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बच्चे उस गीली मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें बचपन में जैसा चाहे वैसा आकार दिया जा सकता है। इसमें सबसे अहम भूमिका निभाती हैं बचपन में सीखी गई नई बातें। इस दौरान बच्चे कुछ अच्छी तो कुछ बुरी आदतें सीखते हैं। झूठ बोलना भी इन्हीं आदतों में से एक है। बच्चों को झूठ बोलने की आदत कब और कैसे लगती है, ये जानने के लिए मॉमजंक्शन का यह आर्टिकल पढ़ें। इस लेख के जरिए हम यह भी बताएंगे कि बच्चे क्यों और किन परिस्थितियों में झूठ बोलते हैं और उनकी इस आदत को कैसे सुधारा जा सकता है।

आर्टिकल के पहले भाग में जानिए कि आखिर बच्चों के झूठ बोलने के पीछे क्या कारण होते हैं।

बच्चे झूठ क्यों बोलते हैं? | Baccho Ka Jhoot Bolna

बच्चों के झूठ बोलने के पीछे कई कारण और परिस्थितियां हो सकती हैं। इन्हीं के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं  (1) (2)

  1. नैतिक नियमों का उल्लंघन : बच्चे कई बार नैतिक नियमों (Moral rules) का उल्लंघन करने के बाद झूठ बोलते हैं। इस तरह के व्यवहार से बच्चे को बचाना चाहिए। साथ ही उसे समझाएं कि जीवन में नियमों के क्या महत्व हैं। अन्यथा इसी तरह वो बड़े होने के बाद भी नियमों का उल्लंघन करके झूठ बोलते रहेंगे, जिसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस तरह के झूठ को एंटी सोशल माना जाता है।
  1. मदद के इरादे से: अच्छे इरादों से भी बच्चे झूठ बोलते हैं। वो कभी किसी की मदद करने के लिए, तो कभी किसी को नुकसान से बचाने के लिए झूठ बोल देते हैं।
  1. भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचाने के लिए : उदाहरण के लिए कोई ऐसा उपहार जो बच्चे को पसंद न हो, लेकिन फिर भी वह सामने वाले के मन को रखने के झूठ बोलते हैं और गिफ्ट को पसंद करने का दिखावा करते हैं।
  1. सामने वाले को भ्रमित करने के लिए : बच्चे बातों को छिपाने के लिए सामने वाले को बहकाने और भ्रमित करने के लिए भी झूठ बोलते हैं। जैसे किसी गेम को न खेलने का दावा या किसी सामान को न छूने का दावा करना। इस दौरान बच्चे आंख में आंख डालकर झूठ बोलते हैं, ताकि सामने वाला उनकी बात पर भरोसा कर ले।
  1. गलतियों को छिपाने के लिए : अनजाने में हुई गलतियों को छिपाने के लिए भी बच्चे झूठ बोलते हैं। इसमें गलती से घर का गिलास या कोई अन्य सामान टूटना, पढ़ाई ठीक से न करने की वजह से खराब मार्क्स आना जैसी परिस्थितियां शामिल हो सकती हैं।
  1. पहले बोले गए झूठ को सही साबित करने के लिए : अगर बच्चे का पुराना झूठ पकड़ा जाता है, तो उसे सही साबित करने के लिए भी वह नए झूठ बोल सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा चाहता है कि सामने वाले का विश्वास उस पुराने झूठ पर बरकरार रहे।

आगे जानते हैं कि झूठ बोलना बच्चे आखिर कब शुरू करते हैं।

बच्चे कब झूठ बोलना शुरू करते हैं?। When do children start lying?

बच्चे किस उम्र में झूठ बोलना शुरू करते हैं, इसे निम्न चरणों में समझा जा सकता है (2) (3)

  • पहला चरण: बच्चे अक्सर दो से तीन साल की उम्र से झूठ बोलना शुरू कर देते हैं। एक रिसर्च पेपर के मुताबिक, इस उम्र में बच्चे जानबूझकर तथ्यों को छुपाते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वो तथ्यों को अपनी बातों पर विश्वास दिलाने के लिए छुपाते हैं या किसी तरह की इच्छा को पूरा करने के लिए। हां, बच्चों के पहले झूठ को अक्सर नियम के उल्लंघन, इल्जाम लगने से बचने, अपने हितों की रक्षा करने या खुद को सकारात्मक दिखाने से जोड़ा जाता है।
  • दूसरा चरण: यह चरण तीन से चार साल की उम्र के बीच शुरू होता है। चार साल के होने के बाद बच्चे सच और झूठ में अंतर समझने लगते हैं। फिर वो अक्सर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ बोलना शुरू कर देते हैं।
  • तीसरा चरण: बच्चों के झूठ बोलने का तीसरा चरण 7 से 8 साल की उम्र में शुरू होता है। इस दौरान बच्चे अच्छे से समझ जाते हैं कि झूठ कैसे बोलना है। वो अपने मुंह से ऐसी किसी बात को फिसलने नहीं देते हैं, जिससे उसका पुराना झूठ पकड़ा जाए। इसी कोशिश में वो एक के बाद एक झूठ बोलते चले जाते हैं।

लेख के अगले भाग में जानिए कि बच्चों का झूठ कैसे पकड़ा जा सकता है।

कैसे पता लगाएं कि बच्चा झूठ बोल रहा है? । How To Know When Your Child Is Lying

बच्चे कब झूठ बोल रहे हैं इसे आसानी से पता लगाया जा सकता है। बच्चे का व्यवहार कुछ अलग लगे या नीचे बताई गई बातों को आप नोटिस करें, तो समझ जाएं कि बच्चा झूठ बोल रहा है (3) (4) (5)

  • अक्सर बच्चे झूठ बोलने पर या झूठ पकड़े जाने पर उस बात या तथ्य से अनभिज्ञ या अनजान होने का दिखावा करते हैं।
  • बच्चे झूठ बोलते हुए अक्सर नजरे चुराने लगते हैं।
  • झूठ बोलते हुए बच्चे ध्यान भटकाने के लिए किसी चीज से खेलने या उसे छेड़ने लगते हैं।
  • बच्चे सवालों का जवाब देने में आमतौर से ज्यादा समय लेते हैं। बहुत सोचकर अपना जवाब देते हैं।
  • झूठ बोले गए विषय पर सवाल पूछने पर बात को बदलने की कोशिश करते हैं और असहज हो जाते हैं।
  • बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करते हैं।
  • झूठ को छुपाने के लिए मनगढ़ंत कहानी सुनाने लगते हैं।
  • कई बार झूठ से जुड़े सवाल पूछने पर बच्चे गुस्सा हो जाते हैं।
  • झूठ बोलते हुए कई बार बच्चे सामान्य से थोड़ी ऊंची आवाज में बात करते हैं।
  • बच्चे झूठ बोलने के बाद स्पष्टीकरण देने के लिए लगातार बोलते हैं।

अगर आपको पता है कि बच्चे झूठ बोल रहे हैं, तो इन तरीकों को अपनाकर आप उसे समझा सकते हैं।

बच्चा झूठ बोल रहा है, तो क्या करें? । What To Do If Child Is Lying

अगर बच्चे को झूठ बोलने की आदत लग गई है, तो उसे समय रहते सुधारना जरूरी है। इसके लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं।

  1. सच बोलने की प्रेरणा दें।
  2. झूठ बोलने के कारणों का पता करें और बच्चे के साथ इस पर चर्चा करें।
  3. बच्चे में डींगे मारने की आदत हो, तो उसे ठीक करें। इसके चलते भी बच्चे झूठ बोलते हैं।
  4. किसी बात का उस पर दबाव न बनाएं। दबाव के कारण भी बच्चा झूठ बोल सकता है।
  5. अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा झूठ बोल रहा है, तो उसे उसी समय दोबारा ऐसा न करने की स्पष्ट चेतावनी दें।
  6. बच्चे के मन से सच बोलने पर डांट पड़ने के डर को दूर करें।

आगे जानिए कि बच्चे की झूठ बोलने की आदत को सुधारने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।

बच्चों को झूठ बोलने से रोकने के लिए 10 टिप्स

झूठ बोलने की आदत पड़ने पर बच्चे को कुछ टिप्स की मदद से ऐसा करने से रोका जा सकता है। ये टिप्स कुछ इस प्रकार हैं:

  1. बच्चे को बताएं कि झूठ बोलना गलत है और उसके बुरे परिणाम हो सकते हैं।
  2. शांत तरीके से समझाएं कि उसके झूठ बोलने पर आप कैसा महसूस करते हैं और इससे रिश्ते खराब हो सकते हैं।
  3. हमेशा बच्चे को कहें कि आप जानते हैं कि वह कब झूठ बोल रहा है।
  4. कभी लगे कि वो झूठ बोल रहा है, तो बच्चे से पूछें ‘क्या आप सच बोल रहे हो।’
  5. बच्चों के लिए ऐसा माहौल बनाएं कि उन्हें झूठ बोलने की आवश्यकता न पड़े।
  6. उसे कहें कि ‘ठीक है अब सच बोल दो, कोई कुछ नहीं कहेगा।’
  7. अगर झूठ बोलने के बाद बच्चा गलती सुधारते हुए सच बता दे, तो सच बोलने के लिए उसकी तारीफ करें।
  8. बच्चों के सामने स्वयं भी झूठ न बोलें।
  9. कहानियों के माध्यम से समझाएं कि सच बोलने वाले और झूठ बोलने वालों के साथ क्या होता है।
  10. ईमानदारी के किस्से वाली किताबें गिफ्ट करें।

जब बच्चे छोटी उम्र में झूठ बोलने लगते हैं, तो उन्हें इसका एहसास नहीं होता। ऐसे में बच्चे को अच्छाई और बुराई में फर्क समझाना आपका फर्ज बनता है। बच्चा अगर एक बार में न समझे, तो उसे बार-बार समझाएं। आप लेख में बताए गए टिप्स और अन्य तरीके भी अपना सकते हैं। साथ ही उसके आसपास का वातावरण भी ऐसा बनाएं, जिससे उसे सच बोलने की प्रेरणा मिलती रहे। बचपन ही वो समय होता है, जब बच्चे को आप किसी भी सांचे में ढाल सकते हैं, इस मौके को हाथ से जाने न दें। उनमें जितनी हो सके उतनी अच्छी आदतें डालें और बुरे परिवेश से बचाकर रखें।

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