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यूं तो बच्चों का मन पढ़ाई में न लगना सामान्य है, लेकिन अगर यह समस्या अत्यधिक हो, तो माता-पिता के लिए चिंता का कारण भी बन जाता है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर माता-पिता का चिंतित होना गलत भी नहीं है, क्योंकि हर पेरेंट्स अपने बच्चों का उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं। इसी चाह में कई बार वे बच्चों के पढ़ाई में मन न लगने के कारण को समझ नहीं पाते हैं और उनपर दवाब बनाए रखते हैं। इसी का नतीजा होता बच्चों का चिढ़चिढ़ा होना और पढ़ाई से दूरी बना लेना। ऐसे में मॉमजंक्शन के इस लेख के जरिए हम न सिर्फ बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने के कारणों पर गौर करेंगे, बल्कि बच्चों का मन पढाई में लगाने के उपाय भी बताएंगे। तो इस विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी के लिए लेख को अंत तक पढ़ें।
आइए, सबसे पहले बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने के कारण के बारे में जानते हैं।
बच्चों का मन पढ़ाई में न लगने के कारण
बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने पर अक्सर मां-बाप उन्हें डांट-फटकार लगाते हैं। जबकि उन्हें सबसे पहले इस बात की वजह का पता लगाना आवश्यक है। बच्चे के न पढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसके बारे में हम नीचे जानकारी दे रहे हैं (1) (2):
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (जैसे – बढ़ता वजन, अस्थमा या अन्य कोई बीमारी)।
- दिमाग तेज न होना।
- लर्निंग पावर का कमजोर होना।
- भावनात्मक समस्याएं (जैसे माता-पिता में झगड़े, किसी बात का डर)।
- घर का माहौल ठीक न होना।
- हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (यह बच्चों में होने वाला सामान्य मानसिक विकार है। इसमें बच्चे में एकाग्रता की कमी देखी जा सकती है)।
- मनोरोग संबंधी विकार (जैसे एंग्जायटी, डिप्रेशन)।
- थकान और नींद पूरी न होना
- पर्यावरणीय कारक (जैसे कमरे में पर्याप्त रोशनी या वेंटिलेशन न होना)।
कारण के बाद अब बारी आती है इसके उपाय जानने की। लेख के इस भाग में जानिए बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने के आसान उपाय।
बच्चों का मन पढाई में लगाने के आसान 20 उपाय | Padhai Me Man Lagane Ke Nuskhe
बच्चे का मन बहुत ही कोमल और चंचल होता है। ऐसे में उनपर जोर-जबरदस्ती करके उनसे कुछ करवाना बिल्कुल भी उचित नहीं है। खासतौर पर जब बात पढ़ाई की हो। ऐसे में बच्चों का पढ़ाई में मन लगाने के लिए आप नीचे बताए गए उपायों को अपना सकते हैं। बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने के लिए यहां एक या दो नहीं, बल्कि 10 से भी ज्यादा उपाय हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. बच्चे के प्रयास की सराहना करें
यदि बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, तो उसे डांटने की बजाय उसे समझाने की कोशिश करें। अगर वो कुछ गलती करे, तो उसे समझाएं। बच्चे को समय दें और उनके साथ बैठें व उनका होमवर्क कराने में उनकी मदद करें। बच्चे की छोटी-छोटी सफलता के लिए उनकी सराहना करें। साथ ही बच्चे को पढ़ाई के लिए अलग-अलग तरह से प्रेरित करें (3)। उनके स्कूल में क्या चल रहा है, इस बारे में भी उनसे बात करें।
2. बच्चे की नींद का रखें खास ख्याल
बच्चे का पढ़ाई में मन न लगने का एक कारण नींद पूरी न होना भी है (2)। नींद पूरी न होने के कारण बच्चे का पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता है और उन्हें पढ़ाई के दौरान नींद आती रहती है। वहीं, सीडीसी के अनुसार, बच्चे के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी है। अगर बच्चे की नींद पूरी हो, तो एकाग्रता और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार देखने को मिल सकता है। कम से कम 8 से 10 घंटे की नींद जरूरी है (4)। ऐसे में बेहतर है कि बच्चे का एक टाइमटेबल सेट कर दें। इससे बच्चे की जीवनशैली में भी सुधार होगा और उनके पास खेलने, पढ़ाई करने और सोने के लिए भी पर्याप्त समय होगा। अच्छी नींद के लिए पेरेंट्स बच्चों को सोते समय स्टोरी सुना सकते हैं। बिस्तर पर जाने के बाद बच्चे को मोबाइल, टी-वी और कंप्यूटर से दूर रखें। बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित रखें।
3. व्यायाम या योग
बच्चे की हेल्थ अच्छी होगी, तो वह पढ़ाई में पूरा मन लगा पाएंगे। डब्लूएचओ के अनुसार, एक्सरसाइज करने से बच्चे की पढ़ाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की बात सामने आई है। व्यायाम से एकाग्रता में भी सुधार हो सकता है (5)। ऐसे में बच्चे के हेल्दी रूटीन में व्यायाम या योग को शामिल करना उचित विकल्प हो सकता है। हालांकि, व्यायाम या योग के लाभ के लिए बच्चे को किसी विशेषज्ञ की देख-रेख में ही व्यायाम या योग कराएं।
4. हेल्दी डाइट
बच्चे का पढ़ाई में मन लगाने के लिए उनकी डाइट का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है। बच्चों में पोषण की कमी का सीधा असर उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ सकता है। उनके अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए संतुलित आहार मिलना जरूरी है (6)। आज बच्चों में हेल्दी फूड की जगह जंक फूड का चलन काफी बढ़ गया है, जिससे उन्हें उचित पोषण नहीं मिल पाता है। साथ ही जंक फूड के सेवन से बच्चे कई बीमारी के शिकार भी हो सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि बच्चे को हेल्दी आहार जैसे फल, सब्जियां, दूध, अंडे आदि का सेवन कराएं।
5. पढ़ाई के लिए सही जगह का चयन करें
बच्चों की पढ़ाई के लिए उनका अलग कमरा होना चाहिए। रिसर्चगेट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, बच्चे का पढ़ाई में मन लगे, इसके लिए उनके कमरे में सही वेंटिलेशन होना जरूरी है। वेंटिलेशन से हमारा मतलब यह है कि उनका कमरा हवादार होना चाहिए। इसके अलावा कमरे में सूरज की रोशनी और सही लाइट भी जरूरी है (7)।
6. तनाव मुक्त रखें
कई पेरेंट्स अपने बच्चों पर पढ़ाई का बहुत ज्यादा दबाव डालते हैं। इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। कुछ बच्चों में तनाव बढ़ जाता है, जिसका उन पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है (8)। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं नहीं है कि तनाव के कारण बच्चे की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है। ऐसे में अपने बच्चे से बात कर यह जानने की कोशिश करें कि उन्हें कोई चिंताजनक बात परेशान तो नहीं कर रही है। वहीं, दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना न करें।
7. मानसिक विकास के लिए खेलना भी है जरूरी
पढ़ाई करने के साथ-साथ बच्चों के लिए खेलना भी उतना ही जरूरी है। इससे बच्चे का मानसिक विकास तेज हो सकता है। इसके साथ ही उनका मूड भी फ्रेश हो सकता है (9)। ऐसे में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे के खेलने को भी पूरी अहमियत देना आवश्यक है। बच्चे के मानसिक विकास के लिए बोर्ड गेम्स या बाहर खेलने वाली चीजों का सहारा ले सकते हैं। जिस तरह माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई का समय निर्धारित करते हैं। ठीक उसी तरह उनके खेलने का समय भी तय कर दें। इससे बच्चे का मूड बेहतर होगा और पढ़ाई में भी उसका मन लगेगा।
8. घर का माहौल ठीक रखें
बच्चे के सामने परिवार के सदस्यों का आपस में लड़ना उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है (10)। पारिवारिक समस्याएं कई बार बच्चे के डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं (11)। घर का माहौल ठीक न होना भी बच्चे का पढ़ाई में मन न लगने के कारणों में से एक हो सकता है। इसलिए बच्चे के सामने घर का माहौल अच्छा बनाकर रखें व उनके सामने झगड़ा न करें।
9. मार-पीट करना गलत
कुछ पेरेंट्स बच्चे के मन लगाकार पढ़ाई न करने से उन पर चिल्लाना या मारना-पीट करना शुरू कर देते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। इससे बच्चा डिप्रेशन में जा सकता है (12)। इतना ही नहीं, हमने ऊपर पहले ही बता दिया है कि अवसाद का असर बच्चे की पढ़ाई पर भी हो सकता है। इसके अलावा, वे ज़िद्दी भी हो सकते हैं। ऐसे में डांटने की बजाय हमेशा बच्चे को प्यार से समझाएं। बच्चे के साथ पढ़ाई को लेकर किसी तरह की जोर जबरदस्ती न करें।
10. टाइमटेबल सेट करें
बच्चे का टाइमटेबल तैयार कर लें। इसमें बच्चे का व्यायाम करना, खेलना, पढ़ाई करने का समय तय कर दें। ऐसा करने से बच्चे को पढ़ते समय बोरियत महसूस नहीं होगी और वह मन लगाकर पढ़ने लगेगा (13)। साथ ही उन्हें हर कुछ देर में ब्रेक भी लेने दें, ताकि वे अपना काम करते करते चिड़चिड़ाए नहीं।
11, होम वर्क में बच्चे की मदद करें
बच्चों के होम वर्क में पेरेंट्स उनकी मदद कर सकते हैं। इससे भी बच्चा मन लगाकर पढ़ाई कर सकता है। एक शोध के अनुसार, जिन बच्चों को पढ़ाई में परिवार के लोग मदद करते हैं, वे जल्दी चीजों को याद कर सकते हैं। बच्चे के साथ पेरेंट्स भी पढ़ेंगे और उनके होमवर्क में मदद करेंगे, तो इसका सीधा असर बच्चों की परफॉर्मेंस पर नजर आ सकता है (13)।
12. बच्चे के स्टडी रूम में न हो डिस्ट्रैक्शन
बच्चा जिस कमरे में पढ़ाई करता है उस कमरे में कोई चीज ऐसी नहीं होनी चाहिए जिससे उनका दिमाग इधर-उधर भटके। कमरे में टीवी या उनके आस-पास फोन नहीं होना चाहिए। इससे उनका पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता है। यदि आप बड़े परिवार में रहते हैं, तो एकाग्रता बढ़ाने और मन को भटकने से रोकने के लिए घर के सभी लोगों को बच्चे के स्टडी टाइम के दौरान शांति बनाएं रखने को कहें (13)।
13. भावनात्मक सपोर्ट दें
बच्चों के कम नंबर आने पर उन्हें डांटने की बजाय मोटिवेट करें। उन्हें भावनात्मक सहयोग दें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ सकता है। किशोरावस्था में बच्चे के इमोश्नंस का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है। कभी भी अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें (14)।
14. कहीं बच्चे को स्कूल में कोई परेशान तो नहीं कर रहा
स्कूल में बच्चों का एक-दूसरे की खींचाई करना आम बात है, लेकिन अगर यह अधिक हो, तो इस पर रोक लगाना आवश्यक है। कहीं बच्चा बुलीइंग का शिकार तो नहीं हो रहा। बुलीइंग के शिकार बच्चों के व्यवहार में बदलाव साफ देखा जा सकता है। बच्चे के पढ़ाई में मन न लगने का एक कारण यह भी हो सकता है। बुलीइंग का बच्चे की पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। ऐसी स्थिति में माता-पिता को सतर्क रहने की जरूरत है। अपने बच्चे से प्यार से उनकी परेशानी पूछे व उसके टीचर्स से संपर्क में रहें (14)।
उन्हें अगर किसी तरह परेशानी है, तो उनकी समस्या को जानने की कोशिश करें। उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि वे अपनी परेशानी बिना किसी डर के शेयर कर सकते हैं। इससे पेरेंट्स को उनके बच्चे की समस्या के बारे में मालूम हो सकता है। यहीं नहीं, पेरेंट्स उनकी तकलीफ का उपाय भी ढूंढ सकते हैं।
15. बच्चे की मदद करते वक्त गुस्सा न करें
अगर बच्चा पढ़ते समय किसी जगह पर अटक जाता है, तो उसे प्यार से समझाएं। बार-बार समझाने के बाद भी उन्हें समझ नहीं आता है, तो अपना आपा न खोएं। उन्हें समझाने के लिए किसी एक्टिविटी का सहारा लें। इससे बच्चे को समझने में आसानी हो सकती है। साथ ही पूरे धैर्य के साथ उन्हें खेल-खेल में समझाने की कोशिश करें।
16. बच्चे को रिश्वत की आदत न डालें
बच्चे की सफलता के लिए उनकी सराहना करना या गिफ्ट देना, उन्हें प्रोत्साहित करने का अच्छा तरीका है। इससे वे प्रोत्साहित हो सकते हैं, लेकिन बच्चे को हर दिन होमवर्क के लिए रिश्वत देने से बचें। कुछ पेरेंट्स बच्चे के होमवर्क न करने पर उन्हें रोजाना किसी चीज का लालच देने लगते हैं। ऐसा करने से भले ही आपकी उस समय की परेशानी दूर हो जाएगी, लेकिन बच्चा कभी भी मन लगाकर पढ़ाई नहीं कर सकेगा। साथ ही अगर अगली बार उनकी पसंद की चीज न मिली, तो बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और पढ़ाई करने से इनकार कर सकता है।
17. बच्चों पर विचार थोपने की कोशिश न करें
सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को सर्वक्षेष्ठ बनाना चाहते हैं। इसके लिए कई अभिभावक बच्चों को बात-बात पर सुनाने लगते हैं। ऐसा करने से बचें। हर बात पर बच्चे को लेक्चर न दें। बच्चे को डांटकर-फटकार से अपनी बात नहीं मनवाएं। इसकी बजाय उन्हें प्यार से समझाएं। उन्हें किसी का उदाहरण देते हुए, उनकी जिंदगी में पढ़ाई के महत्व के बारे में बताएं।
18. असफलता को सफलता की सीढ़ी बताएं
बच्चे को सिखाए कि हारने से कभी दिल छोटा नहीं करना चाहिए। हार और जीत जीवन का हिस्सा होता है। अगली बार मैदान में पहले से ज्यादा तैयारी के साथ जाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। कुछ बच्चे हार का सामना नहीं कर पाते हैं, जिसका असर उनके व्यवहार पर दिखने लगता है। कई बच्चे डिमोटिवेट हो जाते हैं और पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते हैं। इसलिए माता-पिता को बच्चों को हार का सामना करना भी सिखाना चाहिए।
19. मुश्किल काम को छोटे-छोटे टास्क देकर बांट दें
बच्चे को जैसे कोई कविता याद करनी है, जिसके आठ भाग हैं। इतनी बड़ी पोयम को देखकर बच्चा पढ़ाई न करने के बहाने बना सकता है। ऐसे में बच्चे के काम को बांट दें। उन्हें पूरी कविता एक साथ याद करने की जगह उसके दो-दो भाग में याद करने की सलाह दें। एक बार में दो भाग ही याद कराएं। होमवर्क या कुछ भी नई चीज को सिखाते समय बच्चे पर यह फॉर्मूला एप्लाई कर सकते हैं।
20. बच्चे के सीखने के तरीके को समझें
हर बच्चे का चीजों को सीखने का तौर-तरीका भिन्न हो सकता है। पेरेंट्स के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि उनके बच्चे की सीखने की क्षमता कैसी है। कुछ बच्चे तस्वीरों को देखते हुए चीजों को जल्दी याद कर पाते हैं, कुछ ऐसे होते हैं, जो तेज-तेज पढ़कर याद करते हैं। कुछ एक्टिविटीज के जरिए, तो कुछ लिख-लिखकर चीजों को जल्दी याद करते हैं। आपको अपने बच्चे के चीजों को सीखने और याद करने के तरीके को समझना होगा और उसी के अनुसार अपने बच्चे को पढ़ाई करानी होगी। बच्चे को जिस चीज में ज्यादा दिलचस्पी हो, पढ़ाने के लिए उसी चीज का सहारा लें। इससे आपको बच्चे को पढ़ाने में आसानी होगी। साथ ही बच्चे की पढ़ाई करने में दिलचस्पी बढ़ सकती है। वहीं, कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें गाने जल्दी याद हो जाते हैं, ऐसे में उन्हें गाने के जरिए मजेदार तरीके से चीजों को सिखाए और याद कराएं।
लेख के अगले भाग में जानिए बच्चे को पढ़ाते समय माता-पिता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
माता-पिता के लिए आवश्यक टिप्स
नीचे दिए गए इन टिप्स को अपनाकर अभिभावक बच्चे को मन लगाकर पढ़ाई करने में मदद कर सकते हैं:
- बच्चे के पढ़ाई करते समय आप भी उनके साथ बैठें। इस समय अपने मोबाइल और लैपटॉप से दूर रहें। बच्चे को पढ़ाने के साथ दूसरे कामों को तवज्जो न दें।
- बच्चे के पढ़ाई के दौरान घर में टी-वी, मयूजिक का उपयोग किसी को न करने दें। जब बच्चा पढ़ाई करे, उस वक्त घर के अन्य सदस्यों को शांति बनाएं रखने को कहें।
- बच्चे को उनका होमवर्क पूरा करने में उनकी मदद करें। पढ़ाई करते वक्त उनके जरूरत के सामान जैसे पेंसिल, रबर, स्केल आदि उनके स्टडी टेबल पर रखें। बच्चे की स्टडी टेबल पर एक कैलेंडर लटकाकर रखें। इसमें उनके प्रोजेक्ट को सब्मिट करने व एग्जाम डेट को हाईलाइट कर सकते हैं।
- बच्चों के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। हर दिन एक टास्क दें और उसे पूरा करने के लिए एक टाइम सेट कर दें। हर टास्क को पूरा करने के बाद बच्चे को उसके लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करें।
- अच्छे नंबर लाने पर जोर देने की बजाय उन्हें पढ़ने और सीखने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चे की पढ़ाई के लिए रूटीन सेट करें। हर दिन एक समय पर पढ़ने की आदत डालें। सिर्फ होमवर्क कराने पर जोर न दें। हर दिन क्लास में पढ़ाई गई चीजों पर भी चर्चा करें।
- बच्चों के कम नंबर आने पर उनपर गुस्सा न करें। दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करके उन्हें शर्मिंदा न करें। बच्चे को अगली बार और अच्छे से परफॉर्मेंस के लिए मोटिवेट करें।
इस लेख में आपने जाना कि बच्चों का पढ़ाई में मन न लगने के क्या कारण हो सकते हैं और इससे उन्हें कैसे बचाया जा सकता है। ऊपर दिए गए सारे उपाय बच्चों को मन लगाकर पढ़ाई करने में मददगार साबित हो सकते हैं। पेरेंट्स के लिए बताई गई जरूरी बातों का वे जरूर ध्यान रखें और अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए सुरक्षित माहौल दें। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। बच्चों से जुड़ी ऐसी ही और जानकारियों के लिए आप हमारे अन्य लेख पढ़ सकते हैं।
References
1. Poor School Performance By Researchgate
2. Factors Affecting Student Concentration in Classroom: Medical Students’ Viewpoints in Semnan University of Medical Sciences By IJME
3. Parent Involvement and Children’s Academic and Social Development in Elementary School By NCBI
4. Sleep And Health By CDC
5. The impact of health and health behaviours on educational outcomes in high-income countries: a review of the evidence By WHO
6. Relationship Between Diet and Mental Health in Children and Adolescents: A Systematic Review By NCBI
7. The impact of ventilation and daylight on learning in schools – a summary of the actual state of knowledge By Researchgate
8. Causes of students stress its effects on their academic success, and stress management by students By Seinäjoki University of Applied Sciences (Journal)
9. The Importance of Play in Promoting Healthy Child Development and Maintaining Strong Parent-Child Bonds By Official Journal of the American Academy of Pediatrics (Journal)
10. .The effects of the Family Stress Model on child mental heatlh By IOWA State University
11. Childhood depression: a systematic review By NCBI
12. Corporal punishment and its effects in children By Researchgate
13. Helping Your Child with Homework (PDF) By US Department of Education
14. The Impact of Pupil Behaviour and Wellbeing on Educational Outcomes By Institute of Education, University of London (Research Report)
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