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पलकें न सिर्फ आंखों को खूबसूरत बनाने का काम करती हैं, बल्कि धूल-मिट्टी से भी आंखों की सुरक्षा करती हैं। पलकों का झपकना एक आम प्रक्रिया है। बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी अपनी पलकें झपकाते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी भी देखी जाती हैं, जब बच्चे सामान्य से अधिक अपनी पलकें झपकाते हैं। अगर ऐसा आपके शिशु के साथ भी होता है, तो यह किसी शारीरिक समस्या का संकेत हो सकता है। यही वजह है कि मॉमजंक्शन के इस लेख में हम बच्चों में अधिक पलकें झपकाने का कारण, लक्षण और इसके उपचार से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं। विस्तार से जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।
लेख में सबसे पहले जानिए कि बच्चों में अधिक पलकें झपकाना क्या है।
बच्चों में अधिक पलकें झपकाना क्या है?| Baccho Mein Palak Jhapakna
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पलकों का झपकना (ब्लिंकिंग) एक सामान्य प्रक्रिया है। यह आंखों को आराम देने का काम करती है। वहीं, इसकी गति की बात करें, तो नवजात एक मिनट में लगभग 3 बार अपनी पलकें झपकाते हैं और व्यस्क होने पर यह दर प्रति मिनट 15 से 20 बार तक बढ़ सकती है। अगर शिशु एक मिनट में सामान्य से ज्यादा पलकें झपकाता है, तो यह एक असामान्य स्थिति है (1)। इस असामान्य स्थिति को बच्चों का अधिक पलकें झपकाना या एक्सेसिव ब्लिंकिंग कहा जाता है।
आगे जानकारी दी जा रही है कि बच्चों के अधिक पलकें झपकाने के लक्षण के बारे में।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने के लक्षण
बच्चों में अधिक पलकें झपकने के कई लक्षण हो सकते हैं, उनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं (2)।
- बार-बार पलकों का झपकना।
- पलकों का अनियंत्रित होकर झपकते रहना।
- आंखों में खुजली होना।
- बार-बार आंखों को मलना।
- आंखों के आसपास के क्षेत्र में सनसनी होना।
- आंखों में थकावट महसूस करना।
- फोटोफोबिया की समस्या होना यानी तेज रोशनी को सहन नहीं कर पाना।
इसके अलावा, कुछ और लक्षण भी देखे जा सकते हैं जैसे भौंह का ऊपर-नीचे होना या माथे पर झुर्रियां दिखाई देना।
लक्षणों को जानने के बाद हम बता रहे हैं अधिक पलकों के झपकने के कारण के बारे में।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने के कारण
बच्चों में अधिक पलकें झपकने के कारण कई हो सकते हैं, जिनमें से कुछ के बारे में हम नीचे बता रहे हैं (3) :
- पलकों की असामान्यताएं: पकलों की असामान्यताएं पकलों के बार-बार झपकने का एक कारण हो सकती हैं। यह असामान्यताएं बच्चे के जन्म से ही (भ्रूण के असामान्य गठन के कारण) या बाद में उत्पन्न हो सकती हैं (4)।
- अनकरेक्टेड रिफ्रैक्टिव एरर: यह एक सामान्य नेत्र विकार है, इसमें आंखें किसी भी एक वस्तु के ऊपर ठीक से फाेकस नहीं कर पाती हैं और चीजें धुंधली दिखाई देती हैं (5)।
- इंटरमिटेंट एक्सोट्रोपिया: इस अवस्था में दोनों आंखों की स्थिति असामान्य हो जाती हैं (6)।
- साइकोजेनिक ब्लेफेरोस्पाज्म: इस स्थिति में आखों की मांसपेशियों में अनियंत्रित ऐंठन हो सकती है, जिसके कारण आंखों का असामान्य रूप से झपकना शुरू हो सकता है (7)।
आर्टिकल के अलग हिस्से में बच्चों के अधिक पलकें झपकाने के निदान के विषय में बताया जा रहा है।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने का निदान
बच्चों के अधिक पलकें झपकने का निदान नेत्र रोग विशेषज्ञ कुछ इस प्रकार कर सकते हैं (2) –
- स्लिट लैंप परीक्षण: इसमें डॉक्टर आईलिड, आईलैशेज के साथ कॉर्निया में चोट, सूजन व बाहरी कण की जांच करते हैं। इसके अलावा, आंसूओं के स्राव यानी आंखों से पानी आने के कारण का परीक्षण भी किया जाता है।
- ऑटोरेफ्रेक्टर : इसमें रिफ्रैक्टिव एरर यानी आंखों के धुंधलेपन की जांच की जाती है। साथ ही देखा जाता है कि कहीं बच्चे को चश्मे या लेंस की आवश्यकता है या नहीं।
- एलर्जेन टेस्ट: इसमें आंखों से जुड़े एलर्जेन टेस्ट किए जाते हैं। साथ ही बच्चे या परिवार के किसी सदस्य से जुड़ी एलर्जी हिस्ट्री के बारे में भी जानकारी हासिल की जाती है।
- विजन टेस्ट : इसमें इंटरनेशनल विजुअल चार्ट की मदद से दृष्टि की जांच की जाती है।
निदान के बाद बारी है बच्चों के अधिक पलकें झपकाने के उपचार को जानने की।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने का उपचार
बच्चों में अधिक पलकें झपकाने का उपचार संबंधित कारणों के आधार पर किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हो सकता है (2) –
- सामान्य एलर्जी या अन्य सामान्य समस्या के कारण हो रही अधिक पलकें झपकाने की समस्या के लिए डॉक्टर आई ड्रॉप, जेल या एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह दे सकते हैं।
- अगर समस्या गंभीर है, जैसे अनकरेक्टेड रिफ्रैक्टिव एरर, तो उसके लिए चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस लगाने को कहा जा सकता है या फिर रिफ्रैक्टिव सर्जरी की जा सकती है (8)।
- इसी तरह अन्य कारणों के आधार पर पलकों के अधिक झपकने का इलाज किया जा सकता है।
आर्टिकल में आगे पढ़ें कि बच्चों के अधिक पलक झपकाने से बचाव कैसे किया जा सकता है।
बच्चों के अधिक पलकें झपकाने से बचाव
बच्चों के अधिक पलक झपकाने वाली समस्या से बचाव के लिए बीच-बीच में नेत्र जांच जरूर करवाएं। साथ ही उनकी किसी भी प्रकार की एक्टिविटी के ऊपर भी ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों के खान-पान का पूरा ध्यान रखें। फल और हरी सब्जियों को बच्चों के आहार में जरूर शामिल करें। वहीं, लेख में ऊपर बताए गए लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
यहां हम बता रहे हैं कि बच्चों के अधिक पलक झपकाने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए।
आपको कब चिंता करनी चाहिए? | चिकित्सक से कब संपर्क करें?
बच्चों में अधिक पलक झपकाने की समस्या दूर नहीं होती है, तो यह बच्चों की तकलीफ का कारण बन सकती है। अगर बच्चों को निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास उपचार के लिए जाना चाहिए।
- आंख खोलने और बंद करने में परेशानी हो।
- बच्चों का बार-बार आंखों को मलना या रगड़ना।
- जब किसी भी चीज को देखने में बच्चा आंखों पर अधिक जोर लगा रहा हो।
- अगर बच्चे में पलक झपकना असामान्य लगे।
- किसी भी चीज के ऊपर फोकस करने पर बच्चे में चिड़चिड़ापन या गुस्सा दिखाई दे।
इस लेख को पढ़ने के बाद हम उम्मीद कर सकते हैं कि माता-पिता बच्चों में अधिक पलकें झपकाने की समस्या को लेकर सजग हो गए होंगे। साथ ही इस समस्या से बच्चों को कैसे बचाना है और इसका उपचार कैसे करना है, इसकी भी जानकारी मिली होगी। साथ ही इस बात का ध्यान जरूर रखें कि जरा-सी भी लापरवाही आपके बच्चे के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है। इसलिए, लेख में बताई गई बातों पर जरूर गौर करें और समस्या के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आपका जागरूक रहना बहुत जरूरी है। ।
References
1.Factors Regulating Eye Blink Rate in Young Infants By NCBI
2.Causes of excessive blinking in children aged 4-12 years By IJCEM
3.Excessive blinking in childhood: a prospective evaluation of 99 children By NCBI
4.Congenital and developmental eyelid abnormalities By NCBI
5.What is a refractive error? By WHO
6.Surgical management of intermittent exotropia: do we have an answer for all? By NCBI
7.Psychogenic Blepharospasm: A Diagnostic Dilemma By NCBI
8.Optical correction of refractive error for preventing and treating eye symptoms in computer users By NCBI
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