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बच्चे के जन्म से ही मां उसकी हर आदत पर नजर रखते हुए उसे संभालती है। बच्चे में कुछ भी अलग दिखता है, तो वह तुरंत उसे गंभीरता से लेती है। आज हम बच्चे की जिस आदत के बारे में बताने जा रहे हैं, वो बहुत आम है। यह आदत है बच्चे का मुंह खोल कर सोना। कई बार माता-पिता बच्चों के मुंह खोल कर सोने की आदत को नजरअंदाज कर देते हैं। शिशुओं की इस आदत पर ध्यान न देना किसी बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है। इसलिए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम आपको शिशुओं में मुंह खोलकर सोने की आदत व इसके पीछे के कारण बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही यहां आपको इससे बचाव के उपाय भी पता चलेंगे।
तो आइए सबसे पहले हम बच्चों में मुंह खोलकर सोने की स्थिति को समझ लेते हैं।
क्या बच्चे का मुंह खोल के सोना चिंता का विषय है?
हां, बच्चे का मुंह खोलकर सोना चिंता का विषय हो सकता है। दरअसल, मुंह खोलकर सोते समय शिशु नाक की जगह मुंह के माध्यम से सांस लेता है। बता दें, ऊपरी वायुमार्ग में रुकावट या सूजन होने की स्थिति में शिशु नाक की जगह मुंह से सांस लेता है। नाक से संबंधित यह रुकावट श्वसन संबंधी कई गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती है (1)। इसलिए अगर किसी बच्चे में मुंह खोलकर सोने की आदत है, तो इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से परामर्श करें।
लेख में आगे हम बच्चों में मुंह खोलकर सोने के कारणों पर चर्चा कर रहे हैं।
बच्चे के मुंह खोल करके सोने के कारण | Bache Muh Khol Kar Kyu Sote Hai
बच्चों में मुंह खोलकर सोने के कई कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में यहां हम विस्तार से बता रहे हैं।
- बलगम जमना: बलगम का जमाव होने के कारण बच्चे की नाक बंद हो गई है, तो उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में वह मुंह से सांस लेना शुरू कर सकता है। इस कारण सोते समय बच्चे का मुंह खुला रह सकता है (2)।
- एलर्जिक राइनाइटिस: बच्चों के मुंह खोलकर सोने का कारण एलर्जिक राइनाइटिस (नाक से जुड़ी एलर्जी) भी हो सकती है। एलर्जिक राइनाइटिस में बच्चे की नाक बंद हो जाती है और वह मुंह से सांस लेने लगता है। यही वजह है कि सोते समय मुंह से सांस लेने के कारण बच्चे का मुंह सोते समय खुला रहता है (2)।
- स्लीप एपनिया: स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद संबंधी विकार है, जिसमें वायुमार्ग के संकुचित होने के कारण सोते समय सांस लेने की दिक्कत हो सकती है। ऐसे में स्लीप एपनिया के कारण भी बच्चों में मुंह खोलकर सोने की आदत देखी जा सकती है (3) (4)।
- बढ़े हुए एडेनोइड्स: एडेनोइड्स तालू के पीछे स्थित छोटे ऊतक होते हैं। टॉन्सिल के साथ, ये भी लसिका प्रणाली (Lymphatic System) का हिस्सा होते हैं। एडेनोइड्स और टॉन्सिल मुंह व नाक के माध्यम से आने वाले कीटाणुओं से लड़ते हैं (5)। एडेनोइड्स के संक्रमित होने पर इनमें सूजन आ जाती है, जिससे बच्चे को नाक से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए सोते समय मुंह से सांस लेने का एक कारण बढ़े हुए एडेनोइड्स भी हो सकते हैं (6)।
- डिविएटिड सेपटम (Deviated septum): बच्चे के मुंह से सांस लेने का एक कारण डिविएटिड सेपटम (दोनों नाक के छिद्रों के आकार में अंतर) भी हो सकता है। दरअसल, डिविएटिड सेपटम बच्चों में होने वाली एक सामान्य स्थिति है। यह समस्या प्रसव से पहले, प्रसव या बच्चे के विकास के दौरान कभी भी विकसित हो सकती है। यह नाक से जुड़ी परेशानी है, जो कई मामलों में श्वसन संबंधी परेशानी पैदा कर सकता है। इसके कारण बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इस वजह से बच्चा नाक की जगह मुंह से सांस लेता है (6)।
अब जानते हैं कि बच्चों के मुंह खोलकर सोने से क्या नुकसान हो सकते हैं।
बच्चे के मुंह खोल करके सोने के नुकसान
बच्चों में मुंह खोलकर सोने से निम्न परेशानियां हो सकती हैं (7) (8)।
- मुंह से सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन-डाईऑक्साइड का संतुलन बिगड़ जाता है।
- मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है
- बच्चों में अस्थमा एलर्जी को बढ़ा सकता है
- इम्यून सिस्टम कमजोर कर सकता है
- मुंह और होठों का सूखना
- मुंह से दुर्गंध आना
- दांतों में सड़न
- पेरियोडेंटल डिजीज (मसूड़ों की बीमारी)
यहां अब हम बच्चे में मुंह खोल के सोने की आदत को रोकने के कुछ उपाय जानेंगे।
बच्चे का मुंह खोल करके सोना कैसे रोकें?
लेख में ऊपर बताया गया है कि बच्चे जब नाक से सांस लेने में असमर्थ होते हैं, तो मुंह से सांस लेने लगते हैं। नाक से सांस न ले पाने का एक कारण सांस नली में बलगम का जमाव है। नीचे बताए गए तरीकों से बच्चों की सांस नली को साफ रखने में मदद हो सकती है। इससे बच्चे के मुंह खोलकर सोने की परेशानी से बचाव किया जा सकता है:
- हॉट बाथ: सोने से पहले बच्चे को बाथरूम में गर्म पानी की भाप दिला सकते हैं। इससे बच्चे को आराम महसूस होगा। साथ ही सांस की नली में जमा गाढ़े बलगम को साफ करने में भी मदद मिलेगी (9)।
- ह्यूमिडिफायर (भांप छोड़ने वाला उपकरण): बलगम के जमाव के कारण बच्चे को सांस लेने में हो रही दिक्कत को दूर करने के लिए विशेषज्ञ कूल ह्यूमिडिफायर (नमी प्रदान करने वाला उपकरण) लगाने की सलाह देते हैं। बच्चों के लिए गर्म भाप देने वाले ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से मना किया जाता है, क्योंकि यह उनकी त्वचा को झुलसा सकता है (10)।
- सेलाइन नेसल स्प्रे: बच्चों की बंद नाक को खोलने के लिए सेलाइन नेसल स्प्रे सुरक्षित विकल्पों में से एक है। यह बलगम को पतला कर नाक को साफ करने में मदद कर सकता है (10)।
- नेसल एस्पिरेटर: बच्चे की सांस की नली में मौजूद थोड़ा सा बलगम भी सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है। ऐसे में नेसल एस्पिरेटर (एक छोटा सा उपकरण है, जिसे विशेष रूप से नवजात शिशु की नाक से बलगम को हटाने कि लिए इस्तेमाल किया जाता है) की मदद से बलगम को बाहर निकाला जा सकता है (11)।
- हाइड्रेट रखें: बच्चे को अधिक से अधिक शुगर फ्री तरल पदार्थ दें (9)।
लेख के इस भाग में हम बच्चे के मुंह खोलकर सोने की आदत का इलाज बता रहे हैं।
बच्चे के मुंह खोल करके सोने का ट्रीटमेंट
जैसा कि लेख में बच्चे के मुंह खोलकर सोने के कई कारण बताए गए हैं। ऐसे में डॉक्टर समस्या का सटीक कारण जानकर परेशानी का इलाज कर सकते हैं।
- बच्चे के मुंह खोलकर सोने की वजह छाती में बलगम का जमना हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर बलगम को दूर करने के लिए नेसल स्प्रे रिकमेंड कर सकते हैं (9)।
- जैसा कि लेख में बताया गया है कि बच्चे का मुंह खोलकर सोने का कारण एलर्जिक राइनाइटिस भी हो सकता है। इसमें चिकित्सक लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए इलाज करते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में कार्टिस्टेरॉइड स्प्रे का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है (12)।
- बढ़े हुए एडेनोइड्स के कारण भी बच्चे को मुंह से सांस लेने की आदत हो सकती है। यदि लक्षण गंभीर हैं, तो इसका इलाज परिस्थिति को देखते हुए डॉक्टर ही सुनिश्चित करता है। सामान्य लक्षण होने पर डॉक्टर सूजन को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवा के साथ नेसल स्प्रे का इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं (5)।
अंत में हम जानेंगे कि बच्चे के मुंह खोलकर सोने के विषय में डॉक्टर से कब मिलना चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
यहां हम बच्चे में मुंह खोलकर सोने से जुड़ी कुछ विशेष स्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिनके दिखने पर बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- लेख में ऊपर बताए गए तरीके सांस नली को साफ कर नाक से सांस लेने में मदद कर सकते हैं। यदि इन उपायों के बाद भी बच्चा हांफता है या सोते समय सांस लेने में दिक्कत का सामना करता है, तो बिना देरी करे बाल रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।
- यदि पैरेंट्स को बच्चे के मुंह से सांस लेने का कारण जन्मजात स्थितियां जैसे :- स्लीप एपनिया या डिविएटिड सेपटम का संदेह होता है, तो इसके लिए चिकित्सक से चर्चा करें। बच्चे में मुंह से सांस लेने के सही कारण को पता लगाने के लिए डॉक्टर विभिन्न परिक्षण कर सकते हैं।
मुमकिन है कि इस लेख को पढ़ने के बाद पाठकों को बच्चे में मुंह खोलकर सोने से जुड़ी हर जरूरी जानकारी हासिल हो गई होगी। ऐसे में बच्चे के मुंह खोलकर सोने की आदत को दूर करने के लिए आप लेख में बताए गए उपायों की मदद ले सकते हैं। वहीं समस्या गंभीर होने की स्थिति में बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श करें और उचित इलाज प्रक्रिया को अपनाएं। उम्मीद करते हैं कि बच्चों के मुंह खोलकर सोने से जुड़ा यह लेख आपके लिए लाभकारी साबित होगा। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही अन्य लेख पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट मॉमजंक्शन पर विजिट करते रहें।
References
1. Guidelines proposal for clinical recognition of mouth breathing children By NCBI
2. It Takes a Mouth to Eat and a Nose to Breathe: Abnormal Oral Respiration Affects Neonates’ Oral Competence and Systemic Adaptation By NCBI
3. The Relationship Between Mouth Opening and Sleep Stage-Related Sleep Disordered Breathing By Researchgate
4. Pediatric Obstructive Sleep Apnea By NCBI
5. Adenoids By Medlineplus
6. Etiology, clinical manifestations and concurrent findings in mouth-breathing children By SCIELO
7. Increased oxygen load in the prefrontal cortex from mouth breathing: a vector-based near-infrared spectroscopy study By NCBI
8. Mouth Breathing-Its Consequences, Diagnosis & Treatment By ACTA Scientific Dental Sciences
9. Stuffy or runny nose – children By Medlineplus
10. Colds in children By NCBI
11. The impact of nasal aspiration with an automatic device on upper and lower respiratory symptoms in wheezing children: a pilot case-control study By NCBI
12. Allergic rhinitis By Medlineplus
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