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बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक होती है। ऐसे में उनकी त्वचा की सही देखभाल करना जरूरी है। कुछ बच्चों के चेहरे पर सफेद दाग दिखने लग जाते हैं, जिसे सामान्य मानकर माता-पिता नजरअंदाज कर देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो सावधान हो जाइए। यह सफेद दाग चर्म रोग भी हो सकता है, जिसके कई सारे प्रकार होते हैं। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम बच्चों के चेहरे व शरीर के अन्य हिस्सों पर होने वाले विभिन्न प्रकार के सफेद धब्बों के कारण, निदान, उपचार और रोकथाम के तरीके बता रहे हैं।
सबसे पहले हम जानेंगे कि बच्चों के चेहरे पर सफेद धब्बे होना आम है या नहीं।
बच्चे के चेहरे पर सफेद दाग होना कितना आम है? | Baccho Ke Safed Daag
बच्चे को सफेद दाग बचपन में अपने आप हो जाते हैं। कहा जाता है कि एक तिहाई में से आधे लोगों (Half to one third) को सफेद दाग 20 साल की उम्र तक हो जाते हैं। इनमें से 25% तक को 8 वर्ष की आयु से पहले (औसतन 4 से 5 साल की उम्र के बीच) सफेद दाग होता है (1)। एक शोध के दौरान भारतीय बच्चों में सफेद दाग के 56.7% मामले 8 से 12 साल तक की उम्र में देखे गए (2)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि बच्चों के चेहरे पर सफेद दाग होना काफी आम है।
आगे पढ़ते हैं सफेद दाग होने के कारण के बारे में।
बच्चे के चेहरे पर सफेद दाग होने के कारण क्या हैं? | Baccho Ke Safed Daag Hone Ke Karan
बच्चों में सफेद दाग इम्यून सिस्टम में होने वाली गड़बड़ी का नतीजा है। यह एक ऑटो इम्यून डिजीज है, जिसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ मेलेनोसाइट्स (मेलेनिन यानी त्वचा का रंग बनाने वाली कोशिकाओं) को नुकसान पहुंचाने लगती है। इसके अलावा, बच्चों में सफेद दाग होने के कारण निम्न हो सकते हैं (3) (4)।
- आनुवंशिकता, 30% से अधिक प्रभावित बच्चों के परिवार में किसी न किसी को सफेद दाग की समस्या रही होती है।
- शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी के कारण भी सफेद दाग हो सकते हैं।
- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर।
- बच्चों में विटिलिगो (सफेद दाग का प्रकार) का जोखिम थायराइड, मधुमेह और एलोपेसिया (ऑटोइम्यून रोग, जो बालों के झड़ने का कारण बनता है) की वजह से भी होता है।
इनके अलावा, कुछ अन्य कारण भी हैं, जिनके बारे में हम नीचे उनके इलाज सहित बता रहे हैं।
पिटिरियासिस अल्बा। Pityriasis alba
पिटिरियासिस अल्बा एक आम और हानि रहित त्वचा संबंधी विकार है, जो मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों को होता है। इस विकार में त्वचा पर पैच पड़ते हैं और रंग प्रभावित होता है। इसके कारण स्किन शुष्क व पपड़ीदार भी हो जाती है। साथ ही स्किन पर पीले व सफेद धब्बे यानी हाइपोपिगमेंटेशन होने लगता है (5)।
- पिटिरियासिस अल्बा रोग मुख्य रूप से 3 से 16 साल के किशोरों को प्रभावित करता है।
- यह लड़कों और लड़कियों को समान रूप से प्रभावित करता है।
- गोरी त्वचा की तुलना में सांवली त्वचा में पिटिरियासिस अल्बा ज्यादा दिखाई पड़ता है।
- यह संक्रामक रोग नहीं है।
- इस विकार में धब्बे गोल या अंडाकार के होते हैं।
- सूर्य की रोशनी में इस पैच का रंग लाल पड़ने लग जाता है (7)।
पिटिरियासिस अल्बा के कारण :
पिटिरियासिस अल्बा के कारणों की अभी तक खोज नहीं हो पाई है। शुष्क त्वचा वालों को यह रोग होने की ज्यादा आशंका होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जिसकी त्वचा शुष्क नहीं है, उन्हें पिटिरियासिस नहीं हो सकता। हम नीचे कुछ अनिश्चित कारणों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर अभी शोध हो रहा है (6)।
- प्रभावित क्षेत्रों में मेलेनिन का उत्पादन कम होना।
- पसीना बनाने वाली ग्रंथियों (Sebaceous Glands) का छोटा होना।
- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया।
- सीरम कॉपर का स्तर कम होना।
पिटिरियासिस अल्बा का निदान :
पिटिरियासिस का निदान कई तरीकों से किया जा सकता है। क्या हैं ये तरीके हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं (6) (7)।
- डॉक्टर आमतौर पर त्वचा को देखकर स्थिति का निदान करते हैं।
- वुड लैंप (लॉन्ग वेव अल्ट्रावायलेट लाइट) से शारीरिक परीक्षण करके भी इसका पता लगाया जा सकता है।
- पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) टेस्ट किया जाता है।
- दुर्लभ मामलों में स्किन बायोप्सी की जाती है।
पिटिरियासिस अल्बा का उपचार :
पिटिरियासिस अल्बा के कारण स्पष्ट न होने की वजह से इसका कोई खास इलाज भी नहीं है। बताया जाता है कि हल्का पड़ने वाला रंग कुछ समय बाद खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। रिसर्च बताती है कि त्वचा का सामान्य रंग वापस लौटने में कुछ महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है। फिर भी डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ इस प्रकार की सलाह दे सकते हैं (5) (6)।
- मॉइस्चराइजिंग क्रीम शुष्क त्वचा के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।
- हल्की हाइड्रोकार्टिसोन (टॉपिकल स्टेरॉयड) क्रीम खुजली और लाल निशान को खत्म कर सकती है।
- पेट्रोलियम जेली।
- सनस्क्रीन।
- कैल्सीनुरिन इनहिबिटर।
- टॉपिकल विटामिन डी कैल्सिट्रियोल।
- सोरेलन प्लस अल्ट्रावॉयलेट-ए (पीयूवीए) फोटोकैमोथेरेपी।
- अन्य फोटोथेरेपी।
पिटिरियासिस अल्बा के अलावा मिलिया को भी सफेद दाग का कारण माना जा सकता है।
मिलिया । Milia
मिलिया त्वचा पर छोटे सफेद सिस्ट यानी गांठ को कहते हैं। ये सफेद दाग नहीं होते, लेकिन दिखने में सफेद मोती जैसे उभरे हुए होते हैं। यूं तो मिलिया किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह नवजात शिशुओं में आम है। मिलिया बच्चों की नाक, ठोडी और गाल पर हो सकते हैं। मिलिया को कुछ लोग बेबी एक्ने भी कहते हैं, लेकिन ये मुंहासे नहीं होते हैं (7)।
मिलिया के कारण :
यह तब होता है, जब डेड स्किन छोटे-छोटे पॉकेट के रूप में त्वचा की सतह पर फंस जाती है। ये सिस्ट अपने आप ही चले जाते हैं (7)।
मिलिया का निदान :
मिलिया का निदान करने के लिए किसी खास टेस्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती है। डॉक्टर बच्चे की प्रभावित स्किन जैसे त्वचा व मुंह को देखकर ही इसका पता लगा सकते हैं (7)।
मिलिया का उपचार :
नवजात शिशुओं या अन्य लोगों को मिलिया के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। यह कुछ ही हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाता है (7)।
बच्चों के चेहरे पर दाग का एक प्रकार पिटिरियासिस अल्बा भी है। आइए इसके कारण, निदान और उपचार जानते हैं।
मिलिया के अलावा विटिलिगो भी बच्चों में सफेद दाग का एक प्रकार है। आगे हम इससे संबंधित संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
विटिलिगो। Vitiligo
विटिलिगो एक प्रकार का त्वचा विकार है, जिसे ल्यूकोडर्मा भी कहा जाता है। विटिलिगो ऐसी स्थिति है, जिसमें त्वचा की रंगत हल्की होने लगती है और स्किन पर सफेद दाग पड़ जाते हैं। इस विकार में त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं (8) (9)।
- यह समस्या चेहरे, गर्दन, स्कैल्प, मुंह और जननांगों पर हो सकती है।
- विटिलिगो किसी भी उम्र में हो सकता है।
- विटिलिगो संक्रामक रोग नहीं है, इसलिए इसके फैलने का खतरा नहीं होता है ।
- इस समस्या में दूधिया-सफेद पैच होते हैं।
- इस विकार में सिर के बालों के साथ ही आईब्रो, पलकें और दाढ़ी भी सफेद हो जाती है।
- यह व्हाइट पैच मुंह और नाक के अंदर भी हो सकते हैं।
विटिलिगो के कारण :
विटिलिगो एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसके कारणों का स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है। यह रोग शरीर में रंग बनाने वाली कोशिकाओं यानी मेलेनोसाइट्स के नष्ट होने की वजह से हो सकता है (8)। इसके अन्य कारण कुछ इस प्रकार हैं (9) (10)।
- जेनेटिक फैक्टर।
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ सेल्स को नष्ट कर देती है।
- सनबर्न, तनावपूर्ण जीवन या रसायन के संपर्क में आने से विटिलिगो हो सकता है या स्थिति बदतर हो सकती है।
- ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस
विटिलिगो का निदान :
शारीरिक परीक्षण और क्लिनिकल फाइंडिंग्स के आधार पर विटिलिगो का निदान किया जाता है। डॉक्टर स्किन, मुंह और नाक के अंदर देखकर इस स्थिति को चेक करते हैं। इसके निदान के अन्य तरीके कुछ इस प्रकार हैं (9) (10)।
- डॉक्टर वुड लैंप के जरिए भी त्वचा का परीक्षण कर सकते हैं।
- कुछ मामलों में स्किन बायोप्सी भी की जाती है।
- इम्युनोहिस्टोकैमिस्ट्री परीक्षण।
- ब्लड टेस्ट।
- स्किन के एक छोटे नमूने की माइक्रोस्कोप के नीचे जांच की जा सकती है।
विटिलिगो का उपचार :
विटिलिगो के उपचार में त्वचा का रंग वापस लाने की कोशिश की जाती है। इसके लिए डॉक्टर कुछ इस तरह के सुझाव दे सकते हैं (10)।
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम।
- फोटोथेरेपी और एक्जाइमर लेजर थेरेपी।
- नैरो-बैंड अल्ट्रावायलेट बी-थेरेपी (यूवीबी)।
- सर्जिकल थेरेपी।
- सोरालेन फोटोकेमोथेरेपी।
आगे हम सफेद दाग के अन्य प्रकार टिनिया वर्सिकलर के बारे में बता रहे हैं।
टिनिया वर्सिकलर । Tinea versicolor
टिनिआ वर्सिकलर को पिटिरियासिस वर्सिकलर के नाम से भी जाना जाता है (11)। यह त्वचा की बाहरी परत पर होने वाला क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाला) फंगल संक्रमण है। इसके कारण त्वचा पर हल्के या गहरे धब्बे बनते हैं। वर्सिकलर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह किशोरों और युवा वयस्कों में सबसे अधिक देखा जाता है (12)।
- यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं होता है।
- इसके कारण पड़ने वाले दाग गहरे लाल या टैन कलर के होते हैं।
- पीठ, अंडरआर्म्स, ऊपरी बांह, चेस्ट और गर्दन पर यह होता है।
- बच्चों को ये दाग ज्यादातर माथे पर होते हैं।
- धूप में इसके दाग गहरा नहीं होते हैं।
- इस चर्म रोग के कारण पसीना अधिक आना, हल्की खुजली और सूजन हो सकती है।
टिनिया वर्सिकलर का कारण :
टिनिया वर्सिकलर आम स्किन संबंधी रोग है। यह उन फंगस के कारण होता है, जो आमतौर पर त्वचा पर मौजूद होते हैं। इस बैक्टीरिया का नाम और इसके बढ़ने के कारण नीचे जानिए (11) (12)।
- मालासेजिया (Malassezia) फंगस के कारण टिनिया वर्सिकलर होता है।
- यह रोग आमतौर पर गर्म जलवायु में होता है।
- पर्यावरणीय कारकों जैसे कि गर्मी और ह्यूमिडिटी के कारण मलसेजिया की संख्या बढ़ती है और सफेद दाग दिखने लगते हैं।
- टिनिया वर्सिकलर का होना तैलीय क्षेत्रों में सबसे आम है, जैसे – चेहरे, स्कैल्प और पीठ।
- आनुवंशिक गड़बड़ी के कारण मालासेजिया फंगस दाग के रूप में त्वचा पर दिख सकते हैं।
- इम्युनोडेफिशिएंसी (कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली) के कारण भी टिनिया वर्सिकलर के होने का जोखिम बढ़ सकता है।
- पसीना बनाने वाली ग्रंथियों द्वारा ज्यादा सीबम बनाने से भी मालासेजिया बढ़ते हैं।
टिनिया वर्सिकलर का निदान :
टिनिया वर्सिकलर का निदान बच्चों के शारीरिक परीक्षण से ही किया जाता है। कुछ मामलों में डॉक्टर नीचे बताई गई सलाह भी दे सकते हैं (11) (12)।
- डॉक्टर त्वचा के थोड़े से हिस्से को निकालकर माइक्रोस्कोप से स्किन में फंगस की जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं।
- फंगस को पहचानने के लिए स्किन बायोप्सी भी की जा सकती है।
- पराबैंगनी काली रोशनी (वुड लैंप) से भी इसका निदान किया जाता है।
टिनिया वर्सिकलर का उपचार :
टिनिया वर्सिकलर का इलाज एंटीफंगल दवाओं से किया जाता है। डॉक्टर कुछ दवा खाने के लिए और कुछ लगाने के लिए दे सकते हैं। साथ ही नहाते समय हर दिन 10 मिनट के लिए सेलेनियम सल्फाइड या केटोकोनाजोल युक्त ओवर-द-काउंटर डैंड्रफ शैम्पू लगाने की भी सलाह डॉक्टर दे सकते हैं (12)।
आगे व्हाइट स्पॉट के एक और प्रकार इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलानोसिस पर हम प्रकाश डालेंगे।
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलानोसिस । Idiopathic guttate hypomelanosis
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलेनोसिस (आईजीएच) स्वास्थ्य व जीवन को खतरे में नहीं डालता। आईजीएच आमतौर पर बिना लक्षण वाला ल्यूकोडर्मा डर्मेटोसिस होता है, जो आमतौर पर गोरी त्वचा वालों को होता है। अक्सर बिना पता चले और बिना किसी इलाज के यह खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है (13)।
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलानोसिस के कारण :
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलेनोसिस (आईजीएच) के कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है। हां, आईजीएच के कारणों को लेकर कुछ परिकल्पनाएं मौजूद हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं (13)।
- सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की वजह से होना।
- लंबे समय तक सूरज की किरणों में रहने के कारण।
- स्किन माइक्रोएट्रोमा यानी बार-बार स्किन पर चोट लगना या दबाव पड़ना।
नोट: इनमें से किसी भी परिकल्पना का अब तक सत्यापन नहीं हुआ है।
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलानोसिस का निदान :
आईजीएच का निदान करने के लिए किसी खास प्रक्रिया का जरूरत नहीं पड़ती है। डॉक्टर प्रभावित स्किन को देखकर ही इस परेशानी का पता लगा लेते हैं। किसी-किसी मामले में बायोप्सी सैंपल जांच की सलाह भी डॉक्टर दे सकते हैं (13)।
इडियोपैथिक गुटेट हाइपोमेलानोसिस का उपचार :
आईजीएच स्पॉट्स न हानिकारक होते हैं और न ज्यादा गहरे, इसलिए कोई उपचार की आवश्यकता नहीं पड़ती। फिर भी डॉक्टर स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए कुछ इस प्रकार की सलाह दे सकते हैं (13)।
- सूर्य की किरणों से इसके बढ़ने का खतरा होता है, इसलिए सनस्क्रीन लोशन लगाना।
- सूरज की सीधी रोशनी से बचना।
- क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) यानी कोल्ड थेरेपी।
- टॉपिकल स्टेरॉयड।
- टॉपिकल रेटिनॉइड्स।
- टॉपिकल कैल्सीनुरिन इनहिबिटर।
सफेद दाग के सभी प्रकार जानने के बाद आगे इससे बचाव के तरीकों पर एक नजर डाल लेते हैं।
घरेलू तरीकों से चेहरे के सफेद दाग से छुटकारा कैसे पाएं? | Home Remedies For White Patches On Face Of Child In Hindi
बच्चों के चेहरे पर सफेद दाग की समस्या के लिए प्रमाणित त्वचा विशेषज्ञ द्वारा सुझाए उपायों का इस्तेमाल करना ही सबसे अच्छा विकल्प है। हां, आप कुछ बातों का ख्याल रखकर इसे बढ़ने या होने से रोक सकते हैं। ये घरेलू तरीके व ध्यान में रखी जाने वाली बातें कुछ इस प्रकार हैं (12)।
- बच्चों के सही पोषण का ध्यान रखें और बैलेंस डाइट दें।
- उनको फल और सब्जियां खिलाना सुनिश्चित करें।
- बच्चे की स्किन को मॉइस्चराइज रखें। इसके लिए क्रीम के अलावा मलाई का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- टैनिंग से बच्चे को बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूर करें, क्योंकि कई सफेद दाग सूर्य की हानिकारक किरणों के कारण होते हैं और कुछ स्थितियां इसके कारण बदतर हो जाती हैं।
- सफेद दाग की रोकथाम के लिए एंटी फंगल क्रीम का उपयोग कर सकते हैं।
आगे जानिए सफेद दाग होने के बाद बच्चे के आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए।
सफेद दाग से ग्रस्त बच्चे की मदद कैसे करें, ताकि उसका आत्मविश्वास प्रभावित न हो?
बच्चों के चेहरे या अन्य हिस्सों पर सफेद दाग होने से कई बार उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है और वो अपने बारे में बुरा सोचने लगते हैं। ऐसा होने पर कभी-कभी बच्चे घातक कदम भी उठा लेते हैं। इस परिस्थिति से बचने के लिए माता-पिता व अन्य रिश्तेदारों को उसके आत्मविश्वास को बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आप नीचे बताए गई बातों की मदद ले सकते हैं।
- बच्चों से बात करने की कोशिश करें और उन्हें समझाएं कि चेहरे पर सफेद दाग होना सामान्य है।
- उन्हें बताएं कि ट्रीटमेंट में कुछ समय लगेगा, लेकिन यह ठीक हो जाएंगे।
- बच्चे को समझाएं कि किसी भी तरह के दाग या अन्य चीजों से उसकी लाइफ में फर्क नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि चेहरे का रंग और अन्य चीजें वक्त के साथ बदलती हैं। जीवन में जो सबसे ज्यादा काम आता है वो आत्मविश्वास और खुद पर भरोसा रखना है।
- इस बात का भी ध्यान रखें कि सफेद धब्बों को लेकर कोई उसे तंग न करे या ताने न मारे।
- बच्चों के दोस्तों से बात करके उन्हें समझाएं कि ऐसा होना सामान्य है, इसलिए उसे बुली न करें।
- स्कूल और ट्यूशन के टीचर से भी बात कर सकते हैं, ताकि वो बच्चे को समझाएं कि ऐसा होना सामान्य है।
- जरूरत पड़ने पर काउंसलर की सहायता भी ली जा सकती है।
- इन किसी भी तरीकों से अगर बच्चे का आत्मविश्वास नहीं लौट रहा है, तो सर्जरी या फिर केमिकल रहित मेकअप की मदद से दाग छुपा सकते हैं।
अब हम बता रहे हैं कि सफेद दाग के संबंध में डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर बच्चों के चेहरे या किसी भी अन्य हिस्से पर सफेद दाग दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। सफेद दाग को नजरअंदाज करना ठीक नहींं, क्योंकि ये पूरे शरीर पर फैल सकते हैं। इसके अलावा, जब सफेद धब्बों में खुजली होने लगे, तो बिना देरी किए त्वचा रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें (12)।
बच्चों में सफेद दाग होना सामान्य है। यह किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में यह 20 साल से पहले ही हो जाते हैं। ऐसे में समय रहते इसका इलाज न कराया जाए, तो ये दाग पूरे शरीर पर फैलने लगते हैं। इन सफेद दाग को देखकर लोग कई बार इसे लेप्रोसी यानी कुष्ठ रोग की शुरुआत मान लेते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सफेद दाग और कुष्ठ रोग का आपस में कोई संबंध नहीं है। समय पर सफेद दाग का उचित इलाज करवाने से ये पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
References
1. Childhood Vitiligo: Treatment Paradigms By NCBI
2. A Practical Approach to the Diagnosis and Treatment of Vitiligo in Children By Pediatrics
3. Vitiligo By KidsHealth
4. Hypomelanoses in Children By NCBI
5. Milia By Medline Plus
6. Pityriasis Alba By NCBI
7. Pityriasis alba By Medline Plus
8. Vitiligo By Medline Plus
9. Vitiligo By NIH
10. Vitiligo By NCBI
11. Tinea Versicolor By NCBI
12. Tinea versicolor By Medline Plus
13. Idiopathic Guttate Hypomelanosis By NCBI
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