विषय सूची
बच्चे हों या बड़े, हर किसी को पौष्टिक व संतुलित भोजन करने की सलाह दी जाती है। पौष्टिक खाद्य पदार्थ न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर रखते हैं। इन खाद्य पदार्थों की लिस्ट में मखाने भी शामिल है। मखाने को ‘फॉक्स नट्स’ और ‘कमल के बीज’ भी कहा जाता है। लगभग सभी घरों में मखाना जरूर होता है और इसे चाव से खाया भी जाता है। अब क्या बच्चों को मखाना देना सही है? मॉमजंक्शन के इस लेख में आपको इसी का जवाब मिलेगा। साथ ही आप जान पाएंगे कि मखाने से कौन-कौन से स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं।
आइए, सबसे पहले यही जानते हैं कि बच्चों को मखाना देना चाहिए या नहीं।
क्या बच्चों को मखाना खिलाना सुरक्षित है?
मखाने को गोर्गन नट, लोटस सीड, फॉक्स नट और फूल मखाना भी कहा जाता है। इसे एक प्रकार का ड्राई फ्रूट भी माना गया है। मखाने में एंटीऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। साथ ही इसके सेवन से बच्चों का पाचन तंत्र बेहतर रहता है और दस्त की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है। इस तथ्य की पुष्टि एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध एक रिसर्च पेपर से होती है (1)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि यह बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
आगे आप जानेंगे कि किस उम्र से बच्चों को मखाना देना शुरू किया जा सकता है।
शिशुओं को मखाना कब से देना शुरू करें?
छह माह तक के शिशु के लिए मां का दूध ही सबसे बेहतर माना गया है। इसके बाद से शिशु को खाने के लिए हल्की चीजें दी जा सकती हैं, जैसे – अनाज, फल और सब्जी आदि (2)। इसी क्रम में मखाने को भी शामिल किया जा सकता है। बस ध्यान रहे कि शिशु को लगातार मखाना न खिलाएं। उसे पहली बार मखाने से बनी चीज खिलाने के बाद कुछ दिन इंतजार करें, ताकि पता चल सके कि मखाना उसे हजम हो रहा है या नहीं। साथ ही उसे मखाना खाने से किसी तरह की समस्या तो नहीं हो रही है। बेशक, छह माह के बाद शिशु को ठोस पदार्थ के रूप में मखाना दिया जा सकता है, लेकिन बेहतर यही होगा कि उसे यह देने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ली जाए।
बच्चों को मखाना दें, तो कितना दें? यह जानने के लिए लेख का अगला भाग जरूर पढ़ें।
बच्चो को मखाना कितनी मात्रा में दें?
हर शिशु की शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए डॉक्टर ही बेहतर बता सकते हैं कि शिशु को एक दिन में कितना मखाना देना चाहिए। फिर भी सामान्य मात्रा की बात करें, तो माना जाता है कि शिशु को शुरुआत में दिनभर में एक चम्मच मखाने का पाउडर दिया जा सकता है। जब बच्चा इसे हजम कर ले, तो फिर धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ाई जाती सकती है। वहीं, बड़े बच्चों को एक कटोरी मखाने की खीर या फिर भूने हुए मखाने खाने के लिए दे सकते हैं। इन व्यंजनों को बनाने का तरीका लेख में आगे विस्तार से बताया गया है।
आगे आप जानेंगे कि मखाने में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं।
मखाना में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद होते हैं?
मखाने को हेल्दी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें कई सारे पौष्टिक तत्व मौजूद हाेते हैं। आइए, जानते हैं कि मखाने में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व कितनी मात्रा में मौजूद होते हैं (2)।
- 100 ग्राम मखाने में करीब 332 कैलोरी की मात्रा मौजूद रहती है।
- इसके बाद अगर बात करें प्रोटीन और फैट की, तो 100 ग्राम मखाने में इनकी मात्रा 15.41 और 1.97 ग्राम होती है।
- इन सब पोषक तत्वों के अलावा 100 ग्राम मखाने में कार्बोहाइड्रेट (64.47 ग्राम) और कैल्शियम (163 ग्राम) भी होता है।
- मखाने में पाए जाने वाले अन्य जरूरी पोषक तत्व सोडियम (5 एमजी) और आयरन (3.53 एमजी) हैं।
मखाने में मौजूद पौष्टिक तत्वों के बाद बारी आती है इसे खिलाने से होने वाले लाभ की।
बच्चों के लिए मखाने के क्या लाभ हैं?
बच्चों को स्वाद के साथ-साथ पौष्टिक आहार देने की जरूरत होती है, ताकि उनका विकास अच्छी तरह से हो। मखाना इस तरह के विकास को बढ़ाने में मदद कर सकता है। आइए, जानते हैं कि मखाने को खाने से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं।
- शारीरिक और मानसिक विकास- बच्चों की उम्र के हिसाब से शारीरिक और मानसिक विकास का होना जरूरी है, जिसके लिए आप मखाना दे सकते हैं (3)। मखाने में फोलेट, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे कई जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व हैं (4)। ये सभी तत्व बच्चों का तेजी से विकास करने में मदद कर सकते हैं।
- बढ़ता है ऊर्जा- जैसा कि ऊपर बताया गया है कि मखाने में कैलोरी की मात्रा 332 होती है। कैलोरी की अच्छी मात्रा के कारण मखाने के सेवन से शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहता है, जिस कारण बच्चे दिनभर ऊर्जावान बने रहते हैं (5)।
- मधुमेह से बचाव- मखाने को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड माना गया है। साथ ही इसमें पाए जान वाले रेसिस्टेंट स्टार्च में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) प्रभाव होता है। इस प्रभाव के चलते मखाना को मधुमेह से प्रभावित बच्चों के लिए एक उत्तम आहार माना जा सकता है (6)।
- हृदय के लिए बेहतर- मखाना वजन को नियंत्रित रख सकता है और उच्च रक्तचाप व मधुमेह से बचा सकता है। ये तीनों समस्याएं हृदय रोग का कारण बनती हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मखाने का सेवन करने से हृदय से जुड़ी विभिन्न तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है (1)।
- बेहतर नींद- बच्चों के बेहतर विकास के लिए अच्छी नींद का अहम योगदान होता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार मखाना में मौजूद बायोएक्टिव यौगिक जैसे – फ्लेवोनॉइड, एल्कलॉइड, सैपोनिन, टैनिन और टर्पेनॉइड नींद को बढ़ावा दे सकते हैं (7)।
- पाचन में सहायक – मखाने में कुछ मात्रा फाइबर की भी पाई जाती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिसर्च पेपर में भी बताया गया है कि मखाना खराब पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद कर सकता है (1)।
आइए, अब फायदे के साथ-साथ मखाने से हाेने वाले नुकसान के बारे में जान लेते हैं।
मखाने से बच्चों को होने वाले नुकसान
अगर मखाने का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए, तो बच्चों को निम्न प्रकार के दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है:
- पेट दर्द- जैसा कि ऊपर बताया गया है कि मखाना में फाइबर होता है। ऐसे में इसका अधिक सेवन गैस और पेट में दर्द का कारण बन सकता है (8)।
- एलर्जी- कुछ बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे बच्चे अगर पहली बार मखाना खाते हैं, तो उन्हें एलर्जी की समस्या हो सकती है।
आर्टिकल के इस हिस्से में हम जानेंगे कि अच्छे मखाने की पहचान कैसे करें।
मखाने का चयन और स्टोर कैसे करें?
मखाने को खरीदते समय नीचे दी गई बातों पर ध्यान देना चाहिए:
अच्छे मखाने की पहचान:
- मखाना खरीदते वक्त इस बात का खास ध्यान दें कि मखाना ज्यादा पुराना न हो, क्योंकि पुराने मखाने के अंदर कीड़े हो सकते हैं।
- अगर आप सील पैकेट वाला मखाना खरीद रही हैं, तो उसकी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें।
- इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं मखाने में सड़न और नमी न आ गई हो।
- हमेशा सफेद रंग के मखाने लेने चाहिए।
मखाने को स्टोर करने का तरीका:
- मखाने को हमेशा एयरटाइट कंटेनर या डिब्बे में बंद करके रखना चाहिए। हवा लगने से मखाने में नमी आ सकती है।
- मखाने को फ्राई करने के बाद उसमें थोड़ा नमक मिलाकर स्टोर कर सकते हैं।
- मखाने को कभी फ्रिज में स्टोर करके नहीं रखना चाहिए, क्योंकि फ्रिज में मखाने रखने से नरम होकर जल्दी खराब हो जाते हैं।
लेख के आखिरी हिस्से में हम मखानों से बनने वाले व्यंजनों की जानकारी लेकर आए हैं।
बच्चों के लिए मखाने से बने व्यंजन
अगर आपके बच्चे भी एक ही तरह के चीजें खा-खाकर बोर हो चुके हैं, तो उन्हें मखाने के तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खिला सकते हैं। कुछ ऐसे ही स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
1. मखाने की खीर
सामग्री:
- एक कप मखाना
- दो कप दूध
- चीनी या गुड़ का पाउडर (आवश्यकतानुसार)
- आधा चम्मच इलायची पाउडर
- केसर थोड़ा-सा
- ड्राई फ्रूट्स (आवश्यकतानुसार)
विधि:
- एक फ्राई पैन को गैस पर रखकर मखानों को सूखा भून लें। इन्हें तब तक भूनना है, जब तक कि ये गोल्डन ब्राउन न हो जाएं।
- इसके बाद मखानों को ठंडा होने के लिए रख दें और फिर मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें।
- अब एक पैन में दूध डालकर उसे गर्म करें। जब दूध उबलने लगे, तो उसमें मखाने का पाउडर डाल दें। साथ ही कड़छी को दूध में चलाते रहें, ताकि पाउडर में गांठ न बन जाए।
- 25 मिनट के बाद इसमें पिसे हुए चीनी या गुड़ और इलायची पाउडर डालकर मिक्स करें।
- अब आंच को मध्यम कर दें और फ्राई पैन को करीब 7-10 मिनट के लिए ढक दें। बीच-बीच में दूध को हिलाते रहें, ताकि खीर नीचे लग न जाए।
- जब दूध गाढ़ा हो जाए, तो समझिए कि खीर तैयार है। अब इसमें ड्राई फ्रूट्स डालकर बच्चों को सर्व करें।
मात्रा: इसे बच्चों को आधा कटोरी खिला सकते हैं।
2. रोस्टेड मखाना
सामग्री:
- तीन कप मखाना
- एक चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर
- एक चौथाई चम्मच हल्दी
- नमक (स्वादानुसार)
- एक चम्मच घी
विधि:
- सबसे पहले मखानों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
- अब एक फ्राई पैन को कम आंच पर गर्म होने के लिए रखें।
- फिर पैन में एक चम्मच घी डालकर गर्म करें।
- जब घी गर्म हो जाए, तो मखाने उसमें डाल दें और इन्हें तब तक भूनें, जब तक कि इनका रंग हल्का भूरा न हो जाए।
- इसके बाद गैस को बंद कर दें और मखानों को किसी बर्तन में डाल दें। इन पर ऊपर से काली मिर्च, हल्दी और नमक डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें।
- आप इसमें स्वाद के लिए चाट मसाला भी डाल सकते हैं। अब इन्हें बच्चों को खिलाएं।
मात्रा: बच्चों को मुट्ठी भर मखाना दे सकते हैं। पर उन्हें ये देने से पहले सुनिश्चित करें कि मखाना बच्चे के गले में न फसे।
3. मखाना सूप
सामग्री:
- एक कप मिक्स दाल
- तीन चम्मच मखाना पाउडर
- आधा कप प्याज (बारीक कटे हुए)
- आधा कप टमाटर (बारीक कटे हुए)
- ¼ कप अजमोद (बारीक कटा हुआ)
- आधा चम्मच अदरक व लहसून का पेस्ट
- एक चम्मच वर्जन जैतून का तेल
- नमक (स्वादानुसार)
विधि:
- सबसे पहले दालों को अच्छी तरह धोकर कूकर में डाल दें और करीब 5 सीटियां बजवाएं, ताकि दाल अच्छी तरह से गल जाए।
- फिर मध्यम आंच पर फ्राई पैन को रखकर उसमें तेल गर्म करें। जब तेल गर्म हो जाए, तो उसमें प्याज और अदरक व लहसून का पेस्ट डाल दें।
- जब प्याज हल्के सुनहरे भूरे रंग के हो जाएं, तो उसमें टमाटर व नमक डालकर तब तक भूनें, जब तक कि टमाटर अच्छी तरह से गल न जाएं।
- इसके बाद दाल को कूकर से निकाल कर फ्राई पैन में डाल दें और तैयार हुए मसाले में अच्छी तरह मिक्स करके करीब 10 मिनट तक पकाएं।
- अब इस मिक्सचर को मिक्स में निकाल लें और इसके ठंडा होने के बाद मिक्सी में पीसकर पतला पेस्ट बना लें। अगर जरूरत महसूस हो, तो आप इसे पतला करने के लिए और पानी डाल सकते हैं।
- इसके बाद पैन को कम आंच पर रखकर उसमें एक और चम्मच तेल डालकर गर्म करें और उसमें धीरे-धीरे मखाना पाउडर डालते हुए मिक्स करें।
- इसके बाद दाल के पेस्ट को इसमें डाल दें और करीब दो-तीन मिनट तक पकाएं।
- लीजिए, मखाने का सूप तैयार है। अब इसे बाउल में डालकर लें और ऊपर से अजमोद को छिड़क दें।
मात्रा: बच्चों को आधा कटोरी तक इस सूप को दे सकते हैं।
तो आपने जाना कि बच्चों के लिए मखाना कितना फायदेमंद है। अगर आपके शिशु ने ठाेस पदार्थ लेना शुरू कर दिया है, तो उन्हें ये डिश बनाकर खिला सकते हैं। ये न सिर्फ स्वादिष्ट हैं, बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर भी हैं। फिर देरी किस बात की, आज ही उन्हें इनमें से कोई एक डिश उन्हें बनाकर दें। बच्चों के विकास व स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी ही और रोचक जानकारी के लिए आप पढ़ते रहें मॉमजंक्शन।
References
1. Current Advances in the Metabolomics Study on Lotus Seeds By NCBI
2. When, What, and How to Introduce Solid Foods By CDC
3. Seeds, lotus seeds, dried By USDA
4. Formulation, nutritional and phytochemical analysis of ready to mix infant Food using Gorgon Nut, Samak Rice and Banana powder By Journal of Pharmacognosy and Phytochemistry
5. Market Intelligence Report: Makhana By APEDA
6. Major health benefits and functional and sensory properties of cookies prepared from all purpose flour supplemented with fox nut By Academia
7. Genome-wide transcriptional changes in type 2 diabetic mice supplemented with lotus seed resistant starch By Pubmed
8. Changes in Drosophila melanogaster Sleep-Wake Behavior Due to Lotus (Nelumbo nucifera) Seed and Hwang Jeong (Polygonatum sibiricum) Extracts By NCBI
9. Fiber By MedlinePlus
Community Experiences
Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.