विषय सूची
गर्मियों के दिनों में कई तरह की बीमारियां व समस्याएं होती हैं, जिनमें से एक हीट स्ट्रोक यानी तापाघात भी है। यह समस्या बढ़ते तापमान की वजह से होती है, जिसके प्रति बच्चे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। ऐसे में बच्चों के शरीर के तापमान पर ध्यान देना जरूरी है। मॉमजंक्शन के इस लेख के जरिए हम बच्चों को होने वाले हीट स्ट्रोक से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी दे रहे हैं। यहां इसके उपचार, बचाव और बच्चे को हीट स्ट्रोक होने पर क्या करें, ये सब विस्तार से बताया गया है।
सबसे पहले जानते है तापघात यानी हीट स्ट्रोक क्या होता है।
तापघात (हीट स्ट्रोक) या लू लगना क्या है? | Bacho Ko Lu Lagna
हीट स्ट्रोक को सन स्ट्रोक के नाम से भी जाना जाता है। यह गर्मी की वजह से होने वाली बीमारी है, जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से बढ़ जाता है। बताया जाता है कि इस दौरान शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच सकता है (1)।
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता। ऐसे में सदमा लगने, मस्तिष्क क्षति, अंग विफलता और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में सूरज के संपर्क में आने से बचने और शरीर को ठंडा रखकर इस स्थिति से बचा जा सकता है (2)।
लेख के अगले हिस्से में हम लू के लक्षणों के बारे में बता रहा हैं।
बच्चों को तापघात (हीट स्ट्रोक) या लू के लक्षण
तापघात व हीट स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जानकर इसका सही इलाज करने और अनचाही दुर्घटना को टालने में मदद मिल सकती है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं (2):
- बुखार आने से शरीर का तापमान 104 डिग्री फरेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से अधिक होना
- त्वचा का शुष्क, लाल या गर्म होना
- बहोशी या भ्रम की स्थिति
- व्यवहार में चिड़चिड़ापन
- बच्चे की धड़कन, पल्स व सांसों का तेज होना
- सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी होना
- कमजोरी का एहसास
चलिए, आगे तापघात होने के कारण पर एक नजर डाल लेते हैं।
बच्चों को तापघात (हीट स्ट्रोक) या लू के कारण
बच्चों को तापघात से बचाने के लिए उसके कारण से जुड़ी जानकारी होना जरूरी है। इसी वजह से आगे हम तापघात के कुछ सामान्य कारण के बारे में बता रहे है (2) (3):
- पानी की कमी : स्वस्थ शरीर का तापमान 37°C के आसपास रहता है, लेकिन जब यह तापमान बढ़ने लगता है, तो शरीर पसीने की मदद से बॉडी को ठंडा करता है। ऐसे में अगर किसी के शरीर में पानी की कमी होती है, तो शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता और तापमान लगातार बढ़ता रहता है।
- एयर फ्लो की कमी : अगर बच्चा ऐसी किसी जगह पर है जहां हवा ठीक से पास नहीं होती, तो भी उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है। शरीर के तापमान को सामान्य रखने के लिए हवादार जगह में रहना चाहिए।
- धूप : ज्यादा समय तक धूप में रहने से भी हीट स्ट्रोक होता है। खासकर गर्मियों के मौसम में दोपहर की धूप तापघात का कारण बनती है।
- गर्म जगह : बच्चा ऐसी किसी जगह में है जहां काफी गर्मी है, तो उससे भी तापघात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा समान्यत: तब होता है जब बच्चे को गर्मी सहने की आदत न हो।
- आग के सामने होना : आसपास लगी आग के कारण पैदा होने वाली गर्मी शरीर को डिहाइड्रेट करती है, जिससे हीट स्ट्रोक हो सकता है।
- ज्यादा गर्म कपड़े पहनना : अगर बच्चे ने जरूरत से ज्यादा गर्म कपड़े पहने हैं, तो उससे शरीर का तापमान बढ़ता है और तापघात का खतरा हो सकता है।
आगे जानिए हीट स्ट्रोक का निदान कैसे किया जाता है।
कैसे पता चलेगा कि शिशु को लू या हीट स्ट्रोक हो गया है?
हीट स्ट्रोक व लू लगने का पता लगाने यानी निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ इस तरह की सलाह दे सकते हैं या फिर जांच कर सकते हैं (4)।
- शरीर का तापमान : बच्चे के तापमान की जांच करके पता लगाया जाता है कि हीट स्ट्रोक हुआ है या नहीं। इस दौरान शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 फरेनहाइट) या उससे अधिक हो जाता है।
- ब्लड टेस्ट : कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट (CBC) और कॉम्प्रिहेंसिव मेटाबोलिक पैनल (CMP) टेस्ट से भी लू और इसके कारण शरीर में होने वाले बदलाव का पता लगाया जा सकता है।
- पीटी व पीटीटी टेस्ट : प्रोथॉम्बिन टाइम और पार्शियल थ्रोम्बोप्लास्टिन टाइम (PT/PTT) टेस्ट, जिससे रक्त के जमाव का समय देखा जाता है और क्रिएटिन फॉस्फोकाइनेज (CPK- एक तरह का प्रोटीन टेस्ट) से भी तापाघात और उससे हुए अंदरूनी नुकसान का पता लगाया जाता है।
- गैस कंटेंट टेस्ट : रक्त में गैस की जांच, जिससे लू के कारण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को हुए नुकसान का पता लगाया जा सकता है।
- यूरिन टेस्ट : इस टेस्ट का नाम यूरिन मायोग्लोबिन है। इससे हीट स्ट्रोक से होने वाले किडनी और मसल डैमेज को चेक किया जाता है।
लेख के अगले भाग में हम तापघात को ठीक करने के उपाय बता रहे हैं।
बच्चों को लू लगने पर क्या करें?
लू लगने पर कुछ प्राथमिक उपचार की मदद से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। ये तरीके कुछ इस प्रकार हैं (2):
- सबसे पहले डॉक्टर को कॉल करें और उनसे परामर्श लें।
- बच्चे के सारे कपड़े उतार दें या उसे कम कपड़ों में रहने दें।
- बच्चे को किसी छाया और ठंडी जगह में ले जाएं।
- हवादार जगह पर बच्चे को रखें।
- बच्चे के शरीर का तापमान नीचे लाने के लिए ठंडे पानी की पट्टियां उसके सिर, हाथ व पैर पर रखें।
- बच्चे को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए समय-समय पर पानी पिलाएं। अगर बच्चा बेहोश हो गया है, तो उसे कुछ भी न पिलाएं।
आगे जानिए कुछ ऐसे घरेलू उपचार जिनकी मदद से लू के असर को कम किया जा सकता है।
बच्चों को लू लगने पर घरेलू उपाय
यहां हम लू व तापाघात की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहें है। इनकी मदद से बच्चे के शरीर के तापमान को कुछ कम किया जा सकता है।
- प्याज का रस : प्याज के रस को हाथ-पैर, छाती और कान के पीछे लगाकर शरीर के तापमान को थोड़ा कम किया जा सकता है (5)। बताया जाता है कि इसकी तासीर ठंडी होती है, जिस वजह से यह हीट स्ट्रोक से बचाव कर सकता है।आम पन्ना : कच्चे आम से बना पन्ना बच्चे को पिलाकर भी उसकी बॉडी की हीट को कुछ कम कर सकते हैं। दिनभर में दो से तीन बार बच्चे को आम पन्ना पिलाएं। कच्चा आम यानी कैरी शरीर को ठंडा रखने में मदद कर सकती है (5)।
- तुलसी का रस : तुलसी की सहायता से भी बच्चे के शरीर के टेम्परेचर को कम किया जा सकता है। इसमें शरीर को ठंडा रखने का गुण होता है। साथ ही यह प्राकृतिक सन स्क्रीन की तरह भी काम करता है और बॉडी को ज्यादा गर्म होने से रोक सकता है (5)।
- छाछ : शरीर के बढ़ते तापमान को कम करने का गुण छाछ में भी होता है। इसी वजह से हीट स्ट्रोक होने पर दिनभर में दो से तीन बार छाछ पीने की सलाह दी जाती है (5)।
- खीरा: खीरा की तासीर भी ठंडी होती है। साथ ही इसमें भरपूर मात्रा में पानी होता है, जिस वजह से यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। इसे हीट स्ट्रोक के लिए अच्छा माना जाता है। इसके लिए खीरे को सलाद के रूप में खाया या फिर इसका जूस बनाकर बच्चे को पीला सकते हैं (5)।
- इमली का पानी : बच्चों को इमली खाना खूब पसंद होती है। आप हीट स्ट्रोक के असर को कम करने के लिए इमली पानी बच्चे को दे सकते हैं। इमली विटामिन, खनिज और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होती है, जो कमजोरी को भी दूर कर सकती है। इमली को गर्म पानी में भीगोकर रखने के बाद उस पानी में एक चुटकी चीनी डालकर बच्चे को दे सकते हैं (5)।
- नारियल पानी : बच्चों को नारियल पानी पिलाकर भी उनके शरीर को ठंडा किया जा सकता है। इसमें शरीर के पित्त को घटाने और बुखार को कम करने का गुण होता है। साथ ही इससे शरीर को हाइड्रेट करने में भी मदद मिलती है (5)।
- चंदन का पेस्ट : चंदन को सबसे अच्छी कूलिंग औषधि माना गया है। इसी वजह से हीट स्ट्रोक होने पर इसके पेस्ट को शरीर पर लगाकर तापमान को कम किया जाता है। अगर लू लगने से उल्टी आ रही है, तो 20 ml आंवला के जूस में 5 g चंदन पाउडर डालकर बच्चे को पीला सकते हैं (5)।
अब आगे हम हीट स्ट्रोक से बचने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं।
शिशु को तापघात से कैसे बचाएं?
आइए अब हम कुछ ऐसे उपायों के बारे में जानते हैं, जिनसे बच्चों को लू लगने से पहले ही बचाया जा सकता है। ये उपाय कुछ इस प्रकार हैं (2) (6) :
- शिशु को समय-समय पर पानी पिलाएं और उनके शरीर में पानी की कमी न होने दे।
- ढीले और हल्के रंग के कपड़े पहनाएं।
- गर्मी के दिनों में बच्चों को ज्यादा देर धूप में न रखें। खासकर दोपहर के समय।
- कभी भी बच्चों व शिशु को पार्क की हुई कार में अकेला न छोड़ें। कार में तापमान बहुत तेजी से बढ़ता है। इससे हीट स्ट्रोक होने के साथ ही जान जाने का भी डर रहता है।
- अगर बच्चा बड़ा हो गया है, तो उसे बताए कि खेलते समय वो थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीता रहे और ज्यादा थकान या गर्मी लगने पर छाया में आराम करें।
आगे जानिए कि लू लगने के बाद किन परिस्थितियों में बच्चे को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डॉक्टर से कब परामर्श करें?
तापघात या लू लगने पर थोड़ी भी लापरवाही न बरतें। हीट स्ट्रोक के लक्षण नजर आते ही बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं या फिर उनसे सलाह लें (2)।
- बच्चे को बुखार आने पर
- धूप में बच्चे के ज्यादा देर तक रहने के बाद
- कमजोरी और बेहोशी होने पर
- पसीना न आना व त्वचा का रूखा होना पर
- बच्चों को दौरा पड़ने पर
- बेमतलब की बातें करना और चिड़चिड़ा रहना।
लेख के आखिरी भाग में हम लू से जुड़े पाठकों के कुछ सवाल लेकर आए हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या लू से बच्चों को बचाने के लिए खान-पान में बदलाव जरूरी है ?
हां, अगर बच्चों के खान पान में अधिक तरल पदार्थ और फल व सब्जियों को शामिल किया जाए, तो उसे हीट स्ट्रोक से बचाया जा सकता है (7)।
क्या बच्चों को लू लगने से जान का खतरा हो सकता है ?
हां, अगर सही समय पर उपचार न मिले तो हीट स्ट्रोक के कारण बच्चों को जान का खतरा हो सकता है (2)।
लू व हीट स्ट्रोक की चपेट में बच्चे सबसे जल्दी आते हैं, इसलिए उनका विशेष ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए हमने ऊपर लेख में कई जरूरी बातें बताई हैं, जिनका ध्यान रखकर बच्चे को तापाघात से बचाया जा सकता है और इसका उपचार भी किया जा सकता है। अगर बच्चों के प्रति ध्यान न दिया जाए और वक्त रहते लू का उपचार न किया जाए, तो यह बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा भी हो सकती है। सतर्क रहें और खुशहाल जीवन जीएं।
References
1. Heat stroke and heat exhaustion: An update By CMI
2. Heat emergencies By Medlineplus
3. Heat stress and heat-related illness By Better Health
4. Heat Stroke By NCBI
5. PREVENTION AND MANAGEMENT OF HEAT STROKE AYURVEDA: A REVIEW By IAMJ
6. Vehicular Entrapment and Heat Stroke in Three children: Is it a Form of Child Neglect By NCBI
7. Loo Lagna (Sunstroke/ Heatstroke) By NHP
Community Experiences
Join the conversation and become a part of our vibrant community! Share your stories, experiences, and insights to connect with like-minded individuals.