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बड़े अपनी शारीरिक समस्या के बारे में बोलकर बता सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चे बोलने में असमर्थ होते हैं। खासकर, नवजात बच्चों को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या गंभीर होती है। ऐसी ही समस्या है मुंह के छाले, जिसे ओरल थ्रश भी कहते हैं। सुनने में भले ही यह सामान्य लगे, लेकिन नवजात के लिए छोटी-सी असुविधा भी कष्टदायक हो सकती है। इसी बात पर ध्यान देते हुए मॉमजंक्शन के इस लेख में हम छोटे बच्चों के मुंह में छाले होने से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही इस लेख में कुछ घरेलू उपाय भी बताए गए हैं, जिनका प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

सबसे पहले जानते हैं कि नवजात शिशु के मुंह में छाले यानी ओरल थ्रश कहते किसे हैं।

बच्चे के मुंह के छाले या ओरल थ्रश क्या होते हैं? | Baccho Ke Muh Mein Chhale

छोटे बच्चों में ओरल थ्रश एक आम फंगल संक्रमण है, जो जीभ और मुंह में होता है। यह जन्म के बाद एक साल तक के बच्चे को हो सकता है। यह आम संक्रमण स्तनपान के दौरान बच्चे को हो सकता है (1) (2)

आगे जानिए नवजात शिशु के मुंह में छाले होने के कारण।

बच्चों के मुंह में छाले होने के कारण

अगर किसी समस्या का कारण पता हो, तो उसका समाधान निकालना आसान हो जाता है। इसलिए, यहां हम नवजात शिशु के मुंह में छाले होने के कारणों के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं (2)

  • आमतौर पर कुछ रोगाणु हमारे शरीर में रहते हैं, जिनमें से अधिकांश हानिरहित हैं। वहीं, कुछ संक्रमण का कारण बन सकते हैं। शिशु को थ्रश तब होता है जब शिशु के मुंह में कैंडिडा अल्बिकंस (Candida albicans) नामक यीस्ट अधिक बढ़ जाता है।
  • बड़ों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है, जो इन कीटाणुओं को रोककर रखने में मदद करती है। वहीं, बच्चों की इम्यून पावर कम होती है, जिस कारण उन पर कीटाणुओं का असर जल्दी होता है और ओरल थ्रश की समस्या होती है।
  • थ्रश तब भी हो सकता है जब मां या बच्चे ने एंटीबायोटिक दवा ली हो। एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया से संक्रमण का इलाज करते हैं, लेकिन कभी-कभी ये “अच्छे” बैक्टीरिया को भी मार सकते हैं। इस कारण भी कैंडिडा अल्बिकंस यीस्ट के बढ़ने की आशंका रहती है।
  • यीस्ट हमेशा गर्म और नम क्षेत्रों में पनपता है। इसलिए, यह शिशु के मुंह और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के निप्पल के आसपास हो सकता है।

आगे हम बच्चों के मुंह में छाले होने पर नजर आने वाले लक्षणों के बारे में बता रहे हैं।

बच्चों के मुंह में छाले होने के लक्षण

शिशु के मुंह में छाले होने पर निम्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं (2)

  • मुंह लाल हो जाना।
  • मुंह में और जीभ पर सफेद व मखमली घाव।
  • घावों को पोंछने से रक्तस्राव हो सकता है।
  • बच्चे के मूड में बदलाव जैसे – रोना या चिड़चिड़ा हो जाना।
  • दूध न पीना आदि।

यह भी संभव है कि कुछ शिशुओं में कोई भी लक्षण नजर न आए।

मां में थ्रश के लक्षण:

  • निप्पल्स के रंग में बदलाव या दर्द होना।
  • नर्सिंग यानी दूध पिलाने के दौरान और बाद में निप्पल और स्तनों में दर्द का अनुभव हो सकता है।

लेख में आगे इस समस्या के निदान के बारे में बताया जा रहा है।

शिशुओं में ओरल थ्रश का निदान

शिशुओं के मुंह में छालों का पता लगाने के लिए डॉक्टर जांच कर सकते हैं। साथ ही माता-पिता से शिशु के लक्षणों के बारे में पूछ सकते हैं। अगर परेशानी ज्यादा हो, तो डॉक्टर शिशु की त्वचा का सैंपल (फंगल कल्चर) भी जांच के लिए भेज सकते हैं। इससे बैक्टीरिया या फंगस का पता चल सकता है (3)। इसमें दो से तीन दिन लग सकते हैं।

आगे जानिए कि बच्चों के मुंह के छाले ठीक करने के उपचार क्या-क्या हो सकते हैं ?

बच्चों के मुंह के छाले कैसे ठीक करें?

छालों की समस्या नवजात के लिए कष्टदायक हो सकती है। ऐसे में इसका इलाज वक्त रहते होना जरूरी है। यहां हम शिशु के मुंह में छाले का उपचार कैसे किया जाए उसकी जानकारी दे रहे हैं (2)

  • कुछ मामलों में शिशु को उपचार की जरूरत नहीं होती है। बच्चों के मुंह के छाले अपने आप ही ठीक हो सकते हैं।
  • कुछ मामलों में डॉक्टर बच्चों के मुंह के छाले की दवा दे सकते हैं। छोटे बच्चे बड़ों की तरह दवाइयों का सेवन नहीं कर सकते हैं। इस स्थिति में डॉक्टर इन एंटी-फंगल दवा को शिशु के प्रभावित जगह पर लगाने के लिए दे सकते हैं।
  • अगर मां के निप्पल पर यीस्ट संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटीफंगल क्रीम लगाने की सलाह दे सकते हैं। इसे निप्पल पर लगाने से न सिर्फ संक्रमण ठीक हो सकता है, बल्कि शिशु को संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकता है।

आइए, अब यह भी जान लेते हैं कि घरेलू उपचार से इस समस्या को कैसे ठीक किया जा सकता है।

बच्चों में ओरल थ्रश लिए घरेलू उपचार

ध्यान रहे कि ये उपचार बच्चे की उम्र पर निर्भर करते हैं। नवजात या 6 माह के शिशु पर इन उपचार का इस्तेमाल किया जाना सही नहीं है।

  • नारियल पानी – बच्चों के मुंह के छाले ठीक करने के लिए बच्चे को नारियल पानी दिया जा सकता है, ताकि उन्हें आराम मिले और जलन का एहसास न हो।
  • आइसक्रीम – बच्चे को आइसक्रीम भी खिला सकते हैं। इससे न सिर्फ बच्चे के मुंह का स्वाद बदल सकता है, बल्कि उनके छालों को ठंडक भी मिल सकती है।
  • तुलसी -बच्चों के मुंह के छाले पर तुलसी के पत्तों का पेस्ट भी लगाया जा सकता है। तुलसी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण छालों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं (4)। इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
  • दही –बच्चे की उम्र के आधार पर डॉक्टर उसके आहार में दही शामिल करने का सुझाव दे सकते हैं। साथ ही लैक्टोबैसिली (lactobacilli) के सप्लीमेंट भी दे सकते हैं। यह बच्चे के छालों को ठीक होने में सहायक हो सकता है। लैक्टोबैसिली को “अच्छा” बैक्टीरिया माना गया है (1)

आगे हम कुछ बचाव के तरीके बता रहे हैं, जिनकी मदद से बच्चों को छाले से बचाया जा सकता है।

बच्चों को ओरल थ्रश से कैसे बचाएं?

नीचे बताए गए टिप्स को फॉलो करके आप बच्चों के मुंह में छाले होने से बचा सकते हैं (2)

  • अगर कोई बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो उसकी बोतल को अच्छी तरह से स्टरीलाइज करें और साफ रखें।
  • अगर शिशु स्तनपान करता है, तो मां अपनी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। दूध पिलाने से पहले और बाद में निप्पल्स को अच्छी तरह से साफ करें।
  • बच्चे कई बार खेलते -खेलते खिलौने मुंह में ले लेते हैं। ऐसे में बच्चे जिस भी खिलौनों से खेलते हैं, उन्हें साफ रखें।
  • ध्यान रहे दूध पिलाने के बाद बच्चे का मुंह साफ पानी से साफ करें।

आगे जानिए शिशु की जीभ को साफ करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

शिशु की जीभ को साफ करने के लिए टिप्स

कई बार शिशु की जीभ की सही तरीके से सफाई न होना भी बच्चों के मुंह के छाले का कारण हो सकता है। ऐसे में जीभ की सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। नीचे हम शिशु की जीभ को साफ करने के लिए कुछ आसान टिप्स आपके साथ साझा कर रहे हैं।

  • सबसे पहले आप अपनी तर्जनी उंगली में साफ-मुलायम कपड़ा बांध लें।
  • फिर इसे साफ उबाले हुए पानी में डुबोएं और उस भीगे कपड़े से धीरे-धीरे से बच्चे की जीभ साफ करें।
  • आप चाहें तो ईयरबड को भी साफ उबले पानी में डुबोकर बच्चे की जीभ साफ कर सकते हैं।
  • अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो आप उसके उम्र के अनुसार बाजार में मिलने वाले टंग क्लीनर का भी उपयोग कर सकते हैं।
  • जीभ साफ करते वक्त आप अपने बच्चे का मन बहलाते रहें, ताकि वो न रोए और चिड़चिड़ा न हो।
  • जीभ साफ करने के साथ-साथ शिशु के मसूड़े भी हल्के-हल्के से साफ करें।

लेख के आगे के भाग में जानिए बच्चों के मुंह के छाले होने से डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

वैसे तो नवजात शिशु के मुंह में छाले अपने आप ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी हो सकता है कि डॉक्टर की सलाह लेने की भी जरूरत हो। नीचे बताए गए स्थितियों में शिशु को डॉक्टर के पास ले जाना जरूरत हो सकता है (2)

  • अगर शिशु में ओरल थ्रश यानी मुंह के छाले दिखें।
  • अगर शिशु रोए या चिड़चिड़ा महसूस करे।
  • अगर शिशु दूध न पिये या कुछ न खाए।
  • अगर स्तनपान कराने वाली महिला के निप्पल पर संक्रमण के लक्षण दिखें।

बच्चे के मुंह के छाले या ओरल थ्रश भले ही सामान्य हों, लेकिन नवजात के लिए काफी कष्टदायी हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते माता-पिता ओरल थ्रश के कारण और लक्षणों पर ध्यान दें। आशा है कि ओरल थ्रश का यह लेख आपके काम आए। वक्त रहते अपने नन्हे के ओरल थ्रश के लक्षणों को पहचानकर लेख में बताए गए उपाय कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर की सलाह लेने में देर न करें। साथ ही इस विषय से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें लिख भेजें। हम विशेषज्ञों और वैज्ञानिक प्रमाण सहित जल्द से जल्द जवाब देंगे।

References

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