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किसी भी माता-पिता के लिए वो पल सबसे दुखदायी होता है, जब उनका शिशु किसी तकलीफ के कारण रोता रहता है। इसलिए, वो हर तरह से अपने बच्चे की देखभाल करते हैं। फिर भी वो इतने नाजुक होते हैं कि कुछ छोटी-मोटी या सामान्य चीजें भी उन्हें तकलीफ दे जाती है। इन्हीं सामान्य चीजों में से एक है डायपर रैशेज, जो कई बार शिशुओं के लिए मुसीबत बन जाते हैं। इसलिए, मॉमजंक्शन के इस लेख में हम न सिर्फ आपको डायपर रैशेज के लक्षणों के बारे में बताएंगे, बल्कि डायपर रैशेज ट्रीटमेंट के बारे में भी जानकारी देंगे।
इससे पहले कि आप डायपर रैशेज ट्रीटमेंट के बारे में जानें, आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर डायपर रैशेज होते क्या हैं। लेख के इस भाग में हम इसी बारे में जानकारी दे रहे हैं।
डायपर रैशेज क्या होते हैं?
यह छोटे बच्चों में होने वाली एक सामान्य त्वचा संबंधी संक्रमण है, जो डायपर या फिर गीले कपड़े के उपयोग से होता है। इसमें त्वचा लाल हो सकती और त्वचा में जलन, पपड़ी व खुजली भी हो सकती है (1)। ऐसा बच्चे के डायपर को नियमित रूप से न बदलने या फिर गीले डायपर व कपड़े की वजह से हो सकता है। इसके अलावा, अगर बच्चे की त्वचा संवेदनशील है, तो भी डायपर रैशेज हो सकते हैं। इसके कई और कारण भी हैं, जिसके बारे में हम लेख में आगे और विस्तार से बताएंगे।
अब आपको लग रहा होगा कि कैसे पता चलेगा कि शिशु को डायपर रैशेज हैं। लेख के अगले भाग में हम इसी बारे में बता रहे हैं।
डायपर रैशेज होने के लक्षण
डायपर पहनने के बाद त्वचा पर उभरने वाले दाने भी डायपर रैशेज के लक्षण हो सकते हैं, इसलिए उन्हें भी आप अनदेखा न करें। ऐसे ही कुछ लक्षणों के बारे में हम आपको नीचे जानकारी दे रहे हैं (1) (2)।
- लाल रैशेज जो ज्यादा बढ़ने लगते हैं।
- लड़कों में अंडकोश और लिंग (scrotum and penis) पर लाल रैशेज, त्वचा पर पपड़ी बनना।
- लड़कियों के लैबिया और योनि (labia and vagina) पर लाल या पपड़ीदार त्वचा।
- फुंसी, छाले, अल्सर, बड़े छाले या मवाद से भरे घाव।
- छोटे लाल पैच, जिसे सैटेलाइट लेसन (satellite lesions) भी कहते हैं। ये अन्य पैच के साथ बढ़कर मिल जाते हैं।
- बच्चे डायपर निकालने के बाद बार-बार खुजली भी कर सकते हैं।
- त्वचा में सूजन भी हो सकती है।
अब बारी आती है डायपर रैशेज के कारण जानने की। आगे हम इसी बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
डायपर रैशेज होने के कारण
नीचे हम आपको डायपर रैशेज के कारणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं (1) (2)।
- अमोनिया (Ammonia) – यह मूत्र में एक प्रकार का रसायन होता है, जिस कारण रैशेज हो सकते हैं।
- केमिकल के कारण – वाइप्स, साबुन, लोशन या पाउडर में मौजूद केमिकल के कारण डायपर रैशेज हो सकते हैं। इनमें ऐसे रसायन होते हैं, जो शिशु की त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं। साथ ही अगर बच्चे पर नए ब्रांड के डायपर या लोशन का इस्तेमाल किया जाता है, तो हो सकता है कि वो उसे सूट न करे और रैशेज हो जाएं।
- ठोस आहार के कारण – डायपर रैशेज तब ज्यादा दिखने लगते हैं, जब बच्चे ठोस आहार लेना शुरू करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कभी-कभी बच्चे को दस्त की समस्या भी हो जाती है, जिस कारण बच्चे डायपर बार-बार गीला करते हैं और बार-बार उन्हें साफ करने से रैशेज हो सकते हैं।
- संक्रमण के कारण – 4 से 15 महीने के बच्चों में डायपर रैशेज सामान्य है। यह यीस्ट (फंगस) जिसे कैंडिडा कहा जाता है, उसके कारण भी हो सकता है। अगर शिशु के डायपर नियमित रूप से न बदले जा रहे हों और शिशु की साफ-सफाई में कमी हो, तो भी संक्रमण के कारण शिशु को डाइपर रैशेज हो सकते हैं।
- एंटीबायोटिक्स – अगर मां स्तनपान करते समय एंटीबायोटिक्स ले रही हैं, तो भी बच्चे को रैशेज हो सकते हैं।
- साफ-सफाई – शिशु के प्राइवेट पार्ट को अच्छी तरह साफ न करने व उसे प्राकृतिक रूप से न सूखने देने के कारण भी रैशेज हो सकते हैं।
- डायरियाल संक्रमण– डायरिया यानी पेट खराब की समस्या से भी डायपर रैश हो सकते हैं। दरअसल, लैक्टोज इन्टोलेरेंस के कारण यह समस्या हो सकती है। ऐसे में मलत्याग से बच्चे की त्वचा पर प्रभाव पड़ सकता है, जिसका नतीजा डायपर रैश हो सकता है।
अब वक्त है डायपर रैशेज के इलाज के बारे में जानने का। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
बच्चों में रैशेज का इलाज | Diaper Rashes Ka Ilaj
अगर बच्चों को डायपर रैशेज हो गए हैं, तो उसके लिए निम्न प्रकार के ट्रीटमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए (3)।
- नियमित रूप से डायपर बदलें – बच्चों के डायपर को थोड़ी-थोड़ी देर में चेक करते रहें और उनके गीला होने पर तुरंत बदल दें। गीले डायपर से बच्चे के डायपर एरिया में नमी के कारण डायपर रैशेज हो सकते हैं।
- साफ-सफाई – बच्चों के गुप्तांग वाले एरिया को साफ रखना जरूरी है। जब भी बच्चे का डायपर बदलें, तो पहले हल्के-हल्के हाथों से बच्चे के डायपर एरिया को साफ करें और जब बच्चे का डायपर एरिया प्राकृतिक रूप से सूख जाए, तो बच्चे को डायपर पहनाएं।
- डायपर रैशेज क्रीम – आप डायपर रैशेज क्रीम या मलहम का उपयोग कर सकते हैं। खासतौर, वो क्रीम या मलहम जिसमें जिंक ऑक्साइड या पेट्रोलियम मौजूद हो। इस तरह की क्रीम या मलहम त्वचा में जलन से आराम दिला सकते हैं और इसे नमी से बचाने में मदद कर सकते हैं। यदि डायपर रैश का कारण फंगल या कैंडिडा संक्रमण है, तो डॉक्टर एंटिफंगल मलहम भी दे सकते हैं।
- सही साइज का डायपर – ध्यान रहे कि आप अपने बच्चे के लिए सही साइज के डायपर का चुनाव करें। डायपर बहुत टाइट या ढीला न हो। इस बात का ध्यान रखें कि आपके बच्चे का डायपर आरामदायक और मुलायम हो।
- बिना डायपर– कुछ विशेषज्ञ माता-पिता को सलाह देते हैं कि वो अपने बच्चे को पूरे दिन में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बिना डायपर के रखें। इससे बच्चे को आराम मिल सकेगा और त्वचा में हवा लगने के कारण रैशज की आशंका कम हो सकती है।
अब हम आपको बच्चे के डायपर रैशेज के लिए कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं।
डायपर रैशेज के घरेलू उपचार | Diaper Rash Ke Liye Gharelu Upchar
यहां जानिए बच्चे के डायपर रैशेज को आसानी से ठीक करने के कुछ घरेलू उपचार।
- नारियल तेल : आप डायपर रैशेज वाली जगह को गुनगुने पानी से साफ करके और नर्म तौलिये से हल्के-हल्के हाथों से पोंछने के बाद उस पर नारियल तेल लगा सकते हैं। नारियल तेल में एंटीबैक्टीरियल व एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, जिस कारण यह डायपर रैशेज पर असर कर उनके प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है (4)।
- ब्रेस्टमिल्क : डायपर रैशेज के लिए स्तन का दूध सबसे आसान और सुरक्षित विकल्पों में से एक है। जैसा कि यह सभी जानते हैं कि मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम होता है और इससे शिशु कई बीमारियों से बचा रह सकता है। ब्रेस्टमिल्क में कई तरह के विटामिन मौजूद होते हैं, जैसे – ए, ई, डी, के और बी कॉम्प्लेक्स। विटामिन-ई काफी असरदार होता है। यह त्वचा को कोमलता प्रदान करता है। शोध से पता चला है कि दूध में मौजूद प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-बी12 सूखी त्वचा व एक्जिमा जैसी जटिलताओं की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में स्तन के दूध की इस क्षमता का उपयोग डायपर रैशेज को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है। बस शिशु के प्रभावित जगह पर ब्रेस्ट मिल्क की कुछ बूंदें लगा दें (5)।
- विच हेज़ल : आप अपने बच्चे के डायपर रैशेज के लिए विच हेज़ल (औषधि गुणों वाला पौधा) युक्त डायपर रैशेज क्रीम का उपयोग भी कर सकते हैं । इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो डायपर रैशेज पर असरदार हो सकते हैं (6)।
- नीम : आप नीम के पत्तों का पाउडर या नीम का तेल भी डायपर रैशेज पर लगा सकते हैं। नीम का एंटी-माइक्रोबियल व एंटीवायरल गुण संक्रमण से बचाव कर सकता है और रैशेज को बढ़ने से रोक सकता है (7)। हालांकि, अगर छाले या घाव गंभीर या खुले हैं, तो इसका उपयोग न करें।
- एलोवेरा : आप बच्चे के डायपर रैशेज पर एलोवेरा जेल भी लगा सकते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है, जिस कारण यह रैशेज की वजह से होने वाले जलन से आराम दिला सकता है (8)।
कई माता-पिता के मन में यह भी आ रहा होगा कि ऐसा क्या करें कि बच्चे को डायपर रैशेज न हों, तो इसका जवाब हम आपको लेख के इस भाग में दे रहे हैं। यहां जानिए कि बच्चे को डायपर रैशेज होने से कैसे बचाया जा सकता है।
बच्चे को डायपर रैशेज होने से कैसे बचाएं
यहां कुछ आसान टिप्स बता रहे हैं, जिनकी पालन करने पर बच्चे को डायपर रैशेज से दूर रखने में मदद मिल सकती है (1) (2) (3) (9)।
- बच्चे के डायपर बदलने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह धो लें।
- हर कुछ देर में डायपर चेक करें और अगर डायपर गीला हो गया हो, तो तुरंत बदल दें।
- ऐसे वाइप्स का उपयोग न करें, जिसमें अल्कोहल या कृत्रिम सुगंध का उपयोग किया गया हो।
- बच्चे को ज्यादा टाइट डायपर न पहनाएं।
- बाल विशेषज्ञ से पूछें कि बच्चे के लिए सबसे अच्छी डायपर रैशेज क्रीम कौन-सी है।
- अगर आप बच्चे के लिए कपड़े की नैपी का उपयोग कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आप उसे अच्छे से साफ करें और धोएं, ताकि उससे साबुन या डिटर्जेंट अच्छी तरह से निकल जाए।
- बच्चे को डायपर पहनाते वक्त ध्यान रखें कि बच्चे का डायपर एरिया पूरी तरह से सूखा हुआ हो।
- संभव हो, तो बच्चे को थोड़ी देर के लिए बिना डायपर के रहने दें, ताकि डायपर एरिया को प्राकृतिक हवा मिल सके।
कई बार डायपर रैशेज गंभीर रूप भी ले सकते हैं। आगे हम कुछ ऐसी ही अवस्था के बारे में बता रहे हैं।
डॉक्टर के पास कब जाएं
डायपर रैशेज के कुछ मामलों में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है। अगर आपके शिशु में नीचे बताए गए लक्षण नजर आएं, तो बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाएं (1)।
- अगर डायपर रैशेज 2-3 दिन में ठीक न हों और लगातार बिगड़ते जा रहे हों।
- अगर ये रैशेज बच्चे के पेट, पीठ, हाथ और चेहरे पर भी होने लगें।
- मवाद, फफोले, अल्सर, बड़े घाव या मवाद से भरे घाव नजर आने पर।
- अगर आपके शिशु को बुखार भी है।
- अगर शिशु को जन्म के 6 हफ्ते के भीतर रैशेज हो जाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या डायपर रैशेज का होना किसी अन्य बीमारी का संकेत है?
सामान्य तौर पर डायपर रैशेज दो से तीन दिन में ठीक हो सकते हैं (3)। वहीं, अगर ये कुछ दिनों में ठीक न हों और शरीर के अन्य अंगों में भी फैलने लगें, साथ ही शिशु को बुखार भी हो, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें। यह कुछ अन्य बीमारियों के लक्षण भी हो सकते हैं।
क्या मुझे अपने बच्चे को कुछ खाद्य पदार्थों के संपर्क से बचाना चाहिए, या तो स्तन के दूध के माध्यम से या बच्चे के आहार के माध्यम से?
जैसा कि हमने ऊपर आपको जानकारी दी कि जब बच्चे ठोस आहार का सेवन करने लगते हैं, तब से डायपर रैशेज ज्यादा दिखने लगते हैं (1)। ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि बच्चे ज्यादा मल-मूत्र त्याग करने लगते हैं। कई बार बच्चे को डायरिया की भी समस्या हो सकती है। इसलिए, उन्हें ऐसा आहार दें, जो उनके पेट के लिए सही हो। इसके अलावा, हमने यह भी जानकारी दी है कि अगर मां एंटी-बायोटिक्स का सेवन करती है, तो उससे बच्चे को डायपर रैशेज हो सकते हैं। इसलिए, पहले से सावधानी बरतना जरूरी है।
मेरे बच्चे के रैशेज कितने जल्दी ठीक हो सकते हैं?
अगर सही तरीके से उपाय या देखभाल की जाए, तो डायपर रैशेज दो से तीन दिन में ठीक हो जाते हैं। वहीं, अगर ज्यादा दिनों तक रैशेज हैं, तो एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर करें (3)।
किसी भी बच्चे के लिए डायपर रैशेज काफी पीड़ादायक हो सकते हैं और अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो ये बढ़ भी सकते हैं। अगर आपकी जानकारी में किसी बच्चे को डायपर रैशेज हैं, तो इस लेख को उसके परिजनों के साथ जरूर शेयर करें। वहीं, अगर इन उपचारों के बाद भी बच्चे के डायपर रैशेज ठीक न हो, तो डॉक्टर से सलाह लेने में बिल्कुल देर न करें। शिशु या गर्भावस्था से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहें मॉमजंक्शन के साथ।
References
1. Diaper rash by Medlineplus
2. Nappy rash by Betterhealth
3. Diaper Rash by Kidshealth
4. Medicinal benefit of coconut oil By Researchgate
5. Assessment Effect of Breast Milk on Diaper Dermatitis By NCBI
6. ASSESSMENT REPORT ON HAMAMELIS VIRGINIANA L., CORTEX HAMAMELIS VIRGINIANA L., FOLIUM HAMAMELIS VIRGINIANA L., FOLIUM ET CORTEX AUT RAMUNCULUS DESTILLATUM by European Medicines Agency Evaluation of Medicines for Human Use (Journal)
7. Review on Antibacterial, Antiviral, and Antifungal Properties of Natural Diapers and its Effect on Dermatitis By Researchgate
8. A randomized comparative trial on the therapeutic efficacy of topical aloe vera and Calendula officinalis on diaper dermatitis in children by NCBI
9. Nappy rash by Pregnancybirth&baby
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