की अच्छी आदत डालने और बच्चे को हेल्दी फूड खिलाने के लिए उसे हर तरह का खाना खिलाना होगा। इसी चक्कर में वो बच्चे को हेल्दी, लेकिन उनकी नापसंदीदा चीज जबरदस्ती खिलाने की कोशिश करने लगते हैं।
6. बच्चे की जरूरत न समझना
अगर बच्चा बहुत छोटी उम्र का है और उसने अभी तक बोलना शुरू नहीं किया है, तो खाने से जुड़ी उसकी जरूरत व इशारों को समझने में पेरेंट्स गलती कर सकते हैं। वो इस बात को समझ नहीं पाते कि उनके बच्चे का पेट भर गया है या नहीं। ऐसे में वो अपनी तरफ से बच्चे को भरपेट खाना खिलाने के चक्कर में उसे जबरदस्ती भी खाना खिला सकते हैं।
7. नया कुछ खिलाने की उत्सुकता
शिशु की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, माता-पिता उसे नए-नए खाद्यों से परचित कराने लगते हैं। ऐसे में वह एक बार में या दिनभर में बच्चे को कुल कितनी मात्रा में खाना खिलाना चाहिए, यह भूल जाते हैं। बच्चे को नए-नए खाद्यों से परचित कराने के चक्कर में वो फोर्स करते हुए बच्चे को अधिक खाना खिला सकते हैं।
8. बच्चे की तुलना करना
खाने व स्वाद के मामले में हर व्यक्ति की अपनी-अपनी पसंद होती है, जो छोटे बच्चों पर भी लागू होती है। ऐसे में अगर उस बच्चे का हमउम्र सब्जियां खाना पसंद करता है और उनका बच्चा नहीं, तो वह भी उस दूसरे बच्चे से अपने बच्चे की तुलना करते हुए उसे जबरन खाना खाने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
9. खाना देखकर मुंह सिकोड़ना
कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें हेल्दी खाने की जगह नमकीन, बिस्कुट, चिप्स, बरगर, पिज्जा ये सब खाना अच्छा लगता है। छोटे में ही बच्चे के मुंह में इन सबका स्वाद लग जाए, तो वो घर के पौष्टिक खाने को देखकर नखरे करने लगता है। बच्चे की इसी आदात से परेशान होकर माता-पिता उसे घर का खाना खिलाने की आदत डालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कई बार वो बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाते हैं।
अब जानते हैं कि छोटे बच्चे को जबरदस्ती खिलाने के प्रभाव क्या हो सकते हैं।
छोटे बच्चे को जबरन खाना खिलाना से क्या प्रभाव पड़ता है?
यह सभी जानते हैं कि शिशु व बच्चे के अच्छे व उचित विकास के लिए पोषक खाद्य सबसे अहम होते हैं। यही वजह है कि पेरेंट्स बच्चे को जाने-अंजाने में जबरदस्ती खाना खिलाने की भूल कर सकते हैं। कई बार बच्चों को इससे कुछ परेशानियां हो सकती हैं और उसपर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इनके बारे में नीचे विस्तार से पढ़िए।
- जबरन खाना खिलाने से बच्चा खाने को सही से चबाकर खाने के बजाय निगलने का प्रयास कर सकता है। इससे खाना उसके गले में फंस सकता है, जिससे बच्चे में चोकिंग का जोखिम हो सकता है (2)।
- बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने की कोशिश करने से उसे निमोनिया होने का खतरा भी हो सकता है (3)।
- जबरन अधिक खाना खिलाने से बच्चे को खाना खाने के दौरान या बाद में उल्टी, मतली व अपच जैसी समस्या भी हो सकती है।
- अगर बच्चे को जबरन कोई सब्जी या खाद्य खिलाया जाए, तो उसे उस भोजन से नफरत हो सकती है।
- स्वाद और पकवान को लेकर हर बच्चे की पसंद अलग होती है। कई बार अगर बच्चे को ऐसा खाना दिया जाए, जो उसे नापसंद हो और उसे खिलाने के लिए पेरेंट्स जबरदस्ती कर रहे हों, तो इसकी वजह से बच्चे की भूख भी मर सकती है।
- इस तरह बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने से बच्चे के मन में खाने के प्रति नाकारत्मक भावना उत्पन्न हो सकती है।
- इस वजह से बच्चा अपने पेरेंट्स के प्रति भी नाकारात्मक सोच रखना शुरू कर सकता है।
- छोटे बच्चे को जबरदस्ती खिलाने के कारण बच्चे में खाने से जुड़ी गलत आदत भी विकसित हो सकती है। जैसे कि थाली पटकना, खाना गिराकर खाना, ठीक से खाने को चबाना, खाना खत्म करने के लिए उसे पानी से निगलना।
- पेरेंट्स अगर ऐसा बार-बार करते हैं, तो इससे बच्चे के मन में हेल्दी फूड की रुचि भी कम हो सकती है।
- छोटे बच्चे को जबरन खाना खिलाने से बच्चा शारीरिक क्षमता के अनुसार अपने खाने की सीमा पर नियंत्रण खो सकता है। इस वजह से बच्चे में ईटिंग डिसऑर्डर यानी खाने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
- शिशु को जबरदस्ती खिलाने से उसमें अंडर ईटिंग यानी कम खाने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
लेख के आखिरी हिस्से में पढ़ें छोटे बच्चे को जबरन खाना खिलाने से बचने के कुछ आसान उपाय।
छोटे बच्चे को बिना जबरदस्ती खाना खिलाने के 10 टिप्स | Chote bache ko bina jabardasti kiye khilane ke tips
छोटे शिशु, टॉडलर व बड़े बच्चों को जबरदस्ती खाना खिलाने के नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए पेरेंट्स को इस आदत को छोड़ना चाहिए। ऐसे में बिना जबरदस्ती किए बच्चे को सही मात्रा में खाना खिलाने के टिप्स आगे दिए गए हैं।
1. खुद उदाहरण सेट करें
माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं। यही नहीं, बच्चों अपने अभिभावक को खुद का रोल मॉडल भी समझते हैं। बच्चे वो सबकुछ सीखते हैं, जो उसके माता-पिता करते हैं। बच्चे को अच्छे तरीके से भोजन खाना सीखाने के लिए उनके सामने ही खाना खाएं। पेरेंट्स को अपनी थाली में हेल्दी खाना शामिल करना चाहिए। साथ ही थाली में उतना ही खाना लें, जितना एक बार की जरूरत हो। इससे बच्चा भी माता-पिता की हेल्दी खाना खाने की आदात को सीख सकता है और वह बिना किसी परेशानी के खुद ही अपना पूरा खाना खाना सीख जाएगा।
2. न रखें विकल्प तैयार
अगर बच्चा जानता है कि वो किसी चीज को खाने से मना करता है, तो उसके बदले कुछ अन्य चीज खाने को मिल जाएगी, तो वो कभी भी हेल्दी फूड खाना नहीं सीख पाएगा। इसके अलावा, अगर बच्चे के सामने खाने का कोई दूसरा विकल्प होगा ही नहीं, तो वो कभी स्पेशल चीजों की मांग भी नहीं करेगा और अपना परोसा हुआ खाना खा लेगा।
3. खाने के समय को खेल की तरह लें
बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है। ऐसे में बच्चे को खेल-खेल में हेल्दी फूड खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, हेल्दी फूड को कार्टून कैरेकटर के साथ जोड़ सकते हैं, ऐसा करने से बच्चा खुद ही उस चीज का सेवन करने में दिलचस्पी दिखा सकता है। बच्चों के साथ खेलते हुए उन्हें खाना खिलाने में मजा भी आएगा और वो बेहतर तरीके से खाना भी खा सकेंगे।
4. एक जगह और समय तय करें
लंच और डिनर के लिए एक जगह और समय तय करें, जिससे बच्चा परिवार के सभी सदस्यों के साथ खाना खा पाए। जानकारों की मानें, तो परिवार के साथ खाना खाने से बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव नजर आ सकते हैं। साथ ही परिवार के लोगों के साथ बच्चा मन न होने पर भी हेल्दी खाना खा ही लेता है।
5. खाने के समय स्नैक्स न दें
खाने के समय स्नैक्स का सेवन बड़ी परेशानियों में से एक है। कई बार बच्चा डिनर टेबल पर स्नैक्स देखकर उसकी तरफ ज्यादा आकर्षित हो जाता है। इससे बच्चा खाने की दूसरी चीजों को नजरअंदाज करते हुए, स्नैक्स से ही अपना पेट भर लेता है। इसी वजह से लंच व डिनर टेबल से स्नैक्स को दूर ही रखें।
6. खाने के साथ करें एक्सपेरिमेंट
बच्चें जिस चीज को खाने से आनाकानी करते हैं, उसके साथ कुछ एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। जैसे बच्चे को रोटी नहीं पसंद, तो रोटी के ऊपर थोड़ी सब्जी डालकर पिज्जा या रोल स्टाइल में उसे खिला सकती हैं। बच्चा पालक नहीं खाता है, तो पालक के कटलेट बना सकती हैं।
7. खाने की प्लेट को बनाएं कलरफुल
बच्चे खाने का स्वाद ही नहीं, बल्कि रंग देखकर भी खाने से आनाकानी करते हैं। इसके लिए बच्चे के खाने को अच्छे से सजाएं। उसकी थाली में मटर, टमाटर, गाजर, खीरे जैसी रंगबिरंगी सब्जी व सलाद रखें। बच्चे को कभी गोल, कभी ट्राइएंगल, तो कभी चकोर आकार के पराठे बनाकर सर्व करें। इससे खाने को देखकर वो खुश हो जाएगा। अगर बच्चा दूध पीने से मना करता है, तो उसके लिए दूध, फलों और चीया सीड्स से तैयार पूडिंग सर्व करें।
8. प्लेट हो अलग
आजकल बाजार में बच्चों के लिए खास बर्तन आने लगे हैं। ऐसे में बच्चे के लिए उनके पसंदीदा कार्टून किरदार निभाने वाले की प्लेट खरीदें। इससे भी बच्चे को खाना खिलाने में मदद मिल सकती है। साथ ही ये बर्तन बच्चों की उम्र के अनुसार भी आते हैं, जिनकी बनावट ऐसी होती है कि उनमें उम्र के अनुसार ही खाने की मात्रा जाती है। इससे पता लग पाएगा कि बच्चा भरपेट खा रहा है या नहीं।
9. बच्चे के साथ में खाएं और उदाहरण दें
कुछ माता-पिता पहले बच्चे को खाना खिलाते हैं, फिर बाद में खुद भोजन करते हैं। ऐसा करने के बजाय बच्चे के साथ बैठकर खाना खाएं (4)। उन्हें समझाएं प्लेट में खाना छोड़ना अच्छी आदत नहीं होती है। खुद की प्लेट दिखाते हुए कहें कि खाना इस तरह से पूरा खाकर प्लेट खाली करनी चाहिए। उसी तरह उन्हें भी पूरा खाना खाने के लिए प्रोत्साहित करें।
10. खाने को हिस्सों में बांटें
छोटे बच्चों को तीन से चार घंटे में एक बार खाना खिलाना चाहिए। ऐसे में बच्चे को कब-कब खाना खिलाना है, इसका समय तय कर लें। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बच्चे को अपने खाना खाने के तय समय पर भूख लगनी शुरू हो सकती है। इससे वह खुद ही खाना खाने में अपनी दिलचस्पी दिखाएगा।
आप जान ही गए होंगे कि शिशु को जबरदस्ती खिलाना पेरेंट्स व बच्चे के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। कई बार जबरन खाना खिलाने की आदत के चलते बच्चों का विकास भी बाधित हो जाता है। ऐसे में बच्चे को जबरदस्ती खाना खिलाने के दुष्प्रभावों पर नजर डालते हुए पेरेंट्स को इस आदत को छोड़ना चाहिए। हम यह नहीं कह रहे हैं कि बच्चे को भरपेट न खिलाएं। जरूर खिलाएं, लेकिन इस काम में जबरदस्ती की जगह बच्चे को खाने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करें। ऐसा करने से ही बात बनेगी, वरना बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
References
- INFANT AND YOUNG CHILD FEEDING
https://www.nhm.gov.in/MAA/One_Day_Sensitization_Module/One_Day_Sensitization_Module_English_lowres.pdf - Choking – unconscious adult or child over 1 year
https://medlineplus.gov/ency/article/000051.htm - Preventing aspiration in older adults with dysphagia
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/18227668/ - Guidelines for Infant Nutrition from Birth till Age One Year
https://www.health.gov.il/English/Topics/Pregnancy/Childbirth/feeding/Pages/feeding_babies_first_year.aspx
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