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शिशु नाजुक होते हैं। उन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है। छोटी-सी लापरवाही भी उनके लिए विभिन्न तरह की समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए, जन्म के बाद न सिर्फ उनकी त्वचा, बल्कि आंखों का ध्यान रखना भी जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ शिशु जन्म के बाद ही आंखों में पानी आने की समस्या का शिकार हो जाते हैं। यह समस्या ऐसी है, जिस बारे में माता-पिता को कम ही जानकारी होती है। उन्हें लगता है कि शिशु रो रहा है, जबकि ऐसा नहीं होता। आखिर क्या है यह समस्या और क्यों होती है? साथ ही शिशु को इससे कैसे बचाया जा सकता है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में मिलेंगे।

आइए, सबसे पहले जानते हैं कि नन्हे शिशु को यह समस्या क्यों होती है।

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बच्चों की आंखों में पानी आने का क्या कारण है? | Baccho Ki Aankhon Mein Pani Aana

बच्चों की आंखों में पानी आने की समस्या को मेडिकल भाषा में एपिफोरा (Epiphora) कहा जाता है। इस समस्या के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  1. आंसू नलिकाओं का बंद होना : आंखों के ऊपर आंसू बनाने वाली एक ग्रंथि होती हैं। इसे टियर ग्लैंड या लैक्रिमल ग्रंथि कहते हैं। इस ग्रंथि से निकलकर आंसू आंख में आते हैं (1)। कुछ आंसू आंख से बह जाते हैं और कुछ आंख के कोने में पाए जाने दो छोटे छेदों से होते हुए नाक में पहुंचते हैं। ये आंसू नाक में पाई जाने वाली नली (नासोलैक्रिमल वाहिनी) में आते हैं और नाक के जरिए बाहर निकल जाते हैं। जब नासोलैक्रिमल वाहिनी किन्हीं कारणों से ब्लॉक हो जाती है, तो शिशु के न रोने पर भी आंसू आंख से निकलने लगते हैं। कई बार जन्म के समय शिशुओं में नासोलैक्रिमल नली पूरी तरह विकसित नहीं होती है। जन्म के समय इसमें पतली झिल्ली भी हो सकती है, जो आंसुओं के बाहर निकलने में रुकावट बन सकती है। शिशुओं में यह समस्या कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है। वहीं, वयस्कों में नासोलैक्रिमल नली बंद होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे चेहरे पर चोट लगना, आंख और नाक में किसी तरह का इन्फेक्शन। आंसू नलिका में होने वाले इन्फेक्शन को डाक्रोसिस्टाइटिस (Dacryocystitis) कहते हैं। यह इन्फेक्शन भी आंख में पानी आने का कारण हो सकता है (2)
  1. आंखों में संक्रमण के कारण : आंख में संक्रमण होने पर भी शिशु की आंख से लगातार पानी आ सकता है। इस संक्रमण को कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis) कहा जाता है (2)। इस संक्रमण में आंख में खुजली और लालपन जैसे अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं। एक अन्य संक्रमण भी आंख में पानी आने का कारण हो सकता है, जिसे अंजनहारी या बिलनी और अंग्रेजी में स्टाई (stye) कहते हैं। यह स्टैफिलोकोकल बैक्टीरिया (staphylococcal bacteria) के कारण होता है। इसमें पलक पर मोटा दाना उभर आता है। इस दाने में दर्द होता है और संक्रमण के दौरान आंख से पानी भी आ सकता है (3)
  1. सर्दी लगने पर : आमतौर पर सर्दी लगने पर भी आंखों से पानी आ सकता है (4)। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारी नाक एक सफेद तरल पदार्थ बनाती है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को फेफड़े तक जाने से रोकती है। कोल्ड होने पर इस पदार्थ का अधिक मात्रा में निर्माण होता है, जो नाक से बहने लगता है (5)। यह नाक में जमकर नासोलैक्रिमल नली को बंद कर देता है, जिससे बच्चों की आंख से पानी आ सकता है (2)
  1. एलर्जी : बदलते मौसम में होने वाला बुखार या जुकाम एलर्जी के कारण भी हो सकता है। अगर आपके बच्चे की आंख लाल हो और उससे पानी आ रहा है, तो हो सकता है उसे भी एलर्जी हो (6)
  1. नाक में सिस्ट का होना : नाक में सिस्ट या ट्यूमर होने से भी नासोलैक्रिमल नली बंद हो सकती है, जिससे बच्चों की आंखों से पानी निकल सकता है यानी एपिफोरा की समस्या हो सकती है (7)
  1. सामान्य परिस्थितियां : बच्चे की आंख में धूल के कण या पलक के बाल गिर जाने से भी आंख में पानी आ सकता है। आंख में लालपन और चुभन भी ऐसी स्थिति में महसूस हो सकती है। इसके अलावा, धुआं और हवा में केमिकल की उपस्थिति भी आंख में पानी आने का एक कारण हो सकती है (8)

आंख में पानी आने के कारण जानने के बाद अब इस समस्या के लक्षण जान लेते हैं।

बच्चों की आंखों से पानी आने के लक्षण

बच्चे की आंख से पानी आने के साथ-साथ एपिफोरा के और भी लक्षण हो सकते हैं जैसे (9) :

  • दर्द के साथ आंख से पानी आना।
  • आंख में पानी आना और रोशनी को सहन न कर पाना।
  • पलकों के ऊपरी हिस्से पर सूजन।
  • आंख से पानी और सफेद चिपचिपा पदार्थ का निकलना।

ये थे बच्चे की आंख से पानी आने के कुछ लक्षण। आइए, अब आगे जानते हैं कि आंख में पानी आने पर क्या इलाज किए जा सकते हैं।

बच्चों की आंखों से पानी आने का इलाज

बच्चों की आंखों से पानी की समस्या आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है। वहीं, अगर यह समस्या ज्यादा समय तक रहे, तो मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, जो इस प्रकार है :

  • डॉक्टर जरूरत महसूस होने पर शिशु को नेत्र चिकित्सक के पास ले जाने की सलाह दे सकते हैं।
  • अगर शिशु की आंख में कंजक्टिवाइटिस के लक्षण पाए जाते हैं, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक्स दवा और मरहम दे सकते हैं।
  • नेत्र विशेषज्ञ नासोलैक्रिमल वाहिका को खोलने के लिए आई ड्रॉप या फिर एंटीबायोटिक्स दवाओं का प्रयोग भी कर सकते हैं।
  • आवश्यकता पड़ने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ नासोलैक्रिमल वाहिका खोलने के लिए सर्जरी की मदद भी ले सकते हैं, जिसमें वो एक उपकरण की मदद से नासोलैक्रिमल वाहिका को खोलने का प्रयास कर सकते हैं। इसके अलावा, एक उपकरण जिसका नाम कैथेटर है
  • उसकी मदद से भी नासोलैक्रिमल वाहिका को गुब्बारे की तरह फुलाकर खोला जा सकता है (10)
  • अगर एपिफोरा की स्थिति कोल्ड की वजह से है, तो चिकित्सक कोल्ड की दवा दे सकते हैं। कोल्ड का इलाज लक्षणों पर निर्भर करता है (4)

अगर यह समस्या सामान्य है, तो इसे घरेलू इलाज से ठीक किया जा सकता है। आइए, आगे इस बारे में जानते हैं।

बच्चों की आंख से पानी आने का घरेलू इलाज

अगर आपके बच्चे की आंख से पानी आ रहा है, तो आप कुछ घरेलू उपाय करके देखें। याद रखें कि ये घरेलू उपाय सिर्फ लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते है। पूरे आराम के लिए डॉक्टर से मिलना ही बेहतर रहेगा।

  • शिशु की आंख में अगर नासोलैक्रिमल नली में संक्रमण (डैक्रीओसिस्टोसेल) के कारण पानी आ रहा है, तो डॉक्टर उसकी आंखों की सिकाई (warm compress) करने की सलाह दे सकते हैं (11)। इसके लिए एक सूती कपड़े या रुई को तवे पर हल्का गरम करें और
  • आंखो पर रखें। ये प्रक्रिया पांच से दस मिनट तक दोहराएं। ध्यान रहे कि कपड़ा या रुई ज्यादा गर्म न हो, वरना शिशु की त्वचा जल सकती है। साथ ही उसकी आंखों को भी नुकसान हो सकता है। इसलिए, जो भी करें, डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
  • अगर आंख में कुछ गिरने की वजह से शिशु की आंख में पानी आ रहा है, तो आंख को पानी से धोकर उसे साफ करें।
  • डॉक्टर की सलाह पर आप अपने शिशु की नाक के ऊपरी हिस्से की मालिश कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि नाक पर ज्यादा दबाव न पड़े (11)। एक बात का खास ख्याल रखें वो यह कि आपके हाथ साफ हो और नाखून ट्रिम किए हुए हो। मालिश के लिए अपनी तर्जनी उंगली और अंगूठे का प्रयोग करें। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से मालिश की विधि अच्छी तरह जान लें।

आइए, आगे जानते हैं कि एपिफोरा यानी आंख में पानी आने की समस्या से बचाव कैसे किया जा सकता है।

नवजात शिशु की आंख में पानी आने से कैसे बचाएं?

नवजात शिशु की आंख में पानी आना सामान्य भी हो सकता है और गंभीर भी। इसलिए, बेहतर होगा कि इस समस्या से उनको बचाया जाए। यहां हम इस समस्या से बचाव के कुछ आसान तरीके बता रहे हैं।

  1. साफ सफाई का ध्यान रखें : बच्चे को किसी भी तरह के बैक्टीरिया से बचाने में सफाई का अहम योगदान हो सकता है। अपने शिशु को हमेशा साफ हाथों से उठाएं। आंख के संक्रमण से जूझ रहे लोगों से बच्चे को दूर रखें। बच्चे के खिलौने, बिस्तर, दूध की बोतल और अन्य बर्तनों को हमेशा साफ रखें।
  1. बंद नासोलैक्रिमल वाहिका पर गौर रखें : आपका शिशु बंद नासोलैक्रिमल वाहिका के साथ पैदा हो सकता है और यह सामान्य है, लेकिन यह वाहिनी कुछ समय बाद अपने आप खुल जाती है (2) फिर भी अगर बिना स्पष्ट कारण के शिशु की आंख से आंसू निकल रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।
  1. एलर्जी का ट्रीटमेंट कराएं : अगर आपको पता है कि आपके बच्चे को एलर्जी है, तो यह पता करने की कोशिश करें कि उसे किस-किस चीज से एलर्जी होती है। शिशु को धूल, मिट्टी या पालतू जानवर किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है। उसे ऐसे माहौल से बचाने का प्रयास करें। चिकित्सक की सलाह पर आप कुछ दवाएं हमेशा अपने पास रख सकते हैं।

ये तो थे शिशु को एपिफोरा से बचाने के लिए कुछ टिप्स। आइए, अब जानते है कि आंख से पानी आने पर कब डॉक्टर के पास जाना सही रहता है।

डॉक्टर के पास कब जाएं?

अगर बच्चे की आंख में पानी आने के साथ निम्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

  • आंखों में अधिक सूजन आना।
  • पानी के साथ मवाद या पीला पानी आना।
  • लंबे समय से लगातार आंखों में चिपचिपापन रहना।
  • चेहरे व गर्दन में सूजन आने पर।
  • लगातार चिड़चिड़ापन और आंख में दर्द बने रहना।

इस लेख में आपने पढ़ा कि शिशु की आंख में पानी आने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं और कैसे इस समस्या से निपटा जा सकता है। इस समस्या से बचने के लिए जहां तक हो सके अपने बच्चों को गंदगी और प्रदूषण से बचाकर रखें। अगर आंख में पानी आने की समस्या लंबे समय तक ठीक न हो, तो किसी कुशल नेत्र चिकित्सक को अवश्य दिखाएं, सिर्फ घरेलू उपचार पर निर्भर न रहें। साथ ही इस आर्टिकल को अपने परिचितों के साथ भी शेयर करें, ताकि उन्हें भी इस विषय के बारे में जानकारी मिल सके।

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