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बदलते मौसम, संक्रमण या अन्य कई कारणों से बच्चों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। उन्हीं में से एक है, बच्चों को टॉन्सिल की समस्या। क्या आपके बच्चे या आपके किसी परिचित के बच्चे को टॉन्सिलाइटिस (tonsillitis) की समस्या का सामना करना पड़ा है? अगर हां, तो आप जानते ही होंगे कि यह बच्चे के लिए कितनी तकलीफदेह समस्या है। मॉमजंक्शन के इस लेख के जरिए हम बच्चों में टॉन्सिल से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। टॉन्सिलाइटिस क्या है, बच्चों के टॉन्सिल का इलाज, बचाव और ऐसी ही कई अन्य जानकारियां आपको इस लेख में जानने को मिलेगी।
लेख की शुरुआत हम टॉन्सिल के परिचय के साथ करते हैं।
बच्चों में टॉन्सिल क्या है और यह कितना आम है?
हर किसी के गले में टॉन्सिल होते हैं – एक दाईं ओर और एक बाईं तरफ। टॉन्सिल का काम उन कीटाणुओं से लड़ना होता है, जो मुंह या नाक से हमारे शरीर में प्रवेश कर शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण पैदा करते हैं, लेकिन कभी-कभी ये बैक्टीरिया या वायरस टॉन्सिल में घुस जाते हैं और उन्हें संक्रमित कर देते हैं। इस अवस्था को ही टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है (1)। टॉन्सिलाइटिस की समस्या किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। वहीं, 5 से 15 साल की उम्र के बच्चों को स्ट्रेप थ्रोट (Strep throat) की समस्या भी हो सकती है। इसमें गले में सूजन व खुजली जैसी परेशानी हो सकती है और ऐसा बैक्टीरिया के कारण हो सकता है (2)।
आगे जानिए टॉन्सिलिटिस कितने प्रकार के हो सकते हैं।
टॉन्सिलिटिस के प्रकार
टॉन्सिलिटिस तीन प्रकार के होते हैं (3) :
- एक्यूट टॉन्सिलाइटिस (acute tonsillitis) – यह बैक्टीरिया या वायरस के कारण हो सकता है।
- सब-एक्यूट टॉन्सिलाइटिस (sub-acute tonsillitis)- यह बैक्टीरिया के कारण होता है।
- क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस (chronic tonsillitis)- यह भी बैक्टीरिया के कारण ही हो सकता है, लेकिन इसका सही वक्त पर इलाज न किया जाए, तो यह लंबे वक्त तक रह सकता है।
अब जानते हैं बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
बच्चों को टॉन्सिलिटिस होने के कारण
नीचे हम बच्चों को टॉन्सिलिटिस होने के कुछ कारण आपके साथ साझा कर रहे हैं (2) (4) (5)।
- बैक्टीरिया या वायरस से टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। जब कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो उसे टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। इसके अलावा, जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो कीटाणु आसपास की हवा में फैल जाते हैं। फिर वो कीटाणु स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर टॉन्सिलाइटिस की समस्या पैदा कर सकते हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस आमतौर पर स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया (streptococcus bacteria) के कारण होता है।
- जरूरी नहीं है कि जिसको भी यह बैक्टीरिया हो, उसे टॉन्सिलाइटिस होगा। कभी-कभी स्कारलेट फीवर के कारण भी टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। यह बुखार भी स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है।
इसके अलावा वायरल संक्रमण से भी टॉन्सिलाइटिस हो सकता है। जैसे –
- एडीनोवायरस
- फ्लू
- एपस्टीन-बार वायरस (मोनो) मोनोन्यूक्लिओसिस, जिसे “मोनो” या ग्रंथियों का बुखार भी कहा जाता है।
आगे जानिए कि बच्चों में टॉन्सिलाइटिस होने के मुख्य लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं।
बच्चों को टॉन्सिलिटिस होने के लक्षण
नीचे पढ़ें बच्चों को टॉन्सिलिटिस होने के कुछ मुख्य लक्षणों के बारे में (2):
- गले में खराश
- बुखार
- सांसों की बदबू
- गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स)
- निगलने में परेशानी
- पेट दर्द
- सिरदर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- सोते वक्त मुंह खोलकर सोना
- नींद में खर्राटे लेना
लेख के अगले भाग में हम बता रहे हैं कि टॉन्सिलाइटिस का निदान कैसे किया जा सकता है।
बच्चों में टॉन्सिल का निदान
बच्चों में टॉन्सिलाइटिस का निदान कुछ इस प्रकार किया जा सकता है (2)।
- सबसे पहले डॉक्टर बच्चे या उसके माता-पिता से लक्षणों के बारे में पूछते हैं।
- डॉक्टर बच्चे के गले की जांच भी कर सकते हैं। डॉक्टर बच्चे के मुंह के अंदर, गले के पीछे और गर्दन को चेक करते हैं।
- डॉक्टर रूई की मदद से टॉन्सिल से सैंपल लेते हैं और इसे दो तरीकों से टेस्ट किया जा सकता है –
- रैपिड स्ट्रेप टेस्ट (rapid strep test), जिसमें कुछ देर में ही परिणाम मिल जाता है।
- थ्रोट कल्चर (throat culture), जो परीक्षण लैब में होता है। इस कारण परिणाम आने में कुछ दिन लगते हैं।
अगर रैपिड स्ट्रेप टेस्ट में स्ट्रेप के लक्षण नहीं दिखते, तो डॉक्टर थ्रोट कल्चर के परिणाम पर निर्भर करते हैं।
लेख के अगले भाग में हम बच्चों में टॉन्सिलाइटिस की कुछ जटिलताएं के बारे में जानेंगे।
बच्चों में टॉन्सिलिटिस की जटिलताएं
सामान्य तौर पर टॉन्सिलाइटिस में जटिलताएं होने का खतरा कम होता है, लेकिन सावधानी के तौर पर हम नीचे कुछ जटिलताओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अगर इलाज में देरी हुई, तो इस तरह की समस्याएं हो सकती हैं (6)।
- टॉन्सिल या टॉन्सिल के आसपास फोड़े हो जाना, पस भरना और सूजन होना (रेट्रोफिरिंजियल एब्सेस) (retropharyngeal abscess)।
- स्ट्रेप के कारण होने वाली किडनी की बीमारी (पोस्ट स्ट्रेप्टोकोकल ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस) (post streptococcal glomerulonephritis)।
- रूमेटिक फीवर (Rheumatic fever) और ह्रदय संबंधी समस्याएं।
आगे जानिए बच्चों के टॉन्सिल का इलाज कैसे किया जाए।
बच्चों के टॉन्सिल का इलाज
बच्चों के टॉन्सिल का इलाज टॉन्सिलाइटिस होने के कारण पर निर्भर करता है (1) (2)।
- बैक्टीरिया – अगर टॉन्सिलाइटिस बैक्टीरिया के कारण हुए हैं, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवाइयां देंगे। एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं। ये दवाइयां बच्चे को डॉक्टर के निर्देशों के अनुसार सही तरीके से और सही वक्त पर देना जरूरी है। अगर आपका बच्चा कुछ ही दिनों में अच्छा महसूस करने लगे, तो भी बच्चे को दवाइयां निर्धारित अवधि तक दें। कभी-कभी वक्त से पहले दवाइयों का सेवन बंद करने से संक्रमण फिर से हो सकता है।
- वायरस – अगर टॉन्सिलाइटिस का कारण वायरस है, तो एंटीबायोटिक्स काम नहीं करेंगे। ऐसे में शरीर खुद ही वायरस से लड़ सकता है।
नोट : टॉन्सिलाइटिस के दुर्लभ मामलों में ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ सकती है। ये उन मामलों में होता है, जब टॉन्सिल काफी ज्यादा संक्रमित हो जाते हैं। इसके कारण बच्चे को कुछ निगलने या सांस लेने में भी तकलीफ होती है।
लेख के आगे के भाग में जानिए टॉन्सिलाइटिस में किए जाने वाले कुछ घरेलू उपाय।
बच्चों के टॉन्सिल का घरेलू उपचार
नीचे हम टॉन्सिलाइटिस से राहत दिलाने के लिए कुछ घरेलू उपायों की जानकारी दे रहे हैं। हालांकि, ये घरेलू उपचार टॉन्सिलाइटिस के प्रभाव को कम कर सकते हैं, लेकिन इससे समस्या पूरी तरह ठीक होगी या नहीं यह बच्चे के स्थिति पर निर्भर करता है।
- तुलसी : बच्चे को तुलसी का काढ़ा दिया जा सकता है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं, जो टॉन्सिलाइटिस के असर को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसका एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण श्वास संबंधी समस्याओं और गले में खराश जैसी परेशानी से राहत दिला सकता है (7)। आप बच्चे को तुलसी की पत्तियों को धोकर उसका सेवन करने के लिए भी दे सकते हैं।
- गार्गेलिंग : अगर आपका बच्चा आठ वर्ष या उससे बड़ा है, तो उन्हें एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करा सकते हैं (4)। इससे गले को काफी हद तक राहत मिल सकती है। जब बच्चा गरारे करे, तो उस वक्त आप उसके साथ रहें, ताकि आप उन्हें सही से इसकी विधि बता सकें। ध्यान रहे कि बच्चा पानी निगले न।
- दालचीनी : आप एक चम्मच दालचीनी पाउडर व दो चम्मच शहद लें और इसे एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं। अपने बच्चे को इसे पीने के लिए प्रोत्साहित करें। यह गले को काफी हद तक आराम दे सकता है। दालचीनी का एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण गले की परेशानी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है (8)।
- शहद : आप अपने बच्चे को शहद का सेवन भी करा सकते हैं। शहद में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। ये गुण गले के संक्रमण से राहत दिला सकते हैं। अगर गले में दर्द की वजह से बच्चे को सोने में असुविधा हो, तो भी शहद का सेवन कराना बच्चे के लिए लाभकारी हो सकता है (9) (10)। ध्यान रहे कि एक वर्ष या उससे छोटे बच्चे को शहद का सेवन न कराएं (11)।
- स्कार्फ या मफलर : बच्चे के गले में आप स्कार्फ व मफलर जैसे गर्म कपड़े लपेट सकते हैं। इससे काफी आराम मिल सकता है (4)। ध्यान रहे कि आप इसे ज्यादा टाइट से न लपेटें। बेहतर है कि जब आप बच्चे के गले में मफलर या स्कार्फ लपेटे, तो उनसे पूछ लें कि कहीं उन्हें असुविधा तो नहीं हो रही है।
इन सबके अलावा, आप बच्चे को जल्द राहत दिलाने के लिए नीचे बताए गए उपाय भी कर सकते हैं (12)।
- बच्चे को नर्म खाना खिलाएं, ताकि उन्हें खाते या निगलते वक्त तकलीफ न हो।
- ज्यादा से ज्यादा पेय पदार्थों का सेवन कराएं।
- उन्हें ज्यादा से ज्यादा आराम कराएं।
आगे जानिए कि कैसे बच्चों को टॉन्सिलाइटिस होने से बचाया जा सकता है।
बच्चों को टॉन्सिल होने से कैसे बचाएं?
अगर बात करें बच्चों को टॉन्सिलाइटिस से बचाने की, तो यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है। टॉन्सिलाइटिस का कारण बनने वाले कीटाणुओं के प्रसार को रोकना मुश्किल हो सकता है, लेकिन नीचे बताई गई बातों का पालन कर आप कुछ हद तक अपने बच्चे को इसके खतरे से दूर रख सकते हैं (2)।
- अगर घर में किसी को टॉन्सिलाइटिस की समस्या है, बच्चों को उनसे दूर रखने का प्रयास करें।
- बच्चों खाना अलग और साफ बर्तन में दें।
- घर में जब भी कोई बाहर से आए, तो ध्यान रहे कि वो बच्चे को छूने से पहले हाथ जरूर धोएं। यह भी ध्यान रहे कि बच्चे बाहर से आने के बाद और खाने के पहले हाथ जरूर धोएं।
आगे जानिए टॉन्सिलाइटिस में कब डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं?
नीचे हम कुछ लक्षणों या परिस्थितियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनके नजर आते ही बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए (12)।
- अगर बच्चे को दो दिन से अधिक समय तक गले में खराश रहे।
- खाना खाने या निगलने में परेशानी व दर्द होता हो।
- बच्चा बहुत बीमार हो या कमजोर महसूस करता हो।
- सांस लेने में दिक्कत हो रही हो।
- बच्चे के मुंह से लार टपक रही हो।
- कुछ भी निगलने में बहुत परेशानी हो रही हो।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या टॉन्सिलिटिस संक्रामक है?
हां, टॉन्सिलाइटिस संक्रामक है। छींकने और खांसने से कीटाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाकर दूसरे व्यक्ति को बीमार कर सकता है (2)।
टॉन्सिल्लेक्टोमी के बाद गले को ठीक होने में कितना समय लगता है?
टॉन्सिल्लेक्टोमी एक प्रकार की सर्जरी है, जिसमें टॉन्सिल को निकाला जाता है (13)। इसके बाद गले को ठीक होने में दो हफ्ते लग सकते हैं (14)। यह कुछ हद तक बच्चे की स्थिति पर भी निर्भर करता है। ऐसे में इस बारे में आपको डॉक्टर से भी सटीक जानकारी मिल सकती है।
आमतौर पर टॉन्सिलाइटिस में किसी प्रकार की जटिलता नहीं होती, लेकिन अगर वक्त रहते इलाज न किया जाए, तो परेशानी बढ़ सकती है। आशा करते हैं कि इस लेख में दी गई जानकारियों से आपको टॉन्सिलाइटिस के बारे में काफी कुछ पता चल चुका होगा। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कर आप दूसरों को भी टॉन्सिलाइटिस के बारे में जागरूक कर सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपको बच्चे में टॉन्सिलाइटिस की समस्या गंभीर लगे, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर की सलाह लें। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे इस लेख में दी गई सभी जानकारियां पाठक के काम आएंगी।
References
1. Tonsillitis By Kidshealth
2. Tonsillitis By Kidshealth
3. Tonsillitis By HealthyWA
4. Tonsillitis: Overview By NCBI
5. Scarlet fever By Medlineplus
6. Tonsillitis By Medlineplus
7. Immunomodulatory and anti-inflammatory effects of hydro-ethanolic extract of Ocimum basilicum leaves and its effect on lung pathological changes in an ovalbumin-induced rat model of asthma By NCBI
8. Cinnamon from the selection of traditional applications to its novel effects on the inhibition of angiogenesis in cancer cells and prevention of Alzheimer’s disease, and a series of functions such as antioxidant, anticholesterol, antidiabetes, antibacterial, antifungal, nematicidal, acaracidal, and repellent activities By NCBI
9. Honey and Health: A Review of Recent Clinical Research By NCBI
10. Effect of honey, dextromethorphan, and no treatment on nocturnal cough and sleep quality for coughing children and their parents. By NCBI
11. Sore Throat By CDC
12. Tonsillitis By Medlineplus
13. Tonsillectomy By Medlineplus
14. Tonsil and adenoid removal – discharge By Medlineplus
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